शनि देव |
शनि
जातक में सांसारिक सुख, न्यायप्रियता, छत्र-सिंहासन के बिना भी राजसी
प्रतिष्ठा, गम्भीरता, दार्शनिक समझ, नौकर-चाकर, तर्क-शक्ति, पिता के समकक्ष
व्यक्ति, दयालुता, देशाटन, चमड़ा, लोहे का व्यापार, प्रिंटिग प्रेस,
जड़ी-बूटी, नौकरों के सुख, पक्षियों का व्यवसाय, ठेकेदारी के काम आदि का
प्रतिनिधित्व करते हैं। पापी या नीच के होने पर मुसीबत घाटा, मुकदमा, शरीर
पर गांठ, झुर्रिया, आंखों में विकार, वायु विकार, झूठा, फरेबी, पाप कर्म
में रत, क्रूर, सेवकों से हानि, व ताकत का दुरूपयोग करने वाला भी बनाते
हैं।
कब शुभाशुभ होते हैं-
1-मेष, वृष, तुला, मकर, कुम्भ राशियों के लग्नों के लिये शुभ होते हैं।
2-मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक राशि के लग्नों के लिये मध्यम हैं।
3-धनु, मीन, लग्नों के लिये अशुभ होते हैं
4-कुण्डली में सूर्य के साथ या बिल्कुल पीछे हों तो कमजोर होते हैं।
5-यदि शुक्र-शनि साथ हो तो सूर्य के शुभ फल घट जाते हैं।
6-कुण्डली में शुक्र कमजोर हों तो शनि के सुख भी घट जाते हैं।
कब शुभाशुभ होते हैं-
1-मेष, वृष, तुला, मकर, कुम्भ राशियों के लग्नों के लिये शुभ होते हैं।
2-मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक राशि के लग्नों के लिये मध्यम हैं।
3-धनु, मीन, लग्नों के लिये अशुभ होते हैं
4-कुण्डली में सूर्य के साथ या बिल्कुल पीछे हों तो कमजोर होते हैं।
5-यदि शुक्र-शनि साथ हो तो सूर्य के शुभ फल घट जाते हैं।
6-कुण्डली में शुक्र कमजोर हों तो शनि के सुख भी घट जाते हैं।
हस्त रेखा शास्त्र के अनुसार-
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हाथ में इनका स्थान मध्यमा उंगली के मूल में होता है। मध्यमा उंगली कोभाग्य
की देवी भी कहा जाता है, क्योंकि भाग्य रेखा की समाप्ति इसी उंगली के मूल
में होती है। यदि पर्वत पूर्ण विकसित हो तो व्यक्ति प्रबल भाग्यवान होता
है, ऐसे व्यक्ति एकान्त प्रिय तथा निरन्तर अपने लक्ष्य में लगे रहने वाले
होते हैं। अत्यधिक विकसित पर्वत वाला व्यक्ति, जिसकी ह्दय रेखा हाथों में
धंसी हुई सी होती है, ऐसे व्यक्ति आत्महत्या तक कर सकते हैं। डाकू, ठग,
लुटेरों के हाथों में भी यह पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित पाया जाता है।
शनि पर्वत पर ज्यादा रेखायें हों तो व्यक्ति को कायर तथा अत्यधिक भोगी
बनाती हैं।
कैसे मनायें शनि देव को-
1-नहाने से पहले शरीर पर तेल लगायें फिर नहायें। नाभी में भी तेल लगाये।
2-शिवलिंग पर जल चढ़ाये व शिव की पूजा करें।
2-शिवलिंग पर जल चढ़ाये व शिव की पूजा करें।
3-शनि सेवक का भी प्रतीक हैं अतः नौकरों, मजदूरों, गरीबों व अपने अधिनस्थों का मन न दुखाये उन्हेे प्रसन्न रखने का प्रयास करें।
4-घर में तिल के तेल का दीपक जलायें।
4-घर में तिल के तेल का दीपक जलायें।
5-भिगोये हुये बादामों का सेवन करें व दान करें।
6-सूखे नारियल में भूना हुआ आटा-बूरा मिलाकर, नारियल में भरकर, उसे किसी सुनसान स्थान पर गाड़ दें।लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
6-सूखे नारियल में भूना हुआ आटा-बूरा मिलाकर, नारियल में भरकर, उसे किसी सुनसान स्थान पर गाड़ दें।लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
7-काले उड़द, काली मसूर, मक्का, बाजरा, चने का सुविधानुसार सेवन करें।
8-अपने नहाने के जल में थोड़े से काले तिल या काली सरसों डालकर स्नान करें।
9-घर में कबाड़ा, टूटी-फूटी वस्तुयें इकट्ठा न होने दें।
