दिल की चोटों ने कभी |
-1-
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने ना दिया
जब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया,
इसका गम नहीं कि, क्यों हमें बरबाद किया
गम तो ये है बहुत देर में बर्बाद किया।
-अज्ञातजब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया,
इसका गम नहीं कि, क्यों हमें बरबाद किया
गम तो ये है बहुत देर में बर्बाद किया।
-2-
हंसता हूं मगर इसमें कोई राज नहीं है
रोना या रूलाना मेरा अन्दाज नहीं है
गीतों को समझना तो महज काम है दिल का
यह मेरा तरन्नुम मेरी आवाज नहीं है।
-रामावतार त्यागीयह मेरा तरन्नुम मेरी आवाज नहीं है।
-3-
दुनिया मेरी बला जाने, महंगी है या सस्ती है
मौत मिले तो मुफ्त न लूं, हस्ती की क्या हस्ती है
आबादी भी देखी है, वीराने भी देखे हैं
जो उजड़े और फिर न बसे, दिल वो निराली बस्ती है।
-फानी बदायूनी
आबादी भी देखी है, वीराने भी देखे हैं
जो उजड़े और फिर न बसे, दिल वो निराली बस्ती है।
-फानी बदायूनी
-4-
शाख से पत्ता अगर कोई जुदा हो जायेगा
हादसों का फिर शुरू इक सिलसिला हो जायेगा
और कुछ दिन तक अगर तूफान यह आता रहा
याद का सूखा हुआ पत्ता हरा हो जायेगा
-मृदुला अरूणहादसों का फिर शुरू इक सिलसिला हो जायेगा
और कुछ दिन तक अगर तूफान यह आता रहा
याद का सूखा हुआ पत्ता हरा हो जायेगा
-5-
हर शब एक ही ख्वाब में उलझा रहता हूं
मैं दरिया हूं, फिर भी प्यासा रहता हूं
रोशनियों को घर भी नहीं मिलता 'मखदूम'
सूरज का साया हूं भागा रहता हूं।
-मख्दूम मुनव्वर
रोशनियों को घर भी नहीं मिलता 'मखदूम'
सूरज का साया हूं भागा रहता हूं।
-मख्दूम मुनव्वर
-6-
चीरती निस्तब्धता को कवि स्वरों के तीर से
वेदना को बांध पाया कौन है जंजीर से
धूल में भी बैठ कवि संसार से ऊंचा रहे
लड़ सकी कवि-साधना रूठी हुई तकदीर से
धूल में भी बैठ कवि संसार से ऊंचा रहे
लड़ सकी कवि-साधना रूठी हुई तकदीर से
-हरिकृष्ण प्रेमी
संकलन-संजय कुमार गर्ग
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)
मुक्तक/शेरों-शायरी के और संग्रह
शाख से पत्ता अगर कोई जुदा हो जायेगा
जवाब देंहटाएंहादसों का फिर शुरू इक सिलसिला हो जायेगा
और कुछ दिन तक अगर तूफान यह आता रहा
याद का सूखा हुआ पत्ता हरा हो जायेगा
सभी मुक्तक लाजवाब ... बेहद उम्दा ख्याल ...
कमेंट्स के लिए सादर धन्यवाद! आदरणीय दिगम्बर जी!
हटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंकमेंट्स के लिए सादर धन्यवाद! आदरणीय ग़ाफ़िल जी!
हटाएंऔर कुछ दिन तक अगर तूफान यह आता रहा
जवाब देंहटाएंयाद का सूखा हुआ पत्ता हरा हो जायेगा
.......उम्दा मुक्तक
कमेंट्स के लिए सादर धन्यवाद! आदरणीय संजय जी!
हटाएंबहुत सुन्दर मुक्तकों का संग्रह किया हैं आपने................. आभार
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
आदरणीय सावन जी! ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए धन्यवाद!
हटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : बिन रस सब सून
आदरणीय राजीव जी! ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए धन्यवाद!
हटाएंबहुत ही बढियाँ रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीया भारती जी, ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने आभार!
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