भवन में फर्नीचर संबंधी कुछ वास्तु टिप्स

Vastu Tips for Furniture
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भवन को वास्तु सम्मत बनाने के बाद अब प्रश्न उठता है कि क्या भवन में फर्नीचर भी वास्तु के अनुसार होता है? क्या फर्नीचर भी घर के वास्तु को प्रभावित कर सकता है? क्या हल्के भारी फर्नीचर भी भवन के वास्तु को प्रभावित कर सकते हैं? तो मेरा उत्तर हां! में होगा। किसी घर का फर्नीचर भी उस घर के वास्तु को प्रभावित कर सकता है। भवन में वास्तु सम्मत फर्नीचर का ध्यान कैसे रखें, इसके लिए मैंने कुछ टिप्स दी हैं जो इस दिशा में हमारी काफी मदद कर सकती हैं। 

भवन में फर्नीचर संबंधी कुछ वास्तु टिप्स-


-पूर्व मुखी (East Facing) भवन के पूर्व में बनें समस्त स्थानों जैसे एन्ट्रेन्स फोयर, लॉबी, ड्राइंग रूम में लकड़ी या कैन का बना हल्का फर्नीचर सर्वोत्तम होगा। ऐसे में आप भवन के पीछे के या दोनों तरफ की दिशाओं के दक्षिण-पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम में अपेक्षाकृत भारी फर्नीचर या बेड सजाएं तो उत्तम होगा।

-दूसरी स्थिति में यदि आप की बिल्डिंग उत्तरमुखी (North Facing) है तो स्वभाविक है कि आप का स्वागत कक्ष भवन के अग्रभाग यानी कि उत्तर-पश्चिम दिशा के वायव्य कोण या उत्तर के मध्य भाग या फिर पूर्वोत्तर में स्थित ईशान कोण में होगा। यहां ध्यान रखें कि ईशान कोण के ड्राइंग रूम में केवल अत्यंत कम वजन का एवं चमकदार पॉलिशयुक्त फर्नीचर, कुर्सियां, मेज या सोफा आदि रखें। शीशे के टॉप या दर्पण से युक्त शोकेस व हल्की अल्मारियां आदि यहां पर वास्तु की सृजनात्मक ऊर्जा में वृद्धि परिवार के बौद्धिक विकास में सहायक होगी।

-उत्तर दिशा के भवन में ही उत्तर-पश्चिम या फिर पश्चिम मुखी (West Facing) भवन के इसी कोण या दिशा में बने ड्राइंग रूम में अपेक्षाकृत थोड़ा भारी व स्टील, पीतल आदि धातुओं से युक्त साजो-सामान वास्तु को सकारात्मकता प्रदान करेगा। भवन के पूर्व में बने शयन कक्षों में यथासंभव हल्का सामान, डबल बैड, दीवान आदि का प्रबंध करना चाहिए।

-दक्षिणमुखी (South-facing) भवन में प्रायः वास्तु सम्मत ड्राइंग - रूम पूर्व की दिशाओं में ही होना चाहिए। जहां पर - पूर्वोत्तर से दक्षिण-पूर्व की आग्नेय दिशाओं की ओर बढ़ते क्रम में क्रमश अत्यंत हल्के से शुरू करके भारी करते चले जाएं तो दक्षिण दिशा तक पहुंचते-पहुंचते तमाम फर्नीचर सबसे ज्यादा वजनदार हो जाएगा।

-जहां तक संभव हो गोलाकार या मंडाकार आकृति की टेबल आदि का प्रयोग न करके वर्गाकार या आयताकार शक्ल का सामान प्रयोग करें। पत्थर के टेबल टॉप या मार्बल आदि से युक्त फर्नीचर, कॉर्नर आदि का प्रयोग सदा भवन के दक्षिण-पश्चिम, नैऋत्य कोण में ही करें।

       उपरोक्त बातों के अतिरिक्त कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों पर अवश्य ध्यान दें जैसे पशु-पक्षियों को मारकर उनके अंगों, हड्डियों, सींग, खाल, दांत या नाखुनों से युक्त साजोसामान किसी भी भवन में नकारात्मक तरंगों में वृद्धि करके हानिकारक परिणाम देता है। अतः जीवों के अंगों या शरीर के अवयवों से बने सामान आदि के प्रयोग को कदापि प्रोत्साहन न दें। 
[पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं!]        
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
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