Rama Ekadashi Katha hindi : रमा एकादशी व्रत कथा


धर्नुधर अर्जुन ने पापांकुशा एकादशी कथा सुनने के बाद श्रीकृष्ण से कहा! हे जगदीश आपने मुझे पापांकुशा एकादशी का कथा सुनायी अब आप कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा कृपा करके सुनाइयें। इस एकादशी का क्या नाम है? और इस एकादशी का व्रत करने से क्या फल मिलता है? 

भगवान श्री कृष्ण ने कहा! हे महाबाहो! कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा एकादशी है। इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। अब मैं रमा एकादशी का कथा सुनाता हूं ध्यान से सुनिए-

पौराणिक काल में मुचुकुंद नाम का एक धर्मात्मा राजा राज्य करता था। वह बड़ा विष्णुभक्त और धर्मप्रेमी था। उसकी प्रसिद्धि चारों दिशाओं में थी, इन्द्र, कुबेर, वरूण और विभीषण सहित अनेक महान राजा उसके मित्र थे। राजा मुचुकुंद एकादशी का व्रत पूरे नियम व कठोरता से करते थे, उनके राज्य की सारी प्रजा यहां तक उसके राज्य के पशु-पक्षी तक एकादशी के व्रत का कठोरता से पालन थे। उसकी एक पुत्री थी जिसका नाम चन्द्रभागा था। उसने अपनी पुत्री चन्द्रभागा का विवाह राजा चन्द्रसेन के पुत्र सोभन से किया था।

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एक बार उसकी जमाई सोभन अपनी ससुराल राजा मुचुकुंद के घर आया हुआ था। तब कार्तिक का मास चल रहा था, उस दिन कार्तिक मास की दशमी थी। अगले दिन रमा एकादशी थी। एकादशी को सभी व्रत रखते थे। राजा मुचुकुंद ने अपने राज्य में सभी को एकादशी का व्रत रखने और उसका कठोरता से पालन करने की मुनादी करायी। चन्द्रभागा यह सोचकर बहुत चिंतित हुई कि उसके पति तो बहुत दुर्बल शरीर दुर्बल व ह्दय वाले हैं वे एकादशी का व्रत कैसे करेंगे। क्योंकि उसे पिता ने सबको एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी है। चन्द्रभागा ने अपने पति से कहा हे प्रिय! मेरे पिता के राज्य में एकादशी के दिन कोई भी भोजन नहीं कर सकता। यहां तक कि यहां पशु-पक्षी भी अन्न, जल, तृण ग्रहण नहीं करते। यदि तुम उपवास नहीं कर सकते तो तुम यहां से अन्य स्थान पर चले जाओ, यहां रहोगे तो तुम्हे भी उपवास अवश्य करना पड़ेगा।

पत्नि की बात सुनकर सोभन ने उत्तर दिया-हे प्रिये, तुम अपनी जगह ठीक हो, परन्तु मैं एकादशी के व्रत के डर से दूसरे स्थान पर नहीं जाऊंगा, अब मैं यहां हूं तो इस व्रत को अवश्य करूंगा, चाहे कुछ भी हो, जो मेरे भाग्य में लिखा है उसे भला कौन टाल सकता है।

अन्य सभी के साथ राजा सोभन ने भी एकादशी का व्रत किया, वह पूरे दिन भूख प्यास से अत्यंत व्याकुल रहा। रात में सोभन अत्यधिक कष्ट और पीड़ा सहता रहा। प्रातःकाल होने से पहले ही भूख-प्यास से व्याकुल सोभन ने अपने प्राण त्याग दिये।

राजा मुचुकुंद ने सोभन के शरीर का दाह-संस्कार न करके उसे जल-प्रवाह करा दिया और अपनी पुत्री चन्द्रभागा को सती न होने की आज्ञा दी। उसने पुत्री से कहा कि भगवान विष्णु पर भरोसा रखे। चन्द्रभागा ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और भगवान विष्णु पर भरोसा रखकर उनकी भक्ति में लीन रही और एकादशी के व्रत करने लगी।

उधर रमा एकादशी के प्रभाव व भगवान विष्णु की कृपा से सोभन के शरीर को जल से निकाल लिया गया और वे जीवित हो गये। वहां उन्हें मंदराचल पर्वत पर धन-धान्य से युक्त एक शत्रु रहित देवपुर नाम का एक उत्तम नगर प्राप्त हुआ। और उन्हें वहां का राजा बना दिया गया। उनके महल में स्वर्ण-रत्न जड़ित खम्बे लगे हुये थे। राजा सोभन के दरबार में गंधर्व और अप्सराएं नृत्य करती थीं, राजा की छवि दूसरे इन्द्र देव जैसी प्रतीत होती थी।

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मुचुकुंद नगर का एक ब्राहण जिसका नाम सोमशर्मा था वह तीर्थयात्रा पर भ्रमण करने के लिए अपने राज्य से निकला था। यात्रा की इसी कड़ी में वह घूमते-घूमते देवपुर राज्य में पहुंच गया। वहां उसने राजा सोभन को राज सिंहासन पर देखा तो वह सोभन को पहचान गया कि वह तो हमारे राजा के जमाई हैं। उन्हें जीवित देख सोम शर्मा बहुत प्रसन्न हुआ। वह राजा सोभन के नजदीक गया।

