बृहस्पति देव |
बृहस्पति
देव जातक में, चरित्र, मान सम्मान, ईमानदारी, विद्या, उच्च शिक्षा, लेखन
कला, राजसी सम्मान, विवाह सुख, संतान, यश, तर्कशक्ति, ज्योतिषीय ज्ञान,
स्मरण शक्ति, आस्तिकता, नेतृत्व क्षमता, सात्विकता आदि का प्रतिनिधित्व
करते हैं, वही शरीर में चर्बी, पेट की बीमारी, मधुमेह, जिगर के रोग, वायु
विकार, हकलाना आदि विकारों को भी देते हैं। बृहस्पतिप्रधान जातक मीठे के
शौकीन, भाषाविद्, लेखक, ज्योतिष, मन्त्रादि गुप्त विद्याओं के जानकार व
बागवानी में रूचि रखने वाले होते हैं।
कब पापी होते हैं-
1-कर्क, धनु व मीन राशि में शुभ होते हैं, मेष, सिंह, वृश्चिक राशि में मध्यम, मिथुन व कन्या राशि में कम साधारण अशुभ, वृष, तुला राशि में अशुभ, मकर में अति अशुभ व कुंभ में उदासीन होते हैं।
2-कुंडली में अकेले गुरू जातक को किंकर्तव्यविमूढ़ बनाते हैं।
3-गुरू राहु-केतु के साथ हो तो जातक के विचारों में टकराव होता रहता है।
4-कुण्डली में सूर्य के साथ या सूर्य के बिलकुल पीछे हों तो निर्बल होते हैं, यदि शुक्र के साथ हो तो अशान्त रहते हैं।लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
5-कुण्डली में सूर्य व चन्द्रमा के बलवान होने पर अशुभ बृहस्पति शान्त रहते हैं।
कब पापी होते हैं-
1-कर्क, धनु व मीन राशि में शुभ होते हैं, मेष, सिंह, वृश्चिक राशि में मध्यम, मिथुन व कन्या राशि में कम साधारण अशुभ, वृष, तुला राशि में अशुभ, मकर में अति अशुभ व कुंभ में उदासीन होते हैं।
2-कुंडली में अकेले गुरू जातक को किंकर्तव्यविमूढ़ बनाते हैं।
3-गुरू राहु-केतु के साथ हो तो जातक के विचारों में टकराव होता रहता है।
4-कुण्डली में सूर्य के साथ या सूर्य के बिलकुल पीछे हों तो निर्बल होते हैं, यदि शुक्र के साथ हो तो अशान्त रहते हैं।लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
5-कुण्डली में सूर्य व चन्द्रमा के बलवान होने पर अशुभ बृहस्पति शान्त रहते हैं।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार-
हथेली में तर्जनी उंगली के मूल में बृहस्पति पर्वत का स्थान है, जिन हथेलियों में गुरू पर्वत अन्य पर्वतों से ज्यादा उभरा हुआ हो, तो जातक में उपरोक्त गुण पाये जाते हैं। यदि यह पर्वत अल्पविकसित हो तो उपरोक्त गुणों में न्यूनता समझनी चाहिये। गुरू पर्वत पर स्टार होना जल्द विवाह होने का भी सूचक माना जाता है।
हथेली में तर्जनी उंगली के मूल में बृहस्पति पर्वत का स्थान है, जिन हथेलियों में गुरू पर्वत अन्य पर्वतों से ज्यादा उभरा हुआ हो, तो जातक में उपरोक्त गुण पाये जाते हैं। यदि यह पर्वत अल्पविकसित हो तो उपरोक्त गुणों में न्यूनता समझनी चाहिये। गुरू पर्वत पर स्टार होना जल्द विवाह होने का भी सूचक माना जाता है।
कैसे मनाये बृहस्पतिदेव को कुछ सरल उपाय-
1-पेड़-पौधों की देखभाल करें, पीपल में पानी दें व उसकी जड़ में दीपक जलाना चाहिये।
2-बृहस्पति दादी-दादी का भी प्रतीक हैं अतः उनका व उनकी आयु के लोगों का सम्मान करें व कभी-कभी उन्हें कुछ भेंट दें।
3-बृहस्पति गुरू का भी प्रतीक हैं अतः उनका व उनकी आयु के लोगों का सम्मान करें व उन्हें कभी-कभी कुछ भेंट दें।लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
4-बेसन की मिठाई, सोहन पपड़ी, बेसन का हलवा आदि बच्चों का बांटे।
5-किसी निर्धन विद्यार्थी का पठन सामग्री या उनकी पढ़ाई में सहयोग करें।
6-पीपल की गोलियों, बड़ की जटा, तुलसी दल, पूजा घर में रखें।
7-हल्दी केसर व चन्दन मिश्रित क्रीम चेहरे पर लगायें।
