Karva Chauth 2024 : करवा चौथ व्रत सबसे पहले किसने किया!

Karva Chauth 2024 : करवा चौथ व्रत सबसे पहले किसने किया!
मनु स्मृति के तीसरे अध्याय
में कहा गया है ‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।।’’ अर्थात-जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती, उनका सम्मान नही होता, वहाँ किए गए समस्त अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं। यह मंत्र हमारे पौराणिक ग्रंथों में नारी के महत्व को दर्शाता है। इसका एक महत्वपूर्ण कारण है कि नारी जितने प्रयास, व्रत, तप अपने बच्चों, पति और परिवार के लिए करती है उतना पति नहीं कर पाता। सच्ची नारी वहीं जिसमें प्रेम, प्यार, त्याग की भावना कूट-कूट कर भरी होती है। अहंकार दिखावे का इसमें कोई स्थान नहीं होता।

शास्त्रों में करवा चौथ के व्रत से संबंधित अनेक मत हैं, परन्तु बताया जाता है कि इस व्रत का प्रारम्भ महाभारत के काल में भगवान श्री कृष्ण के कहने से हुआ था और इसका प्रारम्भ द्रोपदी ने किया था। आइये करवा चौथ की असली कहानी क्या है? जानते हैं-

करवा चौथ की असली कहानी क्या है?/ करवा चौथ की हिस्ट्री क्या है?


एक बार अर्जुन कील पर्वत पर किसी विशेष अनुष्ठान के लिए गये। अर्जुन के जाने के बाद  द्रोपदी अत्यंत चिंतित हुई, उसने सोचा कि उस वन में कितने भयंकर खतरे होंगे और अर्जुन अकेले  ही इस पर्वत पर चल गये। वहां उनके साथ कोई भी नहीं है, किसी खतरे में अर्जुन किससे सहायता लेंगे। पता नहीं वहां अर्जुन की दशा कैसी होगी? ये सोच-सोच कर द्रोपदी बहुत चिंतित हुई। उसी समय भगवान श्री कृष्ण वहां आये उन्होंने द्रोपदी से उनकी चिंता का कारण पूछा?

द्रोपदी ने कहा हे प्रभु इस गृहस्थी में इतने दुःख हैं, इतने कष्ट हैं, कृपया इनसे बचने का कोई तो उपाय बताइये ताकि ये विघ्न-बाधाएं दूर हो सकें?
भगवान श्री कृष्ण ने कहा-तुम्हारा मन अर्जुन के प्रति अत्यंत व्याकुल है, तुम उसकी चिन्ता ना करो, केवल उसका चिन्तन करों!
द्रोपदी ने कहा-तो प्रभु फिर मैं क्या करूं?
तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रोपदी को पति की दीर्घायु देने वाला करवा चौथ का व्रत बताया बताया साथ ही पित्त के प्रकोप को समाप्त करने के लिए चंद्र देव की पूजन की विधि भी बतायी। 
द्रोपदी ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अर्जुन के लिए भगवान श्रीकृष्ण की बतायी विधि के अनुसार करवा चौथ का व्रत व पूजन किया।


कहा जाता है इस व्रत के प्रभाव से ही पाण्डवों की सारी बाधाएं समाप्त हो गयी और महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की विजय हुई। उसी दिन से भारतीय स्त्रियां अपने पति के लिए लंबी आयु, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कराने के लिए, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बतायी गयी विधि से करवा चौथ का व्रत करने लगी और इस व्रत को प्रत्येक वर्ष करके अपने जीवन में धारण कर लिया।

गोस्वामी देवाचार्य गिरि जी के अनुसार-
करवा चौथ का व्रत करने के लिए मिट्टी का करवा लेना चाहिए, करवें में गेहूं और उसके ढक्कन में चीनी तथा नगद रूप्ये रखें, चावल, रोली, मोली, मिष्ठान आदि चढ़ाओं। रोली जल के लौटे पर एक सतिया बनाइये, रोली, चावल छिड़क कर जल चढ़ाओं। हाथ में तेरह गेहूं के दाने लेकर मुट्ठी बंद कर लें उसके बाद करवा चौथ की कहानी किसी से सुनें या स्वयं पढ़े। जो कहानी कह रही है उसको दक्षिणा अवश्य दें। उसके बाद मध्य रात्रि का चांद देखकर चांद को अरग दें तथा अरग देते समय नीचे लिखी लाइनें सात बार बोलें-

Karva Chauth 2024 : करवा चौथ व्रत सबसे पहले किसने किया!


चांद को अरग देते समय क्या बोलते हैं?/अरग कैसे दिया जाता है?

चन्दा ऐ चन्द्रावलिए चन्दा आया बार में,
उठ सुहागन अरग दें, मैं बैठी थी बाट में।
काहे का तेरा कंडलरा काहे का तेरा हार,
सोने का नेरा कंडला जगमोतियन का हार।।
कहां बसे तेरा पेवड़ा कहां ससुराल, 
आम तले मेरा पेवड़ा नीम तले ससुराल।।
चन्दा ऐ चन्द्रावालिए चन्दा आया बार..................

चौथ का व्रत कितनी तारीख को है 2024 में?

भारतीय पंचांग के अनुसार, 2024 में कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर करवा चौथ शुरू होगी और 21 अक्टूबर दिन सोमवार करवा चौथ सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर खत्म होगी। करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। 

तो आपको ये कथा कैसी लगी कमैंटस करके बताना न भूले, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर   

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