एक कापालिक से सामना (सत्य कथा)

सौरभ अपने स्कूल में ऑफिस में बैठा हुआ था, ये उसका अपना स्कूल था जिसमें वह प्राचार्य था, उसके साथ उसके कुछ स्टॉफ के लोग भी ऑफिस में कुछ जरूरी काम कर रहे थे। तभी स्कूल के गेट से जोर की आवाज आयी....
अलख निरंजन........
सभी ने स्कूल गेट की ओर देखा।
एक साधु स्कूल के गेट से चलता हुआ ऑफिस के गेट पर आकर खड़ा हो गया। उसके पीछे कुछ लोगों की भीड़ थी, साधु एक लंबे कद का बिल्कुल स्याह काले रंग का था, शरीर पर गेहुएं बेतरतीब वस्त्र, गले में रूद्रांक्ष की मालाएं और उसके हाथ में एक इंसानी खोपड़ी थी। अपनी मोटी-मोटी लाल आंखों से उसने सभी को घूरा और जोर से बोला...
अलख निरंजन बच्चा...
सौरभ ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया और अपनी अपलक दृष्टि उनके चेहरे पर जमाते हुआ बोला, आदेश महाराज!!!
इससे पहले वह साधु कुछ बोलता, साथ चली आ रही भीड़ में से एक बोला-ये महाराज, किसी के भी मन की बात बता देते हैं, या तक की किसी ने आज क्या खाया है, ये तक बता देते हैं, आप भी कुछ पूछिये सर जी......
ये सुन कर सौरभ ने अपनी तेज नजरें साधु के चेहरे पर जमायी और चुप रहा।
अचानक साधु बोला-क्या सोच रहे हो, तुम्हारे दरवाजे पर एक अंतरयामी कापालिक (तांत्रिक, श्मशान पर इंसानी कपाल के साथ साधना करने वाला) खड़ा है, आशीर्वाद नहीं लेगा??
सौरभ पुनः हाथ जोड़कर बोला-महाराज आदेश दीजिए, आप क्या खायेंगे, या चाय पीयेंगे?? वैसे मेरी अपने मन की बात जानने की कोई इच्छा नहीं है-सौरभ ने आगे कहा!
हम भारत भ्रमण पर हैं उसके लिए मुझे कुछ धन की सहायता चाहिए, मैं तेरे से 1100/- की भेंट चाहता हूं... कहते हुए कापालिक आगे बढ़ा और सौरभ के कान के पास चुटकी मारते ही भभूत प्रगट कर दी और सौरभ के हाथ में रख दी।
भीड़ ने विस्मित होकर ताली बजायी...
सौरभ एकटक साधु को देखते हुए उसके मन को पढ़ने का प्रयास करते हुए बोला-महाराज भारत भ्रमण के लिए आपको धन की क्या आवश्यकता है? आपसे कोई ट्रेन में टिकट नहीं मांगेगा, होटल ढाबे वाला आपको भोजन कराने से इंकार नहीं करते? फिर आपको धन की क्या आवश्यकता है? आप तो कापालिक हैं, कापालिक धन-दिखावे से दूर रहते हैं?
तू मुझे सीख दे रहा है? एक कापालिक को पढ़ा रहा है मास्दर! -लाल आंखों से घूरते हुए कापालिक ने सौरभ को घूरते हुए कहा!
सौरभ के स्कूल का एक अध्यापक कापालिक को बड़े ही आदर व जिज्ञासा भरी नजरों से देख रहा था, सौरभ कद्ाचित इस बात को भांप चुका था, उसने साधु से कहा-महाराज! ये हमारे शर्मा जी है, चलिए आप इनके मन की बात बताइये?
उस कापालिक ने अपनी लाल-लाल आंखों से शर्मा जी को देखा और बोला-बच्चा एक कॉपी पेंसिल निकाल लें, साधु के साथ आयी भीड़ उत्सुकतापूर्वक देखने लगी, जबकि सौरभ अपने काम में पुनः लग चुका था, क्योंकि ये बातें सौरभ के मन में उत्सुकता नहीं जगाती थीं, क्योंकि वो स्वयं साधक था।
स्कूल के अध्यापक शर्मा जी ने प्रसन्नतापूर्वक कॉपी पेंसिल निकाल ली और साधु की ओर देखने लगे।
आज आपने क्या खाया है? इस कॉपी पर पांच बार लिखो!
शर्मा जी लिखने लगे-साधु ने शर्मा जी पर अपनी दृष्टि जमा दी और बोला-दलिया खाया था ना आज तुमने बच्चा?
जी महाराज! शर्मा जी बोले! साथ आयी भीड़ ताली बजाने लगी।
अब अपने किसी पंसदीदा फल का नाम लिखो? कापालिक बोला!
शर्मा जी फिर लिखने प्रारंभ किया....
सेब.....? कापालिक बोला!
बिल्कुल ठीक महाराज! शर्मा जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा!
इसी प्रकार अनेक चीजों को उस कापालिक ने बताया, भीड़ उसकी प्रशंसा करते नहीं थक रही थी। सौरभ अपने काम में लगा हुआ था परन्तु वह मन ही मन सारी गतिविधियों को देख और समझ रहा था। अचानक कापालिक सौरभ की ओर बड़ा और सबको हाथ दिखाते हुए, सौरभ के माथे पर चुटकी बजायी और लाल रंग प्रगट कर दिया, लाल रंग सौरभ के माथे पर लग चुका था और सौरभ से बोला-तू कुछ नहीं पूछेगा मास्टर? अब कापालिक कुछ गुस्से में था।
आप वास्तव में अंतरयामी हैं, लीजिए चाय पीजिए-सौरभ ने कापालिक की ओर चाय बढ़ाते हुए विनम्रतापूर्वक कहा!
बस इतना सहयोग, तू लगता है मुझे नहीं पहचान पाया मास्टर! कापालिक अब और गुस्से में लग रहा था।
महाराज भारत भ्रमण के लिए, अब तो आपके पास पर्याप्त धन हो गया होगा, सौरभ ने भीड़ को ओर देखते हुए कहा?
सौरभ की ये बात सुनकर कापालिक सकपका गया और कनखियों से भीड़ की ओर देखते हुए बोला, परन्तु मैं तेरे मन की बात बताना चाहता हूं? तू क्या मुझे दस मिनट नहीं दे सकता, मास्टर? कापालिक बोला!
ठीक है महाराज! यदि आप यही चाहते हैं तो.....कहते हुए सौरभ ने अपना रजिस्टर एक तरफ रखा और शर्मा जी से कॉपी-पेंसिल ले कर बैठ गया और कापालिक की ओर देखने लगा!
बताइये महाराज आप क्या बताना चाहते हैं?? सारी भीड़ उत्सुकतापूर्वक एक-दूसरे के कंधे पर चढ़ने का प्रयास करने लगी, कद्ाचित कापालिक सौरभ की इच्छा शक्ति को पहचानने में गलती कर रहा था।
आज तुमने प्रातः क्या खाया? कागज पर पांच बार लिखो-कापालिक ने उत्साहपूर्वक कहा।
