राहु देव का कैसे मनायें?


https://jyotesh.blogspot.in/
RAHU DEV
श्रीमदभागवत के अनुसार समुन्द्र मंथन के पश्चात् भगवान विष्णु जब मोहिनीरूप में देवताओं को अमृत पिला रहे थे, तो राहु देवताओं का वेष बनाकर उनके बीच में बैठ गया और देवताओं के साथ उसने भी अमृत पी लिया, परन्तु चन्द्रमा और सूर्य ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने अमृत पिलाते-पिलाते ही सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया। किन्तु अमृत के संसर्ग होने से वह अमर हो गया और ब्रह्मा जी ने उसे ग्रह बना दिया। ऋग्वेद के अनुसार सिंहिका का पुत्र राहु जब सूर्य और चन्द्रमा को तम से आच्छन्न कर देता है तो इतना अंधेरा छा जाता है कि व्यक्ति अपने स्थान को ही नहीं पहचान पाते। ग्रह बनने के बाद भी राहु वैर भाव से पूर्णिमा को चन्द्रमा और अमावस्या को सूर्य पर आक्रमण करता है, इसे ही ग्रहण कहते हैं। श्रीमदभागवत के अनुसार राहु की माता का नाम सिंहिका है जो विप्रचित्ति की पत्नि तथा हिरण्यकशिपु की पुत्री थी।
ज्योतिष के अनुसार-राहु जातक मेें सांसरिक सुख, तर्क शक्ति, चुभती परन्तु सटीक बात कहना, अचानक धन लाभ, जुआ, सटटा, दलित वर्ग से सहारा प्राप्त करना, विष चिकित्सक, ज्योतिष में रूचि, काला सलेटी रंग, वैराग्य, मौक्ष की इच्छा, पक्षियों से प्रेम रखने  वाला, गहरी दार्शनिक समझ, दाये से बाये लिखी जाने वाली लिपियां (उर्दू फारसी आदि) का जानकार आदि होता है। वही राहु पापी या नीच के होने पर जातक में अचानक रोग, दुर्घटना, वायु कफ के रोग, झुर्रियां, पापकर्मरत, क्रूर व शत्रुओं से  अचानक आक्रमण करा सकते हैं। इनकी महादशा 18 वर्ष की होती है।

कब पापी होते हैं-

-लग्नानुसार मेष, वृष, कर्क, मिथुन, कन्या, धनु, और मीन राशियों के लग्नों के लिये राहु मुलतः शुभ होते हैं। सिंह, तुला, वृश्चिक राशिओं में अशुभ होते हैं, वही मकर व कुंभ लग्नों के लिये मध्यम शुभ होते हैं।

-केन्द्र त्रिकोण में अकेले या केन्द्रेश त्रिकोणेश के साथ हो तो अधिक बली होते हैं।

-राहु जिस राशि में हो यदि उसके स्वामी बली और स्वस्थ हो तो इनका शुभ फल बढ़ता है।

-गुरू के साथ बैठे हों तो गुरू को अशांत करते हैं।

-अष्टम में राहु जीवन साथी के लिये अलगाव और कभी दुर्घटना का संकेत देते हैं।

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार-

हथेली में इस पर्वत की स्थिती मस्तिष्क रेखा से नीचे चन्द्र, मंगल तथा शुक्र से घिरा जो भूभाग होता है, वह राहु का क्षेत्र कहलाता है। भाग्य रेखा इसी पर्वत से होकर शनि पर्वत की ओर जाती है। राहु का क्षेत्र यदि हथेली पर पुष्ट एवं उन्नत हो तो व्यक्ति निश्चय ही भाग्यवान होता है, यदि भाग्य रेखा टूटी हुयी हो व राहु पर्वत विकसित हो तो व्यक्ति एक बार आर्थिक दृष्टि से अवश्य ही ऊपर उठता है और फिर उसका पतन हो जाता है।

कैसे मनाये राहु देव को सरल उपाय-

* त्रिफले का सेवन करें उससे राहु अनुकूल होेते हैं।
* अपंगों की सेवा करें इससे भी राहु प्रसन्न होते हैं।
* घर में प्लास्टर आॅफ पेरिस की मूर्तियों से सजावट करें छत पर पीओपी डिजायन करा सकते हैं।
* नहाने से पहले शरीर पर तेल लगायें, नाभी में तेल अवश्य लगायें उसके बाद स्नान करें।
* गंगाजल से हर दिन तीन बार आचमन करें।
* एक बार पहना हुआ कपड़ा पुनः न पहने, धोने के बाद ही पहने।
  लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
* पीपल या बड के पेड़ की जड़ में दूध चढ़ाये।
* घर में तिल के तेल का दीपक जलायें।
* कामवासना को नियंत्रित रखें, सदग्रन्थों का अध्ययन करें, विद्वान व ज्ञानी व्यक्तियों की संगति करें ।
* नारियल में भूना हुआ आटा व बूरा मिलाकर भरें और उसे किसी सुनसान स्थान में गाढ़ दें।
* शिवलिंग पर जल चढ़ायें व पानी का नारियल सोमवार को शिवजी को चढ़ायें।
* घर में कबाड़ा इकटठा न होने दें उसे घर से बाहर निकाल दें या फिर बेच दें।
* नहाने के पानी में कुशा का टुकड़ा डालें, बाजार में मिलने वाली नीम की साबुन को प्रयोग करें।
* राहु का रत्न गोमेद है इसे चांदी में पहनना चाहिये, शंख, सीपी का टुकड़ा, छेदी हुई कौड़ी चांदी में जड़वाकर गले में धारण करें।
* राहु के मन्त्रों का विधिपूर्वक जाप करें, या किसी विद्वान व अनुभवी पंडित से करायें !

विशेष-उपरोक्त उपायों में से एकाधिक उपाय करने से राहु  देव प्रसन्न होते हैं, यदि समस्या गंभीर हो तो किसी विद्धान व अनुभवी ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिये।
   -लेखक-संजय कुमार गर्ग (लेखाधिन पुस्तक "नवग्रह रहस्य" से)
Image courtesy of Sorapop at FreeDigitalPhotos.net

5 टिप्‍पणियां :

  1. संजय जी , हमारी संस्कृति इतनी मजबूत और इतनी तार्किक है कि हर एक सवाल का जवाब मिल जाता है ! आपके जैसा ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता जब इन बातों उनकी प्रासंगिकता और उपयोगिता और भी बढ़ जाती है ! राहु के विषय में बहुत बेहतर पोस्ट लिखी है आपने ! साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय योगी जी, सादर नमन! आप पोस्ट की इतनी प्रशंसा कर देते हैं की कुछ कहते ही नही बनता, टिप्पणी के लिए सादर आभार! आदरणीय योगी जी!

      हटाएं
  2. आपके की posts मैं अवश्य पढती हूँ और forward भी करती हूँ जिन को जरूरत है।
    बहुत समय बाद आप जैसा जानकार मिला है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीया मंजू जी! सादर नमन! पोस्ट को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!

      हटाएं
  3. बिलकुल सही ज्ञान दिया अपने ,

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमूल्य है!