ब्राह्मण सोम शर्मा को देखते ही राज सोभन उन्हें पहचान गये और अपने सिंहासन से उठ कर उन्होंने अपनी पत्नि और श्वसुर का हाल चाल पूछा।

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सोभन की बात सुनकर सोम शर्मा ने उत्तर दिया-आपकी पत्नि और श्वसुर कुशलता से हैं। परन्तु आप कैसे जीवित हुए इसके बारे में बताइये? आपने तो रमा एकादशी का व्रत करते हुए प्राण त्याग दिये थे? मुझे ऐसे सुन्दर और विचित्र नगर में आपको राजा के पद पर देखकर आश्चर्य हो रहा है। ऐसा सुन्दर राज्य न तो मैंने पहले कभी देखा है और ना ही कभी सुना है, ये आपको कैसे प्राप्त हुआ। इसके बारे मे बताइये।

इस पर राजा सोभन ने कहा-हे ब्राह्मण देव! ये सब कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी के व्रत का फल है, इसी व्रत के फल से मुझे ये अद्वितीय नगर प्राप्त हुआ है, किन्तु यह नगर अभी अस्थिर है।

राजा सोभन की बात सुनकर ब्राह्मण ने पूछा-हे राजन् ये अस्थिर क्यों है और इसको स्थिर कैसे किया जा सकता है, कृप्या करके मुझे बताइये मैं आपकी सहायता करूंगा।

तब राज सोभन ने कहा-हे ब्राह्मण श्रेष्ठ! मैंने रमा एकादशी का व्रत तो किया था इसमे दो राय नहीं है, परन्तु यह व्रत मैंने विवशतावश और श्रद्धारहित होकर किया था। व्रत के प्रभाव से मुझे एक सुन्दर राज्य तो प्राप्त हुआ परन्तु श्रद्धारहित व्रत करने के कारण मुझे अस्थिर राज्य मिला। यदि तुम ये सब वृतान्त मेरी पत्नि चन्द्रभागा से बताओगे तो वह इस राज्य को स्थिर कर सकती हैं।


राजा सोभन के राज्य से ब्राह्मण सोमशर्मा अपने नगर मुचुकुंद वापस आये और चन्द्रभागा से सारी कथा सुनायी। पहले तो चन्द्रभागा को अपने पति के जीवित होने पर विश्वास नहीं हुआ, परन्तु बाद में उन्हें विश्वास हो गया। तब चन्द्रभागा ने सोम शर्मा से उन्हें पति के राज्य में ले जाने का आग्रह किया और उनसे कहा मैं अपने मंत्रो व व्रतों के प्रभाव से उस राज्य को स्थिर कर दूंगी।

चन्द्रभागा के वचनों को सुनकर ब्राह्मण सोमशर्मा चन्द्रभागा को मंदराचल पर्वत के पास स्थित वामदेव ऋषि के आश्रम ले गये। ऋषि वामदेव ने उनकी बात सुनी और चन्द्रभागा का मंत्रों से अभिषेक किया। मंत्रों के दिव्य प्रभाव से दिव्य शरीर को धारण करके वह अपने पति के राज्य चली गई। अपनी पत्नि को देखकर राजा सोभन अत्यधिक प्रसन्न हुए और उन्हें अपने बाई ओर सिंहासन पर बैठाया।

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प्रसन्न होकर चन्द्रभागा ने बताया कि हे स्वामी! मैं अपने पिता के घर में आठ वर्ष की आयु से एकादशी के व्रत कर रही हूं। उन्हीं व्रतों के प्रभाव से आपका यह नगर स्थिर हो जायेगा और यह नगर प्रलय काल के अंतिम समय तक स्थिर रहेगा। 

चन्द्रभागा सुन्दर और दिव्य वस्त्रों और अलंकारों से युक्त होकर अपने पति के साथ उस नगर में सुखपूर्वक रहने लगी।

तब भगवान श्री कृष्ण बोले, हे महाबाहो! यह मैंने तुमसे रमा एकादशी के व्रत की कथा और उसका महात्म कहा है, जो भी मनुष्य रमा एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक करते हैं उनके सब पाप नष्ट हो जाते हैं, और मनुष्य इस लोक में सुख भोग कर, अंत समय में विष्णु लोक को चला जाता है। यदि मनुष्य श्रद्धारहित या विवश होकर भी इस व्रत को करता है भगवान श्री हरि उसे भी उत्तम फल प्रदान करते हैं। परन्तु मनुष्य को श्रद्धापूर्वक ही ईश्वर का व्रत व पूजन करना चाहिए। 

