लम्बी बीमारी से बचने के आजमायें हुए टोटके/उपाय


साथियों! टोटके का नाम सुनकर कुछ बुद्धिजीवी नांक-भौं सिकोड़ते हैं, और इन्हें अन्धविश्वास मानते हैं, हो सकता है ये उनकी नजर में हो, परन्तु मेरे विचार उनसे भिन्न हैं। वेद उक्ति है विश्वासो फलदायकः अर्थात विश्वास से ही फल की प्राप्ति होती है। वो हमारे माता-पिता हैं वो ईश्वर हैं केवल विश्वास ही है अन्यथा हमें क्या पता माता-पिता और ईश्वर का?? अतः विश्वासो वाली उक्ति पर ही विश्वास करके यदि आप ये उपाय करेंगे तो सफलता अवश्य मिलती है, अन्यथा कुछ नहीं है। 
 
 

लम्बी बीमारी से बचने के आजमायें हुए टोटके/उपाय

 
नीचे दिये गये उपायों को करने से पहले इस लेख के अंत में दी गयी कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, नहीं ये तो ये टोटके केवल टोटके ही रह जायेंगे इनका कोई प्रभाव नहीं पडे़गा।
 
1-अपने परिवार के सदस्यों की तुलना में कुछ अधिक मीठे पराठें बनाकर माह में एक बार कुत्तों को व कौओं को जरूर डाले, हो सके तो यह उपाय प्रत्येक माह की अमावस्या को करें।
 
2-सीताफल या कहिये पेठा जो अन्दर से खोखला हो वर्ष में चार बार किसी धर्म स्थान पर रखें। ये उपाय ऋतु परिवर्तन के समय करें, ज्यादा लाभ मिलेगा।
 
3-बीमार व्यक्ति के सिरहाने पांच का तांबे वाला सिक्का प्रत्येक रात्रि को रखें, सुबह उसे जमादार को दे दें। 
 
4-जब कभी भी आप श्मशान के पास से गुजरे तो कुछ पैसे श्मशान घाट के अंदर डाल दें, यदि बीमार व्यक्ति डालें तो और भी ज्यादा लाभ मिलता है।
 
5-यदि आप कान से संबंधित बिमारी से जूझ रहे हों तो काले-सफेद तिल, काले और सफेद कपड़े में बांधकर जंगल में किसी सुनसान स्थान पर दबा दें, लाभ मिलेगा।
 
6-यदि आप हाईब्लड प्रेशर की बीमारी से जूझ रहें हैं, (वैसे तो यह एक सामान्य बीमारी बनती जा रही है) तो रात में अपने सिरहाने पानी का गिलास भर कर रखें, और सुबह उस पानी को पौधों या गमलों में डाल दें, बहुत जल्दी लाभ मिलता है, एक बार आजमा कर अवश्य देखें।
 
7-यदि आप को आंखों में पीड़ा हो, वो ठीक ना हो रही हो, शनिवार के दिन 4 सूखे नारियल या फिर खोटे सिक्के बहते पानी या नदी आदि में प्रवाहित कर दें, लाभ मिलेगा।
 
8-शुगर, मूत्र रोग, जोड़ों के दर्द में काले कुत्ते को रोज दूध-रोटी आदि खिलायें लाभ मिलता है। इस उपाय को करने से शत्रु भी आपसे दूर रहने लगते हैं या कहिये डरने लगते हैं।
 
9-यदि किसी का ज्वर न उतर रहा हो पांच दिन लगातार गुड़ और जौ, सायंकाल पांच बजे के समय किसी मंदिर में रखें, इससे फोरन लाभ मिलता है।
 
10-किसी भी अस्पताल में बीमारों की सेवा करें या वहां पर धनादि का दान करना चाहिए।
 

ध्यान रखने योग्य बातें-

 

1-जिस उपाय (नं0 3,6,8) में दिनों के बारे में नहीं बताया है उन्हें कम से कम चालीस दिन लगातार करें। तभी इनका सही लाभ मिलता है।
 
2-उपायों/टोटकों को करते समय डाक्टर की दी गयी दवाईयां या सलाह का पूरी तरह पालन करना भी आवश्यक है, डाक्टर की सलाह व दवाईयों में कोई कोताई नहीं बरतनी चाहिए।
 
3-इन उपायों को करने से पहले या करने के बाद किसी को नहीं बताना चाहिए, यानि अनटोक किया जाना चाहिए। अन्यथा इनका प्रभाव समाप्त हो जाता है।
 
4-पीपल या श्मशान के बताये गये उपायों को करके वहां से जाते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।
 
5.इन उपायों में दो या तीन उपाय करें, इनमें से नित्य किये जाने वाले एक उपाय के साथ-साथ, कभी-कभी किये जाने वाले दो उपाय चुन लें।
 
अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए, नमस्कार! जय हिन्द!
 