सौरभ ने पहले ही ये भांप लिया था कि कापालिक किसी व्यक्ति की मानसिक तरंगों को पढ़ सकता है, और ये क्षमता कोई भी स्त्री-पुरूष जप-ध्यान से अपने अंदर उत्पन्न कर सकता है, ये कोई चमत्कार नहीं है, ये एक मानसिक शक्ति है, जो हर किसी के अंदर है, आवश्यकता इसे जगाने भर की है। परंतु सौरभ इससे भी कुछ ज्यादा था, वह अपने मन को एक साथ अलग-अलग दो विषयों पर एकाग्र कर सकता था। जैसे गायत्री जप करने के साथ-साथ उसके अर्थ का मन ही मन चिंतन करना। 
सौरभ ने लिखना प्रारंभ कर दिया, सौरभ ने कागज पर ‘चना’ लिखा, परंतु दिमाग में ‘दलिया’ सोच रहा था...सौरभ में ये क्षमता थी, वह अपने मन को दो अलग-अलग धाराओं में नियंत्रित कर सकता था उसकी इस क्षमता के बारे में मैं अपनी दूसरी कहानी ‘‘वह उसकी पत्नि नहीं थी?’’ में भी बता चुका हूं।
कापालिक बोला-‘दलिया’ 
सौरभ ने कापालिक को इस प्रकार ‘चना’ लिखा हुआ कागज दिखाया कि कोई ओर न देख सके और जोर से चिल्लाया महाराज! बिल्कुल ठीक....आपने बिल्कुल ठीक बताया है..... और ‘चना’ लिखे हुए कागज को फाड़ कर फेंक दिया...भीड़ चिल्लायी वाह...वाह..महाराज!!
कापालिक ये देख थोड़ा खिसिया गया, परंतु अपनी खिसियाहट को दबाते हुए बोला.....अपनी पंसदीदा फल लिखो???
सौरभ ने फिर वैसा ही किया, मन ही मन ‘अनार‘ सोचते हुए उसने कागज पर ‘सेब’ लिखा।
कापालिक बोला-‘अनार’ अनार है ना? सौरभ ने फिर सबसे छुपाते हुए कापालिक को ‘सेब’ लिखा हुआ दिखाया और परचा फाड़ते हुए चिल्लाया, वाह...महाराज वाह...आपने बिल्कुल ठीक बताया है।
खड़े हुए लोग कापालिक की जयजयकार करने लगे, अब कापालिक के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी, उसने धीरे-धीरे मुस्कराते हुए, हाथ जोड़े बैठे सौरभ को देखा।
महाराज अब बस कीजिए....आप वास्तव में अंतरयामी हैं! 
नहीं......अब अपना पंसदीदा जानवर लिखिए और उस परचे को सबको दिखाइये--कापालिक अपने आपको जबरदस्ती संभालने की कोशिश करते हुए बोला।
परन्तु इस बार भी वहीं हुआ, कापालिक को सौरभ ने अपनी इच्छा शक्ति से धोखा दे दिया और वह सौरभ के मन को सही नहीं पढ़ पाया। 
महाराज! क्या परचा सभी को दिखाना है? सौरभ ने शरारती अंदाज में कापालिक से पूछा?
नहीं.....! सौरभ के हाथ से परचा लेकर फाड़ते हुए कापालिक ने सौरभ को आश्चर्य मिश्रित आंखों से देखते हुए कहा! अब कापालिक एकटक, अपलक दृष्टि से सौरभ की ओर देख रहा था।
अब सौरभ भीड़ से बोला, अब आप लोग यहां से जाइये, मुझे महाराज से बात करनी है, भीड़ धीरे-धीरे आपस में महाराज की प्रशंसा करते हुए वहां से चली गयी। अब सौरभ ने स्टॉफ को भी ऑफिस से बाहर भेज दिया, अब ऑफिस में सौरभ और कापालिक ही थे।
आपने ये कैसे किया?? और मेरी बेइज्जती भी नहीं होने दी, आप कौन हैं? क्या आप भी साधक हैं, गुरू जी... अब कापालिक के सुर बदल चुके थे, वो अब मास्टर से गुरू जी पर आ गया था। जबकि सौरभ अब भी कापालिक के आगे हाथ जोड़े बैठा था।
महाराज! मैं भी एक छोटा सा साधक हूं यहां स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ मैं लोगों को योग-मेडिटेशन आदि सिखाता हूं, मेरे अनेक साधक आंखों पर पट्टी बांधकर, पढ़ सकते हैं, बाइक व साइकिल चला सकते हैं। आप वास्तव में अंतरयामी हैं, इसमें दो राय नहीं है-मृदुभाषी सौरभ बोला। आपने मेरे मन की बात को सही पढ़ा, परन्तु आपने वही पढ़ा, जो मैंने आपको भेजा, परन्तु आप वह नहीं पढ़ पाये जो मैंने लिखा, क्योंकि लिखा हुये शब्द मैंने आपको भेजे ही नहीं.....आपने केवल मेरे भेजे संदेश को रिसीव किया, क्योंकि मैंने पहले ही भांप लिया था कि आप केवल संदेश रिसीव कर सकते हैं, भेज यानि सेन्ड नहीं कर सकते, जबकि महाराज! ईश्वरीय अनुकंपा से मैं संदेश पढ़ना और भेजना दोनों जानता हूं-सौरभ ने पुनः हाथ जोड़ते हुए मधुरवाणी में कापालिक से कहा।
यानी ‘टेलिपैथी’ ??? कापालिक बोला!
बिल्कुल सही महाराज!!! सौरभ ने कापालिक की ओर चाय बढ़ाते हुए कहा।
अब कापालिक बिल्कुल शांत हो चुका था, एक सांसारिक आदमी मुझसे बड़ा साधक है? अब कापालिक दुःखी था।
महाराज! ये साधनाएं जन्म-जन्मांतरों की साधनाएं होती हैं, हो सकता है, पिछले जन्म में मैंने उच्च साधना की हो, इसके परिणामस्वरूप मैं आज संसार में रहकर भी साधना कर पा रहा हूं-सौरभ ने कापालिक के मन में उमड़ रहे प्रश्न को भांपते हुए सांत्वना देते हुए कहा। यदि आप इन साधनाओं को पैसे कमाने या प्रदर्शन मात्र करने का साधन न बनाते तो हो सकता है आप बहुत बड़े साधक होते-सौरभ ने कापालिक को समझाते हुए कहा।
आपने मेरी आंखे खोल दी हैं, अब मैं भी अपनी साधनाओं का प्रदर्शन नहीं करूंगा और इनसे समाज की सेवा करूंगा, आपने मेरी आंखे खोल दी गुरू जी! कापालिक हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।
सौरभ ने कापालिक के हाथ जोड़कर, चरण स्पर्श किये और उन्हें दक्षिणा देकर, संतुष्ट करके वहां से विदा किया...क्योंकि वो भी किसी कापालिक का रूष्ट नहीं करना चाहता था।
(कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है, कथा का मनोरंजक व ज्ञानवर्द्धक बनाने के लिए उसे कहानी का रूप दिया गया है। कहानी के पात्र काल्पनिक हैं)  -लेखक : संजय कुमार गर्ग
                                 

