तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है......शबीना अदीब










   




खमोश लब हैं झुकी हैं पलकें  दिलों में  उल्फत  नई  नई है
अभी तकल्लुफ है  गुफ्तूगू में  अभी  मौहब्बत  नई  नई है

अभी न आएगी नींद तुम को अभी न हम को सुकूं मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल जियादा अभी  ये  चाहत नई नई है

बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएं
फजा  में  खुश्बू   नई   नई है  गुलो  में  रंगत  नई  नई है

जो  खानदानी  रईस  हैं  वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा  लहजा  बता  रहा  है  तुम्हारी दौलत नई नई है

जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आ बैठे हो पहली सफ* में                    सफ*-पंक्ति, चटाई 
अभी  से  उड़ने   लगे   हवा  में  अभी   तो  शोहरत नई नई है

बमों  की  बरसात   हो   रही  है   पुराने   जांबाज  सो  रहे  हैं
गुलाम दुनिया को कर रहा है वो  जिस  की ताकत नई नई है

                              -शबीना अदीब

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