रहिमन मेरे राम को रीझ भझो या खीझ
भोम  पड़े  सब उपजें  उल्टे  सीधे बीज।

बोलो लक्ष्मी नारायण भगवान की जय। हरि नमः हरि नमः हरि नमः

तो  साथियों आपको ये कथा कैसी लगी, कमैंटस करके बताना न भूले, यदि कोई जिज्ञासा हो तो कमैंटस कर सकते हैं, और यदि आप नित्य नये आलेख प्राप्त करना चाहते हैं तो मुझे मेल करें। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, एस्ट्रोलाॅजर, वास्तुविद्  Whatsapp 8791820546
sanjay.garg2008@gmail.com

अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार : Underground water tank as per vastu

अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, हम सभी जानते हैं कि जल का स्तर लगातार कम होता जा रहा है। अतः जल का प्रयोग किफायत से करना व जल का संरक्षण करना अति आवश्यक है, आज हम घर में जल के संरक्षण के लिए  Underground water tank as per vastu कहां व कैसे बनवाये इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। 

जल तत्व वास्तु शास्त्र के पांच तत्वों में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। जल संरक्षण के लिए सही दिशा में भूमिगत टैंक का निर्माण न केवल पानी के भंडारण को सही तरीके से सुनिश्चित करता है, बल्कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बनाने के साथ-साथ घर के सदस्यों के स्वास्थ्य को भी बनाये रखने में मदद करता है। इस लेख में हम भूमिगत टैंक के निर्माण से जुड़ी वास्तु संबंधी बातों की विस्तार से चर्चा करेंगे।

वास्तु के अनुसार पानी की टंकी कहाँ होनी चाहिए? : Underground water tank vastu-

वास्तु के अनुसार न केवल भूमिगत पानी की टंकी, बल्कि सबमरसेबल बोरिंग, हैण्डपम्प, कुंआपानी की टंकी को भूमिगत कैसे रखे? इनको निम्न दिशाओं में स्थापित करना चाहिए।

अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

ईशान दिशा यानि नोर्थ-ईस्ट में भूमिगत वाटर टैंक बनाना हमेशा वास्तु के अनुसार सबसे उत्तम रहता है। इससे वंश की वृद्धि होती है। संतान दीर्घायु और स्वस्थ होती है।

उत्तरी-ईशान (नोर्थ-नोर्थ-ईस्ट) या पूर्वी ईशान (ईस्ट-नोर्थ-ईस्ट) में भूमिगत वाटर टैंक, या गड्डा होने से सुख संपन्नता, वंश वृद्धि होती है तथा गृहस्वामी को प्रसिद्धि मिलती है।

अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार
उत्तर दिशा यानि नोर्थ दिशा भी भूमिगत वाटर टैंक बनाने के लिए अच्छा स्थान है। इससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। उत्तर दिशा क्योंकि धन की दिशा मानी जाती है। अतः इस स्थान पर भूमिगत वाटर टैंक बनाने से घर में धन का आवागमन निर्विघ्न रूप से होने लगता है। 

अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार
पूर्व दिशा यानि ईस्ट में भी भूमिगत वाटर टैंक का निर्माण कराया जा सकता है यदि ईशान या उत्तर में स्थान उपलब्ध नहीं है, तो यह एक वैक्लपिक स्थान हो सकता है, क्योंकि इसमें भी जल का प्रवाह सही दिशा से होता है। इसमें वाटर टैंक बनवाने से स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।

यदि अन्य किसी दिशा में भूमिगत वाटर टैंक बनाया जाता है तो उसका क्या प्रभाव पड़ता है?

अब देखते हैं कि अन्य दिशाओं में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान हो सकते हैं-
अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

दक्षिण दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?


यदि दक्षिण दिशा यानि साउथ में अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाता है तो इससे घर की महिलाओं की अकाल मृत्यु हो सकती है या फिर वो किसी स्थायी बीमारी का शिकार हो सकती हैं।
अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

पश्चिम दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?

यदि पश्चिम दिशा यानि वेस्ट में अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाता है तो इससे घर के पुरूष सदस्यों के बीमार होने का खतरा रहता है या फिर वे किसी लाईलाज बीमारी के शिकार हो सकते हैं।

पूर्वी आग्नेय दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?

पूर्वी आग्नेय दिशा यानि ईस्ट साउथ-ईस्ट में अंडरग्राउंड वाटर टैंक, कुंआ या गड्डा बनाया जाता है तो इससे घर में आग लगने का भय रहता है और घर में चोरी भी हो सकती है।
अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

दक्षिण आग्नेय दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?

यदि दक्षिण आग्नेय दिशा यानि साउथ साउथ-ईस्ट में अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाता है तो इससे घर की महिलायें अस्वस्थ रहेगी तथा वे व्यसन एवं काल्पनिक डर का शिकार हो सकती हैं।
अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

दक्षिण नैरूत दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?

यदि दक्षिण नैरूत दिशा यानि साउथ साउथ-वेस्ट दिशा में यदि अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाता है तो उस घर की स्त्रियां के बीमार, रूग्ण व चरित्रहीन होने की पूरी संभावना रहती है।
अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

पश्चिम नैरूत दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?


यदि पश्चित नैरूत दिशा यानि वेस्ट साउथ-वेस्ट में यदि अंडरग्राउंड वाटर टैंक का निर्माण किया जाता है तो इस घर के पुरूषों में बीमारियां हो सकती हैं और उनके चरित्रहीन होने की संभावना रहती है।
अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

पश्चिम वायव्य दिशा या उत्तरी वायव्य दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?

यदि पश्चिम वायव्य दिशा यानि वेस्ट नोर्थ-वेस्ट दिशा या फिर उत्तर वायव्य दिशा यानि नोर्थ नोर्थ-वेस्ट दिशा में अंडरग्राउंड वाटर टैंक, कुंआ या गड्डा बनाया जाता है तो मुकदमेबाजी, पागलपन, घर में चोरी होने जैसे अनेक संकट पैदा हो सकते हैं।
अंडरग्राउंड वाटर टैंक वास्तु के अनुसार

मकान के मध्य भाग में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?

घर के मध्य भाग यानि बीचोबीच में अंडरग्राउंड वाटर टैंक, कुंआ या गड्डा बनाने से सम्पूर्ण धन का नाश हो सकता है।

वास्तु के अनुसार भूमिगत टैंक का आकार और गहराई 

वास्तु के अनुसार भूमिगत टैंक का आकार गोल या आयताकार होना चाहिए। गोल आकार का टैंक सकारात्मक ऊर्जा को और अधिक आकर्षित कर सकता है। टैंक की गहराई का भी ध्यान रखना आवश्यक है अधिक गहरा टैंक खतरा व कठिनाईया उत्पन्न कर सकता है।

भूमिगत टैंक की निर्माण सामग्री

भूजल टैंक के निर्माण में प्रयोग होने वाली सामग्री का चुनाव भी वास्तु के अनुसार करना चाहिए। दीवारों में पर्याप्त रूप से लोहे के बीम, सीमेण्ट, कंक्रीट का प्रयोग टैंक बनाने के लिए करना चाहिए। यह स्थिरता प्रदान करता है और लंबे समय तक उपयोग के लिए उपयुक्त रहता है।

जल भंडारण के लिए नियम

पानी के टैंक को साफ-स्वच्छ रखना भी आवश्यक है ताकि टैंक में स्टोर पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदायक न हो, नियमित रूप से टैंक की सफाई करें और सुनिश्चित करें कि उसमें कोई गन्दगी न हो। टैंक में जल स्तर हमेशा उचित मात्रा में बनाए रखना चाहिए वह न तो अत्यधिक भरा होना चाहिए और न ही अधिक खाली होना चाहिए।

हमने देखा underground water tank as per vastu के अनुसार कैसे बनवायें,  किस प्रकार बनाने से हमें क्या लाभ मिलते हैं और इन नियमों के विपरित बनाने से हमारा क्या नुकसान हो सकता है। इस प्रकार हम उचित दिशा, आकार, सामग्री और सफाई से संबंधित नियमों का पालन करके हम एक ऐसा जल स्रोत बना सकते हैं जो न केवल उपयोगी हो, बल्कि हमारे जीवन में सुख और समृद्धि भी लाए।

Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इसका प्रभाव देखें!

Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इनका प्रभाव देखें!


कार्तिक मास की अमावस्या को मनायी जाने वाली दीपावली का विशेष महत्व है, अमावस्या की रात को तंत्र साधना में विशेष स्थान दिया गया है। अमावस्या की  रात में तांत्रिक विशेष साधनाएं करके शक्ति व सिद्धियां एकत्र करते हैं। आज मैं आपको दीपावली पर किये जाने वाले एक विशेष उपाय को बता रहा हूं, ‘‘पांच स्थानों पर दीपक जलाने का’’ जिसे यदि आप ‘‘कर पाये’’ तो यह प्रयोग निष्फल नहीं होता, ‘‘कर पाने’’ से मेरा तात्पर्य है कि इन प्रयोगों को पूरा करने में आपको अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है, यदि ये पांच स्थानों के दीपक आपने जला दिये तो निश्चित ही इनका चमत्कार आपको देखने के लिए मिलेगा और मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि आपको प्राप्त होती है।

Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इनका प्रभाव देखें!

घर में लक्ष्मी गणेश जी के सामने दीपक जलाना-

अपने घर में पूजा के समय सभी लक्ष्मी-गणेश जी के सामने दीपक जलाकर पूजा करते ही हैं, इस दीपक को साइज में बड़ा लें और उसमें इतना तेल डाले कि यह पूरी रात जलता रहे। रात में आपको इस दीपक के पास भूमि पर ही शयन करना है। सोने के लिए जमीन पर कपड़ा-गद्दा आदि बिछा सकते हैं। अब इस दीपक के अलावा हमें दीपावली की रात पांच दीपक और जलाने हैं-

Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इसका प्रभाव देखें!



1-एक दीपक हनुमान जी के सामने जलाना चाहिए-


Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इनका प्रभाव देखें!


