कभी बिछुड़े तो कभी साथ.......मुक्तक और रुबाईयाँ

कभी बिछुड़े तो कभी साथ.......मुक्तक और रुबाईयाँ
कभी बिछुड़े तो कभी साथ....
 (1) 
कभी  बिछुड़े तो कभी साथ-साथ  चलते रहे,
 एक ही  ताप  से फिर  मोम-से   पिघलते  रहे
छू  गया  तब  कोई  शैतान  हवा  का  झौंका
साथ-साथ बुझते  रहे, साथ-साथ जलते रहे।
-जिगर मुरादाबादी
   (2) 
 फूल   सा  कमजोर  मन है
आयु का तन पर वजन है,
साॅस   की  चलती  ऋचायें
जिन्दगी  मोहक हवन है।
-शरदेन्दु शर्मा

   (3)
गैर  को  अपना  बनाने  में  समय लगता है
प्यार  का  फर्ज  निभाने  में समय लगता है
स्वप्न की गोद में सोना तो सहज है लेकिन
आंख  तक  नींद के आने  में समय लगता है
-शेर जंग गर्ग

   (4)
 मझधार  से  बचने  के  सहारे  नहीं  होते
 दुर्दिन  में  कभी  चांद  सितारे  नहीं  होते
  हम   पार  भी  जाये  तो  जाये  किधर  से
 इस प्रेम की सरिता के किनारे नहीं होते।

-उदयभानु हंस
   (5)
 कोई   चिराग    नहीं   है  मगर  उजाला  है
अजीब   रात  है  सूरज  निकलने  वाला  है
अजीब लहजा है दुश्मन की मुस्कुराहट का
मुझे  गिराया  कहा   है   मुझे   संभाला  है
-बशीर बद्र
   (6)
 हम  आपकी  नजर  में   नाकाम  लोग हैं
 चिपटे  हुये  जमीन से  हम
आम लोग  हैं
ईमान   पर   हमारे   शक  होना   चाहिए
शायर हैं  हम जहान में बदमान लोग हैं।
.-रामावतार त्यागी

संकलन-संजय कुमार गर्ग
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)
मुक्तक/शेरों-शायरी के और संग्रह 

12 टिप्‍पणियां :

  1. खूबसूरत मुक्तक रूबाईयाँ।बेहद सुन्दर।

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    1. आदरणीय अज़ीज़ जौनपुरी जी! ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स के लिए धन्यवाद!

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  2. सुन्दर संकलन । बहुत खूब

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    उत्तर
    1. आदरणीय अज़ीज़ जौनपुरी जी! ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स के लिए धन्यवाद!

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  3. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-02-2015) को "ब्लागर होने का प्रमाणपत्र" (चर्चा अंक-1896) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आदरणीय शास्त्री जी! मेरे ब्लॉग के अपनी चर्चा में सम्मलित करने के लिए धन्यवाद!

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  4. उत्तर
    1. आदरणीय राजीव जी, पोस्ट को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!

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  5. बहुत ही लाजवाब और सुन्दर मुक्तक हैं सभी ... महफ़िलों में सुनाये जाने लायक ...

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  6. आदरणीय दिगंबर जी, पोस्ट को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!

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  7. बेहद खुबसूरत...मन प्रसन हो उठा इन्हें पढकर...!!!

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    1. आदरणीया निभा जी, ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!

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