Clove Benefits: छोटी लौंग के बड़े फायदे!

Clove Benefits: छोटी लौंग के बड़े फायदे!
Cloves
भारतीय मसालों में
पायी जाने वाली छोटी सी लौंग [Clove] का इस्तेमाल भोजन में स्वाद और खुशबू को बढ़ाने के लिए प्राचीन काल से किया जाता रहा है। अपनी महक से किसी भी डिश में चार-चांद लगाने वाली लौंग अनेक बीमारियों को जड़ से खत्म करने में भी कारगर है क्योंकि इसमें प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम और सोडियम आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। कई बीमारियों में लौंग केे प्रयोग से चमत्कारिक लाभ होते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है-लौंग एक गर्म मसाला है, जो शरीर के ‘वात’ और ‘कफ’ को संतुलित रखने में मदद करता है। इस आलेख में हम लौंग के अनेक लाभों के बारे में बात करेंगे, इसके ऐसे लाभों के बारे में हम आपको बतायेगे जिन्हें कदाचित आपने पहले नहीं सुना होगा आइये अब देखते हैं-

Clove Benefits: छोटी लौंग के बड़े फायदे!


1-यदि आपको गैस की समस्या है तो आप सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में लौंग के तेल की कुछ बूंदे डालकर पी लिया करें, आपकोे गैस की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा।

2-यदि आपको सर्दी लग गयी है और जुकाम हो गया है तो आप लौंग को दांतों के नीचे दबा कर रख लें और उसका रस पीते रहें आपको जल्दी ही आराम मिल जायेगा।

3-यदि आपकी सांसों में दुर्गंध आती है तो आपको लौंग चबाकर खानी चाहिए इससे आपके मुंह की दुर्धंग समाप्त हो जाती है। लौंग चबा कर खाने से जीभ पर थोड़ी जलन सी भी महसूस होती है। 

Clove Benefits: छोटी लौंग के बड़े फायदे!
Clove Flowers
4-यदि आपकी किसी दाढ़ में दर्द हो रहा है तो आप एक लौंग उसी दाढ़ के नीचे दबा लें, जिस दाढ़ में आपको दर्द हो रहा है, आपको कुछ समय बाद ही दाढ़ के दर्द में आराम मिल जायेगा। लौंग को दांतों में दबाने के स्थान पर आप दर्द करने वाली दाढ़ में लौंग का तेल भी लगा सकते हैं।

5-यदि आपके चेहरे पर दाग-धब्बे हो गये हों या फिर आंखों के नीचे गहरे घेरे हो गये हों तो लौंग को पीसकर बेसन के साथ चेहरे में लगाने से काफी फायदा होता है।

6-यदि चेहरे पर मुंहासे हो गये हों तो मुंहासे पर एक लौंग को सिल या बट्टे पर घीसकर उसका लेप करने से मुंहासे ठीक हो जाते हैं, लेप को दिन में चार-पांच बार लगाना चाहिए। परन्तु ध्यान रखे मुंहासे में लौंग का लेप कुछ जलन जैसा हल्का दर्द भी करता है। परन्तु मुहांसे को एक-दो दिन में ठीक कर देता है।

7-लौंग का सेवन करने से गैस, ऐसिडिटी आदि समस्याओं से भी आराम मिलता है, साथ ही  लौंग का सेवन पेट के दर्द में भी आराम दिलाता है।

8-आपको कदाचित जानकारी नहीं होगी, कि लौंग का सेवन हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाता है, लौंग के तेल या लौंग को जलाकर उसका धुंआ लेने से या फिर साबुत लौंग को ही मुंह में रखकर चबाने से मानसिक तनाव और अवसाद दूर होता है। लौंग हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाकर उसे मजबूती प्रदान करता है जिससे तनाव हमारे मन पर हावी नहीं हो पाता। यदि आप मानसिक तनाव होने पर सिगरेट, गुटका या किसी अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं तो एक बार लौंग का प्रयोग नशीली चीजों के विकल्प के रूप में प्रयोग करके अवश्य देखिए।

9-लौंग में एंटी आक्सीडेंटस व एंटीबैक्टीरियल का गुण भी पाया जाता है, जिससे हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है। अतः लौंग का किसी भी रूप में सेवन करने से हम बीमारियों से बचे रहते हैं।