भूकम्प से कैसे बचें? bhukamp se bachne ke upay

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भूकंप (Earthquake) कभी भी आ सकता है, तुर्की और सीरिया में आया भयानक भूकम्प इसका उदाहरण है। वैज्ञानिक अभी तक इसके आने का सही समय, स्थान, या तीव्रता का पूर्वानुमान लगाने में सफल नहीं हो पाये हैं। भूकम्प आने पर हम घबरा जाते हैं एकदम कुछ निर्णय नहीं कर पाते, क्यांकि हमें पता ही नहीं होता कि हमें क्या करना है, परन्तु यदि हम पहले से ही इसके बारे में तैयारी कर लें कि  भूकम्प  (Earthquake) आने पर क्या करें ?


घर में हों तो क्या करें ?

बाहर हो तो क्या करें ?

रात में भूकम्प आये तो क्या करें ?

गाड़ी चला रहें हैं तो क्या करें ? 

भूकम्प  (Earthquake) में दब गये हों तो कैसे बचने का प्रयास करें ? 

और भूकम्प  (Earthquake) के समय हमारे पास क्या-क्या सामान होना चाहिए ? 

आदि बातों का यदि हम पहले से ही ध्यान रखें, तो हम इस विभिषिका से काफी हद तक सेफ रह सकते हैं। 

मैं उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर आपको भूकम्प से बचने के तरीके बता रहा हूं-

यदि भूकम्प  (Earthquake) दिन में आये और आप घर में ही हो तो क्या करें ?

1-भूकंप महसूस होते ही घर से बाहर निकलकर खुली जगह पर चले जाएं. अगर गली काफी संकरी हो और दोनों ही ओर बहुमंजिला इमारतें बनी हों, तो बाहर निकलने से कोई फायदा नहीं होगा. अतः घर में ही सुरक्षित ठिकाने की तलाश करें।

2-अगर घर से बाहर निकलने में काफी समय लगने का अनुमान हो, तो घर में ज्यादा इधर-उधर न भागे, कमरे के कोने में हाथों से सिर व मूंह को ढ़क कर बैठ जायें या किसी मजबूत फर्नीचर जैसे टेबल, तख्त या दीवान आदि के नीचे छुप जाएं. अपने सिर को पहले बचाने का प्रयास करें।

3-भूकंप महसूस होते ही टीवी, फ्रिज, जैसे बिजली के सारे उपकरणों से प्लग निकाल दें या घर की मैन लाइन फोरन काट दें।

4-घर में कांच, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों से दूर रहें । 

5-लिफ्ट के इस्तेमाल से बचें और कमजोर सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं. 

