ऐसे लोग मोती जरूर पहनें अन्यथा........?

https://jyotesh.blogspot.com/2024/09/moti-pahanna-kyu-jaruri-hai.html
साथियों! मोती भूमि से प्राप्त नहीं होता और न ही इसकी गिनती कीमती पत्थरों में की जा सकती है, परन्तु इसको नवरत्नों में शामिल कर लिया गया है।

मोती कैसे बनता है-
समुद्र में सफेद और सुनहरी रंग की सींपे जब मुंह खोलकर किसी विशेष नक्षत्र (स्वाती नक्षत्र) में तैर रही होती हैं तो वर्षा की बूंद उनके मुंह में चली जाती है, जो बढते-बढ़ते परिपक्व होकर कई रासायनिक परिवर्तनों के पश्चात सुन्दर मोती का रूप धारण कर लेती हैं। संस्कृत की वैद्यक पुस्तकों  में अनेकों प्रकार के मोतियों का वर्णन मिलता है, परन्तु आजकल समुद्र की सीप से निकाले गये मोती ही प्राप्त होते हैं। मोती की संस्कृत में मुक्ता, मणि, मुक्तिक कहते हैं, अंग्रेजी में पल्र्ज, फारसी में मर्वारीद तथा अरबी में लू लू कहा जाता है।

मोती धारण करने के लाभ-
मोती धारण करने से ज्ञान व बुद्धि में वृद्धि होती है शारीरिक व मानसिक निर्बलता दूर होती है, इसे पहनने से धन, सम्मान एवं सभी अभिलाषाएं पूरी होती हैं ऐसा ज्योतिषिय शास्त्रों में कहा गया है।

किसे धारण करना चाहिए-
जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी न हो, जैसे चंद्रमा सूर्य के साथ हों, यदि चंद्रमा की महादशा बुरी चल रही हो, यदि चंद्रमा राहु के साथ हो, यदि कुंडली में चंद्रमा नीच, वक्री या अस्तगत हो, यदि चंद्रमा वृश्चिक राशि में किसी भी भाव में बैठे हों या फिर चंद्रमा पर मंगल, शनि राहु या केतू की दृष्टि हो तो ऐसे जातक को मोती अवश्य धारण करना चाहिए। अन्यथा ये बुरे परिणाम भी दे सकते हैं।

चंद्रमा से होने वाली समस्याऐं-
यदि आपकी जन्मकुण्डली में चंद्रमा उपरोक्त प्रकार से प्रभावित हैं तो उन्हें अनेक प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं जिनमें से कुछ निम्न है-जुकाम, कफ की समस्या, दिमागी असन्तुलन, यहां तक की चंद्रमा पागलपन भी देते हैं, मिरगी, आलसी शरीर, नाक, कान, आंख के विकार, तन मेें पानी की कमी या वृद्धि, सर्दी के रोग, कंधे के रोग, फेफड़ों के रोग, माता का बिमार रहना आदि शामिल हैं।

मोती किन्हे पहनना चाहिए-
मोती चंद्रमा का रत्न है, मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक लग्न वालों के लिए यह रत्न बहुत शुभ माना जाता है, धनु, मकर, कुम्भ, मीन लग्न वालों को कुण्डली की जांच करवाए बिना यह रत्न नहीं पहनना चाहिए। अंगूठी में जड़वाने के लिए कम से कम चार रत्ती वजन का मोती पहनना शुभ माना जाता है। यदि इससे अधिक वजन का मोती पहन सकें तो अधिक फलदायक होता है।

मोती कब पहनना चाहिए-
सोमवार की संध्या समय चंद्रमा निकलने पर गले या बाजू में मोती पहने या मोती को चांदी की अंगूठी में जड़वा कर कन की उंगली (सबसे छोटी उंगली-लिटिल फिगर) में ऊपर बताये गये समय पर पहनना चाहिए।

मोती का विकल्प-
यदि आप मोती नहीं खरीद सकते तो चंद्रमा की उपरोक्त ग्रह पीड़ा को दूर करने के लिए सीप, शंख या चांदी का छल्ला पहन सकते हैं, यह मोती के सस्ते विकल्प हैं।

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना न भूले, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
       प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर   

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमूल्य है!