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, एस्ट्रोलाॅजर, वास्तुविद्  8791820546 Whatsapp
Image from Pixabay
 

"परिवर्तन की पीड़ा" सहकर ही मिलता है "सफलता का आनन्द"

https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/parivartan-ke-peda-se-safalta-ke-or-chale.html
मैं स्कूल से अपने घर लौट रहा था। मैंने देखा मेरा एक मित्र स्कूटी मैकेनिक से लड़ रहा है, कि तूने मेरी स्कूटी का हैंडल टेढा कर दिया है, मैकेनिक बार-बार कह रहा था कि नहीं भैया! मैंने तुम्हारी स्कूटी के टेढ़े हैंडल का सीधा किया है आप चला कर तो देखो? मेरा मित्र कह रहा था मैंने चला कर देख लिया ये हैंडल पहले ठीक था अब ये टेढ़ा है, इसे पहले जैसा ही करो! मैं खड़़ा हुआ उनकी बात सुन रहा था, मैंने पहले जाकर उसकी स्कूटी का हैंडल चेक किया, जो कि एक दम सीधा था, मैंने अपने मित्र से कहा आओ! स्कूटी पर बैठों, और उसे बैठा कर मैं अपने घर ले आया और उससे बोला बैठों मैं तुम्हें समझाता हूं ये क्या मामला है, मेरा मित्र अब मुझसे नाराज था कि मैंने उसका हैंडल ठीक क्यों नहीं होने दिया। तब मैंने अपने मित्र का समझाते हुए बताया-

मैंने तेरी स्कूटी पहले चलायी है और उस समय उसका हैंडल वास्तव में टेढ़ा था, अब तेरी स्कूटी का हैंडल सीधा है। क्योंकि तूने काफी समय तक टेढ़े हैंडल की स्कूटी चलायी, इस लिए तुम्हे टेढ़े हैंडल की स्कूटी ही सही लगने लगी, और जब तुम्हारे स्कूटी का हैंडल सीधा हो गया तो वो तुम्हे टेढ़ा लग रहा है, जो कि वास्तव में नहीं है, कुछ देर बाद मित्र को मेरी बात समझ आ गयी, और वो कुछ देर मेरे पास बैठकर अपनी स्कूटी लेकर चला गया। 
पाठकजनों! आपको भी मेरी बात समझ आ गयी होगी, यही परिवर्तन है, चाहे वो अच्छे के लिए हो, चाहे बुरे के लिए वो हमेशा हमें मानसिक कष्ट देता है, क्योंकि हमारा मन जिस ढर्रे पर चलने का आदि हो जाये वो उसमें परिवर्तन नहीं चाहता चाहे वो अच्छे के लिए ही क्यों ना हो। दूसरा उदाहरण देखिए-

सरकार ने रेलवे लाइन व खेत आदि खुले स्थानों पर शौच जाने को प्रतिबंधित कर दिया है, रेलवे पुलिस ने कई बार रेलवे लाइन पर शौच करने वालों पर डंडे भी बजायें हैं, सरकार घर में शौचालय बनाने के लिए अनुदान भी दे रही है, परन्तु ये परिवर्तन भी लोगों को पीड़ा दे रहा है। एक गांव के कुछ व्यक्तियों से मैंने बात की तो उनकी बात सुनकर मेरे मुंह से हंसी का जोरदार ठहाका निकला, उन्होंने कहा ‘‘साहब जी मुंह में गुटका भर कर, या फिर बीड़ी का गहरा कस खींचते हुए, जो ट्....... फिरने में मजा आवे है, वो घरों नहीं आता, घरों ते घर वाली मारेगी, यां ये सा.... पुलिस वाले मारे हैं, सरकार ना या अच्छा नहीं कियो।’’ बताइये मित्रों! ये परिवर्तन भी पीड़ा दे रहा है। क्योंकि हमारा मन परिवर्तन का हमेशा नापसंद करता है।