पहला दीपक हनुमान मन्दिर में आपको हनुमान जी की तस्वीर के सामने जलाना चाहिए और हनुमान जी को मिठाई का भोग लगाना चाहिए।


2-एक दीपक घर के मुख्य दरवाजे पर जलाना चाहिए-


Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इनका प्रभाव देखें!

दूसरा दीपक हमें अपने घर के मुख्य दरवाजे पर जलाना चाहिए, यह दीपक भी पूरी रात जलना चाहिए।


3-एक दीपक किसी चौराहे पर जलाना चाहिए-


Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इनका प्रभाव देखें!

तीसरा दीपक हमें किसी चौ
राहे पर जलाना चाहिए, इस दीपक को जलाने के बाद एक बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दीपक को जलाने के बाद हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना है, अन्यथा आपको समस्या हो सकती है, यह दीपक किसी पुरूष को ही जलाने के लिए जाना चाहिए किसी महिला या बच्चे को इस दीपक को नहीं जलाना चाहिए।

4-एक दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाना चाहिए-


Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इनका प्रभाव देखें!

चौथा दीपक दीपावली की रात हमें किसी पीपल के पेड़ के नीचे जलाना चाहिए, इस दीपक को जलाने के बाद भी ध्यान रखें कि इसे भी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।


5-एक दीपक किसी श्मशान घाट पर जलायें-


Diwali 2024 : दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इनका प्रभाव देखें!

पांचवा दीपक किसी श्मशान घाट पर जलाना होता है यदि आपके लिए संभव हो तो एक दीपक श्मशान घाट पर जलाये, घर के किसी पुरूष सदस्य को यह दीपक जलाना चाहिए इस दीपक को जलाने के बाद भी पीछे मुड़कर बिल्कुल नहीं देखना चाहिए।

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प्रिय पाठकों यदि आप ये  दीपावली पर जलायें ये 5 दीपक और इसका प्रभाव देखें! तो आप इनके चमत्कार इसी वर्ष से दिखायी देने प्रारम्भ हो जायेंगे।

तो  साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा, कमैंटस करके बताना न भूले, और यदि कोई सलाह लेनी हो तो आप कमैंटस कर सकते हैं, और यदि आप नित्य नये आलेख प्राप्त करना चाहते हैं तो मुझे मेल करें। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, एस्ट्रोलाॅजर, वास्तुविद्  Whats-app 8791820546
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Vastu Tips : 7 घोड़ों की तस्वीर घर में किस दिशा में लगानी चाहिए!

Vastu Tips : 7 घोड़ों की तस्वीर घर में किस दिशा में लगानी चाहिए!

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जो घर और उसके चारों ओर के वातावरण को पंच तत्वों के अनुसार संतुलित करता है। यदि हम वास्तु के अनुसार घर में सही दिशा और दशा का ध्यान रखेंगे, तो हम जीवन में सुख, शांति से रह सकते हैं। चित्र से चरित्र का निर्माण होता है, जैसे चित्र हम अपने घर में बार-बार देखते हैं वो हमारे चरित्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी प्रकार घर या आफिस में लगे हुए विभिन्न प्रकार के चित्र व पेंटिंग भी वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार महत्वपूर्ण होती हैं। इस आलेख में आज हम 7 running horses painting vastu direction in house की बात करेेंगे कि इन्हें क्यों-कहां-कैसे अपने घर, आफिस या अपनी दुकान आदि में लगायें।

वास्तु के अनुसार कैसा हो उत्तरमुखी भवन ! Vastu shastra for North facing House


7 घोड़ों की तस्वीर लगाने का महत्व % Seven horses painting imp ortance

7 दौड़ते हुए घोड़ों की तस्वीर शक्ति, उन्नति, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। घोड़ों का समूह विशेष रूप से भाग्य और समृद्धि का संकेत देता है। भारतीय संस्कृति में घोड़े तेज, गति, साहस, स्वतंत्रता, प्रसिद्धि, सफलता और उन्नति के प्रतीक हैं। इस पेंटिंग को अपने घर, आफिस में लगाने से ऊर्जा का संचार होता है, जो घर के सदस्यों को सफलता और प्रगति की ओर अग्रसर करता है। जब भी तस्वीर पर हमारी दृष्टि पड़ती है तो हमारे मन-मस्तिष्क में एक ऊर्जा का संचार होता है जो हमें अपने कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए लगातार प्रेरित करता है।

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दौड़ते हुए घोड़ों की तस्वीर की वास्तु के अनुसार दिशा: Running horse painting Vastu direction

दक्षिण दिशा-वास्तु शास्त्र के अनुसार, 7 दौड़ते घोड़ों की पेंटिंग को दक्षिण दिशा में लगाना सर्वोत्तम माना जाता है। इससे यह व्यक्ति को प्रसिद्धि दिलाती है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ाती है। साथ ही इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

Vastu Tips : 7 घोड़ों की तस्वीर घर में किस दिशा में लगानी चाहिए!

