लक्ष्मी कैसे व्यक्तियों के पास नहीं रहतीं!

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धन की कामना हर कोई करता है, हर किसी को धन चाहिए, अक्सर लोगों की शिकायतें रहती हैं कि हम कमाते तो खूब हैं लेकिन धन हमारे पास रूकता नहीं है, किसी ने किसी कारण से खर्च हो जाता है। साथियों! विभिन्न पुराणों और शास्त्रों में बताया गया है कि किन कारणों से लक्ष्मी चली जाती हैं, और किन कार्यों के कारण लक्ष्मी किसी घर में  अपना निवास नहीं बनाती।

- शास्त्रों में कहा गया है कि आलसी, नास्तिक व कपटी व्यक्ति के यहां लक्ष्मी नहीं रहती, होती हैं परन्तु चली जाती हैं।

- ऐसे व्यक्ति जो गुरू के प्रति अनादर का भाव रखते हैं, गुरू के घर चोरी करते हैं या फिर गुरू की पत्नि पर बुरी दृष्टि रखते हैं ऐसे व्यक्तियों के पास लक्ष्मी नहीं रूकती वे चली जाती हैं।

- देवताओं पर बासी फूल चढ़ाने वाले व्यक्ति के पास भी लक्ष्मी नहीं रहती।

- जो व्यक्ति मलिन व दुर्गन्धयुक्त रहता है, जो काफी दिनों तक स्नान नहीं करता, या जो टूटे-फूटे या फटे आसन पर बैठता है।

- जो व्यक्ति ब्राह्मण को, गुरू को, अग्नि को, भस्म को या फिर माता-पिता को पांव से स्पर्श करता है। उसके घर से लक्ष्मी हमेशा के लिए चली जाती है।

- जो व्यक्ति एक पांव को दूसरे पांव से रगड़ कर धोता है उससे भी लक्ष्मी मां रूठ जाती हैं।

- सायंकाल में स्त्री सहवास करने वाले व दिन में सोने वाले से भी लक्ष्मी रूठ जाती हैं ऐसा भी शास्त्रों में वर्णित हैं।

- जो व्यक्ति घर में बने हुए या फिर घर आये हुए मिष्ठान को अकेला खाता है, परिवार के साथ बांट कर नहीं खाता उसको भी लक्ष्मी छोड़ देती हैं।

- जो व्यक्ति अपने गले में पहनी हुई माला को दांतो से तोड़ देता है व शरीर पर गन्दगी रखता है उससे भी लक्ष्मी रूष्ट रहती हैं।

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना न भूलें, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।

                       

वास्तुविद्: संजय कुमार गर्ग 6396661036


संतान प्राप्ति के लिए वास्तु टिप्स!

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यदि भवन का निर्माण वास्तु के प्रतिकूल किया जाता है तो वे अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म देते हैं। मल्टीस्टोरी बिल्डिंग तेजी से बनती जा रही हैं, संयुक्त परिवार से अलग रहने की चाह  नवयुगल (नवविवाहित पति-पत्नि) को ऐसे वास्तु के विपरित बने फ्लैट में ले जा रही हैं। जहां पहले तो ऐसे फ्लेट में रहने से नवयुगल में झगड़े ही प्रारम्भ हो जाते हैं, यदि प्रेम से रहते भी हैं तो बच्चे की चाहत ही नहीं होती, उनका मानना है ‘‘हम अच्छे क्या करने हैं बच्चे’’, क्योकि  दोनों ही जाॅब में होते हैं, यदि दोनों जाॅब में भी ना हों तो विशेष रूप से नवविवाहित हिन्दू परिवारों में ये ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, बच्चे पैदा ही नहीं करते, करते हैं तो बस एक बच्चा ही करते हैं, इस ट्रेन्ड के परिणाम भयानक होंगे। नवविवाहित इस गलत ट्रेन्ड को छोड़ दें। और यदि नवविवाहित गलती से नीचे बताये गये वास्तु दोषयुक्त फ्लेट में पहुंच गये तो एक बच्चा होना भी मुश्किल हो जाता है, किसी तरह हो भी जाता है तो ईश्वर ना करें वो कोई लाईलाज बिमारी लेकर पैदा हो। 