8-अपने नहाने के जल में थोड़े से काले तिल या काली सरसों डालकर स्नान करें।
9-घर में कबाड़ा, टूटी-फूटी वस्तुयें इकट्ठा न होने दें।
10-शनिवार को सुन्दर कांड, हनुमान चालीसा, श्री राम स्तुति आदि का पाठ करें।
11-सूर्य की धूप में रखें हुये जल को पीयें।
12-अदरक, तेजपत्ता, बड़ी इलायची, गरम मसाले का किसी न किसी रूप में सेवन करें।
11-सूर्य की धूप में रखें हुये जल को पीयें।
12-अदरक, तेजपत्ता, बड़ी इलायची, गरम मसाले का किसी न किसी रूप में सेवन करें।
13-शनि का रत्न नीलम है, परन्तु इसे बिना किसी ज्योतिषीय परामर्श के नहीं पहनना चाहिये।
14-नीली, लाजवर्त, स्टील की अंगूठी या लोहे का छल्ला नीलम के सस्ते विकल्प के रूप में पहने जा सकते हैं।
14-नीली, लाजवर्त, स्टील की अंगूठी या लोहे का छल्ला नीलम के सस्ते विकल्प के रूप में पहने जा सकते हैं।
15-नीलम, वृष, तुला, मकर, कुंभ, लग्न वालों के लिये शुभ है, नीलम के साथ हीरा-पन्ना अवश्य पहनना चाहिये।लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
16-मिथुन, कर्क, सिंह लग्न वालों के लिये नीलम अशुभ है।
16-मिथुन, कर्क, सिंह लग्न वालों के लिये नीलम अशुभ है।
विशेष-उपरोक्त उपायों में से एकाधिक उपाय करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं, यदि समस्या गंभीर हो तो किसी विद्धान व अनुभवी ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिये।
-लेखक-संजय कुमार गर्ग (लेखाधिन पुस्तक "नवग्रह रहस्य" से)
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)
शनि देव के बारे में विस्तृत और विस्तार से जानकारी ...
जवाब देंहटाएंपोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद! आदरणीय दिगम्बर जी!
हटाएंजगतके न्यायाधिश शनिदेव कहेलाते है! शनिदेव भक्तोंंके रखवाले । शनिदेवका एकही ऊसूल है।जिसे गर्व अंंहकार आया बस ऊसे ऊसकी जगा दिखा देतेहै ।!!शनिदेव महाक्रोध्दी ज्याचा। ज्याचा पराजय नोव्हे युध्दी । देव दानवाा त्रिशूध्दी दुख दाता शनिदेव ।जो शनिदेवकी चेष्टा टिंंगल करताहै। ऊसे शिक्षा अवश्य देते है।नित्य अथवा शनिवार हा गृृंंथ ऊपोषणे अथवा अहर्निशी पठण करेल।त्या भक्तास भाग्यवंंत करेन । दिन रात साभाळेन बाळका प्रमाणे । ये "" श नि म हा त्म्य मे ""
जवाब देंहटाएंशनिदेवका वचन है।
जगतके न्यायाधिश शनिदेव कहेलाते है! शनिदेव भक्तोंंके रखवाले । शनिदेवका एकही ऊसूल है।जिसे गर्व अंंहकार आया बस ऊसे ऊसकी जगा दिखा देतेहै ।!!शनिदेव महाक्रोध्दी ज्याचा। ज्याचा पराजय नोव्हे युध्दी । देव दानवाा त्रिशूध्दी दुख दाता शनिदेव ।जो शनिदेवकी चेष्टा टिंंगल करताहै। ऊसे शिक्षा अवश्य देते है।नित्य अथवा शनिवार हा गृृंंथ ऊपोषणे अथवा अहर्निशी पठण करेल।त्या भक्तास भाग्यवंंत करेन । दिन रात साभाळेन बाळका प्रमाणे । ये "" श नि म हा त्म्य मे ""
जवाब देंहटाएंशनिदेवका वचन है।
आदरणीय अशोक जी, शनि देव के बारे में जानकारी देने व कमेंट्स करने के लिए धन्यवाद!
हटाएंशनि देव के विषय में बहुत ही उपयोगी और सार्थक जानकारी साझा की है आपने संजय गर्ग जी ! शनि को गुस्से वाला माना जाता है लेकिन आपने जो लिखा कि वो हमेशा गर्दन नीचे करके रखते हैं , बिल्कुल ही नया है मेरे लिए !! धन्यवाद आपका , साझा करते रहिये
जवाब देंहटाएंआपके सवाल की प्रतीक्षा रहेगी! कमैंट्स के लिए धन्यवाद! आदरणीय योगी जी!
हटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी 👍👌
जवाब देंहटाएंThanks! Radha. God Bless You!
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