बच्चों के संबंध में क्या कहती है चाणक्य नीति!

चाणक्य नीति
चाणक्य नीति 
किसी व्यक्ति के जीवन भर की पूंजी, पैसा, जेवर, जमीन आदि को यदि एक ओर व दूसरी ओर एक सुसंस्कारी पुत्र को रख दिया जाये तो सुसंस्कारी पुत्र का पलड़ा भारी रहेगा। क्योंकि एक सुपुत्र ही किसी व्यक्ति के जीवन भर की एक महत्वपूर्ण कमाई है। कहा भी गया है ‘‘पूत सपूत काहे धन संचय, पूत कपूत काहे धन संचय‘‘ अर्थात पुत्र यदि सुसंस्कारी है तो हमें धन के संचय करने की क्या आवश्यकता है? वह अपनी योग्यता से अपने आप ही धनार्जन कर लेगा, और यदि पूत कपूत है तो भी धन संचय करके क्या करना है? कपूत अपनी बुरी आदतों से सारा धन उड़ा देगा। इस प्रकार सिद्ध होता है कि हमें अपने बच्चों को विरासत में धन देने के साथ-साथ उसे अच्छे संस्कार भी देने चाहिए, ताकि वह विरासत में प्राप्त धन में वृद्धि करने के साथ ही अपने पिता व कुल का नाम भी उज्जवल कर सके। पाठकजनों!! आइये! सुपुत्र-कुपुत्र के बारे में हम महात्मा चाणक्य के विचारों का अध्ययन करते हैं-

आचार्य चाणक्य ने संतान के लालन-पालन के बारे में एक ‘बाल मनोवैज्ञानिक’ की भांति अनेक श्लोक दिये हैं, वे कहते हैं-"पुत्र को पांच वर्ष तक प्रेम करना चाहिए और फिर दस वर्ष तक कड़ी निगरानी (ताड़ना) में रखें , उसके पश्चात् अर्थात सोलह वर्ष के बाद पुत्र के साथ मित्र जैसा व्यवहार करें।’’(18/3) हम सभी जानते हैं कि बच्चे में दोष-दुर्गुण आने की ज्यादा संभावना सोलह वर्ष की आयु तक ही अधिक होती है। उसके बाद वह अच्छे-बुरे को समझने लगता है।

महात्मा चाणक्य कहते हैं कि "धन में संतोष, आज्ञाकारी स्त्री और पिता का भक्त पुत्र जिनको मिलते हैं, उनको यही पर ही स्वर्ग मिल जाता है।"।4/2 ।।

वास्तविक पिता व पुत्र कौन हैं? चाणक्य कहते हैं-"वे ही पुत्र हैं, जो पिता के भक्त हैं। वे ही पिता हैं जो पुत्र का पालन भली प्रकार करते हैं।"।।5/2।।

चाणक्य कहते हैं कि वही व्यक्ति बुद्धिमान है-"बुद्धिमान मनुष्य को चाहिये कि वे अपनी संतान को शुभ कार्यो में लगायें, क्योंकि नीति के जानकार श्रेष्ठ शीलवान पुत्र ही कुल में पूजे जाते हैं।"।।10/2।।

महात्मा चाणक्य बच्चों को न पढ़ाने वाले अभिभावकों पर कटाक्ष करते हुये कहते हैं-"वे माता-पिता शत्रु के समान हैं, जो अपने पुत्रों को नहीं पढ़ाते। वे (बच्चे) सभा में इस तरह शोभायमान नहीं होते जैसे हंसों के बीच में बगुला अच्छा नहीं लगता।"।।11/2।।

चाणक्य कहते हैं कि अपने प्रिय शिष्य या पुत्र को ज्यादा लाड नहीं करना चाहिये-"अपने प्रिय शिष्य और पुत्र को कभी लाड़ नहीं करना चाहिये, क्योंकि ज्यादा लाड़ करने से वे दुष्ट और ताड़ने (धमकाने) से सोने के समान उज्जवल संत बन जाते हैं।"।।12/2।।

चाणक्य सुपुत्र का कितना सुन्दर उदाहरण देते हैं-"सुपुत्र और सुगन्ध वाले वृक्ष की एक ही दशा होती है, जिस प्रकार एक सुगन्धित वृक्ष अपनी गन्ध से सारे वन को सुगन्धित कर देता है, उसी प्रकार एक सुपुत्र भी सारे कुल को प्रसिद्ध कर देता है।"।।14/3।।

कुपुत्र का उदाहरण देते हुये मुनिवर  कहते हैं-"जिस प्रकार जलता हुआ एक वृक्ष सम्पूर्ण वन को जला देता है, उसी प्रकार कुपुत्र भी सदा अपने कुल को जरा (हीन) दशा करके उसका नामोनिशान मिटा देता है।"।।15/3।।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य सुपुत्र की तुलना चन्द्रमा से करते हुये कहते हैं-"यदि पुत्र सज्जन और विद्वान है तो वही एक कुल को आनन्दित कर देता है, जिस प्रकार रात्रि को चन्द्रमा आनन्द दायक बना देता है।"।।16/3।।।

अनेक पुत्रों से एक सुपुत्र होना ही अच्छा है ऐसा चाणक्य का मानना है-"ऐसे बहुत से पुत्र होने व्यर्थ हैं जो शोक और संताप को देने वाले हों। कुल को सहारा देने वाला एक ही पुत्र अच्छा है, जिससे कुल विश्राम पाता है।"।।17/3।।

चाणक्य कहते हैं कि-"यदि सुपुत्र एक ही हो तो वह अवगुणी सैकड़ों पुत्रों से अच्छा है, क्योंकि हजारों तारे जब पृथ्वी के अन्धकार को नहीं मिटा सकते, तो एक अकेला चन्द्रमा ही अन्धकार को मिटा देता है।"।।6/4।।


महात्मा चाणक्य मूर्ख पुत्र के बारे में कहते हैं-"मूर्ख पुत्र चिरंजीवी होने के बदले यदि पैदा होते ही मर जाये तो अच्छा है। इससे अधिक दुख नहीं होता, परन्तु यदि न मरे तो जीवन भर जलाता रहता है।"।।7/4।।।

महात्मा चाणक्य कहते हैं कि-"अपुत्र का घर सूना है, बन्धु रहित की दिशा सूनी है, मूर्ख का ह्दय सूना है और दरिद्रता के होने पर सभी कुछ सूना है।"।14/4।।

चाणक्य कहते हैं कि निम्न बिना आग के ही शरीर को जलाते हैं-"विधवा लड़की, मूर्ख पुत्र, बुरा भोजन, दुष्ट लड़का, झगड़ालू स्त्री, नीच मनुष्य की सेवा, बुरे स्थान पर रहना ये छहों बिना आग के ही शरीर को जला देते हैं।"।। 8/4।।।
संकलन-संजय कुमार गर्ग 
 (चित्र गूगल-इमेज से साभार!)

4 टिप्‍पणियां :

  1. sabhi achhe aur vicharniy sutr ....jankari ke liye abhar

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    1. आदरणीया उपासना जी! ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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    1. आदरणीया भारती जी! ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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