वास्तु के अनुसार कैसा हो हमारा बैडरूम?

वास्तुऔरबैडरूम
वास्तु और बैडरूम
शयनकक्ष (बैडरूम) हमारे घर का एक अहम् हिस्सा है, जिसमें हम अपनी जिन्दगी का लगभग एक तिहाई समय व्यतीत करते हैं, दूसरा पूरे दिन काम करने के बाद आराम व दूसरे दिन की ऊर्जा भी इसी कमरे से प्राप्त होती है। अतः हमें इस कमरे के वास्तु पर विशेष ध्यान देना चाहिये। प्रस्तुत है बैडरूम के लिये कुछ वास्तु संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी-


1- गृह स्वामी का शयन कक्ष नैरूत (SW) में सर्वश्रेष्ठ होता है, उत्तर-पश्चिम (NW) व उत्तर दिशा के मध्य का भाग भी बैडरूम के लिये रखा जा सकता है।

2-सोते समय सिर हमेशा दक्षिण (S) की ओर होना चाहिये व पांव उत्तर (N) की ओर होने चाहिये, हमें पूर्व (E) की ओर भी सिरहाना रखने से बचना चाहिये।

3-पूर्व का सिरहाना वृद्धजनों के लिये उपयुक्त है। यह अध्यात्मिक चिंतन व ध्यान साधना की ओर उन्मुख करता है। 

4-उत्तर-पूर्व (NE) दिशा देवी - देवताओं का स्थान है, इसलिए इस दिशा में कोई बैडरूम नहीं होना चाहिए, उत्तर-पूर्व में  बैडरूम होने से धन की हानि व काम में रुकावट हो सकती है। इस दिशा में बच्चों का बैडरूम बनाया जा सकता है।

5-दक्षिण-पूर्व (SE) में शयन कक्ष अनिद्रा, चिंता, और वैवाहिक समस्याओं को जन्म देता है। दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि कोण हैं जो मुखरता और आक्रामक रवैये से संबंधित है। शर्मीले और डरपोक बच्चे इस कमरे का उपयोग करें, जिससे वो आत्मविश्वास प्राप्त कर सकते हैं। आक्रामक और क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति इस कमरे में ना रहे।


6-उत्तर-पश्चिम (NW)  दिशा वायु द्वारा शासित वायव्य कोण है और आवागमन से  संबंधित है। इसे विवाह योग्य लड़कियों के शयन कक्ष के लिए अच्छा माना गया है। यह मेहमानों के शयन कक्ष के लिए भी एक अच्छा स्थान है।

7-वायव्य कोण (NW) में बैडरूम तभी बनाना चाहिये जब नैरूत (SW) में भी बैडरूम हो।  
8-शयन कक्ष घर के मध्य भाग (Center) में नहीं होना चाहिए, घर के मध्य भाग को वास्तु में ‘ब्रह्मस्थान’ कहा जाता है। यह बहुत सारी ऊर्जा को आकर्षित करता है, जोकि आराम और नींद के लिए बने शयन कक्ष के लिए उपयुक्त नहीं है।

9-यदि घर में एक से अधिक मंजिल हैं तो परिवार के मुखिया का बैडरूम ऊपर की मंजिल के नैरूत (SW) में बनाना चाहिये। यह कमरा विवाहित बड़े लड़के के लिये भी उपयुक्त हैै।

10-विद्यार्थियों को सोने केे लिये पश्चिमी (W) सिरहाना महत्वपूर्ण है।  

11-बायीं करवट करके सोना अनेक दृष्टि से लाभदायक है। 
[पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं!]                      लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008 @mail.com
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)

6 टिप्‍पणियां :

  1. सार्थक प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (03-01-2015) को "नया साल कुछ नये सवाल" (चर्चा-1847) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आदरणीय शास्त्री जी, ब्लॉग को चर्चा में सम्मलित करने व् कमेंट्स करने के लिए सादर आभार! आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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  2. एक सामान्य से घर को वास्तु के इतने जटिल नियमों में बाँध दिया जाता है कि जिन्हें पढ़कर मनुष्य न केवल भ्रमित हो जाता है वरन जिनके घर पूर्णत: वास्तु अनुसार नहीं होते, वे शंकाओं के घेरे में आ जाते हैं।

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    1. संजय जी, वास्तु के नियम इतने कठिन नहीं जितने आप को लग रहें हैं, मैंने इस ब्लॉग में काफी विकल्प भी दिए हैं, मोटी सी बात ये ध्यान रखो कि बैडरूम को ईशान और आग्नेय कोण में ना बनाये! बाकि और कुछ शंका हो तो कमेंट्स कर सकतें हैं! कमेंट्स के लिए धन्यवाद! संजय भाई!

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  3. उत्तर
    1. आदरणीया रश्मि जी, कमेंट्स के लिए आभार!

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