पूर्व दिशा- यदि दक्षिण दिशा में इसे नहीं लगाया जा सकता तो आप पूर्व दिशा में भी इस पेंटिंग को लगा सकते है। यह दिशा ज्ञान, अध्यात्म और जागरूकता का प्रतिनिधित्व करती है, जिससे घर के सदस्यों की प्रगति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मक सोच और ऊर्जावान दृष्टिकोण का विकास होता है।

उत्तर दिशा- इसे लगाने के लिए उत्तर दिशा भी सही मानी जाती है, लेकिन इस दिशा में लगाने को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए। यदि अन्य दिशाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो आप इस दिशा को वैक्लपिक रूप से पेंटिंग के लिए उपयोग कर सकते हैं। यह दिशा धन की दिशा मानी जाती है, इसमें इसे लगाने से व्यक्ति और व्यापार की आर्थिक स्थिति ठीक होती है। वैसे आफिस या वर्क प्लेस पर इस दिशा में यह पेंटिग अच्छा प्रभाव डालती है।

घर के किस कक्ष में लगाएं: Running horse painting in house

7 दौड़ते हुए घोडों की तस्वीर आप आने घर के गेस्ट रूम, स्टडी रूम, या अपने वर्क प्लेस पर लगा सकते हैं। वैसे इस तस्वीर को अपने बेडरूम में लगाना वर्जित है, बेडरूम में आप राधा-कृष्ण, राम-सीता, आदि भगवान व अपनी शादी की तस्वीरें लगा सकते हैं यह आपके अंदर गुड फिलिंग देती हैं।


7 घोड़ों की तस्वीर लगाने में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

1-7 घोड़ों की तस्वीर के रंग का चुनाव भी ध्यान से करें। बाजार में 7 घोड़ों की अनेक तस्वीरें उपलब्ध हैं परन्तु उनमें से आपको केवल सफेद रंग के दौड़ते हुए घोड़ों की ही तस्वीर को लगाना है। सफेद रंग शांति, सफलता और विकास को बढ़ावा देता है। अतः सफेद कलर की पेटिंग लगाना ही उपयुक्त माना गया है।

2-कभी भी आक्रामक घोड़ों की तस्वीर को नहीं लगाना चाहिए, केवल शांत दौड़ते हुए, बिना लगाम के 7 घोड़ों की तस्वीर ही घर या अपने आफिस आदि में लगायें। आक्रामक घोड़ों की तस्वीरें लगाना दुर्भाग्य को निमंत्रण देने के समान होता है।

3-हमेशा विषम संख्या जैसे 3, 5, 7, 9 में ही दौड़ते हुए घोड़ों की एक तस्वीर को लगाना चाहिए। वास्तु में सबसे अच्छी 7 घोड़ों की ही पेटिंग मानी जाती है। भूल कर भी अकेले दौड़ते हुए घोड़े की तस्वीर न लगाएं।

4-अक्सर ये भी प्रश्न पूछा जाता है कि दौड़ते हुए घोड़े का मुंह किधर होना चाहिए? तो ध्यान रखें कि दौड़ते हुए घोड़ों का मुंह हमेशा घर या आफिस के अन्दर की ओर होना चाहिए। 

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5- यह भी प्रश्न पूछा जाता है कि सफेद घोड़ों की फोटो किस दिशा में लगानी चाहिए? तो इसका उत्तर है किस जगह आप तस्वीर लगा रहे हों उसकेे हिसाब से दिशा का चुनाव करना चाहिए।

जैसे यदि आप घर में सात घोड़ों की तस्वीर लगा रहे हैं तो उसे उत्तर दिशा में ही लगाने का प्रयास करने चाहिए। इससे धन का आवागमन होता है और परिवार के सदस्यों में एक नई ऊर्जा का विकास होता है।

यदि आप आफिस या वर्कप्लेस पर सात घोड़ों की तस्वीर लगा रहे हैं तो उसे दक्षिण दिशा में ही लगाने का प्रयास करने चाहिए। वैसे उत्तर दिशा में भी लगाने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है इससे व्यापार में तरक्की की संभावनाएं बनती है और मन हमेशा प्रफुल्लित व ऊर्जान्वित रहता है।

Vastu Tips : 7 घोड़ों की तस्वीर घर में किस दिशा में लगानी चाहिए!

बहुत से प्रश्न करते हैं कि क्या रनिंग हॉर्स पेंटिंग घर के लिए अच्छी है? तो मेरा जवाब है बिल्कुल अच्छी है इसे घर में उत्तर में या घर में हाॅल में दक्षिण दिशा में लगा सकते हैं।

बहुत से लोगों का प्रश्न होता है कि सात घोड़ों की तस्वीर कब लगानी चाहिए? तो मेरा जवाब होगा कि सात घोड़ों की तस्वीर लगाने के लिए कोई मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं है। इसे कभी भी घर, आफिस या अपने वर्क प्लेस पर लगाया जा सकता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि 7 घोड़े की मुंह घर के बाहर, कमरे के बाहर और खिड़की के बाहर देखता हुआ नहीं होना चाहिए। यह आपके जीवन में नेगेटिव प्रभाव भी डाल सकते हैं।