Clove Benefits: छोटी लौंग के बड़े फायदे!
Clove Plants
10-सर्दियों में लौंग का सेवन करने से हमारा शरीर गर्म रहता है, इसका सेवन करने से रक्त संचार में सुधार होने लगता है। इसी कारण लौंग हमारे शरीर की सर्दी जनित रोगों से रक्षा करती है। 

11-लौंग का तेल हमारी त्वचा के लिए लाभदायक होता है। यह त्वचा की कीटाणुओं और बैक्टीरिया से रक्षा करता है। लौंग के तेल में झुर्रियां दूर करने के एंटी एजिंग गुुण होते हैं, जिससे हमारी त्वचा पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है।

12-कदाचित आप नहीं जानते होंगे कि, आकृति विज्ञान का मानना है कि लौंग का आकार मनुष्य के "शुक्राणु" जैसा होता है, अतः लौंग का शुक्राणुओं को बनाने, उन्हें सबल बनाने और उन्हें स्वस्थ बनाने में विशेष महत्व होता है। यदि आप इस प्रकार की समस्या से ग्रसित हैं तो लौंग को पानी में उबालकर उसके पानी का सेवन करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए किसी वैद्य या प्राकृतिक चिकित्सक की सलाह ले लेनी चाहिए।

लौंग का उपयोग कैसे करें?


तेल के रूप में-

लौंग का तेल किसी भी पंसारी की दुकान पर मिल जायेगा, इसका उपयोग दांत-दाढ़ के दर्द के लिए तथा उसे पानी में मिलाकर शरीर में गर्माहट लाने के लिए तथा सर्दी जनित रोगों के लिए किया जा सकता है।

काढ़े के रूप में-

लौंग को पानी में उबालकर उसका काढ़ा बनाया जा सकता है, जो सर्दी, खांसी, जुकाम-नजला और गले की खराब आदि को ठीक करता है।

लौंग का पाउडर के रूप में-

लौंग का पाउडर आपको आयुर्वेदिक औषधि की दुकान पर मिल जायेगा, इसका उपयोग आप अपनी पेट की समस्याओं के लिए कर सकते हैं, इसका सेवन दूध, पानी या शहद में वैद्य के परामर्श पर किया जा सकता है।

लौंग को चाय में डालकर-

चाय बनाते समय, उसमें लौंग डाल कर चाय का सेवन करने से, पेट की समस्याओं के साथ-साथ सर्दी, खांसी, नजला-जुकाम में आराम मिलता है।

इस प्रकार हमने देखा एक लौंग से दांतो की समस्या दूर करने में सहायता मिलती है, स्किन के लिए लाभकारी हेै, साथ ही सर्दी से उत्पन्न होने वाले रोगों आदि में ये अत्यंत गुणकारी है। साथ ही हमने आकृति विज्ञान के अनुसार बताया कि शुक्राणुओं में वृद्धि करने व उन्हें मजबूत बनाने में भी लौंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, अतः लौंग का हमें उपरोक्त समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नियमित सेवन करना चाहिए। इसलिए हम कह सकते हैं कि छोटी लौंग के बड़े फायदे हैं।

प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, योगाचार्य, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर  
sanjay.garg2008@gmail.com Whats-app 8791820546  (All rights reserved.)
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जोश मलीहाबादी के कुछ प्रसिद्ध शेर!

जोश मलीहाबादी के कुछ प्रसिद्ध शेर!

क्या शेख की खुश्क  जिन्दगानी गुजरी
बेचारे  की  एक  शब  न  सुहानी गुजरी
दोजख  के  तखय्युल  में  बुढ़ापा बीता 
जन्नत  की  दुआओं में जवानी गुजरी।
नरक,  कल्पना

*****00*****

मेरी  हालत  देखिये  और  उनकी सूरत देखिये
फिर निगाए-ए-गौर से कानून-ए-कुदरत देखिए
 आप  इक  जलवा  सरासर, मैं  सरापा इक नजर
अपनी  हालत  देखिए  और मेरी जरूरत देखिए
मुस्कुराकर  इस  तरह  आया  न कीजे  सामने
किस  कदर  कमजोर  हूं  मैं  मेरी  सूरत देखिए
थी खता  उन   की  मगर जब आ गए वो सामने
झुक गयी मेरी ही आंखें रस्म-ए-उल्फत देखिए।
सम्पूर्ण  शरीर,   प्यार की रस्म