साथियों! यदि भूकम्प  (Earthquake) रात में आये तो क्या करें ?

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भूकम्प से कैसे बचें?
1-यदि भूकम्प (Earthquake) आने के समय आप बिस्तर पर हैं, तो वहीं पर बने रहें। अपने सिर और चेहरे के बचाव के लिए  तकिये को सिर पर रखें, यह ध्यान रखें कि आपके सिर पर पंखा या भारी झाड़फानूस न गिर जाये। ऐसी स्थिति में, निकटतम सुरक्षित जगह पर भी जाने का प्रयास करें।

2-भूकम्प (Earthquake) के दौरान जितना सम्भव हो, सुरक्षित रहें। ध्यान रखें कि कुछ भूकम्प पूर्व-झटके होते हैं और बाद में अधिक बड़ा-या छोटा भूकम्प आ सकता है, इसे हम प्राइमरी वेव और दूसरे को सेकेन्ड्री वेव कहते हैं। अतः कम्पन बन्द होने तक घर पर ही रहें। अनुसंधान से पता चला है कि सबसे अधिक चोट तब लगती है जब इमारत के अन्दर मौजूद लोग इमारत के अन्दर ही दूसरे स्थान पर जाने का प्रयास करते हैं या इमारत से बाहर आने की कोशिश करते हैं।

साथियों! यदि भूकम्प  (Earthquake) आने पर घर से बाहर हों तो क्या करें।

1-घर के बाहर कभी भी ऊंची इमारतों, बिजली, टेलीफोन के खंभे या पेड़-पौधों के नीचे न खड़े हों। खुले स्थान पर जाने का प्रयास करें।

2. अगर गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें. कोशिश करें कि किसी पुल या फ्लाइओवर पर गाड़ी खड़ी न करनी पड़े।

भूकम्प  (Earthquake) के बारे में अग्रिम योजना (Advance Planning for Earthquake) किस प्रकार बनायें-

1-भूकम्प के समय क्या-क्या चीजें खतरनाक हो सकती हैं, और उनसे बचने के उपाय सोचे।

2-भारी आलमारियाँ व शेल्व्स को दीवारों के पास ही रखें, व बड़ी व भारी वस्तुओं को आलमारी या शेल्व्स के निचले हिस्से में ही रखें।

4-बोतलबन्द खाद्य पदार्थ, काँच या चीनी मिट्टी की बनी, व आसानी से टूटने वाली नाजुक वस्तुओं को निचले हिस्से में बन्द आलमारियों में चिटकनी लगाकर रखें।

5-जहाँ बैठने की जगह हो उसके ऊपर फ्रेम वाले बड़े चित्र या पेंटिंग्स न लगायें, भूकम्प के समय ये चीजें गिरकर आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं।

6-घर व कमरों की छतों पर ‘लाइटिंग’ फिटिंग्स को अन्डरग्राउण्ड ही करायें।

7-खराब वायरिंग व कमजोर बिजली के तारों और रिसते गैस पाइप कनेक्शन को तुरन्त ठीक करायें। इनसे आग का सम्भावित जोखिम अधिक है।

8-घर के अन्दर और बाहर के सुरक्षित स्थानों को पहचानें, अपने घर में हमेशा ऐसे स्थान की खोज रखनी चाहिए, जहाँ भूकम्प के समय शरण ली जा सके। मजबूत फर्नीचर, मजबूत टेबल या किसी मजबूत बेड के नीचे सुरक्षित स्थान की पहचान करके रखें। 

9-खुद को और परिवार के सदस्यों को भूकम्प के बारे में शिक्षित करें। संभव हो कभी-कभी खेल-खेल में मॉक ड्रिल करें। जिससे घर के सदस्यों में कॉफिडेन्स आये।

10-परिवार के सभी सदस्यों को सिखाएं कि गैस, बिजली और पानी कैसे और कब बन्द करना चाहिए।

11-भूकम्प  (Earthquake) के समय काम आ सकने वाली सामग्री अपने पास रखें, जैसे टार्च, पोर्टेबल बैटरी से चलने वाला रेडियो, फर्स्ट एड बॉक्स व आवश्यक दवाएं, बिस्किट और पानी की बोतल आदि।

यदि हम मलबे में दब गये हैं तो क्या करें-

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भूकम्प से कैसे बचें?
1-अगर आप भूकंप के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस-लाइटर बिल्कुल ना जलाएं इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है।

2-भूकंप में अगर आप मलबे में दब जाएं तो ज्यादा हिले नहीं और ना धूल उड़ाएं, किसी कपड़े या रूमाल से अपना मूंह ढ़कें। 

3-मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए, ताकि बचाव दल आपको तलाश सकें, पाइप या दीवार को ठकठकाते रहें, अगर उपलब्ध हो तो सीटी का प्रयोग करें। केवल अंतिम उपाय के रूप में चिल्लाएँ क्योंकि चिल्लाने से आपकी सांस के साथ खतरनाक मात्रा में धूल शरीर में जा सकती है। 

