पशु-पक्षियों के स्वभाव पर आधारित चाणक्य नीति!


पशु-पक्षियों के स्वभाव और चाणक्य नीति
पशु-पक्षियों के स्वभाव और चाणक्य नीति
नीतियों पर अनेक ग्रन्थ हमारे भारत की समृद्धशाली साहित्य परम्परा मे प्राप्त होते हैं, इनमें चाणक्य नीति एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। हम अपने दैनिक जीवन में अनेक विषयों पर निर्णय लेते समय उहापोह (उलझन) वाली स्थिति में होते हैं, ऐसे समय में चाणक्य-नीति हमारा सटीक मार्गदर्शन करती है, यदि हमने इस नीति को पढ़ा है तो हम आसानी से निर्णय पर पहुंच सकते हैं और अपने मन की उलझन को दूर कर सकते हैं। मुनि चाणक्य ने पशु-पक्षियों के मनोविज्ञान का भी निकटता से अध्ययन किया होगा, तभी उन्होने पशु-पक्षियों की विशेषताओं से भी सीखने का परामर्श दिया है। प्रस्तुत है महात्मा चाणक्य के पशु-पक्षियों पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण श्लोक जो निश्चित ही आपका ज्ञानवर्द्धन करेंगे-

किससे हमें क्या सीखना चाहिये इस संबंध में महात्मा चाणक्य कहते हैं-"मुर्गे से चार, कव्वे से पांच बातें सीखनी चाहिये तथा सिंह से एक, बगुले से एक, कुत्ते से छह और गधे से तीन बातें सीखना श्रेष्ठ है।"। 15/6।।
 
सिंह से हमे क्या शिक्षा मिलती है चाणक्य मुनि कहते हैं- "कार्य थोड़ा हो या अधिक, उसको पूरा कर देना चाहिये, उसके लिये संध्या और प्रातःकाल का विचार नहीं करना चाहिये। यह शिक्षा सिंह से लेनी चाहिये है।"। 16/6।।

चाणक्य बगुले से भी निम्न बातें सीखने का परामर्श देते हैं-"विद्वान पुरूष का संयमपूर्वक देश, बल और काल को समझ कर बगुले के समान कार्याे को करना चाहिये, जिससे मन में रंज न रहे।"।। 17/6।।

मुर्गे के निम्न गुण हृदयगंम करने की सलाह चाणक्य देते हैं-"बहुत प्रातःकाल में जागना, रण के लिये उद्यत रहना, बन्धुओं को उचित विभाग देना और आप युद्ध करके भोग करना, ये चारों बातें कुक्कुट से सीखनी चाहिये।"।। 18/6।।

पांच बातें चतुर काग से भी सीखने के लिये चाणक्य कहते हैं-"छिपकर मैथुन करना, छिपकर चलना, किसी पर विश्वास न करना, सदा सावधान रहना, समय-समय पर संग्रह करना, ये पांच बातें हमें कव्वे से सीखनी चाहिये है।"। 19/6।।

सबसे ज्यादा गुण चाणक्य ने श्वान से सीखने की सलाह दी हैं-"बहुत खाने की शक्ति होना, गाढ़ी निद्रा में रहना, शीघ्र जाग उठना, थोड़े से ही संतोष कर लेना, स्वामी की भक्ति करना, और शूरवीरता ये छहः गुण कुत्ते से सीखने चाहिये"।। 20/6।।

दुनिया भर का बोझ ढ़ोने वाले, शान्त स्वभाव गर्दभ से भी मुनिवर सीखने की सलाह देते हैं-"अत्यंत थक जाने पर भी बोझ ढोते रहना, कभी सर्दी-गर्मी का ध्यान ही न करना, सदा संतोष के साथ विचरण करना, ये तीनों गुण गधे से सीखने चाहिये"।। 22/6।।

अन्त में महात्मा चाणक्य कहते हैं-"जो मनुष्य इन बीस गुणों को धारण करेगा, वह सदा सब अवस्थाओं और सब कार्यो में विजयी होगा।"।। 22/6।।
संकलन-संजय कुमार गर्ग 
(सभी चित्र गूगल-इमेज से साभार!)

6 टिप्‍पणियां :

  1. चाणक्य की शिक्षाएं आज भी बहुत प्रासंगिक हैं ! उन्होंने जिस तरह से विभिन्न प्रजातियों से सीखने के लिए जो सूत्र दिए हैं सच में बहुत ही सुन्दर और सटीक हैं !

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    1. आदरणीय योगी, आपको ब्लॉग अच्छा लगा उसके लिए धन्यवाद व् कमेंट्स के लिए आभार!

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    1. कमेंट्स के लिए धन्यवाद! राजीव जी! व् होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  3. Aapke is prastuti mein samaj ko sikhane ke liye mahatvapurn sandesh hai!

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    1. कमेंट्स के लिए सादर धन्यवाद! सुनील जी!

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