*****00*****

जन्नत   के  मजों  पे जान देने वालों
गन्दे   पानी   में   नाव   खेने   वालो
हर   खैर  पे  चाहते   हो  सत्तर  हूरें 
ऐ  अपने  खुदा   से  सूद  लेने  वालों।
 नेकी

*****00*****

अल्फाज हैं नागन सी जवानी के डसे
अनफास  महकते  हुए होंठों  में बसे
यूं  दिल  को  जगा रहा है तेरा लहजा
जिस तरह सितार के कोई तार कसे।
सांस

*****00*****

जो चीज  इकहरी थी वो दोहरी निकली
सुलझी हुई जो बात थी उलझी निकली
सीपी  तोड़ी  तो  उससे  मोती  निकला
मोती  तोड़ा  तो  उसमें  सीपी  निकली

*****00*****

कल  मोतियों  को  रोल  दिया  साकी  ने
सोने   में   मुझे   तोल   दिया   साकी  ने
ये सुनके  कि खुलता नहीं मकसूदे-हयात
मैखाने  का  दर  खोल  दिया  साकी   ने।
जीवन का उद्देश्य

*****00*****

दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब  चली  सर्द  हवा  मैं ने तुझे याद किया
इसका  रोना  नहीं  क्यों  हमें  बर्बाद किया
गम  तो  ये  है  बहुत  देर  से बर्बाद किया।


*****00*****

इस  कदर  डूबा हुआ दिल दर्द की लज्जत में है
तेरा आशिक अंजुमन ही क्यूं न हो खल्वत में है
जज्ब  कर  लेना  तजल्ली  रूह  की आदत में है
हुस्न को महफूज रखना इश्क की फितरत में है
महव  हो  जाता हूं अक्सर मैं कि दुश्मन हूं तेरा
दिलकशी किस दर्जा ऐ दुनिया तेरी सूरत में है।
तन्हाई, रोशनी, खो जाना

*****00*****
  
गर्दन     में    हैं    बाहें,    गर्दिश    में     हैं    पैमाने
क्या  दीन   है,  क्या  दुनिया,  शायर  की बला जाने
हम इश्क से क्या वाकिफ, वाकिफ हैं तो सिर्फ इतना
आगाज    हलाकत    है,    अंजाम     खुदा      जाने
ऐ   ‘जोश’   उलझता   है  क्यों शैख-ए-सुबुक-सर से
वो  इश्क  को   क्या  समझे, वो हुस्न को क्या जाने।
मौत, धर्मगुरू

संकलन-अनुवादक : संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com
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Feng Shui: "फेंगशुई" के ये "सूत्र" आपको जानने चाहिए!

Feng Shui: "फेंगशुई" के ये "सूत्र" आपको जानने चाहिए!
फेंगशुई एक प्राचीन चीनी वास्तुशास्त्र है, जिसका तात्पर्य होता है, हवा और पानी। यह पद्धति इन दोनों तत्वों में संतुलन स्थापित करने पर जोर देती है, परन्तु भारतीय पांच तत्वों को भी स्वीकार करती है, जिनमें लकड़ी, पानी, अग्नि, धातु और पृथ्वी सम्मिलित होते हैं।

किसी घर या फ्लैट का फेंगशुई कैसे जांचे-

किसी नये घर या फ्लैट की फेंगशुई जानने का सबसे अच्छा तरीका है, किसी नवजात शिशु को अपने नये घर में ले जायें, अगर वो शिशु वहां घुसते ही रोता है, तो इसका तात्पर्य है कि उस घर की फेंगशुई अच्छी नहीं है, अगर वो शिशु घर में घुसते ही हंसता है या मुस्कुराता है तो उसे घर की फेंगशुई अच्छी है शुभ है, ऐसा माना जाना चाहिए।
आज हम फेंगशुई के और स्वर्णिम सूत्रों के बारे में चर्चा करते हैं।

Feng Shui: "फेंगशुई" के ये "सूत्र" आपको जानने चाहिए!


