वास्तु शास्त्र में पशु-पक्षियों का महत्व !

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वास्तु शास्त्र में पशु-पक्षियों का बहुत महत्व बताया गया है। बताया जाता है कि पशु-पक्षियों में बुरी शक्तियों का देखने व उन्हें दूर करने की शक्ति होती है। पालतू पशुओं में बुरी शक्तियों को दूर करने की ताकत होती है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में आयी सुनामी में जहां हजारों लोग मारे गये परन्तु किसी जानवर के मारे जाने की खबर आपने नहीं सुनी होगी। जानवर केवल वहीं मारे गये जो बंधे हुए थे, क्योंकि ये अपने को बचा नहीं पाये। बाकी जानवर पहले ही सुनामी का खतरा भांप कर दूर ऊंचे स्थानों पर चले गये थे। आइये अब जानते हैं वास्तु में पशु-पक्षियों का महत्व क्या है-

-बताया जाता है कि जिस स्थान पर हमें मकान बनाना हो वहां पंद्रह दिन तक गाय व उसके बछड़े को बांध देने से वह स्थान पवित्र हो जाता है।

-बड़े से बड़े अनिष्ट से बचने के लिए गोदान यानि गौ का दान सबसे उत्तम माना जाता है।

-भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए गाय पालना सबसे उत्तम उपाय माना जाता है। हम गाय पाल भी ना सके तो मां लक्ष्मी नारायण को प्रसन्न करने के लिए हमें प्रतिदिन गाय को रोटी अवश्य खिलानी चाहिए।

-शास्त्रों में तो ये भी कहा गया है कि गाय को प्रतिदिन रोटी खिलाने से पितर तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।

-शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि गाय को नियमित रोटी खिलाने से सभी ज्योतिषीय ग्रह दोष दूर हो जाते हैं, गाय की सेवा से सभी सुख प्राप्त होते हैं।

-यदि घर में क्लेश रहता है और व्यापार में लगातार घाटा चल रहा हो तो प्रतिदिन चिड़ियों-पक्षियों को दाना डालना चाहिए। इससे गृह क्लेश और व्यापार में घाटा होना तुरन्त रूक जाता है। यदि व्यापार में घाटा भी ना हो रहा हो तो भी प्रतिदिन चिड़ियों-पक्षियों को दाना-पानी खिलाने से मन प्रसन्न रहता है और जीवन में खुशियां लौटने लगती हैं।

-यदि जीवन में कोई समस्या ना सुलझ रही हो और वह हमें लगातार परेशान कर रही हो तो हमें गिलहरियों को रोटी खिलानी चाहिए, जीवन की हर कठिनाई से मुक्ति मिलने लगती है।

-मूल्यवान सम्पत्ति के खो जाने पर या पुरानी सम्पत्ति हाथ से निकल जाने पर प्रतिदिन मछली को आटे की गोली खिलानी चाहिए, इससे आपके हाथ से निकली पैतृक सम्पत्ति के वापस मिलने की संभावना बढ़ जाती हैं।

-यदि आपके अनेक दुश्मन हैं जो आपको तंग करते रहते हैं और आपको उनका भय सताता रहता है तो कुत्ते को नियमित रोटी खिलाये इससे शत्रु का भय व शत्रुता समाप्त हो जाती है। 

-किसी ग्रन्थ में मैंने यह भी पढ़ा था कि रोज व्यायाम-योग करने से शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है।

-यदि कर्ज से परेशान हैं तो उससे निपटने के लिए चीटियों को शक्कर और आटा डालें, कर्ज से मुक्ति पाने का यह एक बेहतरीन उपाय हैं। एक चीज का और ध्यान रखें कि यदि आपको किसी से पैसे उधार लेने हैं तो कभी भी मंगलवार के दिन ना लें। बुधवार-शनिवार को कर्ज लेना सबसे अच्छा माना जाता है यह कर्जा जल्दी दूर हो जाता है।

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना न भूलें, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।

प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग वास्तुविद्, ज्योतिष, 6396661036

ये स्वप्न का फल कब तक प्राप्त होगा?