साथियों ऐसी स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण होता है, धैर्य बनाए रखें, और हिम्मत बिल्कुल ना हारें।

तो साथियों! आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके जरूर बताये, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार, जयहिन्द।     लेखक -संजय कुमार गर्ग

Vijaya Ekadashi 2022-story-date-muhurat विजया एकादशी 2022 की कथा-तिथि-मुहूर्त एवं पारण

विजया एकादशी 2022 की कथा-तिथि-मुहूर्त 
एकादशी
के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठतम माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यदि एकादशी का व्रत निर्जला किया जाए तो उत्तम माना गया है। भगवान श्री हरि विष्णु के भक्तों के लिए एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। माना जाता है कि 
विजया एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है, पूर्वजन्म के पापों से छुटकारा मिलता है। पद्म पुराण के अनुसार, ये अत्यंत पुण्यदायी एकादशी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस योग में व्रत करने से पूजा का फल तीन गुना मिलता है। लंका विजय के लिए भगवान श्रीराम ने इसी दिन समुद्र किनारे पूजा की थी। 

विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya  Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा व रामायण के अनुसार, जब रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया तो भगवान श्रीराम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हो गए। फिर उनकी हनुमान जी की सहायता से सुग्रीव से मुलाकात हुई। और श्रीराम-लक्ष्मण वानर सेना की मदद से रावण की लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र के तट पर आए। परन्तु लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए? क्योंकि उनके सामने विशाल समुद्र था, जिसको पार करना बहुत कठिन प्रतीत हो रहा था। उनको कोई उपाय नही सूझ नहीं रहा था। अंत में उन्होंने समुद्र से ही लंका पर चढ़ाई करने के लिए मार्ग मांगा, लेकिन समुद्र ने उनके निवेदन को अनसुना कर दिया। वहां से कुछ दूरी पर कुमारी द्वीप में वकदाल्भ्य मुनि का आश्रम था, श्रीराम ने वकदाल्भ्य मुनि से इसका उपाय पूछा। तब मुनि वकदाल्भ्य ने श्रीराम को अपनी वानर सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया। वकदाल्भ्य ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए विजया एकादशी व्रत करने का विधान है। मुनि की बातें सुनकर भगवान राम ने फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वानर सेना के साथ विजया एकादशी व्रत किया और विधि विधान से पूजा की। कहा जाता है कि विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से ही उनको समुद्र से लंका जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। विजया एकादशी व्रत के पुण्य से ही श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। तब से विजया एकादशी व्रत का महत्व और बढ़ गया। जनमानस में विजया एकादशी व्रत प्रसिद्ध हो गया और लोग अपने किसी भी कार्य की सफलता के लिए विजया एकादशी का व्रत करने लगे।

विजया एकादशी का महत्व  Vijaya  Ekadashi Importance
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक महीने में दो एकादशी का व्रत आता है जो एक शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा कृष्ण पक्ष को पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi 2022) को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2022) मनाई जाएगी। यह तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है। इस साल विजया एकादशी व्रत 27 फरवरी दिन रविवार को पड़ रहा है। विजया एकादशी व्रत के बारे में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में अति सुन्दर वर्णन मिलता है।

विजया एकादशी 2022 तिथि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 26 फरवरी दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 27 फरवरी दिन रविवार को प्रातः 08 बजकर 12 मिनट तक है, उदयातिथि के आधार पर 27 फरवरी को विजय एकादशी का व्रत रखना चाहिए।

विजया एकादशी 2022 पारण
जो लोग विजया एकादशी का व्रत करेंगे, उनको व्रत का पारण 28 फरवरी को प्रातः 06 बजकर 48 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट के मध्य कर लेना चाहिए। हालांकि द्वादशी तिथि का समापन सूर्योदय से पूर्व हो जा रहा है।

(इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं स्थानीय पंचांग पर आधारित हैं |  इन पर अमल करने से पहले अपने स्थानीय मंदिर के पुरोहित से भी संपर्क करें)
पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं!    
लेखक-संजय कुमार गर्ग (एस्ट्रोलॉजर/वास्तुविद)
 sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)

वास्तु-टिप्स-मकान खरीदते समय ध्यान रखें ये बातें, ताकि बाद में ना पछतायेँ  !

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वास्तु-टिप्स-मकान खरीदते समय 
कहावत है जिन्दगी में घर house एक बार ही बनाया जाता है, उस बनाने के लिए इन्सान दिन-रात जुटा रहता है। वर्तमान में जमीन की कमी और अधिक लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए फ्लैट का चलन भी बढ गया है। शहरों में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बन रही हैं। आवास में सुख-शांति और समृद्धि के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना बहुत जरुरी है। अक्सर हम जल्द बाजी में खरीदे गये या बनाये गये घर में वास्तु की अनदेखी कर देते हैं, ना हम किसी वास्तुविद् से सलाह लेना उचित समझते हैं, क्योंकि हमने बहुत सी किताबें वास्तु की पढ़ी हुई होती हैं? यदि कोई किताब पढ़ कर ही वास्तुविद् बनने का प्रयास करता है तो वो एक बड़ी भूल कर देता है, क्योंकि पढने और अनुभव करने में बहुत अंतर होता है। समस्या जब होती है जब घर में रोग, अशांति, चितांयें धीरे-धीरे प्रवेश करती हैं, जब तक हम जागते हैं, तब तक बहुत देर हो गयी होती है, अतः यदि आप भी फ्लैट लेने या मकान बनाने का विचार कर रहे हैं तो वास्तु के इन नियमों का पालन करने के साथ-साथ किसी वास्तुविद् से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए, आइये अब जानते हैं फ्लैट खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए-

