नारी पर विश्व के
अनेक विचारकों, दार्शनिकों आदि ने भिन्न-भिन्न विचार प्रस्तुत किये हैं।
पूर्ववर्ती ब्लाॅक में मैं आपको महात्मा चाणक्य के स्त्री संबंधी विचारों से अवगत करा चुका हूंँ। इसके बाद बहुत से पाठक जन स्त्री-पुरूष संबंधी मेरे
विचार जानने के इच्छुक थे, अपने विचार मैं स्त्री-पुरूष परस्पर पुरक हैं
प्रतिस्पर्धी नहीं नामक ब्लाॅक में रख चुका हूँ। अब इस ब्लाॅग में मैं भारत ही नहीं,
अपितु विश्व के अनेक विचारकों के स्त्री संबंधी विचार संग्रहीत करके आपके
सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ जो निश्चित ही आपके ज्ञान में वृद्धि करेंगे-
*संसार में एक नारी को जो कुछ करना है वह पुत्री, बहन, पत्नी और माता के पावन कर्त्तव्यों के अंतर्गत आ जाता है। -स्टील
*जिस परिवार में स्त्रियों का सम्मान नहीं होता, वह पतन और विनाश के गर्त में लीन हो जाता है- महाभारत
*जिस समय स्त्री का हृदय पवित्रता का आगार बन जाता है, उस समय उससे अधिक कोमल कोई वस्तु संसार में नहीं रह जाती। -लूथर
*ईश्वर के पश्चात् हम सर्वाधिक ऋणी नारी के हैं-प्रथम तो जीवन के लिये, पुनश्चः इसको जीने योग्य बनाने के लिये -बोवी
*अधिकांश पुरूष नारी में वह खोजते हैं, जिसका स्वयं उनके चरित्र में अभाव होता है। -फील्डिंग
*पति के लिये चरित्र, संतान के लिये ममता, समाज के लिये शील, विश्व के लिये दया तथा जीवमात्र के लिये करूणा संजोने वाली महा प्रकृति का नाम नारी है। -रमण
*जीवन में जो कुछ पवित्र और धार्मिक है, स्त्रियां उसकी विशेष संरक्षिकाएं है। -महात्मा गांधी
*नारी का जन्म जगत को मुग्ध करने के लिये नहीं, अपने पति को सुख देने के लिये हुआ है। -बर्क
*स्त्री व पुरूष विश्व रूपी अंकुर के दो पत्ते हैं। -जायसी
*मुझे प्रसन्नता है कि मैं पुरूष नहीं हूंँ क्योंकि उस दशा में मुझे विवाह करने के लिए एक नारी का आश्रय लेना पड़ता। -मैडम द स्टील
*नारी-समाज को सामाजिक जीवन की परम अपेक्षित अप्रसन्नता का कारण समझो और यथासम्भव इससे बचने का प्रयास करो। -टाॅलस्टाय
*नारी या तो प्रेम करती है या फिर घृणा ही। इसके बीच का मार्ग उसे ज्ञात नहीं। -साइरस
*छलनामयी! तेरा ही नाम औरत है। -शेक्सपियर
*स्त्रियां कभी कुरूप नहीं होती। हां ऐसी स्त्रियां अवश्य होती हैं जो स्वयं को सुन्दर बनाने की कला नहीं जानतीं। -ला ब्रूयेर
*नारी का अनुमान भी पुरूष के पूर्ण निश्चय से कहीं सत्य होता है। -किपलिंग
*स्त्रियां महान आघातों को क्षमा कर देती हैं, किंतु तुच्छ चोटों को नहीं भूलतीं। -हैली बर्टन
*नारियों का सम्पर्क ही उत्तम शील की आधारशिला है। -गेटे
*नारी-पुरूष की छाया मात्र है। उसको पाने का प्रयास करो तो वह दूर भागती है, यदि उससे पलायन करो तो वह अनुसरण करती है। -चेम्फर्ट
*अबला जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी।
आंचल में है दूध और आंखों में पानी।। -मैथिलीशरण गुप्त
*स्त्रियों की अवस्था में सुधार न होने तक विश्व के कल्याण का कोई मार्ग नहीं। किसी पक्षी का एक पंख के सहारे उड़ना नितांत असंभव है। -विवेकानन्द
*चंद्रमा की कलाओं की भांति नारी का हृदय भी सदैव परिवर्तनशील होता है, किंतु इसमें सदा ही एक पुरूष का वास रहता है। -पच
*स्त्रियों के समान माधुर्ययुक्त एवं सारगर्भित बातें करना और कोई नहीं जानता। -विक्टर
*काव्य और प्रेमी दोनों नारी हृदय की सम्पत्तिहैं। पुरूष विजय का भूखा होता है, नारी समर्पण की। पुरूष लूटना चाहता है, नारी लूट जाना। -महादेवी वर्मा
*प्रेम किस प्रकार किया जाता है, इसे केवल स्त्रियां ही जान सकती हैं। -मोपांसा
*जो अपने घर आता है, उसे मेहमान समझा जाता है, अतः स्त्री भी मेहमान हैं। -प्रेमचन्द
*स्त्रियों पुरूषों से अधिक बुद्धिमति होती हैं, क्योंकि वे पुरूषो से कम जानती हैं, किन्तु उससे अधिक समझती हैं। -जेम्स स्टीफेन
*पवित्र नारी सृष्टिकर्ता की सर्वोत्तम कृति होती है, वह सृष्टि के सम्पूर्ण सौंदर्य को आत्मसात् किए रहती है। -रविन्द्रनाथ ठाकुर
पाठकजनों!! नारी के बारे में आप अपने विचार भी अवश्य साझा करें, धन्यवाद!