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रात क्या सोये जिन्दगी भर की नींद उड़ गयी,
ख्वाब  क्या  देखा चस्का लग गया तावीर का।
साथियों! जब भी हम सपना-ख्वाब (Dream)  देखते हैं तो उसके फलादेश या तावीर  की तीव्र इच्छा होती है, परन्तु यदि सपना (Dream) हमारी नींद उड़ाने वाला हो तो हम और ज्यादा परेशान हो जाते हैं और हम नेट पर स्वप्न का फलादेश ढ़ूंढते हैं, या फिर किसी बुजुर्ग से उस सपने का फलादेश (Dream Inter -Interpretation) जानने का प्रयास करते हैं परन्तु़ यदि बताया गया फलादेश फलित नहीं होता यानि सही नहीं बैठता तो हम निराश हो जाते हैं और सपनों (Dream) पर बिलीव करना बंद कर देते हैं। साथियों यह गलत है, हमारे पौराणिक ग्रंथ बताते हैं कि स्वप्न का फलित होना, इस बात पर निर्भर करता है कि हमने वह स्वप्न (Dream) कितने बजे देखा? साथियों! आज में आपको बताने जा रहा हूं कि कितने बजे देखे गये स्वप्न का फल कब तक प्राप्त होता है।

1-साथियों! सूर्योदय होने से पहले या फिर ब्रहममुहूर्त में देखे गये सपनों का फल (DREAM INTERPRETATION) तुरंत प्राप्त होता है यानि एक-दो दिन में प्राप्त हो जाता है।

2-इसके पश्चात सूर्याेदय होने के बाद देखे गये सपनों का फल हमें 10 दिन में प्राप्त हो जाता है।

3-साथियों! सायंकाल में यदि आपने सपना देखा है तो उसका फल 15 दिन में प्राप्त होता है।

4-रात्रि के प्रथम प्रहर यानि शाम के 6 बजे से रात्रि के 9 बजे के बीच देखे गये सपने का परिणाम एक वर्ष में बाद प्रगट होता है यानि प्राप्त होता है।

5-रात्रि के दूसरे प्रहर यानि रात के 9 बजे से लेकर रात के 12 बजे के बीच देखे गये सपनें 6 मास में परिणाम देते हैं

6-रात्रि के तीसरे प्रहर यानि रात के 12 बजे से लेकर रात के 3 बजे के बीच देखे गये सपनें 3 माह में अपना परिणाम देते हैं।

7-रात्रि के अंतिम प्रहर यानि रात के 3 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे के बीच गये सपनों का फल 1 महीने में प्राप्त होता है।

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प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग वास्तुविद्, एस्ट्रोलॉजर 6396661036

Wall Clock Vastu Tips : वास्तु के अनुसार घड़ी लगाने की सही दिशा जान लें!

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समय (Time) की महत्ता 
का वर्णन करते हुए महर्षि चाणक्य ने ‘चाणक्य नीति’ के चतुर्थ अध्याय में एक श्लोक लिखा है-
कः कालः कानि मित्राणि को देशः कौ व्ययागमौ।
कस्माहं का च मे शक्तिरिति चिंत्यं मुहुर्मुहुः।। 18।।

अर्थात काल (समय) क्या है, कौन मित्र है, देश कौन है, व्यय कितना है, आय कितनी है, और मुझमें कितनी शक्ति है, मनुष्य को इन सब बातों का विचार करते रहना चाहिए।

‘काल क्या है? ‘काल’ समय (Time) को कहते हैं, यानि समय का हमें पता रहना चाहिए, पता कैसे चलेगा? जब हमारे पास घड़ी होगी, इसका तात्पर्य है महर्षि चाणक्य ने भी समय या घड़ी के महत्व हो समझा, इससे पता चलता है कि समय का कितना महत्व प्राचीन काल में भी था और आज के समय में टाइम या समय का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए वास्तु में भी समय यानि समय (टाइम) दिखाने वाली घड़ी का अत्यंत महत्व है। 
यदि हमारे घर, आफिस, व्यापार स्थल में वास्तु के अनुसार घड़ी सही स्थान पर लगायी गयी है तो  उसका प्रत्यक्ष प्रभाव हमारी जीवन में दृष्टिगोचर होता है। आज के आलेख में हम घड़ी के बारे में कुछ वास्तु सुझाव दे रहे हैं-