1-घर में आये मेहमानों को चाय देते समय कभी भी केतली या जग का मुंह मेहमानों की ओर नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये एक बाण या बन्दूक की तरह से नेगेटिव एनर्जी छोड़ते हैं। इससे मेहमानों और आपके बीच गलतफहमियां उत्पन्न हो सकती हैं।

साथ ही यह भी ध्यान रखें कि कभी भी किसी की तरफ पहली ऊंगली यानि तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) से इशारा न करें, क्योंकि ये आपकी ही तरफ नकारात्मक ऊर्जा छोड़ती है।

2-यदि आपके प्लाॅट का आकर गोल, त्रिभुजाकार या तिरछा आदि है तो आपको अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, अतः केवल चैकोर या आयताकार प्लाॅट लेना ही शुभ होता है। यदि आपने ऐसा प्लाॅट खरीद लिया है और आपको बनाना आपकी मजबूरी बन गया है तो उसे किसी वास्तुविद् से सलाह लेकर ही उसे बनवाना चाहिए।

Feng Shui: "फेंगशुई" के ये "सूत्र" आपको जानने चाहिए!
3-डाइनिंग हाॅल में खाने की टेबिल वृत्ताकार, अण्डाकार, या अष्टकोणीय भोजन की टेबिल ही शुभ मानी जाती है। यदि वह वर्गाकार या आयताकार हो तो उसके कोने गोल या घुमावदार ही होने चाहिए।

4-घर या व्यावसायिक भवनों में पशुओं के सुन्दर चित्र लगाने चाहिए, इन्हें लगाना अच्छा माना जाता है। हाथी को चातुर्य का, घोड़े को शक्ति का, कछुए को दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।

5-घर के पिछले हिस्से में बड़ी चट्टान या ऊंची बिल्डिंग शुभ मानी जाती है। घर के सामने बड़ी चट्टान या ऊंची बिल्डिंग शुभ नहीं मानी जाती, यदि आपके घर के सामने कोई बड़ी चट्टान या ऊंची बिल्डिंग है या फिर किसी दूसरे भवन की सीढ़ियां हैं, तो इनका होना अच्छा नहीं माना जाता है। यदि ऐसा कोई दोष है तो पौधे, फव्वारे, शीशे, विण्ड चाइम आदि लगाकर उसका निवारण करना हितकर होता है।

6-यदि आपने बीम के नीचे गैस आदि का चूल्हा लगा रखा है तो इसे बीम के नीचे से तुरंत हटा दें, ये आपकी धन-सम्पत्ति की हानि करायेगा।

7-इसी प्रकार यदि आपने बीम के नीचे अपना पलंग या डबल बैड डाला हुआ है तो उसे भी वहां से तुरंत हटा दें, पहले तो ये आपकी नींद को प्रभावित करेगा, यदि आप थक कर सो भी जाते हैं तो यह आपके स्वास्थ्य को खराब करेगा। 
Feng Shui: "फेंगशुई" के ये "सूत्र" आपको जानने चाहिए!
यदि बीम के नीचे बैठने के अलावा कोई विकल्प ना हो तो, बीम को सिलिंग टाइल्स से ढक दें या फिर बीम के दोनों ओर हरे रंग की गणपति जी की तस्वीर लगा देनी चाहिए।

बांस के तने या बांसुरी छत पर बीम को छुपाने के लिए बहुत उपयोगी वस्तु है। बांसुरी शान्ति और समृद्धि का प्रतीक है। इससे आपके अच्छे मित्र बनते हैं और अवांछित व्यक्ति आपके घर से दूर रहते हैं।

8-यदि आप खूब धन कमाते हैं परन्तु आपके पास धन नहीं रूकता तो आप तीन पैरों वाला मेंढक अपने घर में छुपाकर रखना चाहिए, इस मेंढक को इस प्रकार रखना है कि इसकी पीठ मुख्य द्वार की ओर हो और मुंह घर के अंदर की ओर। परन्तु ध्यान रहे इसको छुपा कर ही रखना चाहिए।

9-यदि आप एक्पोर्ट का व्यवसाय करते हैं और आप अपने निर्यात के व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं तो आप अपने आफिस के उत्तर-पश्चिम दिशा में एक ग्लोब रखिए और उसे दिन में कम से कम पांच बार घड़ी की दिशा में घुमायें। आपके निर्यात का व्यवसाय चमकने लगेगा, परन्तु व्यवसाय बढ़ाने के प्रयास बंद न करें।

