नित्य जपनीय मन्त्र!



नित्य जपनीय मन्त्र!
नित्य जपनीय मन्त्र
1-सात नदियों के मन्त्र का जप आप स्नान करते समय कर सकते हैं, इससे मनुष्य को पुण्य प्राप्ति के साथ-साथ मानसिक शांति भका भी अनुव होगा।
गंगे    च    यमुने    चैव    गोदावरि     सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरू।।

2-पांच कन्याओं के मन्त्र का स्मरण कभी भी किया जा सकता है, इससे हमें जाने अनजाने होने वाले पापों से मुक्ति मिलती है व हम शान्ति का अनुभव कर सकते हैं।
अहल्या  द्रौपदी  तारा कुन्ती मन्दोदरी तथा।
पंचकन्याः स्मरेन्नित्यं महापातकनाशनम्।।

3-पांच सुहागिनों के नामों  का स्मरण सुहागिन स्त्री अपने पति की आयु वृद्धि के लिये व अपने सुखद वैवाहिक जीवन के लिए कभी भी कर सकती हैं, इससे उन्हे अखण्ड सुहाग की प्राप्ति होती है।
उमा  ऊषा  च  वैदेही   रमा  गंगेति  पंचकम्।
प्रभाते यः स्मरेन्नित्यं सौभाग्यं वर्धते सदा।।

4-ये उन आठ चिरंजीवी महात्माओं के नाम हैं जो अमर हैं और आज भी इस पृथ्वी पर अपने स्थूल शरीर के साथ विचरण करते हैं, इन चिरंजीवियों के नामों का स्मरण अकाल मृत्यु, जीवन संकट, बीमारी आदि से रक्षा करता है।
अश्वत्थाता बलिर्व्यासो  हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः    परशुरामश्च    सप्तैते    चिरजीविनः।।
सप्तैतांश्च  स्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद् वर्षशतः साग्रम् अपमृत्युविवर्जितः।।

5-पांच रामसेवकों के नामों का स्मरण करने से हम जीवन में आने वाली अनेक बाधाओं व ज्ञात-अज्ञात पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही हम श्रीराम व रामभक्त हनुमान जी के कृपापात्र भी बन जाते हैं।
श्रीरामं  हनुमन्तं  च  सुग्रीवं  च विभीषणम् ।
अंगदं जाम्बवन्तं च स्मृत्वा पापैः प्रमुच्यते।।
 
6-छह ईश्वर भक्त वैष्णवों के नामों का स्मरण भी हमें अपने पातकों से मुक्ति के साथ ही जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति दिलाता है और हमें ईश्वर के नजदीक ले जाता है।
बलिर्विभीषणो भीष्मः प्रह्लादो नारदो ध्रुवः।
षडैते वैष्णवास्तेषां स्मरणं पापनाशनम्।।
   संकलन-संजय कुमार गर्ग 

5 टिप्‍पणियां :

  1. आदरणीया यशोदा जी! आपका सादर धन्यवाद!

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  2. ये उन आठ चिरंजीवी महात्माओं के नाम हैं जो अमर हैं और आज भी इस पृथ्वी पर अपने स्थूल शरीर के साथ विचरण करते हैं, इन चिरंजीवियों के नामों का स्मरण अकाल मृत्यु, जीवन संकट, बीमारी आदि से रक्षा करता है।
    अश्वत्थाता बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
    कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः।।
    सप्तैतांश्च स्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
    जीवेद् वर्षशतः साग्रम् अपमृत्युविवर्जितः।।


    ​बहुत ही ज्ञानवर्धक प्रस्तुति संजय जी ! पहली बार जाना इन सब के विषय में ! आपने बहुत कुछ लिखा है , धीरे धीरे पढूंगा सबको ! लेकिन पढूंगा जरूर

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    1. कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद! आदरणीय योगी जी!

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  3. Umesh Sharma2/10/2022

    बहुत सुंदर पोस्ट है।

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    1. उमेश जी, कमैंट्स के लिए धन्यवाद! आलेख को शेयर करना बिलकुल न भूले!

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