1-बन्द पड़ी घड़ी कभी भी नहीं लगानी चाहिए, यह हमारे समय, प्रगति और भाग्य के रूक जाने का संकेत करती है। अतः बन्द पड़ी घड़ी में तुरंत सेल डालने चाहिए, खराब है तो उसे रिपेयर करानी चाहिए। कुछ खराब पड़ी घड़ियों को हम अपने इमोशनल अटैचमेन्ट की वजय से फैकना नहीं चाहते, परन्तु उन्हें तुरन्त उस स्थान से हटा देना चाहिए।

2-घड़ी लगाने की सही दिशा उत्तर (North) या पूर्व (East) दिशा है, क्योंकि इन दोनों दिशाओं को वृद्धि की दिशा माना गया है, साथ ही ये दिशाएं शुभ दिशाएं भी कहलाती हैं, पूजा इत्यादि में भी इन्हीं दिशाओं की ओर मुंह करके बैठना शुभ माना जाता हैं। अतः हमें अपने आफिस या घर में हमेशा उत्तर या पूर्व दिशाओं में से किसी दिशा में घड़ी लगानी चाहिए।

3-प्रवेश द्वार के ऊपर भी घड़ी नहीं लगानी चाहिए, इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, घर या आफिस में परेशानियां बढ़ने लगती है।

4-दक्षिण दिशा (South) में कभी भी घड़ी नहीं लगानी चाहिए यह प्रेत और पितरों की दिशा होती है, इससे घर में रहने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य खराब होता है, और उनकी उन्नति में बाधा आती है।

5-वास्तु में घड़ी के समय को आगे या पीछे रखना भी वर्जित किया गया है, घड़ी को सही समय पर रखना चाहिए, क्योंकि सही समय हमें वर्तमान में रहना सिखाता है।

6-उत्तर या पूर्व दिशा में सही समय दिखाने वाली, पेेंडुलम वाली घड़ी को उत्तम बताया गया है, यदि उसमें से मधुर संगीत की ध्वनि हो तो वह और भी उत्तम है।

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प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग वास्तुविद् 6396661036

कहीं आपका बॉयफ्रेंड भी 'साइको किलर' तो नहीं हैं?? एक 'साइको' की पहचान कैसे करें!

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ब्यायफ्रेंड द्वारा अपनी गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप होने पर या किसी अन्य बात से नाराज होकर, उसकी नृशंस हत्या की जाने की सैंकड़ों खबरें आपने सुनी व पढ़ी होंगी। हत्या की अनेेक वायरल वीडियो भी आपने देखी होगी, उन्हें देख कर आपका दिल दहल गया होगा, कि एक चाहने वाला किसी तरह से अपनी प्रेमिका की नृशंस हत्या भी कर सकता है। इन घटनाओं का अध्ययन करने के बाद मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी हत्याओं को अंजाम देने वाले व्यक्ति ‘साइको’ होते हैं, और इन व्यक्तियों में कुछ चीजें समान होती हैं। अब प्रश्न उठता है कि ऐसे 'साइको' की पहचान कैसे की जाये। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यदि हम दिल से काम ना लेके, दिमाग से काम ले तो हम ऐसे ‘साइको व्यक्तियों’ की पहचान कर सकते हैं और उससे दूरी बना कर सुरक्षित रह सकते हैं। 

मेरा ये आलेख विशेष रूप से "युवतियों" को समर्पित है, मैं उनसे ‘साइको’ युवकों के कुछ लक्षण बता रहा हूं, यदि वे किसी लड़के को चाहती हैं तो ये सुनिश्चित कर लें कि आपके ब्याय फ्रेंड में ये लक्षण या सिमटम्स तो नहीं हैं। यदि इन छः लक्षणों में से अंतिम पांच लक्षण (2 से 6 तक) भी आपके ब्याय फ्रेंड में मिलते हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए, आप किसी ‘साइको’ के सम्पर्क में हो सकती हैं? ऐसे साइको व्यक्तियों से धीरे-धीरे दूरी बना लेनी चाहिए। उसके लिए आप अपनी कोई झूठी समस्या आदि बताकर उससे दूरी बना सकती हैं। परन्तु ये काम आपको बहुत ध्यान से व समझदारी से करना है, क्योंकि वह आसानी से आपका पीछा नहीं छोड़ेगा।