साथियों! यदि आपका कहना है कि हमारे तो पहले से ही एक या दो बच्चे हैं, हमें और बच्चे करने ही नहीं हैं तो हमें यह मकान या फ्लैट कोई समस्या देगा ही नहीं? यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं ऐसे मकान या फ्लैट उत्पन्न हो चुकी संतान के स्वभाव व स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं ऐसा मेरा निजी अनुभव है। इस पर में अलग से एक लेख लेकर आउंगा। 

अतः साथियों! किसी फ्लैट या मकान में जाने से पहले नीचे बतायी गयी बातों का विशेष ध्यान रखें नही तो बाद में आपको अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

1-यदि वह मकान या फ्लैट पश्चिम (West) दिशा से खाली है। या इस हिस्से को  अन्य दिशाओं से नीचा बनाया गया है।
2-मकान या फ्लैट की उत्तरी (North) दिशा थोड़ी सी खाली जरूर हो या फिर यह दिशा अन्य दिशाओं से नीची हो।
3-यदि मकान या फ्लैट की ईशान दिशा (North-East) में टाॅयलेट बना हो, यदि वहां कूढ़ा इत्यादि डालने का स्थान बनाया गया हो।
4-यदि मकान या फ्लैट की ईशान दिशा (North-East) अन्य सभी दिशाओं से ऊंची हो तो यह संतति सुख में बहुत बड़ी बाधा डालता है।
5-यदि पूर्व (East) दिशा में ज्यादा ऊंचाई हो तो भी वंश हानि या संतान सुख प्राप्ति की संभावना नहीं होती 
6-यदि दक्षिण दिशा (South) की ओर मकान या फ्लैट बढ़ा हुआ हो, क्योंकि यह मृत्यु का स्थान है अतः यह बढ़ा हुआ मकान या फ्लैट बार-बार संतान की हानि कराता है।
7-यदि मकान या फ्लैट का स्वामी पूर्व (East) में बने बैडरूम में सोता हों, इससे कारण भी बांझपन व दरिद्रता आती है।
8-यदि प्रवेश द्वार पर बनी सीढ़िया ज्यादा ऊंची बनायी गयी हो तो भी संतति सुख नष्ट होने की संभावना रहती है।
9-यदि उत्तर मुखी (North Faced) द्वार हो, व पूर्वी दीवारें टेढ़ी-मेढ़ी हों तो मंद बुद्धि या विकृत शारीरिक अंग वाली संतान की संभावना रहती है।
अंत में यह ध्यान रखें कि मकान या फ्लैट का उत्तरी, पूर्वी, ईशान दिशा का भाग नीचा हो तो तथा दक्षिणी (South), पश्चिमी (West), नैरूत  (South-West) स्थान ऊंचा होना चाहिए।

आपके कमैंटस की प्रतिक्षा रहेगी, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिये, 
नमस्कार जय हिन्द!
                            -वास्तुविद्-संजय कुमार गर्ग 6396661036

वास्तु शास्त्र में पशु-पक्षियों का महत्व !

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वास्तु शास्त्र में पशु-पक्षियों का बहुत महत्व बताया गया है। बताया जाता है कि पशु-पक्षियों में बुरी शक्तियों का देखने व उन्हें दूर करने की शक्ति होती है। पालतू पशुओं में बुरी शक्तियों को दूर करने की ताकत होती है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में आयी सुनामी में जहां हजारों लोग मारे गये परन्तु किसी जानवर के मारे जाने की खबर आपने नहीं सुनी होगी। जानवर केवल वहीं मारे गये जो बंधे हुए थे, क्योंकि ये अपने को बचा नहीं पाये। बाकी जानवर पहले ही सुनामी का खतरा भांप कर दूर ऊंचे स्थानों पर चले गये थे। आइये अब जानते हैं वास्तु में पशु-पक्षियों का महत्व क्या है-

-बताया जाता है कि जिस स्थान पर हमें मकान बनाना हो वहां पंद्रह दिन तक गाय व उसके बछड़े को बांध देने से वह स्थान पवित्र हो जाता है।

-बड़े से बड़े अनिष्ट से बचने के लिए गोदान यानि गौ का दान सबसे उत्तम माना जाता है।

-भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए गाय पालना सबसे उत्तम उपाय माना जाता है। हम गाय पाल भी ना सके तो मां लक्ष्मी नारायण को प्रसन्न करने के लिए हमें प्रतिदिन गाय को रोटी अवश्य खिलानी चाहिए।

-शास्त्रों में तो ये भी कहा गया है कि गाय को प्रतिदिन रोटी खिलाने से पितर तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।

-शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि गाय को नियमित रोटी खिलाने से सभी ज्योतिषीय ग्रह दोष दूर हो जाते हैं, गाय की सेवा से सभी सुख प्राप्त होते हैं।

-यदि घर में क्लेश रहता है और व्यापार में लगातार घाटा चल रहा हो तो प्रतिदिन चिड़ियों-पक्षियों को दाना डालना चाहिए। इससे गृह क्लेश और व्यापार में घाटा होना तुरन्त रूक जाता है। यदि व्यापार में घाटा भी ना हो रहा हो तो भी प्रतिदिन चिड़ियों-पक्षियों को दाना-पानी खिलाने से मन प्रसन्न रहता है और जीवन में खुशियां लौटने लगती हैं।

-यदि जीवन में कोई समस्या ना सुलझ रही हो और वह हमें लगातार परेशान कर रही हो तो हमें गिलहरियों को रोटी खिलानी चाहिए, जीवन की हर कठिनाई से मुक्ति मिलने लगती है।

-मूल्यवान सम्पत्ति के खो जाने पर या पुरानी सम्पत्ति हाथ से निकल जाने पर प्रतिदिन मछली को आटे की गोली खिलानी चाहिए, इससे आपके हाथ से निकली पैतृक सम्पत्ति के वापस मिलने की संभावना बढ़ जाती हैं।

-यदि आपके अनेक दुश्मन हैं जो आपको तंग करते रहते हैं और आपको उनका भय सताता रहता है तो कुत्ते को नियमित रोटी खिलाये इससे शत्रु का भय व शत्रुता समाप्त हो जाती है। 

-किसी ग्रन्थ में मैंने यह भी पढ़ा था कि रोज व्यायाम-योग करने से शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है।

-यदि कर्ज से परेशान हैं तो उससे निपटने के लिए चीटियों को शक्कर और आटा डालें, कर्ज से मुक्ति पाने का यह एक बेहतरीन उपाय हैं। एक चीज का और ध्यान रखें कि यदि आपको किसी से पैसे उधार लेने हैं तो कभी भी मंगलवार के दिन ना लें। बुधवार-शनिवार को कर्ज लेना सबसे अच्छा माना जाता है यह कर्जा जल्दी दूर हो जाता है।

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना न भूलें, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।

प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग वास्तुविद्, ज्योतिष, 6396661036

ये स्वप्न का फल कब तक प्राप्त होगा?

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रात क्या सोये जिन्दगी भर की नींद उड़ गयी,
ख्वाब  क्या  देखा चस्का लग गया तावीर का।
साथियों! जब भी हम सपना-ख्वाब (Dream)  देखते हैं तो उसके फलादेश या तावीर  की तीव्र इच्छा होती है, परन्तु यदि सपना (Dream) हमारी नींद उड़ाने वाला हो तो हम और ज्यादा परेशान हो जाते हैं और हम नेट पर स्वप्न का फलादेश ढ़ूंढते हैं, या फिर किसी बुजुर्ग से उस सपने का फलादेश (Dream Inter -Interpretation) जानने का प्रयास करते हैं परन्तु़ यदि बताया गया फलादेश फलित नहीं होता यानि सही नहीं बैठता तो हम निराश हो जाते हैं और सपनों (Dream) पर बिलीव करना बंद कर देते हैं। साथियों यह गलत है, हमारे पौराणिक ग्रंथ बताते हैं कि स्वप्न का फलित होना, इस बात पर निर्भर करता है कि हमने वह स्वप्न (Dream) कितने बजे देखा? साथियों! आज में आपको बताने जा रहा हूं कि कितने बजे देखे गये स्वप्न का फल कब तक प्राप्त होता है।

1-साथियों! सूर्योदय होने से पहले या फिर ब्रहममुहूर्त में देखे गये सपनों का फल (DREAM INTERPRETATION) तुरंत प्राप्त होता है यानि एक-दो दिन में प्राप्त हो जाता है।

2-इसके पश्चात सूर्याेदय होने के बाद देखे गये सपनों का फल हमें 10 दिन में प्राप्त हो जाता है।

3-साथियों! सायंकाल में यदि आपने सपना देखा है तो उसका फल 15 दिन में प्राप्त होता है।

4-रात्रि के प्रथम प्रहर यानि शाम के 6 बजे से रात्रि के 9 बजे के बीच देखे गये सपने का परिणाम एक वर्ष में बाद प्रगट होता है यानि प्राप्त होता है।