बच्चे जब बाल्यवास्था से किशोरावस्था में प्रवेश करते हैं तो लड़कों के चेहरे पर हल्के बाल आने लगते हैं, आवाज भारी होने लगती है, लड़कियों में भी शारीरिक परिवर्तन आने लगते हैं, चिड़ियाओं की तरह चहकने वाली बच्चियों पर तरह-तरह की हिदायतें व बन्दिशें माताओं द्वारा लगायी जाती हैं, समझदार माता-पिता लड़कों की निगरानी भी बड़ा देते हैं कहीं व गलत संगत में ना पड़ जाये, परन्तु बचपन से किशोरावस्था में प्रवेश करते इन बच्चों को ये सलाह-हिदायतें बहुत नागवार गुजरती हैं, वो इस परिवर्तन को बड़ी मुश्किल से स्वीकार करते हैं। जबकि माता-पिता की ये हिदायतें गलत नहीं होती उनके उम्र-अनुभव की ये सीख होती हैं।

सन्यासी स्तर के साधु भी एक स्थान पर टिक कर नहीं रहते, उनके गुरूओं द्वारा उन्हें एक स्थान ना रूकने व स्थान परिवर्तन करते रहने की हिदायतें दी जाती हैं ताकि उन्हें स्थान विशेष व वहां के व्यक्तियों से उनका लगाव ना हो पाये, जो कि आगे चलकर उनके सन्यास व मोक्ष के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/parivartan-ke-peda-se-safalta-ke-or-chale.html
मैं स्वयं एक एस्ट्रोलाॅजर-वास्तुविद् हूं अतः ज्योतिष का भी एक उदाहरण देने लोभसंवरण नहीं कर पा रहा हूं। प्रबुद्ध पाठकों!! ज्योतिष में एक योग होता है ‘ग्रह-राशि परिवर्तन योग’ इसमें एक-दो या ज्यादा ग्रह एक दूसरे की राशि या घर में बैठे हुये होते हैं, इसका परिणाम ये होता है कि जातक के जीवन में परिवर्तन बहुत ज्यादा होते रहते हैं, वह अपने काम-धंधे, रहने के स्थान आदि ना चाहकर भी बदलता रहता है, इसका परिणाम ये होता है कि उसे एक जगह से-एक काम से मोह नहीं रहता, और अंत में ये परिवर्तन ही उसे जीवन की मोह-माया से दूर ले जाते हैं।

इसी प्रकार  नदियों का जल हमेशा परिवर्तित होता रहता है क्योंकि हमेशा बहता-चलता रहता है, उसमें ताजगी व स्वच्छता बनी रहती है, और तालाब का पानी गंदला जाता है क्योंकि वो एक स्थान पर रूक जाता है, मौसम भी हर दिन एक सा नहीं रहता, वो भी बदलता रहता है, ऋतुऐं भी परिवर्तित होती रहती हैं। वो भी एक समय में बदल जाती हैं। ये परिवर्तन पेड़-पौधौं में भी दिखायी देता है।

हमारे शरीर में भी नित्य परिवर्तन होते रहते हैं, शरीर के अणुओं-परमाणुओं-कोशिकाओं का मरण व नयी कोशिकाओं का निर्माण सतत चलता रहता है, हम बचपन-किशोरवस्था-जवानी-बुढ़ापे से मरण की ओर हमेशा अग्रसर होते रहते हैं। वहीं नारी युवती से मां बनने का एक पीड़ादायी सफर-परिवर्तन बच्चे के जन्म के समय सहन करती है, तभी वह मां बनने व भावी संतति को जन्म देने वाली जननि बनने की महान पदवीं प्राप्त करती है। क्या वह इस मृत्युतुल्य पीड़ा को सहने से इंकार करती है? यदि नही तो फिर परिवर्तन से पीड़ा क्यों?

वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि निर्जीव चीजें पहाड़, मिट्टी आदि में भी लगातार परिवर्तन हो रहे हेैं । एवरेस्ट पर्वत भी अपने आकार में बढ़ रहा है, वो बात अलग है कि ये परिवर्तन काफी समय बाद दृष्टिगोचर होते हैं।

इस प्रकार हम देखते हैं कि परिवर्तन सजीव ही नहीं निर्जीव वस्तुओं में भी आते हैं। परिवर्तन भगवान महाकाल का एक आवश्यक नियम है। ऐसे ही नियम हमें अपने दैनिक जीवन में दृष्टिगोचर होते हैं, जैसे कभी हम स्वस्थ होते हैं कभी अस्वस्थ, कभी नौकरी में प्रमोशन पाते हेैं कभी हमारा डिमोशन भी हो जाता है, कभी हमारा काम-धंधा ऊंचाईयों को छू रहा होता है कभी हमारा काम-धंधा फेल हो जाता है, कभी राजा तो कभी रंक हो जाते हैं, कभी हमें असीम सुख की प्राप्ति होती है कभी दुःख भी मिलता है, कभी पत्नि-बच्चों से अच्छी बाॅडिंग हो जाती है कभी लड़ाई भी हो जाती है, ऐसे ही अनेक परिवर्तन हमें दैनिक जीवन में देखने को मिलते हैं परन्तु ये स्थायी नहीं होते, बल्कि अस्थायी होते हैं, जैसे अंधेरी और कष्टदायी रात के बाद दिन की आनन्ददायक किरणें निकलना भी अवश्यसंभावी है।  
 
पूज्य माताजी भगवती देवी का कथन है कि ‘‘हमेशा सकारात्मक परिस्थितियों की कल्पना मत करो, क्योंकि ये संसार केवल तुम्हारे लिए ही नहीं बना है।’’ अतः परिवर्तन रूपी विपरीत परिस्थितियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए। जिस प्रकार अच्छी आमदनी के समय, धन जोड़ कर बुरे समय के लिए रखा जाता है। उसी प्रकार अच्छे समय में भी बुरे समय या विपरीत परिस्थितियों के लिए भी अपने आप को मानसिक रूप से तैयार रखना चाहिए, ताकि ऐसी परिस्थितियों का सामना साहस के साथ किया जा सकें। साथ ही जीवन में परिवर्तन को पीड़ा दायक न समझ कर उसे जीवन का आवश्यक नियम व सफलता का राजमार्ग समझा जा सकें और उसका हम खुले दिल से स्वागत करें। इस प्रकार हम कह सकते हैं "परिवर्तन की पीड़ा" सहकर ही "सफलता का आनन्द" मिलता हैं! धन्यवाद।
आलेख पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा में..............! 
 
अंत में एक शेर के साथ अपनी बात समाप्त करता हूँ-
मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा1चाहे,
कि दाना ख़ाक2 में मिल कर गुल-ओ-गुलज़ार3 होता है
१-ऊँचा पद २-मिट्टी ३-फूलों-फलों से
 
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, लेखक, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
(लेख का सर्वाधिकार सुरक्षित है, लेखक की अनुमति के बिना आलेख को प्रकाशित या किसी अन्य चैनल के माध्यम पर उपयोग करना गैर कानूनी है ।)
 
 ये आलेख भी पढ़ें :
"जो वक्त-ए-खतना मैं चीखा तो..." अकबर के हास्य-व्यंग शेर
सूरदास के भ्रमर गीत की विशेषताएं क्या हैं?
"गजेन्द्र मोक्ष" पाठ की रचना क्यों हुई?
‘स्वर-विज्ञान’ से मन-शरीर-भविष्य को जानिए
एक कापालिक से सामना (सत्य कथा)
जब 'मुर्दा' बोला? एक बीड़ी म्हारी भी़......!
भूत?होते हैं! मैने देखें हैं! क्या आप भी.........?
जातस्य हि ध्रुवों मृत्युध्र्रुवं..........।(कहानी)
एक ‘बेटी’ ने ही सारा जहां सर पे………?
वह मेेरी "पत्नि" तो नहीं थी!! (रहस्य-कथा)
"रावण" ने मरने से इनकार कर दिया !
वह उसकी बेटी ही थी! (रहस्य कथा)
एक 'लुटेरी' रात !! (रोमांच-कथा)
एक मंकी मैन से मुकाबला?
आओ!! पढ़ें अफवाहें कैसी-कैसी!!!
वह मेेरी "पत्नि" तो नहीं थी!! (रहस्य-कथा)

वाणी के प्रकार, उनके आश्चर्यजनक प्रभाव!

https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/vani-ke-prakar-aashcharyjanak-prbhav.html
साथियों!! किसी से अपनी बात कहने के लिए तीन प्रकार की वाणी यानि वाॅयस का प्रयोग किया जा सकता है, 
 
