अपने आप को बदलने की कला हैं- आत्मसम्मोहन


साथियों!! कहा जाता है कि प्रभावी उपदेश वह है जो वाणी से नहीं बल्कि आचरण से प्रस्तुुत किया जाये, ये बात हिप्नोटिज्म या सम्मोहन सीखने वाले साधकों पर भी लागू होती है, यदि वे दूसरों को सम्मोहित करना सीखना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें स्वयं को सम्मोहित (
आत्म सम्मोहन) करना सीखना चाहिए, इसीलिए साथियों! दूसरों को सम्मोहित करने की विधि बताने से पहले मैं आपको स्वयं को सम्मोहित करने की कला सीखाना चाहता हूं। ताकि आपको ये पता चल सके कि किस प्रकार सम्मोहित हुआ जाता है, जाग्रत अवस्था से सम्मोहन की अवस्था में जाते समय कैसा लगता है, सम्मोहन के समय एक सम्मोहित व्यक्ति कैसा महसूस करता है और निद्रा तथा सम्मोहन की अवस्था में क्या अन्तर है।
आत्म सम्मोहन कैसे करें-
तो साथियों!! आप तैयार हैं, तो चलिए आगे बढते हैं-सबसे पहले एक शांत व एकांत कमरे का चयन कीजिए, जो कोलाहल से रहित हो, अब आप या तो आराम कुर्सी ले लें या बैड आदि पर लेट कर भी यह अभ्यास कर सकते हैं, हां नये साधकों को मैं आत्म सम्मोहन (आत्म सम्मोहन) का अभ्यास बैठ कर करने की सलाह नहीं दूंगा, क्योंकि यदि आप गहरी नींद या सम्मोहन की अवस्था में चले गये तो बैठे हुए आपको गिरने का खतरा हैं उससे आपकी गर्दन या रीढ़ की हडडी में चोट आ सकती है, अतः इसे लेटकर करना ज्यादा अच्छा है, यदि आप लेटकर कर रहे हैं या आराम कुर्सी पर बैठकर कर रहे हैं तो दीवार पर कही कोई काला बिन्दु इस प्रकार लगायें कि वह आपकी आंखों पर सीधा पड़े उसके लिए आपको अपनी गर्दन इधर-उधर न करनी पड़े, चाहे तो इस अभ्यास के लिए एक जीरो वाट का पीला-येलो बल्ब को देखकर भी यह अभ्यास कर सकते हैं, उस बिन्दु या बल्ब को कुछ देर लगातार देखतेे रहे, उसके बाद आंखे बन्द करके उस बिन्दु या बल्ब का मानसिक ध्यान करें, बार-बार उस बिन्दु या बल्ब को देखें और उसका मानसिक ध्यान करें, आप चाहें तो कोई कोई मधुर ध्वनि, मन्दिर की घंटियां आदि का भी ध्यान करके अपने को आत्म सम्मोहित कर सकते हैं, बिन्दु-बल्ब या फिर किसी भी ध्वनि की आवाज में अपने आप को समाहित करने या डूबो देने का प्रयास करें, डूबो देने का मतलब समझाने के लिए मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। जैसे कभी हम किसी अतिसुन्दर चित्र या किसी अति सुन्दर युवक या युवती को देखते हैं तो एकपल के लिए हम उसमें खो से जाते हैं, हम अपनी सुधबुध सी खो देते हैं, आप समझ रहे हैं ना मेरे कहने का तात्पर्य????? कोई युवक किसी सुन्दर युवती को देखकर, या कोई युवती किसी सुन्दर युवक को देखकर जिस प्रकार अपनी सुधबुध खो देती है, बिल्कुल ठीक ऐसी ही सुधबुध हमें आत्मसम्मोहन के समय खो देनी है, जब आप अपनी सुधबुध खोने लगो बस थोड़ा सा सावधान हो जाओं और अपने अवचेतन मन (बुद्धि) को जगाये रखो, अर्थात अपने चेतन मन (बाहरी मन) की गतिविधियों का ध्यान रखो कि वो क्या-क्या कर रहा है, बस चेतन मन को आपको सुलाना है, खुद नहीं सोना है, मैं आपको और स्पष्ट करता हूं, चेतन और अवचेतन दो जुडवां भाइयों की तरह है, इस