8-"सूर्य-ग्रह" से संबंधित उपाय करें।
9-गुरूवार का व्रत करें व गुरू मंत्र का जप करें या मंत्र का जप किसी योग्य व अनुभवी पण्डित से करायें।
9-गुरू का रत्न पुखराज मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन, लग्न वाले जातक धारण कर सकते हैं।
10-सोना-चांदी-तांबे का त्रिधातु छल्ला या सोने का ब्रेसलेट (कड़ा) हाथ में धारण करें
1-पेड़-पौधों की देखभाल करें, पीपल में पानी दें व उसकी जड़ में दीपक जलाना चाहिये।
2-बृहस्पति दादी-दादी का भी प्रतीक हैं अतः उनका व उनकी आयु के लोगों का सम्मान करें व कभी-कभी उन्हें कुछ भेंट दें।
3-बृहस्पति गुरू का भी प्रतीक हैं अतः उनका व उनकी आयु के लोगों का सम्मान करें व उन्हें कभी-कभी कुछ भेंट दें।लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
4-बेसन की मिठाई, सोहन पपड़ी, बेसन का हलवा आदि बच्चों का बांटे।
5-किसी निर्धन विद्यार्थी का पठन सामग्री या उनकी पढ़ाई में सहयोग करें।
6-पीपल की गोलियों, बड़ की जटा, तुलसी दल, पूजा घर में रखें।
7-हल्दी केसर व चन्दन मिश्रित क्रीम चेहरे पर लगायें।
8-"सूर्य-ग्रह" से संबंधित उपाय करें।
9-गुरूवार का व्रत करें व गुरू मंत्र का जप करें या मंत्र का जप किसी योग्य व अनुभवी पण्डित से करायें।
9-गुरू का रत्न पुखराज मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन, लग्न वाले जातक धारण कर सकते हैं।
10-सोना-चांदी-तांबे का त्रिधातु छल्ला या सोने का ब्रेसलेट (कड़ा) हाथ में धारण करें
विशेष-उपरोक्त उपायों में से एकाधिक उपाय करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं, यदि समस्या गंभीर हो तो किसी विद्धान व अनुभवी ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिये।
-लेखक-संजय कुमार गर्ग (लेखाधिन पुस्तक "नवग्रह रहस्य" से)
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)
आदरणीय वाडिया जी, ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंGreat
जवाब देंहटाएंधन्यवाद! उमेश जी!
हटाएंआदरनीय गुरूजी,
जवाब देंहटाएंमेरी पत्रीका मिथून लग्नकी है
मेरी पत्रिकामे
प्रथम भाव मे शुक्र, द्वितीय मे सूर्य तथा मंगल, त्रीतिय में बुध, पंचमभाव मे तुला राशी के उच्चके शनि तथा केतू, अष्टम भाव में मकर राशी मे अस्त गुरु तथा चंद्र, नवम तथा दशम स्थान रीक्त, एकादश मे राहू.
गुरुजी, मै पिछले 5 साल से सरकारी नौकरी प्राप्त करने का प्रयास कर रहा हू! लेकीन मै उसमे बहोत प्रयास के बावजूद असफल रहा हू.
कृपया सरकारी नौकरी प्राप्त करने के उपाय बताए.
प्रनाम
उमेश जी, नमस्कार! आप सूर्य भगवान को तांबे के लोटे में नित्य जल दें, सूर्य मन्त्र के जाप के साथ! सूर्य ग्रह को कैसे मनाए आलेख को ध्यान से पढ़े, और अपने दोनों हाथ के स्पष्ट प्रिंट मुझे मेल करें!
हटाएंकृपया आपका cell no. दे गुरूजी.
हटाएंमेरा no. 9527578547 है.
प्रणाम गुरूजी,
जवाब देंहटाएंआपने बताया हुआ उपाय मै अवश्य करुन्गा.
गुरूजी आपसे मुझे बात करनी है कृपया आपका cell no. देने की कृपा करे.
मेरा no. 9527578547
बहोत बहोत धन्यवाद गुरूजी reply देने के लिए.
गौर जी, नमस्कार! कमैंट्स के लिए धन्यवाद! फ़ोन नम्बर जल्द ही मैं आपको मेल कर दूंगा.
हटाएंप्रणाम गुरुजी,
जवाब देंहटाएंकृपया दीपक त्राटक करने की विधी और सावधानीया के बारे मे बताए.
ओम काली
गौर जी, नमस्कार! त्राटक साधना के बारे में आप मेरा "नेत्र ज्योति व एकाग्रता के लिए त्राटक कीजिये" पढ़ें, फ़ोन नम्बर जल्द ही मैं आपको मेल कर दूंगा.
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