मंगल देव को कैसे मनाये?

मंगल देव
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार पृथ्वी देवी व भगवान के संयोग से मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई, इसलिये इन्हें 'धरणी-पुत्र' कहा जाता है। वामन पुराण, मत्स्य पुराणवामन पुराण के अनुसार इनकी उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने की बूंद से हुई, अतः मंगल को शिवस्वेदोत्पन्न भी कहा जाता है। इन अलंकारिक भाषाओं का कुछ न कुछ तात्पर्य अवश्य है, कदाचित् अभी हमारी बुद्धि इसे न सुलझा सकें, परन्तु भविष्य में इन अलंकारिक भाषाओं के गूढ़ तात्पर्य को हम अवश्य सुलझा पायेंगे।
लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
      मंगल व्यक्ति में साहस, वीरता, बल, आक्रामकता, क्रोध, पराक्रम, तीखी वाणी, सहोदर (भाई) आदि का प्रतीक हैं। मंगल ग्रह के जातक तीखे चटपटे के शौकीन, वायु यात्रा, पुलिस, फौज में नियुक्ति, सांप व जंगली जानवरों में रूचि रखने वाले, हथियारों के शौकीन, तेज मन व मस्तिष्क दोनों के धनी होते हैं। यदि मंगल कमजोर हैं, या पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हैं तो जातक में वीर्य विकार, पेट के रोग, पाचन विकार, दुर्घटना, आग से भय, रक्तचाप, रक्त विकार, त्वचा पर चकते, धूप से होने वाले विकार, आदि देते हैं साथ ही व्यक्ति को हठी, उद्दडी, क्रोधी, अत्यधिक आक्रामक, भाई गिरी, व तीव्र कामवासना का शिकार भी बनाते हैं।
लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
कब अशुभ होते हैं-
-कुण्डली में 1,4,7,8,12 वे भाव में हों और न तो किसी शुभ ग्रह के साथ हो और न ही किसी शुभ ग्रह द्वारा देखे जाये तो जातक मांगलिक होते हैं।
-यदि मंगल व शुक्र साथ-साथ हों तो विचारों व गृहस्थी में असंतुलन पैदा करते हैं।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार-
यदि जातक के हाथ में मंगल पर्वत बहुत ज्यादा विकसित हो या मंगल पर आडी-तिरछी रेखायें हों। यदि मंगल रेखा पुष्ट हथेली में धंसी हुई या दोहरी हो, तो जातक में उपरोक्त अवगुण व परेशानियां आ सकती हैं। यदि जातक में गुस्से की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही हो तो भी निम्न उपाय किये जा सकते हैं।
कैसे प्रसन्न करें मंगल को-
1-मांस-मदिरा का परित्याग करें, कम से कम मंगलवार को तो इनका सेवन कदापि न करें।
2-केले या पीपल की जड़ों में दूध चढ़ायें।
3-मंगल को लड्डू या बूंदी बांटे।लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
4-सूर्य भगवान को दूध व चीनी मिलाकर जल दें।
5-नीम या बबूल की दातून करें या बाजार में उपलब्ध इनके पेस्ट से दांत साफ करें।
6-अपने भाइयों से प्रेम संबंध से रहें क्योंकि मंगल भाई का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि भाई से न बन पाये तो दूरी बना लें, लड़ाई झगड़े से बच कर रहें।
7-त्रिफला चूर्ण बूरा मिलाकर सोते समय दूध या पानी से लें।
8-सूखे मेवे, काली मिर्च, गर्म मसाला, बेसन की चीजें, गुड़, शहद आदि स्वयं खायें व दूसरों को भी खिलायें।
9-मंगल का रत्न मूंगा धारण करें, परन्तु उससे पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से अपनी कुंडली की जांच अवश्य करवा लें।
10-सोना, तांबे का छल्ला, कड़ा, आदि भी धारण कर सकते हैं जो मूंगे का सस्ता विकल्प हो सकते हैं। परन्तु हाॅई ब्लड प्रेशर रहने वालों को तांबे का व लाॅ ब्लडप्रेशर रहने वाले को लोहे का कडा नहीं पहनना चाहिये।लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
11-भगवा रंग के कपड़े में कत्थे का टुकड़ा, लाल मसूर, तांबे का सिक्का, नीम के पत्ते, लाल चन्दन बाँध कर घर में रखें, इससे भी मंगल प्रसन्न रहते हैं।
12-मंगलवार का व्रत रखें व मंगलग्रह के मन्त्र का जाप करें।
नोट-उपरोक्त उपायों में से एकाधिक उपाय करने से मंगल के दोषों में काफी लाभ मिलता है यदि समस्या जटिल हो तो किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करना चाहिये।
                            -लेखक-संजय कुमार गर्ग (लेखाधिन पुस्तक "नवग्रह रहस्य" से)

2 टिप्‍पणियां :

  1. मंगल देव को मनाने के सुन्दर और सार्थक सूत्र लिखे हैं आपने संजय जी

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    1. आदरणीय योगी जी! ब्लॉग को संज्ञान में लेने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!

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