-भूमि-जमीन के बारे में पूरी जानकारी अवश्य लें। जमीन कैसी है, भवन निर्माण से पहले भूमि किस काम के लिए प्रयुक्त होती थी, इसका पता करें। बिल्डिंग बनाने से पहले जमीन पर कोई क्रब या कब्रिस्तान तो नहीं था। वास्तु नियमों के अनुसार बिल्डिंग के नीचे दबी कोई अच्छी या बुरी वस्तुएं सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। हालांकि तीन मंजिल से ऊपर फ्लैट पर इस तरह के दोष का असर नहीं होता। यानी तीन मंजिल से ऊपर का फ्लैट है तो फिर बिल्डिंग की जमीन की पूर्व स्थिति ज्यादा मायने नहीं रखती।

-जिस घर को ले रहें हैं उस घर के सामने कोई पेड़, मंदिर या खम्बा आदि न हो जिसकी परछाई घर पर पड़े, इससे आपकी सफलता में बाधा उत्पन्न हो सकती है|

-घर का मुख्य द्वार आपके घर में सुख-समृद्धि, तरक्की, खुशहाली व सकारात्मकता लेकर आता है। जमीन खरीदते समय भी इस बात का प्रयास करें कि वह दक्षिणमुखी न हो। यदि मजबूरीवश लेना पड़े तो वास्तुविद से सलाह लेकर उसका दोष निवारण करा लेना चाहिए| 
 
-अब रसोई (किचन के वास्तु के लिए ये आलेख पढ़ें) को देखते हैं, घर में रसोई सबसे महत्वपूर्ण है। यदि इसे घर का गृहमंत्रालय कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। फ्लैट में रसोई की स्थिति को अवश्य जांच लें। आग्नेय कोण (SE) में बनी रसोई सबसे श्रेष्ठ होती है। इस दिशा में बिजली के उपकरण रखने में भी कोई परेशानी नहीं होती है। यदि फ्लैट वास्तु के अनुसान निर्मित है तो इस दिशा के स्वामी ग्रह प्रसन्न रहते हैं। घर की महिलायें या युवतियां कम बीमार होती हैं और इससे घर में सुख-समृद्धि और प्रसन्नता बनी रहती है। 

-फ्लैट में ध्यान रखें कि बाथरूम और टॉयलेट (टॉयलेट  के वास्तु के लिए ये आलेख पढ़ें) नैऋत्य दिशा (SW) यानी दक्षिण-पश्चिम और ईशान कोण (NE) में नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा है तो घर में कलह और तनाव बना रहेगा। घर के बच्चे बीमार रहेंगे, बड़े बच्चों की चरित्रहीन होने की पूरी संभावना है, उत्तर-पूर्वी यानी ईशान कोण जल का प्रतीक है। यहां पीने के पानी का स्रोत होना चाहिए। घर के इस हिस्से में पानी से भरा मटका रख सकते हैं, और उसे 15-20 दिन में बदल दें। वायव्य कोण (North-west) में सेप्टिक टैंक एवं शौचालय होना अच्छा रहता है।
 
-भवन में बेडरूम (बेडरूम वास्तु के लिए ये आलेख पढ़े) पूर्व-दक्षिण दिशा यानि आग्नेय कोण में नहीं होना चाहिए। इससे पति-पत्नि दोनों में गुस्सा रहेगा, और वैवाहिक संबंध प्रभावित होंगे, ऐसा होने पर जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खुशियां प्रभावित होने लगती हैं।

-बैठक कक्ष (ड्रांइग रूम) (ड्राइंगरूम  के वास्तु के लिए ये आलेख पढ़ें) के लिये उत्तर दिशा (N) सर्वश्रेष्ठ है। पूर्व (E) दिशा या ईशान (NE) में भी ड्रांइग रूम अच्छा माना जाता है।

[पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं! वास्तु के लिये प्रोफेसनल सेवायें भी उपलब्ध हैं, इसकी जानकारी आप मुझे मेल करके प्राप्त कर सकते हैं।                                                             -लेखक-संजय कुमार गर्ग, (वास्तुविद, एस्ट्रोलॉजर)    
                                                                 sanjay.garg2008@gmail.com]

अदरक-सोंठ से 30 फायदे !!

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अदरक 
Ginger सभी की रसोई में पायी जाती है, अदरक Ginger में अनेक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषधि माना गया है। यह गर्म, तीक्ष्ण, भारी, पाक में मधुर, भूख बढ़ाने वाला, पाचक, चरपरा, रुचिकारक, त्रिदोष मुक्त यानी वात, पित्त और कफ नाशक होता है। आयुर्वेद के अनुसार अदरक Ginger की रसायनिक संरचना में 80 प्रतिशत भाग जल होता है, जबकि सोंठ में इसकी मात्रा लगभग 10 प्रतिशत होती है। इसके अलावा स्टार्च 53 प्रतिशत, प्रोटीन 12.4 प्रतिशत, रेशा (फाइबर) 7.2 प्रतिशत, राख 6.6 प्रतिशत, तात्विक तेल (इसेन्शियल ऑइल) 1.8 प्रतिशत तथा औथियोरेजिन मुख्य रूप में पाए जाते हैं। अदरक Ginger को सुखाने पर जो प्राप्त होता है उससे सौंठ कहते है। सोंठ में प्रोटीन, नाइट्रोजन, अमीनो एसिड्स, स्टार्च, ग्लूकोज, सुक्रोस, फ्रूक्टोस, सुगंधित तेल, ओलियोरेसिन, जिंजीवरीन, रैफीनीस, कैल्शियम, विटामिन बी और सी, प्रोटिथीलिट एन्जाइम्स और लोहा भी मिलता हैं। प्रोटिथीलिट एन्जाइम के कारण ही सोंठ कफ हटाने व पाचन संस्थान में विशेष गुणकारी सिद्ध हुई है। क्योंकि सौठ अदरक Ginger का एक अंग है अतः इस आलेख में हम सौंठ के फायदों के बारे में भी बात करेंगे।

