नव ग्रहों के नौ प्रभावकारी मन्त्र!


नौ प्रभावकारी मन्त्र!
नौ प्रभावकारी मन्त्र!
नवग्रहों का मानव जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, इस बात में अब दो मत नहीं हैं, क्योंकि  ग्रहों के प्रभाव को वैज्ञानिक भी स्वीकार करने लगे हैं। प्रस्तुत वैदिक मन्त्रों के जप निष्फल नहीं हो सकते, ऐसा मेरा मानना हैं! व्यक्ति में जिस ग्रह से संबंधित पीड़ा हो उसे उस ग्रह से संबंधित मंत्र का जप करना चाहिये या फिर रविवार में सूर्य मंत्र, चन्द्रवार में चन्द्रमंत्र के क्रम से प्रारम्भ करके शनिवार में शनिमंत्र तक जप किये जा सकते हैं, राहु-केतु के मंत्रों का जप किसी भी दिन कर सकते हैं।

 सूर्य ग्रह मंत्र-
जपाकुसुमसंकाशं    काश्यपेयं    महाद्युतिम्।
त्पोेSरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोेSस्मि दिवाकरम्।।
जपा (अढौल) के फूल की तरह जिनकी कांति है, कश्यप से जो उत्पन्न हुए हैं, अन्धकार जिनका शत्रु है, जो सब पापों को नष्ट कर देते हैं, उन सूर्य भगवान को मैं प्रणाम करता हूँ। 
 
चन्द्र ग्रह मंत्र-
दधिशंखतुषाराभं     क्षीरोदार्णवसम्भवम्।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्।।
दही, शंख अथवा हिम के समान जिनकी दीप्ति है, जिनकी उत्पत्ति क्षीर-समुद्र से है, जो शिवजी के मुकुट पर अलंकार की तरह विराजमान रहते हैं, मैं उन चन्द्रद्रेव को प्रणाम करता हूँ।

मंगल-ग्रह मंत्र -
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम्।।
पृथ्वी के उदर से जिनकी उत्पत्ति हुई है, विद्युतपुंज (बिजली) के समान जिनकी प्रभा है, जो हाथों में शक्ति धारण किये रहते हैं, उन मंगलदेव को मैं प्रणाम करता हूँ।

बुद्ध ग्रह मंत्र-
प्रियंगुकलिकाश्यामं   रूपेणाप्रतिमं   बुद्धम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुद्धं प्रणमाम्यहम्।।
प्रियंगु की कली की तरह जिनका श्याम वर्ण है, जिनके रूप की कोई उपमा ही नहीं है उन सौम्य और सौम्य गुणों से युक्त बुद्ध को मैं प्रणाम करता हूँ।
  
बृहस्पतिदेव-मंत्र-
देवानां च ऋषीणां च गुरूं काच्चनसंनिभम्
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
जो देवताओं और ऋषियों के गुरू हैं, कंचन के समान जिनकी प्रभा है, जो बुद्धि के अखण्ड भण्डार और तीनों लोकों के प्रभु हैं, उन बृहस्पतिजी को मैं प्रणाम करता हूँ।

शुक्रग्रह मन्त्र-
हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं  भार्गवं  प्रणमाम्यहम्।।
तुषार, कुन्द अथवा मृणाल के समान जिनकी आभा है जो दैत्यों के परम गुरू हैं, सब शास्त्रों के अद्वितीय वक्ता शुक्राचार्यजी को मैं प्रणाम करता हूंँ।

शनि ग्रह मंत्र-
नीलांजनसमाभासं   रविपुत्रं   यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नीलांजन के समान जिनकी दीप्ति है, जो सूर्य भगवान के पुत्र तथा यमराज के बड़े भ्राता हैं, सूर्य की छाया से जिनकी उत्पत्ति हुई है उन शनैश्चर देवता को मैं प्रणाम करता हूँ।

राहु ग्रह मंत्र-
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादितत्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसम्भूतं  तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।
जिनका केवल आधा शरीर है, जिनमें महान पराक्रम है, जो चन्द्र और सूर्य को भी परास्त कर देते हैं, सिंहिका के गर्भ से जिनकी उत्पत्ति हुई है उन राहु देवता को मैं प्रणाम करता हूँ।

केतु ग्रह मंत्र-
पलाशपुष्पसंकाशं   तारकाग्रहमस्तकम्।
रौदं रौद्रात्मकं घोरं केतुं प्रणमाम्यहम्।।
पलाश के फूल के समान जिनकी लाल दीप्ति है, जो समस्त तारकाओं में श्रेष्ठ माने जाते हैं, जो स्वयं रौद्र रूप और रौद्रात्मक हैं, ऐसे घोर रूपधारी केतु को मैं प्रणाम करता हूँ। 

                                                संकलन-संजय कुमार गर्ग

14 टिप्‍पणियां :

  1. नव गृह, उनके मन्त्र और प्रभावों को अच्छी जानकारी ...

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    1. आदरणीय दिगम्बर जी, सादर नमन! ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स करने के लिए सादर आभार!

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  2. हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्।
    सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।

    नव गृह, मन्त्रों की ज्ञानवर्धक जानकारी देने के लिए आभार संजय जी


    सादर
    संजय भास्कर

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    1. संजय भाई जी! ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स करने के धन्यवाद!

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  3. Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर दूर दूर तक अपनी दृष्टि दौड़ाती सुनहरी धुप :)

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    1. लिंक भेजने लिए धन्यवाद! संजय जी!

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  4. नव गृह, उनके मन्त्र और प्रभावों को अच्छी जानकारी ! सुन्दर संकलन श्री संजय जी

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    1. आदरणीय योगी जी! ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स करने के लिए सादर आभार!

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  5. नारी भगवान विष्णुका रूप हैऔर भगवान शंकर पुरुषका काम भगवान विष्णु के नाभिकमलसे उत्पन्न ब्रह्मा जी का आविष्कार है वैसे तो कामजीको किसिने अपने घरमे जगा नहीदी पर भगवान विष्णु को इस कामदेवजीसे कोई सुग नहीथी उन्होने मतलब भगवान विष्णु जी ने कामको अपने घरमे खुशी खुशी रहने दिया और उन्हीं से उत्पन्न कामदेवजीका कोई प्रभाव नहीं पडा और सारे जगतकी उत्पत्ति का कारण बनादिया।

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    1. आदरणीया चेतना जी, सादर नमन! ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर आभार!

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  6. नारी भगवान विष्णुका रूप हैऔर भगवान शंकर पुरुषका काम भगवान विष्णु के नाभिकमलसे उत्पन्न ब्रह्मा जी का आविष्कार है वैसे तो कामजीको किसिने अपने घरमे जगा नहीदी पर भगवान विष्णु को इस कामदेवजीसे कोई सुग नहीथी उन्होने मतलब भगवान विष्णु जी ने कामको अपने घरमे खुशी खुशी रहने दिया और उन्हीं से उत्पन्न कामदेवजीका कोई प्रभाव नहीं पडा और सारे जगतकी उत्पत्ति का कारण बनादिया।

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    1. आदरणीया चेतना जी, सादर नमन! ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर आभार!

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  7. नारी तू नारायणी।

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    1. आदरणीया चेतना जी, सादर नमन! ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर आभार!

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