10-यदि आप नित्य दवाईयां लेते हैं और उन्हें किचिन में रखे रखते हैं तो सावधान हो जाइये, आप कभी भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पायेंगे, यदि आप स्वस्थ होना चाहते हैं तो अपनी दवाईयों को तुरन्त किचिन से हटाकर अपने ड्रांइग रूम में किसी अलमारी में रखने की आदत डालें।

11-यदि आपको अपने घर में स्विमिंग पूल बनवाना है, तो उसे अपने घर के पिछले भाग में बनवाना चाहिए।

12-घर के सामने बड़ा नाला नहीं होना चाहिए, यदि आपके घर के सामने नाला हो तो उसे ढकवा देना चाहिए।

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13-घर के सामने मंदिर, चर्च या मस्जिद होना अच्छा नहीं माना जाता। अगर ऐसा है तो उसके प्रभाव को दूर करने के लिए घर के आगे वृक्षों की कतार के रूप में बाढ़ लगवानी चाहिए, इससे उनका प्रभाव कम हो जाता है।

14-आपका परिवार संयुक्त हो या एकल परिवार हो, उसके मुख्य द्वार का निर्माण परिवार के मुखिया के तत्वों के आधार पर करना चाहिए।

15-घर के अगले द्वार के समीप कभी शौचालय का निर्माण नहीं करना चाहिए तथा घर के मध्य भाग में भी कभी शौचालय नहीं बनवाना चाहिए।

16-लम्बे गलियारे के अन्त में भी शौचालय नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा हो तो उसके द्वार की दिशा बदले या फिर उसके द्वार पर एक बड़ा सा दर्पण लगा देे जो नकारात्मक ची (ऊर्जा) को वापस भेज देगा।

17-रंगों से ‘ची’ मिलती है अतः अपनी बैठक या मिटिंग हाॅल में लाल, नीला, व बैंगनी रंगों से पेन्ट कराये, आपकी मिटिंग अच्छी रहेगी। 

18-‘ची’ को पड़ोसी भी प्रभावित करते हैं। यदि पड़ोसी समृद्धिशाली, व प्रतिष्ठित हैं तो यह आपके लिए अच्छी ‘ची’ उत्पन्न करते हैं। यदि पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति दिवालिया, बीमार, व्यसनी या अन्य प्रकार की समस्याओं से घिरे हुए हैं तो यह आपके लिए बुरी ‘ची’ उत्पन्न करती है, ऐसे लोगों के पड़ोस में मकान खरीदने से बचना चाहिए।

19-यदि आपके घर का मुख्य द्वार छोटा या संकुचित है तो वहां बड़ा सा दर्पण लगाकर उसे बड़ेपन का अहसास दिलायें। विण्ड चाइम, आकर्षक पेड़-पौधे आदि लगाकर धन में ‘ची’ का प्रवेश बढ़ा सकते हैं
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20-मुख्य द्वार के दोनों ओर आने वाले रास्ते में दोनों ओर क्यारी में फूल वाले पौधे लगाने से अच्छी ‘ची’ का घर में प्रवेश होता है।

21-घर में सकारात्मक ‘ची’ का प्रवेश दिलाने के लिए घर के दर्पण साफ रखें, अनावश्यक वस्तुओं का संग्रह न करें तथा फ्यूज बल्ब व बंद घड़ी तुरन्त ठीक करायें।

22-भवन के मुख्य प्रवेश द्वार के अतिरिक्त अन्य द्वारों की संख्या सम संख्या होनी चाहिए, विषम में नहीं होनी चाहिए।

23-यदि आपके घर या आफिस में कोई टूटा-फूटा या चटकी हुई टाइल है तो ये आपके परिवार या पार्टनर से आपके टूटते हुए संबंधों को दर्शाता है। अच्छा तो ये आप उस टाइल को बदल दें, नहीं तो उसके ऊपर कोई पेन्टिंग आदि लगा दें, जिससे टूटा टाइल छुप सके।

पाठकों को इस संबंध में कोई और जिज्ञासा हो तो वास्तु के मेरे और आलेख पढ़े, मुझे कमैंटस करें या फिर मुझे मेल कर सकते हैं।

प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
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Shattila Ekadashi 2025: षट्तिला एकादशी को "षट्तिला" क्यों कहते हैं?