1-परा वाणी   
2-अपरा वाणी
3-वैखरी वाणी
 
अब देखते हैं तीन प्रकार की वाणी के कौन से आश्चर्यजनक प्रभाव होते हैं-
 

1-परा वाणी 

परा वाणी का प्रयोग दैनिक जीवन में हम किसी से बातचीत करने में करते ही हैं, इसे बोलने में होंठ, जीभ और मुख का प्रयोग किया जाता है। हमारी यह वाणी संसार को प्रभावित करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, यह जितनी मधुर व सुन्दर होगी, हमारे संसारिक संबंध उतने ही मधुर व सुन्दर होंगे, कर्कश और कठोर वाणी से सभी दूर भागते हैं इससे बचने का प्रयास करते हैं। अतः संसारिक संबंधों में परावाणी का एक विशेष महत्व है।
 

परा वाणी का जप में प्रयोग-

यदि हम इस वाणी से जप करते हैं तो उसे वाचिक जप कहा जाता है, वाचिक जप वह होता है जो उच्चारण करके किया जाता है, जैसे ‘‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।’’ या और कोई भी मंत्र जिसका हम बोल-बोल कर जप करते हैं। ये वाचिक जप है, जो परा वाणी में किया जाता है इसका सीधा प्रभाव हमारे भौतिक शरीर पर पड़ता है, इस जप से हमारा भौतिक शरीर सुन्दर व तेजस्वी बनता है। साथ ही वह निरोगी भी रहता है। 
 
पूज्य गुरूदेव श्रीराम शर्मा आचार्य का कहना है कि-जब नये साधक जप प्रारम्भ करते हैं तो वे परा वाणी से वाचिक जप ही कर पाते हैं, क्योंकि अन्य प्रकार के जप अभ्यास से आते हैं, इसलिए इस जप को निम्न कोटि का जप माना जाता है। फिर भी शब्द-विज्ञान की उपयोगिता को स्वीकार करना ही होगा।
 
सूक्ष्मवेत्ताओं का मानना है कि इस जप से वाकसिद्धि मिलती है और षट् चक्रों में विद्यमान वर्णबीज शक्तियां जाग्रत होने लगती हैं।
भगवान मनु ने इस जप की महिमा का वर्ण करते हुए कहा है कि ‘‘यह विधि-यज्ञ से दस गुना श्रेष्ठ है।
 

2-अपरा वाणी

अपरा वाणी वह होती है, इसको बोलने में वैसे तो होंठ-जिव्या का प्रयोग होता है, परन्तु पास बैठे व्यक्ति को सुनायी नहीं देता कि ये क्या बोल रहे हैं। जैसे अक्सर कुछ व्यक्तियों की विशेष रूप से अंर्तमुखी व्यक्तियों की अपने आप से बात करने की आदत होती है, जबकि दूसरों को लगता है कि वे बड़बड़ा रहे हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि अपरा वाणी में एक फुसफुसाने जैसी आवाज होती है
 

अपरा का जप में प्रयोग-

 
इसका प्रयोग मंत्र जप में अधिकतर साधकों द्वारा किया जाता है। इस वाणी में किये गये जप को उपांशु जप कहते हैं, जब पहली वाली परा वाणी का वाचिक जप सिद्ध हो जाता है तो साधक अपने आप ही अपरा वाणी से उपांशु जप करने लगता है।
 
मनुस्मृति में लिखा है कि उपांशु जप उसे कहते हैं ‘‘कि मन्त्र का उच्चारण होता रहे, होठ हिलते रहें परन्तु पास बैठा व्यक्ति भी उसे न सुन सकें, जापक स्वयं ही उसे सुने।’’
भगवान मनु ने इस जप को विधि-यज्ञ की अपेक्षा सौ गुना श्रेष्ठ बताया है।
 
https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/vani-ke-prakar-aashcharyjanak-prbhav.html
यह जप शक्तिशाली जप होता है यह हमारे सूक्ष्म-शरीर को बलिष्ठ करता है। पूज्य गुरूदेव श्रीराम शर्मा आचार्य का कहना है कि जप के प्रभाव से स्थूल से सूक्ष्म शरीर में प्रवेश होता है और ब्राह्य वृत्तियां अंतमुखी होने लगती हैं, एकाग्रता बढ़ने लगती है, एक अद्भुत मस्ती सी प्रतीत होती है, जो केवल अनुभव की ही वस्तु है।
 