*संसार में एक नारी को जो कुछ करना है वह पुत्री, बहन, पत्नी और माता के पावन कर्त्तव्यों के अंतर्गत आ जाता है। -स्टील
*जिस परिवार में स्त्रियों का सम्मान नहीं होता, वह पतन और विनाश के गर्त में लीन हो जाता है- महाभारत
*जिस समय स्त्री का हृदय पवित्रता का आगार बन जाता है, उस समय उससे अधिक कोमल कोई वस्तु संसार में नहीं रह जाती। -लूथर
*ईश्वर के पश्चात् हम सर्वाधिक ऋणी नारी के हैं-प्रथम तो जीवन के लिये, पुनश्चः इसको जीने योग्य बनाने के लिये -बोवी
*अधिकांश पुरूष नारी में वह खोजते हैं, जिसका स्वयं उनके चरित्र में अभाव होता है। -फील्डिंग
*पति के लिये चरित्र, संतान के लिये ममता, समाज के लिये शील, विश्व के लिये दया तथा जीवमात्र के लिये करूणा संजोने वाली महा प्रकृति का नाम नारी है। -रमण
*जीवन में जो कुछ पवित्र और धार्मिक है, स्त्रियां उसकी विशेष संरक्षिकाएं है। -महात्मा गांधी
*नारी का जन्म जगत को मुग्ध करने के लिये नहीं, अपने पति को सुख देने के लिये हुआ है। -बर्क
*स्त्री व पुरूष विश्व रूपी अंकुर के दो पत्ते हैं। -जायसी
*मुझे प्रसन्नता है कि मैं पुरूष नहीं हूंँ क्योंकि उस दशा में मुझे विवाह करने के लिए एक नारी का आश्रय लेना पड़ता। -मैडम द स्टील
*नारी-समाज को सामाजिक जीवन की परम अपेक्षित अप्रसन्नता का कारण समझो और यथासम्भव इससे बचने का प्रयास करो। -टाॅलस्टाय
*नारी या तो प्रेम करती है या फिर घृणा ही। इसके बीच का मार्ग उसे ज्ञात नहीं। -साइरस
*छलनामयी! तेरा ही नाम औरत है। -शेक्सपियर
*स्त्रियां कभी कुरूप नहीं होती। हां ऐसी स्त्रियां अवश्य होती हैं जो स्वयं को सुन्दर बनाने की कला नहीं जानतीं। -ला ब्रूयेर
*नारी का अनुमान भी पुरूष के पूर्ण निश्चय से कहीं सत्य होता है। -किपलिंग
*स्त्रियां महान आघातों को क्षमा कर देती हैं, किंतु तुच्छ चोटों को नहीं भूलतीं। -हैली बर्टन
*नारियों का सम्पर्क ही उत्तम शील की आधारशिला है। -गेटे
*नारी-पुरूष की छाया मात्र है। उसको पाने का प्रयास करो तो वह दूर भागती है, यदि उससे पलायन करो तो वह अनुसरण करती है। -चेम्फर्ट
*अबला जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी।
आंचल में है दूध और आंखों में पानी।। -मैथिलीशरण गुप्त
*स्त्रियों की अवस्था में सुधार न होने तक विश्व के कल्याण का कोई मार्ग नहीं। किसी पक्षी का एक पंख के सहारे उड़ना नितांत असंभव है। -विवेकानन्द
*चंद्रमा की कलाओं की भांति नारी का हृदय भी सदैव परिवर्तनशील होता है, किंतु इसमें सदा ही एक पुरूष का वास रहता है। -पच
*स्त्रियों के समान माधुर्ययुक्त एवं सारगर्भित बातें करना और कोई नहीं जानता। -विक्टर
*काव्य और प्रेमी दोनों नारी हृदय की सम्पत्तिहैं। पुरूष विजय का भूखा होता है, नारी समर्पण की। पुरूष लूटना चाहता है, नारी लूट जाना। -महादेवी वर्मा
*प्रेम किस प्रकार किया जाता है, इसे केवल स्त्रियां ही जान सकती हैं। -मोपांसा
*जो अपने घर आता है, उसे मेहमान समझा जाता है, अतः स्त्री भी मेहमान हैं। -प्रेमचन्द
*स्त्रियों पुरूषों से अधिक बुद्धिमति होती हैं, क्योंकि वे पुरूषो से कम जानती हैं, किन्तु उससे अधिक समझती हैं। -जेम्स स्टीफेन
*पवित्र नारी सृष्टिकर्ता की सर्वोत्तम कृति होती है, वह सृष्टि के सम्पूर्ण सौंदर्य को आत्मसात् किए रहती है। -रविन्द्रनाथ ठाकुर
पाठकजनों!! नारी के बारे में आप अपने विचार भी अवश्य साझा करें, धन्यवाद!
संकलन-संजय कुमार गर्ग
नारी महान है और पृथ्वी की तरह माँ ... जो सदा देने में विश्वास करती है ...
जवाब देंहटाएंcomments ke liye aabhaar! aadarniy Digamber Ji!
हटाएंअच्छी जानकारी दी आपने
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
Comments ke liye dhanyvaad! Savan Ji!
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