केतु देव का कैसे अनुकूल करें!

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Ketu Dev
श्रीमदभागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के चक्र से कटने पर सिर राहु और धड़ केतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ। राहु के साथ ही केतु भी ग्रह बन गये। केतु की दो भुजायें  हैं सिर पर मुकुट तथा शरीर पर काला वस्त्र धारण करते हैं। उनका शरीर ध्रूम वर्ण तथा मुख विकृत है। वे अपने हाथ में गदा तथा दूसरे हाथ मेें वरमुद्रा धारण किये रहते हैं। ये गिद्ध पर सवार रहते हैं, कही-कही पर इनका वाहन कपोत भी माना जाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार ये छाया ग्रह हैं, व्यक्ति तथा समस्त सृष्टि को ये प्रभावित करते हैं। केतु, राहु की अपेक्षा अधिक सौम्य तथा हितकारी होते हैं। केतु को जैमिनि गौत्र का सदस्य माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार इनकी महादशा सात वर्ष की होती है। इनके अधिदेवता चित्रकेतु तथा प्रत्यधिदेवता ब्रह्मा हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में केतु अशुभ स्थान में रहते हैं तो वह अनिष्टकारी हो जाता है, केतु जातक की कुण्डली में लगभग राहु के समान ही लाभ-हानि देेते हैं। इसके लिये आप राहु देव को कैसे मनाये, पोस्ट पढि़ये।
कब शुभ-पापी होते हैं-
-लग्नानुसार मेष, वृष, कर्क, मिथुन, कन्या, धनु, और मीन राशिओं के लिये केतु मुलतः शुभ होते हैं। सिंह, तुला, वृश्चिक राशिओं में अशुभ होते हैं, वही मकर कुंभ लग्नों के लिये मध्यम शुभ होते हैं।
-केन्द्र त्रिकोण में अकेले या केन्द्रेश त्रिकोणेश के साथ हो तो अधिक बली होते हैं।
-केतु जिस राशि में हो यदि उसके स्वामी बली और स्वस्थ हो तो इनका शुभ फल बढ़ता है।
-गुरू के साथ बैठे हों तो गुरू को अशांत करते हैं।
-अष्टम में ये जीवन साथी के लिये अलगाव और कभी दुर्घटना का संकेत देते हैं।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार-
हथेली में इस पर्वत की स्थिती मणिबन्ध के ऊपर शुक्र तथा चन्द्र क्षेत्रों का बांटता हुआ, भाग्य रेखा के प्रारम्भिक स्थान के स्थान के समीप होता है, इस ग्रह का प्रभाव राहु के समान ही देखा गया है। डा0 नारायण दत्त श्रीमाली के अनुसार यदि यह पर्वत अविकसित हो और भाग्य रेखा विकसित हो तो भी उसके जीवन से दरिद्रता नहीं मिटती, अतः केतु पर्वत विकसित हो और भाग्य रेखा भी विकसित हो तभी  तभी व्यक्ति जीवन में पूर्ण उन्नति कर सकता है।
कैसे मनाये केतु देव को सरल उपाय-
राहु-केतु को अनुकूल करने के उपाय लगभग एक जैसे हैं, जिनका मैं राहु के पूर्व आलेख में विवरण दे चुका हूँ, इस आलेख में मैं अन्य उपायों का वर्णन कर रहा हूं-
-सन्ध्या समय हनुमान चालिसा, हनुमान अष्टक, बजरंग बाण व श्री राम स्तुति का पाठ करें।
-बुधवार शनिवार को सुन्दर कांड का दीपक जला कर पाठ करें
-केतु के दोषों का शमन करने के लिये आठ चिरंजीवियों के नामों का पाठ व स्मरण करें।
1-अश्वत्थामा  2-राजा बलि  3-वेद व्यास  4-हनुमान  5-विभीषण  6-कृपाचार्य  7-परशुराम 8-मार्केण्डेय मुनि
-केतु के मन्त्रों का विधिपूर्वक जाप करें।
-शिवलिंग या शालिग्राम पर चढ़े जल का सिर पर छींटा दें, व गंगाजल से नित्य आचमन करें।
-बांस के गिलास में थोड़ी देर रखा हुआ जल पीयें।
-देशी घी को गर्म कर लें और उसे दही पर टपका कर खायें या दूध में घी डालकर सेवन करें।
लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
-काले रंग का कपड़ा लें उसमें बराबर मात्रा में निम्न चीजें बांधकर घर में किसी अलमारी में ऐसे स्थान पर रखें जहां बार-बार हाथ ना डालना पड़े। तीन माह में इस काले रंग की पोटली को फेंक दें और पुनः नयी बना लें। पाटली में बांधे जाने वाले सामान है-गेहूं, साबुत चावल, जौ, काले तिल, सरसों, धान की खील व साबुत मूंग।
-प्याज, लहसुन, अदरक, धनिया, पोदिना, मिक्स आचार, एलोवेरा आदि का किसी न किसी रूप् में खाने में प्रयोग करें।
-अस्पतालों में रोगियो की सेवा करें व धन का दान करें।
-राहु-केतु दोनों के लिये एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, या पूर्णमासी का व्रत करना अच्छा रहता है, व्रत माह की दोनों पूर्णमासी व अमावस्या की तिथियों में करना चाहिये।

विशेष-उपरोक्त उपायों में से एकाधिक उपाय करने से राहु  देव प्रसन्न होते हैं, यदि समस्या गंभीर हो तो किसी विद्धान व अनुभवी ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिये।
   -लेखक-संजय कुमार गर्ग (लेखाधिन पुस्तक "नवग्रह रहस्य" से)

6 टिप्‍पणियां :

  1. उत्तर
    1. कमेंट्स के लिए सादर आभार! आदरणीया उपासना जी!

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  2. Tab hut hi archi janakari di he aapane sanjayji?Dhanyavad.me aapane dwara pre shit jay Vijay ko padataa hu,aap ko jyotish ka Bhi gyaan he yah Japan kar achchha Laga.

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    1. आदरणीया विमला जी, ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं, कमेंट्स के लिए धन्यवाद!

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  3. अच्छी जानकारी । धन्यवाद

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