अदरक के फायदे- Benifits of Ginger

1-बालों के रोग :- अदरक Ginger और प्याज का रस सेंधानमक के साथ मिलाकर गंजे सिर पर मालिश करें, इससे गंजेपन से राहत मिलती है।
2-हाथ-पैर का सुन्न हो जाना :- सोंठ और लहसुन की एक-एक गांठ में पानी डालकर पीस लें तथा प्रभावित अंग पर इसका लेप करें। सुबह खाली पेट जरा-सी सोंठ और लहसुन की दो कली प्रतिदिन 10 दिनों तक चबाएं।
3-नजला, नया जुकाम :- सौंठ और गुड़ पानी में डालकर उबाल लें। जब चौथाई रह जाए तब सुहाता-सुहाता छानकर पी जाएं। गले में ठंडक और खराश होने पर अदरक चूसें अथवा अदरक के छोट-छोटे टुकड़े, अजवायन, दाना मेथी और हल्दी प्रत्येक आधा-आधा चम्मच भरकर एक गिलास पानी में उबालें। जब आधा पानी शेष रह जाए तब स्वादानुसार जरा-सा गुड़ मिलाकर छानकर रात को सोते समय यह काढ़ा पी कर सो जाएं।
4-कब्ज :- अदरक Ginger का रस Juice 10 मिलीलीटर को थोड़े-से शहद में मिलाकर सुबह पीने से शौच खुलकर आती है और यदि एक कप पानी में एक चम्मच भर अदरक को कूटकर पानी में 5 मिनट तक उबाल लें। छानकर पीने से कब्ज नहीं रहती है।
5-सफेद-दाग :- 30 मिलीलीटर अदरक Ginger Juice का रस और 15 ग्राम बावची को एक साथ मिलाकर और भिगोकर रख दें। जब अदरक का रस और बावची दोनों सूख जायें तो इन दोनों के बराबर लगभग 45 ग्राम चीनी को मिलाकर पीस लें। अब इसकी एक चम्मच की फांकी को ठंडे पानी से रोजाना 1 बार खाना खाने के एक घंटे के बाद लें।
6-सिर का दर्द :- अदरक Ginger के रस Juice और दूध Milk को बराबर मात्रा में मिलाकर सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है। या अदरक Ginger का रस, गुड़, सेंधानमक और पीपल को एक साथ घिस लें और पानी के साथ सूंघने से सिर की सभी बीमारियां ठीक हो जाती हैं।
7-मस्सा और तिल :- अदरक Ginger के एक छोटे से टुकड़े Pisces को काटकर छील लें और उसकी नोक बना लें। फिर मस्से पर थोड़ा सा चूना लगाकर अदरक Ginger की नोक से धीरे-धीरे घिसने से मस्सा बिना किसी आप्रेशन के कट जायेगा और त्वचा पर कोई निशान भी नहीं पडे़गा। बस शुरू में थोड़ी सी सूजन आयेगी।
8-गठिया :- 10 ग्राम सोंठ 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर ठंडा होने पर शहद या शक्कर मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
9-जोड़ों का दर्द :- अदरक Ginger के एक किलोग्राम रस Juice में 500 मिलीलीटर तिल का तेल डालकर आग पर पकाना चाहिए, जब रस जलकर तेल मात्र रह जाये, तब उतारकर छान लेना चाहिए। इस तेल की शरीर पर मालिश करने से जोड़ों की पीड़ा मिटती है।
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10-दमा :-
लगभग एक ग्राम अदरक 
Ginger के रस Juice को एक ग्राम पानी से सुबह-शाम लेने से दमा और श्वास रोग ठीक हो जाते हैं। 
11-हृदय-रोग :- अदरक Ginger का रस तथा शहद, दोनों को मिलाकर नित्य उंगली से धीरे-धीरे चाटें। दोनों की मात्रा आधा-आधा चम्मच होनी चाहिए। इससे हृदय रोग में लाभ मिलता है।
12-बवासीर :- अदरक Ginger 500 ग्राम और पीपल 250 ग्राम को मिलाकर पेस्ट बनाकर इसे 500 ग्राम घी में पकायें। कालीमिर्च, चाव-चितावर, नाग केसर, पीपलामूल, इलायची, अजमोद, कालाजीरा और हर्रे। सब थोड़े-थोड़े से बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें। अदरक और पीपल से बने पेस्ट को इस चूर्ण के साथ मिलाकर इसमें 1 किलो गुड़ की चासनी बनाकर डालें। गुड़ और बाकी पेस्ट से बने गाढ़े चासनी को 60 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पाक बवासीर, कामला, अरुचि और मंदाग्नि बवासीर ठीक होता है।
13-एलर्जी :- अदरक Ginger के रस Juice में थोड़ा-सा जीरा तथा पुराना गुड़ मिलाकर सेवन करने से एलर्जी के रोग में लाभ होता है।
14-जुकाम :- 10 ग्राम अदरक को 10 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर थोड़ा सा गर्म करके रोजाना रात को सोते समय खाने से बार-बार जुकाम होने का रोग ठीक हो जाता है। इसको खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
15-पेट :-  के सभी प्रकार के रोगों के लिए :- पिसी हुई सोंठ एक ग्राम, जरा-सा हींग और सेंधानमक को पीसकर चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ फंकी के रूप में सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