आत्मसम्मोहन (आत्म सम्मोहन) की प्रक्रिया में बड़ा भाई अवचेतन मन, छोटे भाई चेतन मन को सुलाता है, और उसका ध्यान रखता है, याद रखो यदि बड़ा भाई अवचेतन मन (बुद्धि) भी सो गया तो फिर आप निद्रा में चले जाओेगे आत्मसम्मोहन में नहीं, इसमें ये बाते आपको विशेष ध्यान रखनी है कि अपने आप को सचेत रखना है जगाये रखना है सोना नहीं है, यदि सो गये तो आप स्वयं को सम्मोहित नहीं कर पायेगे। जैसे ही आपको अपना मन शांत लगने लगे, उसकी उछल-कूद बन्द हो जाये, और आपको अपना शरीर रूई की तरह हल्का महसूस होने लगे, तो समझिए आप सही रास्ते की ओर बढ़ रहे हैं, इस स्टेज पर अपने मन को सकारात्मक सुझाव या सजेशन दीजिए! यदि आपमें कोई दुर्गण है, कोई बुरी आदत है तो उसको सुधारने के लिए सजेशन दीजिए। यदि आपको लगता है कि आपके अन्दर कोई दुर्गण नहीं है तो अपने आप को निम्न प्रकार से सजेशन दे सकते हैं-
आत्म सम्मोहन सफलता की कुंजी-
मेरा मन की एकाग्रता बढ़ रही है, मैं अपने दैनिक कार्य बुरी लगन व ईमानदारी से कर रहा हूं।
जिन्दगी में आने वाली समस्याओं का मैं पूरी बहादूरी से सामना कर रहा हूं। मैं उनसे डरकर नहीं भागूंगा। आदि कोई भी सुझाव दिये जा सकते हैं।
याद रखें आपका ध्यान जितना गहरा होगा, आपकी उतनी ही गहरी पकड़ अपने अवचेतन मन पर होगी, और आप उतने ही गहरे और अमिट (न मिटने वाले) परिवर्तन अपने आप में कर सकते हैं।
अब आपके मन में ये प्रश्न भी कहीं कौंध रहा होगा कि हमें ये कैसे पता चलेगा कि हम आत्म सम्मोहित हुए भी हैं या नहीं। बिल्कुल साथियों!! मैं आपकी इस जिज्ञासा का भी समाधान कर देता हूं-इसके लिए आप अपने मन की कोई अच्छी या बुरी आदत को लिजिए, माना आपको प्रातः 8 बजे सो कर उठने की आदत है, तो आप आत्मसम्मोहन के अभ्यास में अपने मन को प्रातः 7 बजे उठने का आदेश या सजेशन दीजिए, और इस सजेशन को लगातार कुछ दिनों तक दीजिए, यदि आप की आंखे आटोमैटिक प्रातः 7 बजे खुलने लगे, भले ही आप 8 बजे ही उठो, परन्तु इससे आप इतना तो समझ ही सकते हैं कि मेरा आत्मसम्मोहन का अभ्यास सही दिशा में चल रहा है, गहरी सम्मोहन की अवस्था में यदि यही सुझाव दिया जायेगा तो आप चाहे  कितनी ही गहरी नींद में क्यों ना सो रहे हो आपको आपका अवचेतन मन प्रातः 7 बजे कान पकड़ कर उठा ही देगा। ऐसे ही छोटे-बड़े अभ्यास आप अपनी और आदतों के संबंध में कर सकते हैं, आप निश्चित ही अपने आप में बड़ा बदलाव महसूस करेंगे। ये एकदम से नहीं होगा इसमें समय लगेगा, समय आपकी विल पावर पर निर्भर करता है।
साथियों!! चेतन अवचेतन मन के बारे में मैं पिछल आलेख ‘‘सम्मोहन-हिप्नोटिज्म के कुछ रोचक रहस्य!!‘‘ में बता चुका हूं, इस को रिपीट करने की आवश्यकता नहीं है जिन्होंने यह आलेख नहीं पढ़ा वह टाइटल पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं तो साथियों!! आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके जरूर बतायें अगले आलेख तक के अलविदा साथियों!! नमस्कार। जयहिन्द।
                          -लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com
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