साइको पैथ की पहचान या लक्षण-

साथियों! एक "साइकोपैथ" की पहचान आप उसके चेहरे से नहीं कर सकते, केवल उसके बिहेव को देखकर ही हम एक "साइकोपैथ" का पता लगा सकते हैं। बशर्ते इसके लिए आप अपने दिल का नहीं बल्कि दिमाग का प्रयोग करें। 

साइकोलॉजिस्ट के अनुसार "साइको पैथ" की पहचान के 6 संकेत-

1-यदि आपका पार्टनर बिल्कुल आपकी काॅपी लगता है-‘‘साइकोपैथ और लव’’ की लेखिका का कहना  है कि एक "साइकोपैथ" अपने पार्टनर का दिल जीतने के लिए बिल्कुल उसकी नकल करने लगता है। आपके जैसी पसंद, आपके जैसी हाॅबीज, सब कुछ उसमें आपके जैसा होता है, जो तुमको हो पसंद वहीं बात करेंगे...... आपको लगने लगता है ये तो मेरे लिए एक परफेक्ट पर्सन है, वह आपको शीशे में उतारने की क्षमता रखता है। आपको लगेगा इससे तो 36 से 36 गुण मिलते हैं मेरे साथ। इससे अच्छा साथी तो हो ही नहीं सकता।

2-नो फ्रेंड सर्किल-यदि फेसबुकिया फ्रेंड को छोड़ दिया जाये तो एक "साइकोपैथ" का कोई फ्रेंड सर्किल नहीं होता या फिर उसके इने गिने दोस्त होते हैं, क्योकि उसमें 'फीलिंग्स' व 'इमोशनस' नहीं होते। अतः कोई ऐसे लोगों से दोस्ती करना पसंद नहीं करता। यदि आपके भी ब्याय फ्रेंड का कोई फ्रेंड सर्किल नहीं है तो सावधान हो जाइये। वो एक "साइको" हो सकता है।https://jyotesh.blogspot.com/2024/07/psycho-ki-pahchan-kaise-karen.html

3-नो इमोशनस-यदि आपका ब्याय फ्रेंड किसी के दु;ख को देखकर दु:खी या किसी की खुशी को देखकर खुश नहीं होता, उसका व्यवहार सामान्य रहता है तो उससे सावधान रहिए। फाॅर एग्जामपिल आप अपने फ्रेंड के साथ कहीं राइड  पर जा रहे हैं रास्ते में कोई एक्सीडेंट में घायल इंसान पड़ा है आप तो उसे देखकर घबरा जाते हैं और दु:खी होते हैं परन्तु यदि आपके ब्याय फ्रेंड का बिहेव उस एक्सीडेंट को देखकर सामान्य सा रहता है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। कहीं आप किसी "साइकोपैथ" से तो डेट नहीं कर रही हैं।

4-सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करते हैं-साइको पैथ सिर्फ अपना फायदा देखता है, अपने फायदे के लिए ये किसी से भी झूठ बोल सकते हैं, चोरी कर सकते हैं या फिर किसी को भी चोट पहुंचा सकते हैं। साइकोलोजिस्ट मैयो के अनुसार उपरोक्त तरह का व्यवहार ये अपने पार्टनर के साथ भी करते हैं जो बढ़ते-बढ़ते दुव्यर्वहार, मारपीट और उससे आगे बढ़कर मर्डर तक जा़ सकता है।

5-ऐरोगेन्स-एक "साइकोपैथ" अभिमानी भी होता है वो हमेशा अपनी उपलब्धियों के बारे में डींग मारते है। यदि आप अपनी उपलब्धियों के बारे में कुछ उनसे बताते हैं तो वो आपकी बातों को काटने लगते हैं और अपने आप को आपसे ज्यादा बढ़ा -ऊंचा दिखाने का प्रयास करते हैं।