वास्तु के मेरे सारे आलेख पढ़ें-

अंत में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि 7 running horses painting vastu direction in house  में घर, आफिस या अपने वर्क प्लेस में लगाना बहुत अच्छा है। यह पेटिंग न केवल आपके घर की सजावट को बढ़ाएगी, बल्कि आपके जीवन में भी अनेक सकारात्मक परिवर्तन लायेगी। सही दिशा व दशा के चयन के साथ यह पेंटिंग आपके जीवन में समृद्धि, शक्ति और ऊर्जा का संचार कर सकती है। 

तो  साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा, कमैंटस करके बताना न भूले, और यदि कोई सलाह लेनी हो तो आप कमैंटस कर सकते हैं, और यदि आप नित्य नये आलेख प्राप्त करना चाहते हैं तो मुझे मेल करें। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app

Sweet Potato : शकरकंदी खाने के फायदे और नुकसान


Sweet Potato : शकरकंदी खाने के फायदे और नुकसान

शकरकंदी खाने के फायदे और नुकसान

शकरकंदी को अंग्रेजी में स्वीट पटैटो कहा जाता है यानि मीठा आलू। शकरकंदी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसकी मिठास इसको खाने में स्वादिष्ट बनाती है। स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह पोषक तत्वों से भरपूर है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। शकरकंदी में विभिन्न प्रकार के विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। आज हम शकरकंदी के लाभों के बारे में विस्तार से बात करेंगे, ताकि आपको पता चल सके कि हमें इसे अपनी डाइट में क्यों शामिल करना चाहिए।

शकरकंदी में कौन कौन से पोषण तत्व हैं?

100 ग्राम शकरकंदी में लगभग 20.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट व 3 ग्राम फाइबर होता है जो पाचन तंत्र का स्वस्थ रखता है, विटामिन ए होता है जो हमारी आंखों और प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूत करता है, लगभग 2.4 मिलीग्राम विटामिन सी होता है जो हमारी त्वचा और प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूती प्रदान करता है, लगभग 337 मिलीग्राम पोटैशियम होता है, जो हृदय के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है और शकरकंदी 25 मिलीग्राम मैग्नीशियम भी प्रदान करता है, जो मांसपेशियों और नसों के लिए आवश्यक है।

शकरकंदी खाने के फायदे

1-पाचन तंत्र का सुधारने में सहायक है

शकरकंदी में फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करती है। यह कब्ज को रोकने और आंतों के कार्य को नियमित करने में सहायक होता है। नियमित रूप से शकरकंदी खाने से पेट में गैस, सूजन और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं कम होती हैं।

2-आंखों के लिए फायदेमंद 

शकरकंदी में विटामिन ए होता है जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह रतौंधी और अन्य आंखों की समस्याओं से बचाने में हमारी मदद करता है। एक शोध से पता चला है कि जो लोग नियमित रूप से शकरकंदी का सेवन करते हैं, उनमें आंखों की बीमारियों का जोखिम 40 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

3-वजन कम करने में सहायक

शकरकंदी में फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है, जो पेट को भरा रखने में मदद करती है। इससे आप लंबे समय तक भूख महसूस नहीं करते, जिससे अधिक खाने की प्रवृत्ति कम होती है। शोधों से पता चला है कि जो लोग शकरकंदी का सेवन करते हैं, वे अन्य पदार्थों की तुलना में कम कैलोरी का सेवन करते हैं।


4-प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है

शकरकंदी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी हमारी प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। ये तत्व शरीर में फ्री रेडिकल्स प्रभाव को कम करते हैं, जिससे बीमारियों से लड़ने की हमारे शरीर की क्षमता बढ़ती है। 

5-हृदय को स्वास्थ्य रखता है

शकरकंद में पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करने में हमारी सहायता करती है। जो लोग नियमित रूप से शकरकंदी का सेवन करते हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। इसमें पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स भी हृदय के स्वास्थ को अच्छा रखते हैं

6-त्वचा के लिए फायदेमंद होता है

शकरकंदी में पाये जाने वाले विटामिन सी व एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा को निखारने व मुंहासों रहित बनाने में मदद करते हैं। शकरकंदी त्वचा की उम्र बढ़ने की गति को कम करती है और मुंहासों से बचाता है। नियमित रूप से शकरकंदी खाने से आपकी त्वचा में निखार आता है।

7-मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है

शकरकंदी में विटामिन बी6 की भी अच्छी मात्रा होती है, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है, यह तनाव को कम करने और मस्तिष्क के कार्य में सुधार करने में हमारी मदद करता है। अतः शकरकंदी का सेवन हमारे मानसिक तनाव के स्तर को कम करता है।
Sweet Potato : शकरकंदी खाने के फायदे और नुकसान


8-मधुमेह के स्तर को दुरूस्त करता है

शकरकंदी में ग्लीसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है। मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह ऊर्जा को धीरे-धीरे छोड़ता है और ब्लड के शुगर स्तर को न्यूनतम रखता है।