16-हाजमे की खराबी :- Ginger का रस आधा चम्मच, सेंधानमक 1 चुटकी और नींबू का आधा चम्मच रस को मिलाकर सुबह और शाम खाना खाने के बाद सेवन करने से हाजमे की खराबी में लाभ होता है।
17-बहरापन :- अदरक का रस हल्का गर्म करके बूंद-बूंद कान में डालने से बहरापन नष्ट होता है।
18-कान का दर्द :- कान में मैल जमने के कारण, सर्दी लगने के कारण, फुंसियां निकलने के कारण या चोट लगने के कारण कान में दर्द हो रहा हो तो अदरक के रस को कपड़े में छानकर हल्का सा गर्म करके 3-4 बूंदें कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है। अगर पहली बार डालने से दर्द नहीं जाता तो इसे दुबारा डाल सकते हैं।
19-कान में आवाज होना :- लगभग 6 मिलीलीटर अदरक का रस, 3 ग्राम शहद, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक और 3 ग्राम तिल के तेल को एक साथ मिलाकर रोजाना 2-3 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द, कानों में अजीब सी आवाजे सुनाई देना और कानों से सुनाई न देना (बहरापन) आदि रोग दूर हो जाते हैं।
20-कमर-दर्द :- 10 मिलीलीटर अदरक के रस में 5 ग्राम घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कमर दर्द में लाभ करता है।
21-मासिक-धर्म की अनियमितता :- अजवायन का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ सेवन करने से रुका हुआ मासिक धर्म नियमित रूप से आना शुरू हो जाता है।
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22-गुर्दे के रोग :-
अदरक का रस 10 मिलीलीटर में हींग भूनी (R
oasted asafoetida) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पीसकर नमक मिलाकर पीयें।
23-दस्त :- रात को सोने से पहले अदरक को पानी में डाल दें, सुबह इसे निकालकर साफ पानी के साथ पीसकर घोल बनाकर 1 दिन में 3 से 4 बार पीने से अतिसार (दस्त) समाप्त हो जाता है।
24-मसूढ़ों से खून आना :- मसूढ़े में सूजन हो या मसूढ़ों से खून निकल रहा हो तो अदरक का रस निकालकर इसमें नमक मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम मसूढ़ों पर मलें। इससे खून का निकलना बंद हो जाता है।
25-निमोनिया :- एक-एक चम्मच अदरक और तुलसी का रस शहद के साथ देने से निमोनिया का रोग दूर होता है।
26-गैस का बनना :- अदरक 3 ग्राम, 10 ग्राम पिसा हुआ गुड़ के साथ सेवन करने से अफारा या पेट की गैस को समाप्त करता है।
27-सर्दी जुकाम और खांसी :- अदरक की चाय जुखाम, खांसी, और सर्दी के दिनों में बहुत लाभप्रद है। तीन ग्राम अदरक और 10 ग्राम गुड़ दोनों को पाव भर पानी में उबालें, 50 मिलीलीटर शेष रह जाने पर छान लें और थोड़ा गर्म-गर्म ही पीकर कंबल ओढ़कर सो जायें।
28-आधे सर का दर्द, गर्दन का दर्द, मांसपेशियों का दर्द :- यदि उपरोक्त कष्ट अपच, पेट की गड़बड़ी से उत्पन्न हुए हो तो सोंठ को पीसकर उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर लुग्दी बनाकर तथा हल्का-सा गर्म करके पीड़ित स्थान पर लेप करें। इस प्रयोग से आरम्भ में हल्की-सी जलन प्रतीत होती है, बाद में शाघ्र ही ठीक हो जाएगा। यदि जुकाम से सिरदर्द हो तो सोंठ को गर्म पानी में पीसकर लेप करें। पिसी हुई सौंठ को सूंघने से छीके आकर भी सिरदर्द दूर हो जाता है।
29-हिचकी :- अदरक के बारीक टुकड़े को चूसने से हिचकी जल्द बंद हो जाती है। घी या पानी में सेंधा नमक पीसकर मिलाकर सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।
30-पेट-दर्द :- अदरक के रस में नींबू का रस मिलाकर उस पर काली मिर्च का पिसा हुआ चूर्ण डालकर चाटने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
किन्हे अदरक का सेवन करने से परहेज़ करना चाहिए :-
अदरक की प्रकृति गर्म होने के कारण जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो, कुष्ठ, पीलिया, रक्तपित्त, घाव, ज्वर, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

नोट-बतायें गये नुस्खों का प्रयोग करने से पहले अपनी आयु, प्रकृति आदि के बारे में भी ध्यान रखना चाहिए, साथ ही किसी जानकार या आयुर्वेंदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए।
       प्रस्तुति-डाँ0 कैलाश शर्मा पाटोदा, सहायक निदेशक, आयुर्वेद विभाग सीकर-राजण्