6-मैनिपुलेटिव बिहेव-यदि आपको पार्टनर अक्सर आपके साथ छेड़छाड़ करता है। फाॅर एग्जामपिल ‘‘यदि वह आपसे कहता है। यदि तुम मुझसे प्यार करती हो तो तुम मेरे लिए ऐसा करोगी’’ तो साथियों ये संकेत है कि आपका पार्टनर आपको नियंत्रित कर रहा है ये 'मैनिपुलटिव बिहेव' एक संकेत है कि आपका साथी एक "साइकोपैथ या मनोरोगी" है।

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा, और आपके ब्याय फ्रेंड में इनमें से कितनी बातें मिलती हैं, कमैंटस करके बताना न भूलें, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
                -लेखक: संजय कुमार गर्ग

VASTU TIPS : जूते चप्पल भी बिगाड़ते हैं घर का वास्तु !

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जूते चप्पल भी बिगाड़ते हैं घर का वास्तु ! 
अनेकों बार जान-बूझकर या अनजाने में हम अपने जूते-चप्पलों को घर में सही जगह पर रखकर उन्हें इधर-उधर निकाल देते हैं। यह सही नहीं हैं क्योंकि घर के लोग या बाहर से आने वाले लोग अपने जूते-चप्पलों के साथ नेगेटिव एनर्जी भी घर में ले कर आ सकते हैं। इससे वास्तु अनुकूल बने मकान पर भी इसका विपरित प्रभाव पड़ता है। अतः हमें मुख्य दरवाजे के बाहर ही जूते-चप्पलों की व्यवस्था करनी चाहिए। 


जूते-चप्पलों के संबंध में कुछ वास्तु सुझाव- (Jute Chappal Aur Vastu)

1-जूते-चप्पल रखने के लिए एक अलग अलमारी या रैक हो जो कि मुख्य दरवाजे से 2 या 2.5 फुट की दूरी पर हो।

2-जूते की रैक या अलमारी में रखे जूते-चप्पल बाहर से दिखाई नहीं देने चाहिए। इसमें दरवाजा लगा होना चाहिए। क्योंकि घर के मुख्या दरवाजे से ही घर में पाॅजेटिव एनर्जी प्रवेश करती है इसलिए इस ऊर्जा के घर में प्रवेश में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए।

3-जूते-चप्पल की अलमारी कभी घर में बने पूजा घर या रसोई की दीवार से मिलाकर न रखी जाये, इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है।

4-खाना बनाते समय या खाना खाते समय कभी जूते-चप्पल नहीं पहनने चाहिए। शादी आदि जूते-चप्पल पहनकर खाना मजबूरी होती है इसमें कोई विशेष समस्या नहीं है।

5-घर के पूर्व-उत्तर (ईशान)  (N-E) या आग्नेय दिशा (S-E) में जूते-चप्पल की रैक या अलमारी कभी नहीं बनवानी चाहिए।

6-जूते-चप्पल की अलमारी रखने के लिए वायव्य यानी उत्तर-पश्चिम (N-W) व नैरूत  यानी दक्षिणी-पश्चिमी (S-W) दिशा सबसे सही जगह मानी जाती है, इन्हीं दिशाओं में जूते-चप्पल की रैक बनायी जानी श्रेष्ठ होती है।

7-घर में यदि जूते-चप्पल बिखरे रहते हैं तो ये घर के सदस्यों में आपस में मतभेद व संबंध खराब कर सकते हैं, अपने सही स्थान पर जूते-चप्पलों को रखें।

8-यदि आपके पास रहने के लिए केवल एक ही कमरा है तो आप उस कमरे की उत्तर (N) व पूर्व (E) दीवार से सटाकर जूूते-चप्पलों की अलमारी या रैक न बनाये।

9-यदि आपकी किसी अलमारी में लाॅकर है और उसमें आप धन संग्रह करते हैं तो उस अलमारी के नीचे की रैक में जूते-चप्पल की अलमारी बिल्कुल न बनाएं इससे आपको धन की हानि हो सकती है।

10-आप जिस बैठ पर सोते हैं उसके नीचे जूते-चप्पल इकट्ठे नहीं करने चाहिए इससे आपके स्वास्थ्य में कमी आ सकती है और पति-पत्नि में तनाव पैदा हो सकता है।

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना न भूलें, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
                प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद् 6396661036