9-विटामिन डी का अच्छा स्रोत है

शकरकंदी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं तथा यह विटामिन डी का अच्छा स्रोत है, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह ऑस्टियो आर्थराइटिस और अन्य सूजन संबंधी बीमारियों के प्रबंधन में सहायक हो सकता है। 

10-आंखोें के लिए लाभदायक है-

इसमें बीटा कैरोटिन होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद है। इससे आंखों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

शकरकंदी खाने का तरीका-

शकरकंद का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है- 
शकरकंदी उबालकर खा सकते हैं, भुनी हुए शकरकंदी का भी सेवन किया जा सकता है यह और ज्यादा स्वादिष्ट व करारी हो जाती है, सूप के रूप में भी इनका प्रयोग किया जा सकता है, उबालकर सलाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं, इनकी पिट्ठी बनाकर आंटे आदि में मिलाकर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।

शकरकंदी खाने के नुकसान

वैसे तो शकरकंदी एक पौष्टिक आहार है परन्तु इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं-

1-उच्च शुगर स्तर को बढ़ा सकती है

शकरकंदी में नैचुरली मिठास होती है, फिर भी डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, अधिक मात्रा का सेवन उनके रक्त में शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है।

2-वजन बढ़ा सकती है

शकरकंदी में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। यदि आप अपना वजन घटाने के इच्छुक हैं तो इसको अधिक मात्रा में सेवन करने से बचना चाहिए।

3-पाचन संबंधी समस्याऐं हो सकती है

किसी किसी को शकरकंदी खाने से पैट गैस या पेट में दर्द हो सकता है, विशेषरूप से तब जब आप इसका अधिक मात्रा में सेवन कर लेते हैं।

4-एलर्जी भी हो सकती है

कुछ व्यक्तियों में शकरकंदी खाने से एलर्जी हो जाती है, जिससे उनकी त्वचा पर खुजली आदि की समस्या हो जाती है अतः ऐसे व्यक्तियों को शकरकंदी खाने से पहले डाक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।

5-किडनी के मरीजों को दिक्कत हो सकती है

Sweet Potato : शकरकंदी खाने के फायदे और नुकसान


यदि किसी को किडनी से संबंधित दिक्कते हैं, तो उन्हें भी शकरकंदी का सेवन ध्यान से करना चाहिए, क्योंकि शकरकंदी में पोटेशियम की मात्रा अधिक होने के कारण किडनी पैंसेट को समस्याएं हो सकती हैं।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए शकरकंदी के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए, इसका थोड़ा ही सेवन करना चाहिए, इसकी मात्रा के संबंध में अपने डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

आपके कुछ प्रश्न और उनके जवाब

प्रश्न-1 शकरकंदी की तासीर ठंडी होती है या गर्म?

शकरकंदी की तासीर गर्म होती है अतः इसका सेवन सर्दियों में ही किया जाना चाहिए, वैसे नैचुरली यह पैदा भी सर्दियों में ही होती है।

प्रश्न-2 शकरकंदी खाने से कब्ज होती है क्या? 

शकरकंदी में फाइबर की मात्रा अच्छी होती है, अतः इसे खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती।

प्रश्न-3 शकरकंदी से गैस बनती है क्या?

यदि आप शकरकंदी को खाली पेट खायेंगे तो यह गैस की समस्या पैदा कर सकती है। पेट में जलन भी कर सकती है।


प्रश्न-4 क्या शकरकंदी पुरुषों के लिए अच्छा है?

शकरकंदी में nullए अधिक मात्रा में होता है अतः यह पुरूष में शुक्राणु बढ़ाने में मदद करता है। अतः यह पुरूषों के लिए अच्छा है।

प्रश्न- 5 शकरकंदी खाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

शकरकंदी खाने का अच्छा समय लंच में या फिर शाम को स्नैक्स के रूप में भी ले सकते हैं।

प्रश्न-6 शकरकंदी कब नहीं खानी चाहिए?

शकरकंदी का सेवन रात में करने से बचना चाहिए।

प्रश्न-7 क्या शकरकंदी खून बढ़ाता है?

शकरकंदी खाने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि शकरकंदी खाने से अनेक फायदे होते हैं जबकि नुकसान बहुत कम हैं। नुकसान केवल व्यक्ति विशेष को होते हैं जो कि किसी न किसी बिमारी से जूझ रहे हैं। अतः आपको अपनी डाइट में इन्हें शामिल करना चाहिए।

अस्वीकरण-उपरोक्त बतायी गयी बातों को प्रयोग में लाने से पहले अपनी आयु, वय व शारीरिक स्थिति का भी ध्यान रखें और अपने डाक्टर से सलाह लेने के उपरांत ही इनका प्रयोग करें।

स्वास्थ्य/फिटनेस आलेख-

तो  साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा, कमैंटस करके बताना न भूले, और यदि आप नित्य नये आलेख प्राप्त करना चाहते हैं तो मुझे मेल करें। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।    प्रस्तुति- संजय कुमार गर्ग, sanjay.garg2008@gmail.com