अपरा वाणी से किया गया उपांशु जप नियमित किया जाये तो यह हमारे सूक्ष्म शरीर को प्रभावित करता है। जिससे हमें सूक्ष्म शक्तियों का आभास होने लगता है, दूसरे के मन की बातें उसके कहने से पहले ही हमें पता लगने लगती हैं। दूर बैठे व्यक्तियों को टेलिपैथी के माध्यम से संदेश भेजने या उसका संदेश प्राप्त करने में साधक सक्षम हो जाता है आदि अनेक सूक्ष्म शक्तियां साधक को हस्तगत होने लगती हैं।
 

3-वैखरी वाणी-  

वैखरी वाणी इस वाणी में होंठ-जिव्या का प्रयोग नहीं किया जाता, इसे मन ही मन बोला जाता है, यानि अंतःकरण से बोला जाता है। पास बैठे व्यक्तियों को यह पता ही नहीं चलता कि यह कुछ बोल भी रहा है या नहीं। 
 

अपरा का जप में प्रयोग-

 
वैखरी वाणी में किये गये जप को मानसिक जप कहा जाता है।  पं0 दीनानाथ शास्त्री का कहना है कि ‘‘स्पष्ट बोलने से वाणी स्थूलता में रहती है और उसका प्रभाव भी सीमित स्थल में रहता है। पर मन के द्वारा मन्त्र के उच्चारण से वह वाक् सूक्ष्म हो जाती है, मानस जप का प्रभाव सारे आकाश में व्याप्त हो जाता है, साथ ही अपेक्षित स्थल पर पड़ता ही है।’’
 
इस मंत्र की महत्ता का वर्णन विष्णु पुराण, मनुस्मुति व ज्योतिषीय ग्रंथ वृहद् पाराशर में भी किया गया है।
मनुस्मृति में लिखा है कि ‘‘विधि यज्ञ की अपेक्षा मानसिक जप सहस्र गुना श्रेष्ठ माना गया है।’’
 
वैखरी वाणी से किये गये मानसिक जप से कारण शरीर सबल होता है, शास्त्रों मेें बताया गया है कि इस वाणी से महान ऋषियों में शाप व वरदान देने की क्षमता विकसित हो जाती है। किसी की हाय या बुरी नजर भी इसी वैखरी वाणी से निकली हुई शक्ति या क्षमता का ही परिणाम होती है। कबीर ने कहा भी है-
दुर्बल को ना सताईये जाकि मोटी हाय
बिना जीभ की सांस से लौह भस्म होई जाय।

जिस प्रकार लुहार की धौंकनी जिसमें वह लोहे का गर्म करता है, उसकी बिना जीभ के मुंह से निकली सांस या हवा से कोयले में चिंगारी भड़कती है और लोहा गर्म होकर पिघल जाता है, उसी प्रकार दुर्बल की हाय भी बहुत शक्तिशाली होती है।
 
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
 
‘स्वर-विज्ञान’ से मन-शरीर-भविष्य को जानिए 

एलोवेरा के दस बेहतरीन फायदे Aloe Vera 10 Benefits

https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/aloe-vera-ke-10-fayde.html
 
एलोवेरा का अलोवेरा नाम से भी जाना जाता है। इसको संस्कृत में घृतकुमारी, घीग्वार, ग्वारपाठा भी कहा जाता है। यह एक ऐसा बेचारा पौधा है जो अधिकतर घरों में पाया जाता है, ना कभी पानी मांगता है ना कभी कोई शिकायत करता है, बिना पानी के ही खिला रहता है। वास्तुविद् कांटेदार पौधों को घर में लगाना निषेध करते हैं फिर भी यह हर घर में शान से तना रहता है। वैसे इस पौधे को जन्म उत्तरी अफ्रीका का माना जाता है परन्तु इसे लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। इस पौधे का प्रयोग प्राचीन काल से ही एक औषधीय पौधेे के रूप में किया जा रहा है। हमारे प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। वैसे बाईबल में भी अलो के नाम से एक पौधे का उल्लेख मिलता है, अब पता नहीं यह अलो वेरा ही है या कोई और पौधा है। आज के आलेख में हम इस पौधे के औषधीय प्रयोग के बारे में चर्चा करेंगे ।
 
