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कुत्ते भी देते हैं भविष्य का संकेत ! (शकुन विज्ञान)
कुत्ते से जुड़े कुछ शकुन-अपशकुन/कुत्ते के शगुन/कुत्ते के शुभ संकेत क्या हैं?
-यदि आप यात्रा पर जा रहे हैं आपका पालतू कुत्ता आपके पैरों पर लौटने लगे या वह खुश दिखायी दे तो यह आपके कार्य के सफल होने का संदेश है।
-संतान की प्राप्ति के इच्छुक पति-पत्नि को यदि कुत्ता घर के बाहर से मुंह में फल या सब्जी का टुकड़ा लिये हुए मिले तो यह आपको पुत्र प्राप्ति का संकेत है।
कुत्ते के अशुभ संकेत क्या हैं?
-यदि आप कहीं बैठे हुए किसी काम के बारे में सोच रहे हैं और कुत्ता अपना सिर पिछले पंजे से खुजलाये तो आपको सोचा हुआ कार्य पूरा होता है।
-परन्तु यदि कुत्ता अपने बाएं पैर से अपना बायीं ओर के हिस्से को खुजलाये जो माना जाता है आपका सोचा हुआ कार्य पूरा नहीं होगा।
-कहा जाता है यदि स्वस्थ कुत्ता उल्टी करने लगे तो अशुभ की सूचना देता है।
-कहा जाता है कि परीक्षा या साक्षात्कार के लिए जाते समय यदि आपके बायीं ओर से कुत्ता गुजरे तो विफलता का संकेत मिलता है।
कुत्तों का रोना क्या दर्शाता है?
-कुत्ते का रोना कभी भी अच्छा नहीं माना जाता है। यदि कुत्ता किसी के घर के पास रोये तो घर के स्वामी को मृत्यु होती या फिर मृत्युतुल्य कष्ट होता है।
आओ!! ''स्वप्न-संसार'' के रहस्य को समझे!-यदि अनेक कुत्ते एक साथ रोये तो गली या मौहल्ले के किसी बड़े व्यक्ति की मृत्यु का संकेत हो सकता है।
-यदि पूंछ कटा या कान कटा कोई कुत्ता किसी ‘रोगी या बीमार’’ को खुजली करता हुआ दिखायी दे तो यह अच्छा शकुन नहीं माना जाता है।
-यदि किसी घर का पालतू कुत्ता घर की दीवार को खोदने का प्रयास करें तो घर में चोरी होने का भय होता है।
-यदि कुत्ता अपने मालिक को देखकर बार-बार भौंके तो मालिक के बीमार होने का संकेत हो सकता है।
-किसी यात्रा पर जाते समय यदि आपका कुत्ता आपके दोनों हाथों को सूघें तो आपको यात्रा में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
-यदि स्वस्थ कुत्ते की एक आंख से पानी गिरें तो घर में कोई दुखद घटना हो सकती है।
-यदि कुत्ता जूते को मुंह में दबाकर भागे तो धन हानि का भय होता है।
पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा!
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा-हे कुन्ती पुत्र! आश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी है, इस व्रत को करने से मनुष्य के सब पाप नष्ट हो जाते हैं। मनुष्य को कठोर तप करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वो फल भगवान गरूड़ध्वज को नमस्कार करने मात्र सेे प्राप्त हो जाता है। मनुष्य ज्ञात और अज्ञात रूप से अनेक पाप करते हैं परन्तु भगवान विष्णु को नमस्कार करने मात्र से ही उसके सब पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान विष्णु का कीर्तन करने से मनुष्य को सब तीर्थों के पुण्य का फल अनायास ही मिल जाता है।
पापांकुशा एकादशी व्रत कथा-
प्राचीन काल में क्रोधन नाम का एक बहेलिया विंध्य पर्वत पर रहता था। नाम के अनुरूप वह अपने कर्माें से भी अत्यंत क्रूर था। उसने अपना सारा जीवन पशु-पक्षियों की हत्या, लूटपाट, मद्यपान और गन्दी संगति में बैठकर पाप कर्मों में व्यतीत किया था। जब उसका अंतिम समय आया तो यमराज के दूत उसे लेने आये, उन्होंने बहेलिये से कहा-कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है, हम तुम्हें कल लेने के लिए आयेंगे। उन की बात सुनकर क्रोधन बहुत डर गया और वह भागकर महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा। वहां पहुंचकर वह अंगिरा ऋषि के चरणों में गिर गया और उसने यमराज के दूत वाली बात महर्षि को बतायी और बोला-हे ऋषि श्रेष्ठ! मैंने पूरे जीवन पापकर्म किये हैं, अब मेरा अंतिम समय आ गया है, कृप्या कोई ऐसा उपाय बताइयें जिससे मेरे सारे पापकर्म मिट जाये और मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो।
उसके अत्यधिक निवेदन करने पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विनी शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का व्रत करने के लिए कहा और उसे व्रत करने की विधि भी बतायी।
महर्षि अंगिरा के बताये अनुसार बहेलिये क्रोधन ने पापांकुशा एकादशी का व्रत किया। जिससे उसके सारे पाप नष्ट हो गये और इस व्रत के बल पर भगवान विष्णु की कृपा से वह विष्णु लोक को गया। यमराज के दूत जब उसे लेने आये तो उन्होंने भी इस चमत्कार को देखा और वह बहेलिये को लिए बिना ही यमलोक वापस चले गये। बोलों भगवान विष्णु की जय। श्री हरि नमः।
तो साथियों आपको ये कथा कैसी लगी कमैंटस करके बताना न भूले, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर