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वास्तु और सीढियाँ |
घर हो, दुकान
हो या फिर कोई औद्योगिक इकाई सभी में भवन की छत या बेसमेन्ट में आने-जाने
के लिये सीढि़यां बनाना अति आवश्यक है। सीढि़यों के निर्माण के बिना किसी
भवन का निर्माण अधूरा ही रहता है। प्रस्तुत हैं सीढि़यों के संबंध में कुछ वास्तु जानकारियां-
1- सीढि़यां (Stair Case) का निर्माण आग्नेय (SE), वायव्य (NW), उत्तर (N) या नैरूत (SW) दिशा में उत्तम रहता है। लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
2-घुमावदार सीढि़यों का घुमाव हमेशा बायें से दायीं (Left to Right)
ओर होना चाहिये। अर्थात सीढि़यों का घुमाव हमेशा घड़ी की सुईयों के घुमाव
के चक्र के अनुरूप होना चाहिये, विपरित घुमाव वाली सीढि़यां अमंगलकारी होती
हैं।
3-ईशान (NE) में कभी सीढि़यां ना बनायें, ईशान (NE)में सीढि़यां बनाने से नुकसान, व्यापार में घाटा-हानि आदि समस्यायें उत्पन्न होती हैं।
4-दक्षिणी (S) या पश्चिमी (W) दीवार से लगाकर सीढि़यां बना सकते हैं।
5-उत्तर (N) या पूर्वी (E) दीवार से कम से कम तीन इंच दूरी से सीढि़यां बनायें।
6- सीढि़यां पश्चिमी (W) दीवार से लगाकर पूर्व से पश्चिम (East to West) की ओर चढ़ते हुये बनायी जा सकती हैं।
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वास्तु और सीढियाँ |
8- सीढि़यों के नीचे कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिये।
9-सीढि़यां
विषम संख्या में रखना शुभ है जैसे 5, 7, 11, 17, 23, 29, 35 आदि। दूसरे
शब्दों में कह सकते हैं कि सीढि़यों की संख्या ऐसी होनी चाहिये कि उस
संख्या में 3 का भाग देने पर हमेशा 2 शेष बचे।
10-सीढि़यों के प्रारम्भ व अंत में रसोई, मंदिर, या ईधन कक्ष नहीं होना चाहिये। लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
11-सीढि़यों के नीचे पूजा घर न बनाये।
12-सीढि़यों के नीचे स्टोर या टायलेट यदि वास्तु नियमों के अनुकूल बनाये तो कोई नुकसान नहीं है।
13-भवन के मध्य में सीढि़यां नहीं बनानी चाहिये।
14-भवन के ऊपर व नीचे तलघर (बेसमेन्ट) में जाने के लिये काॅमन सीढि़यां न बनायें।
15-व्यापारिक संस्थायें तिजोरी को सीढि़यों के नीचे न रखें।
[पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं!]
लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@mail.com
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)
अच्छी जानकारी ... वास्तु से जुड़े पहलुओं के साथ ...
जवाब देंहटाएंपोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद! आदरणीय दिगम्बर जी!
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