इस पौधे के मोटे चर्मश पत्तों के किनारे, कंटीले होते हैं तथा यह जड़ से सीधे एक गोलाकार आकृति में निकलते 
हैं । इसके पत्तों का यह चिकना व कंटीला रूप ही इस पौधे में वाष्पीकरण को रोके रखता है, इसलिए नाममात्र के पानी से यह पौधा पनप जाता है। यह पौधा बिना खाद-पोषक तत्वों के पनप जाता है, लेकिन ज्यादा पानी इसके लिए हानिकारक होता है। वैसे एलोवेरा की तासीर ठंडी होती है, यह शरीर को ठण्डक पहुंचाता है, सर्दियों में इसका प्रयोग किसी जानकार वैद्य से सलाह के बाद ही करें ।
 

 एलोवेरा के दस बेहतरीन फायदे Aloe Vera 10 Benefits

1-इसके पत्तों से निकलने वाले लेसदार पदार्थ को त्वचा पर लगाने से त्वचा स्वस्थ रहती है, जल्दी त्वचा पर झुर्रिया नहीं पड़ती, साथ ही यह चेहरे से मुंहासे, कील आदि दूर करने में सहायता करता है ।
 
2-खांसी की शिकायत होने पर इसका रस शहद के साथ मिलाकर पिलाने से खांसी में राहत मिलती है। बच्चों पर यह प्रयोग मैंने अक्सर गांवों में करते हुए देखा है, बड़ों को भी अवश्य आराम मिलेगा ।
 
https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/aloe-vera-ke-10-fayde.html

 

सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस पीने के फायदे   

3-एलोवेरा जूस का सेवन खाली पेट करने से शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है, और संक्रमण व रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता शरीर में पैदा होता है। वैसे एलोवेरा का जूस भरे पेट पीने से भी कब्ज की शिकायत या पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है ।
 
4-बड़ी-बूढ़ी महिलाएं अक्सर बच्चों को कब्ज होने पर एलोवेरा का जूस नाभी पर लगाती हैं। बड़े भी इसका प्रयोग करके देख सकते हैं, लाभ ही होगा कोई नुकसान की संभावना नहीं है ।
 

एलोवेरा पर नासा की खोज

5-नासा की एक खोज से पता चला है कि अलोवरा का पौधा घर के अंदर से फार्मेलडीहाइड नाम का हानिकारक रसायन को दूर करके वातावरण को शुद्ध करता है। इसलिए वैज्ञानिक कहते हैं कि घर के अन्दर एलोवेरा का पौधा रखने से हवा शुद्ध होती है । 
 
6-एलोवेरा का जेल बालों को जड़ों में लगाने से  बालों की जड़े मजबूत होती हैं साथ ही यह बालों में साइनिंग देने में भी सहायता करता है ।
 
7-किसी स्थान पर जख्म हो गया हो तो उसमें एलोवेरा का जेल लगाने से वह जख्म जल्दी भरता है, साथ ही त्वचा के जल जाने पर इसका जेल फायदेमंद होता है, यह जख्म को जल्दी भरता है और त्वचा से निशान भी मिटा देता है ।
 

पुरुषों के लिए एलोवेरा के फायदे

8-पुरूष एलोवेरा के जेल का अपने पेनिस (प्राइवेट पार्ट) पर भी लगा सकते हैं जिससे उनके पेनिस में रक्तप्रवाह बढ़ता है जो यौन क्रिया में आनन्द के समय को बढ़ा सकता है। यदि आप पेनिस पर इसका जेल लगाकर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें व उसके बाद उसे हल्के गर्म पानी से धो लें, तो यह पेनिस के कालेपन को दूर करता है साथ ही इसमें रक्त प्रवाह को बढ़ाकर ऊपर बताया गया लाभ देता है ।
 
9-एलोवेरा कोलेस्ट्राॅल की समस्या में भी लाभकारी होता है, इसका जूस प्रतिदिन पीने से बैड कोलेस्ट्राॅल घटाने में सहायता मिलती है ।
 
10-एलोवेरा का प्रयोग लीवन की सूजन तथा उसमें से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए भी किया जाता है ।
 