Shat-Tila Ekadashi 2025: षट्तिला एकादशी को "षट्तिला" क्यों कहते हैं?
धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि हे! दीनदयाल, जगत्पते! आपने मुझे पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी की सुन्दर कथा सुनाई। अब आप कृपा करके माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के बारे में भी बताइये, इस एकादशी का क्या नाम है? इसकी कथा भी हमें सुनाइये। इस व्रत को करने से क्या फल प्राप्त होता है, कृपा करके हमें बताइये।

भगवान श्री कृष्ण बोले! माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को षट्तिला एकादशी कहते हैं। इस दिन तिल से बने पदार्थों का दान करने से पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। अब मैं तुम्हे इस पुण्यदायी एकादशी का कथा विस्तार से सुनाता हूं, इस कथा को मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने दाल्भ्य को सुनाया था, ध्यान से सुनिए-

दाल्भ्य ने कहा हे मुनिश्रेष्ठ! मृत्यु लोक में रहने वाले प्राणि प्रायः अपने पापकर्मों में रत रहते हैं, जिस कारण उन्हें नरक में जाना पड़ता है, इन प्राणियों को नरक में ना जाना पड़े, ऐसा कोई उपाय बताइये?
ऋषि श्रेष्ठ पुलस्त्यजी ने कहा-हे दाल्भ्य! तुमने मृत्यु लोक के प्राणियों के हितकर बहुत सुन्दर बात पूछी है, मैं तुम्हे बताता हूं। 

माघ मास आने पर मनुष्य को प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध हो जाना चाहिए, साथ ही काम, क्रोध, लोभ, अहंकार आदि का त्याग कर भगवान श्री हरि का स्मरण करना चाहिए। मनुष्य भगवन स्मरण करते हुए गाय के गोबर को जमीन से इकट्ठा करें, गोबर में तिल व कपास मिलाकर उसके 108 कंडे बनाये, उसके बाद माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करने का संकल्प लें। एकादशी के दिन भगवान श्री हरि की विधि विधान से पूजा करें। भगवान श्री हरि को पीले फूल, पीले रंग की मिठाई अर्पित करें।

Shattila Ekadashi 2025: षट्तिला एकादशी को "षट्तिला" क्यों कहते हैं?


इस एकादशी में तिलों का प्रयोग छः प्रकार से किया जाता है, इसी कारण इस एकादशी को षट्तिला एकादशी कहते हैं। तिलों का छः प्रकार से प्रयोग निम्न प्रकार करना चाहिए। 

1-तिल स्नान-

पानी में तिल को मिलाकर स्नान करना, तिल स्नान कहलाता है, अतः इस एकादशी का व्रत रखने वालों को तिल को पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए।

2-तिल का उबटन-

इस एकादशी का व्रत रखने वालों को इस दिन तिलों को पीसकर उन का उबटन यानि लेप बनाना चाहिए, तत्पश्चात उसे शरीर पर लगाकर स्नान कर लेना चाहिए।

3-तिल का हवन-

इस एकादशी का व्रत रखने वालों को सामग्री में तिल मिलाकर उनकी समिधा बनानी चाहिए और उस समिधा से हवन करना चाहिए। ये तिल का तीसरा प्रयोग है।

4-तिल का तर्पण-

सूर्य भगवान को जल देते समय, जल में तिल मिलाकर उन्हें अघ्र्य देना चाहिए, यह तिल का तर्पण कहलाता है। यह तिल का चौथा  प्रयोग है।

5-तिल का भोजन-

इस दिन व्रत रखने वालों व घर के अन्य सदस्यों द्वारा तिल से बने पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे रेवड़ी, गजक, तिल के लड्डू, चावल आदि।

6-तिल का दान-

इस दिन तिल का दान भी किया जाता है, तिल का दान करने से मनुष्य पापकर्म से मुक्त हो जाता है, और उसे सुख, धन, धान्य तथा वैभव की प्राप्ति होती है।
इस प्रकार से तिल के ये छः प्रयोग सभी व्रत रखने वालों को करने चाहिए।