5-रात्रि के दूसरे प्रहर यानि रात के 9 बजे से लेकर रात के 12 बजे के बीच देखे गये सपनें 6 मास में परिणाम देते हैं

6-रात्रि के तीसरे प्रहर यानि रात के 12 बजे से लेकर रात के 3 बजे के बीच देखे गये सपनें 3 माह में अपना परिणाम देते हैं।

7-रात्रि के अंतिम प्रहर यानि रात के 3 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे के बीच गये सपनों का फल 1 महीने में प्राप्त होता है।

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प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग वास्तुविद्, एस्ट्रोलॉजर 6396661036

Wall Clock Vastu Tips : वास्तु के अनुसार घड़ी लगाने की सही दिशा जान लें!

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समय (Time) की महत्ता 
का वर्णन करते हुए महर्षि चाणक्य ने ‘चाणक्य नीति’ के चतुर्थ अध्याय में एक श्लोक लिखा है-
कः कालः कानि मित्राणि को देशः कौ व्ययागमौ।
कस्माहं का च मे शक्तिरिति चिंत्यं मुहुर्मुहुः।। 18।।

अर्थात काल (समय) क्या है, कौन मित्र है, देश कौन है, व्यय कितना है, आय कितनी है, और मुझमें कितनी शक्ति है, मनुष्य को इन सब बातों का विचार करते रहना चाहिए।

‘काल क्या है? ‘काल’ समय (Time) को कहते हैं, यानि समय का हमें पता रहना चाहिए, पता कैसे चलेगा? जब हमारे पास घड़ी होगी, इसका तात्पर्य है महर्षि चाणक्य ने भी समय या घड़ी के महत्व हो समझा, इससे पता चलता है कि समय का कितना महत्व प्राचीन काल में भी था और आज के समय में टाइम या समय का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए वास्तु में भी समय यानि समय (टाइम) दिखाने वाली घड़ी का अत्यंत महत्व है। 
यदि हमारे घर, आफिस, व्यापार स्थल में वास्तु के अनुसार घड़ी सही स्थान पर लगायी गयी है तो  उसका प्रत्यक्ष प्रभाव हमारी जीवन में दृष्टिगोचर होता है। आज के आलेख में हम घड़ी के बारे में कुछ वास्तु सुझाव दे रहे हैं-

1-बन्द पड़ी घड़ी कभी भी नहीं लगानी चाहिए, यह हमारे समय, प्रगति और भाग्य के रूक जाने का संकेत करती है। अतः बन्द पड़ी घड़ी में तुरंत सेल डालने चाहिए, खराब है तो उसे रिपेयर करानी चाहिए। कुछ खराब पड़ी घड़ियों को हम अपने इमोशनल अटैचमेन्ट की वजय से फैकना नहीं चाहते, परन्तु उन्हें तुरन्त उस स्थान से हटा देना चाहिए।

2-घड़ी लगाने की सही दिशा उत्तर (North) या पूर्व (East) दिशा है, क्योंकि इन दोनों दिशाओं को वृद्धि की दिशा माना गया है, साथ ही ये दिशाएं शुभ दिशाएं भी कहलाती हैं, पूजा इत्यादि में भी इन्हीं दिशाओं की ओर मुंह करके बैठना शुभ माना जाता हैं। अतः हमें अपने आफिस या घर में हमेशा उत्तर या पूर्व दिशाओं में से किसी दिशा में घड़ी लगानी चाहिए।

3-प्रवेश द्वार के ऊपर भी घड़ी नहीं लगानी चाहिए, इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, घर या आफिस में परेशानियां बढ़ने लगती है।

4-दक्षिण दिशा (South) में कभी भी घड़ी नहीं लगानी चाहिए यह प्रेत और पितरों की दिशा होती है, इससे घर में रहने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य खराब होता है, और उनकी उन्नति में बाधा आती है।

5-वास्तु में घड़ी के समय को आगे या पीछे रखना भी वर्जित किया गया है, घड़ी को सही समय पर रखना चाहिए, क्योंकि सही समय हमें वर्तमान में रहना सिखाता है।

6-उत्तर या पूर्व दिशा में सही समय दिखाने वाली, पेेंडुलम वाली घड़ी को उत्तम बताया गया है, यदि उसमें से मधुर संगीत की ध्वनि हो तो वह और भी उत्तम है।

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना न भूलें, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग वास्तुविद् 6396661036