एलोवेरा का बुजुर्ग का बताया गया एक प्रयोग

11-किसी बुजुर्ग ने मुझे बताया था कि एलोवेरा जेल से बने लड्डू खाने से शरीर में गजब की ताकत आती है, वे स्वयं उससे बनाये गये लड्डू का प्रयोग करते थे, और वो बुुजुर्ग 70 साल की आयु में भी हृष्टपुष्ट थे। किसी पाठकगण ने इस तरह से एलोवेरा का प्रयोग किया हो तो मुझे अवश्य बतायें। लड्डू खाये हों तो मुझे कमैंटस करके अवश्य बतायें क्योंकि यह प्रयोग मेरा अनुभूत नहीं है और वो बुजुर्ग भी अब यहां नहीं रहते।
 
अस्वीकरण-उपरोक्त सभी प्रयोगों को करने से पहले अपनी आयु, वय, व शारीरिक स्थिति को बता कर किसी अनुभवी वैद्य/डाक्टर से परामर्श अवश्य कर लें ।
 
प्रस्तुति- संजय कुमार गर्ग, sanjay.garg2008@gmail.com Whats-app 8791820546

सुख-समृद्धि के लिए घर में रखें 5 चीजें !

साथियों! हर व्यक्ति जीवन में खुशहाली और तरक्की चाहता है, उसके लिए वह दिन-रात मेहनत भी करता है, परन्तु कभी-कभी रात-दिन मेहनत करने के बाद भी उसके जीवन में सुख-सुविधा व धन-धान्य का अभाव बना ही रहता है, साथियों! शास्त्रों में कुछ ऐसी चीजें बतायी गयी, ये यदि घर में रहती हैं तो उस घर में धन-धान्य व सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती, ऐसा मेरा अपना अनुभव भी है, तो अब देखते हैं ये चीजें कौन-कौन सी हैं-
 

सुख-समृद्धि के लिए घर में रखें 5 चीजें- 

 

 
1-तुलसी का पौधा-जी! साथियों तुलसा जी का पौधा यदि घर में हों तो उस घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, परन्तु ध्यान ये रखना है कि तुलसी का पौधा ईशान दिशा या उत्तर दिशा में होना चाहिए और तुलसी के सामने प्रतिदिन दीपक जलाकर विधि-विधान से पूजन अवश्य करना चाहिए।
 
https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/ghar-mein-sukh-samridhi-ke-liye-kya-karen.html

 
2-क्रिस्टल बाॅल-साथियों! क्रिस्टल बाॅल से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसे घर की उत्तर दिशा में खिड़की या दरवाजे के ऊपर लगाना चाहिए। कहा जाता है इसे लगाने से घर में धन का अभाव नहीं रहता साथ ही ये घर से नेगेटिव एनर्जी को दूर रखता है।
 
https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/ghar-mein-sukh-samridhi-ke-liye-kya-karen.html

 
3-पानी का घड़ा-साथियों! पानी से भरा घड़ा घर के उत्तर दिशा में रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में धन के आगमन का यह एक शक्तिशाली उपाय है। यदि पानी का उपयोग पीने में न किया जाये तो इस पानी को 10-15 दिन में पौधों आदि में डाल कर इस मटके में नया पानी भर देना चाहिए। उत्तर दिशा चन्द्रमा की दिशा, चन्द्रमा जलतत्व के प्रतीक हैं अतः धन को आकर्षित करने के लिए उत्तर दिशा में पानी से भरा घड़ा जरूर रखना चाहिए।
 
https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/ghar-mein-sukh-samridhi-ke-liye-kya-karen.html

 
4-धातु का कछुआ-साथियों! घर में धातु का कछुआ रखना भी सुख-समृद्धि के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। परन्तु इसे भी हमेशा घर की उत्तर दिशा में ही रखना चाहिए। फेंगशुई में कछुआ आयु का प्रतीक माना जाता है।
 
https://jyotesh.blogspot.com/2024/12/ghar-mein-sukh-samridhi-ke-liye-kya-karen.html

5-हाथी का स्टैच्यू-साथियों! घर में हाथी का स्टैच्यू रखना भी अत्यंत शुभ बताया जाता है, इसके स्थान पर हंसों का जोड़ा भी रख सकते हो।
साथियों घर में सुख-समृद्धि व धन-दौलत के लिए इन चीजों को अवश्य रखना चाहिए।  मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए ये भी बहुत सटीक उपाय बताया जाता है।
 
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, एस्ट्रोलाॅजर, वास्तुविद्  8791820546 Whatsapp