षट्तिला एकादशी का महत्व-

षट्तिला एकादशी का व्रत करने का शास्त्रों में अत्यंत महत्व बताया गया है, इस दिन भगवान श्री नारायण के साथ-साथ मां लक्ष्मी का भी पूजन करना चाहिए। भगवान श्री नारायण को व मां लक्ष्मी को तिल या तिल से बनी वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए, षट्तिला एकादशी होने के कारण आज तिल का अत्यंत महत्व होता है, इस एकादशी में तिल का दान या फिर तिल से बनी वस्तुओं का दान करना भी अत्यंत पुण्यदायी होता है, ऐसा करने से मनुष्य को हर प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है, और उसे धन-धान्य, वैभव की प्राप्ति होती है।

षट्तिला एकादशी की व्रत कथा-

प्राचीन काल की बात है, पृथ्वी पर एक वृद्ध ब्राह्मणी रहती थी,  वह अपने जीवन में अनेक प्रकार के व्रत तथा पूजा आदि किया करती थी। एक बार उसने एक मास तक व्रत किया, उसका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया था। परन्तु वह कभी भी देवताओं या ब्राह्मणों को दान नहीं दिया करती थी। भगवान श्री हरि से सोचा कि ब्राह्मणी ने व्रत करके आपने शरीर को तो शुद्ध कर लिया है, अतः अब इसे विष्णु लोक मिल ही जायेगा। परन्तु कभी किसी वस्तु या धनादि का दान न करने के कारण इसकी तृप्ति होना कठिन है। भगवान ने ऐसा सोचकर एक भिखारी का वेष धारण कर उस ब्राह्मणी के पास पृथ्वी पर पहुंचे और ब्राह्मणी के घर जाकर उन्होंने भिक्षा मांगी।

ब्राह्मणी ने ब्राह्मण का रूप धरे श्री हरि को नहीं पहचाना और उनसेे पूछा-महाराज आप यहां किस लिए आये हैं।

ब्राह्मण ने कहा-मुझे भिक्षा चाहिए?

इस बात को सुनकर ब्राह्मणी ने एक मिट्टी का ढेला उठाकर उनके भिक्षापात्र में डाल दिया। उसे लेकर श्री हरि स्वर्ग आ गये।

कुछ दिनों पश्चात ब्राह्मणी की मृत्यु हो गयी, और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। परन्तु ब्राह्मणी द्वारा मिट्ठी का ढेला दान देने के कारण स्वर्ग में उसे सुन्दर महल तो मिल गया, परन्तु  महल में अन्नादि की कोई सामग्री नहीं थी।

यह सब देखकर ब्राह्मणी घबरा गयी और भगवान श्री हरि के पास पहुंची और कहने लगी हे भगवन्! मैंने व्रतादि रखकर आपकी पूजा उपासना की, परन्तु फिर भी मेरा घर अन्नादि से खाली क्यों है?

तब भगवान नारायण ने उसे दान का महत्व बताया साथ ही षट्तिला एकादशी का व्रत करने और तिल दान करने के लिए कहा। ब्राह्मणी ने इस व्रत का पालन किया और तिलादि का दान किया, उसके पश्चात उसका महल भी सभी आवश्यक वस्तुओं से भर गया।

इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि शट्तिला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है, दरिद्रता समाप्त होती है, और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बोलो श्री हरि नारायण की जय! हरि नमः हरि नमः हरि नमः।

भक्ति बीज उलटे नहीं, जो जुग जाय अनन्त
ऊंच नीच घर अवतरै,  होय  सन्त  का  सन्त।
कबीरदास जी कहते हैं कि, की गयी भक्ति के बीज कभी भी निष्फल नहीं होते, चाहे अनन्त  युग ही क्यों न बीत जाये। भक्ति करने वाला मनुष्य सन्त का सन्त ही रहता है, चाहे वो ऊंचे-नीचे माने जाने वाले किसी भी कुल में ही क्यों न जन्म ले ले।

तो  साथियों आपको ये कथा कैसी लगी, कमैंटस करके बताना न भूले, यदि कोई जिज्ञासा हो तो कमैंटस कर सकते हैं, और यदि आप नित्य नये आलेख प्राप्त करना चाहते हैं तो मुझे मेल करें। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।

प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, एस्ट्रोलाॅजर, वास्तुविद् 8791820546 (Whats-app)
sanjay.garg2008@gmail.com

संतुष्टि सबसे अनमोल है! (कहानी)

संतुष्टि सबसे अनमोल है! (कहानी)

