गैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते हैं
आप कहते हैं जो ऐसा तो बजा कहते हैं
वाकई तेरे इस अन्दाज को क्या कहते हैं
ना वफा कहते हैं जिसको ना जफा कहते हैं
हो जिन्हे शक, वो करें और खुदाओं की तलाश
हम तो इन्सान को दुनिया का खुदा कहते हैं।
-फिराक गोरखपुरी
(2)
हंगामा है क्यों बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
ना-तजुर्बाकारी से वाइज* की ये बाते हैं
इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है
हर जर्रा चमकता है, अनवर-ए-इलाही* से
हर सांस ये कहती है, कि हम हैं तो खुदा भी है।
*धर्मगुरू *देवीय प्रकाश
-अकबर इलाहाबादी
(3)
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया ही भी नहीं
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं
बेरूखी इससे बड़ी और भला क्या होगी
एक मुददत से हमें उसने सताया भी नहीें
रोज आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं
सुन लिया कैसे खुदा जाने जमाने भर ने
वो फंसाना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं।
-कतील शिफाई
(4)
दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था
तुम्हारे घर का सफर इस कदर सख्त न था
इतने मसरूफ थे हम जाने की तैयारी में,
खड़े थे तुम और तुम्हें देखने का वक्त न था
उन्ही फकीरों ने इतिहास बनाया है यहां,
जिन पे इतिहास को लिखने के लिये वक्त न था
शराब कर के पिया उसने जहर जीवन भर,
हमारे शहर में "नीरज" सा कोई मस्त न था।
-गोपाल दास नीरज
(5)
दो चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए,
रहते हमारे पास तो ये टूटते जरूर
अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिए,
जब हो सकी न बात तो हमने यही किया
अपनी गजल के शेर कहीं गुनगुना लिए,
अब भी किसी दराज में मिल जाएँगे तुम्हें
वो खत जो तुम्हें दे न सके लिख लिखा लिए।
- कुँअर बेचैन
संकलन-संजय कुमार गर्ग
संकलन-संजय कुमार गर्ग
आदरणीय अग्रवाल जी! आपका सादर आभार!
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंपोस्ट को पढ़ने व कमेंट्स करने के लिए धन्यवाद! आदरणीया कविता जी!
हटाएंजाने माने शायरों का शानदार संकलन प्रस्तुत किया है आपने संजय जी ! बढ़िया लगा इतने महान लोगों को एक साथ पढ़ना
जवाब देंहटाएंआदरणीय योगी जी, कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद! आपके कमेंट्स मुझे प्रेरित करते हैं!
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकमेंट्स के लिए आभार! संजय भास्कर जी !
हटाएं