एक ब्राह्मण और भाट में गहरी मित्रता थी। वे प्रतिदिन शाम को मिलते और अपने दुःख-सुख की बातें एक दूसरे से करते थे। एक दिन उन दोनों ने अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान होकर कोई जल्दी पैसा कमाने के जुगाड़ के बारे में सोचने लगे।

भाट ने कहा-‘हम राजा गोपाल के दरबार में चलते हैं, अगर वे हमसे खुश हो गये तो हमारी आर्थिक दशा सुधर जायेगी।’

ब्राह्मण ने कहा-‘देगा तो कपाल, क्या करेगा गोपाल।’

भाट ने कहा-तुम गलत कह रहे हो, देगा तो गोपाल, क्या करेगा कपाल।

इस बात को लेकर ही दोनों में तीखी बहस हो गयी, वे दोनों लड़ते-लड़ते राजा गोपाल के ही दरबार में पहुंचे, और दोनों राजा को नमस्कार कर के, राजा से अपनी बात कह दी।

भाट की बात सुनकर तो राजा बहुत खुश हो गया, परन्तु ब्राह्मण की बात सुनकर ब्राह्मण से नाराज हो गया था। राजा ने उन दोनों से कल दरबार में आने के लिए कहा।

दूसरे दिन राजा ने ब्राह्मण को चावल, दाल और कुछ पैसे दिये तथा भाट को चावल, घी और कद्दू दिया और उस कद्दू के भीतर सोने के सिक्के भर दिया।

अब राजा ने दोनों से कहा-अब तुम दोनों जाकर खाना बनाकर खा लो, शाम को दरबार में फिर आना।
भाट और ब्राह्मण दोनों वहां से चले गये, और एक नदी के किनारे पहुंचकर दोनों खाना बनाने लगे। 

भाट ने ब्राह्मण की ओर देखा और सोचा राजा ने इसे दाल दी है और मुझे कद्दू पकड़ा दिया, इसे पहले छिलो, फिर काटो और फिर जाकर बनाओ और इसे खाने के बाद मेरी कमर में दर्द हो जायेगा सो अलग। इस ब्राह्मण के बड़े मजे हैं, दाल तो झट से बन जायेगी। इस बात को सोचते सोचते भाट ने ब्राह्मण से कहा-हे दोस्त! कद्दू तुम ले लो और मुझे दाल दे दो?

क्योंकि कद्दू खाने से मेरी कमर में दर्द हो जाता है। ब्राह्मण था सीधा-साधा संतुष्ट आदमी सो उसने उसे दाल दे दी और कद्दू उसे से ले लिया।

ब्राह्मण ने कद्दू छीलकर जैसे ही काटा तो उसमें से ढेर सारे सोने के सिक्के गिरने लगे, यह देखकर वह खुश हो गया, और उसने वे सोने के सिक्के एक कपड़े में बांध लिये और कद्दू की तरकारी बनाकर रख ली, लेकिन आधा कद्दू राजा को देने के लिए रख लिया।

शाम को दोनों जब राजा के दरबार में पहुंचे, तो राजा ने भाट की ओर देखा, लेकिन उसके चेहरे पर कुछ प्रसन्नता नहीं थी। यह देखकर राजा को बहुत आश्चर्य हुआ, इससे पहले राजा भाट से कुछ पूछता, उससे पहले ब्राह्मण ने आधा कद्दू राजा के सामने रख दिया।

राजा ने भाट की ओर देखा और भाट से पूछा? कद्दू तो मैंने तुम्हे दिया था? ये ब्राह्मण के पास कैसे आ गया?
भाट ने कहा-हां, दिया तो आपने मुझे ही था, लेकिन मैंने उससे दाल लेकर कद्दू उसे दे दिया।

राजा ने ब्राह्मण की ओर देखा तो ब्राह्मण ने मुस्कुराकर कहा-"दे ही तो कपाल, का कर ही गोपाल।"

संतुष्टि सबसे अनमोल है! कहानी से शिक्षा: संतोषी होने के कारण ब्राह्मण ने सोने के सिक्के प्राप्त किये, जबकि भाट असंतोषी होने के कारण प्राप्त सिक्कों को भी गवां बैठा। इसलिए कहा गया है संतोषी सदा सुखी।

प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, लेखक, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
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