Vijaya Ekadashi 2022-story-date-muhurat विजया एकादशी 2022 की कथा-तिथि-मुहूर्त एवं पारण

विजया एकादशी 2022 की कथा-तिथि-मुहूर्त 
एकादशी
के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठतम माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यदि एकादशी का व्रत निर्जला किया जाए तो उत्तम माना गया है। भगवान श्री हरि विष्णु के भक्तों के लिए एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। माना जाता है कि 
विजया एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है, पूर्वजन्म के पापों से छुटकारा मिलता है। पद्म पुराण के अनुसार, ये अत्यंत पुण्यदायी एकादशी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस योग में व्रत करने से पूजा का फल तीन गुना मिलता है। लंका विजय के लिए भगवान श्रीराम ने इसी दिन समुद्र किनारे पूजा की थी। 

विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya  Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा व रामायण के अनुसार, जब रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया तो भगवान श्रीराम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हो गए। फिर उनकी हनुमान जी की सहायता से सुग्रीव से मुलाकात हुई। और श्रीराम-लक्ष्मण वानर सेना की मदद से रावण की लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र के तट पर आए। परन्तु लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए? क्योंकि उनके सामने विशाल समुद्र था, जिसको पार करना बहुत कठिन प्रतीत हो रहा था। उनको कोई उपाय नही सूझ नहीं रहा था। अंत में उन्होंने समुद्र से ही लंका पर चढ़ाई करने के लिए मार्ग मांगा, लेकिन समुद्र ने उनके निवेदन को अनसुना कर दिया। वहां से कुछ दूरी पर कुमारी द्वीप में वकदाल्भ्य मुनि का आश्रम था, श्रीराम ने वकदाल्भ्य मुनि से इसका उपाय पूछा। तब मुनि वकदाल्भ्य ने श्रीराम को अपनी वानर सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया। वकदाल्भ्य ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए विजया एकादशी व्रत करने का विधान है। मुनि की बातें सुनकर भगवान राम ने फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वानर सेना के साथ विजया एकादशी व्रत किया और विधि विधान से पूजा की। कहा जाता है कि विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से ही उनको समुद्र से लंका जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। विजया एकादशी व्रत के पुण्य से ही श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। तब से विजया एकादशी व्रत का महत्व और बढ़ गया। जनमानस में विजया एकादशी व्रत प्रसिद्ध हो गया और लोग अपने किसी भी कार्य की सफलता के लिए विजया एकादशी का व्रत करने लगे।

विजया एकादशी का महत्व  Vijaya  Ekadashi Importance
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक महीने में दो एकादशी का व्रत आता है जो एक शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा कृष्ण पक्ष को पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi 2022) को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2022) मनाई जाएगी। यह तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है। इस साल विजया एकादशी व्रत 27 फरवरी दिन रविवार को पड़ रहा है। विजया एकादशी व्रत के बारे में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में अति सुन्दर वर्णन मिलता है।

विजया एकादशी 2022 तिथि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 26 फरवरी दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 27 फरवरी दिन रविवार को प्रातः 08 बजकर 12 मिनट तक है, उदयातिथि के आधार पर 27 फरवरी को विजय एकादशी का व्रत रखना चाहिए।

विजया एकादशी 2022 पारण
जो लोग विजया एकादशी का व्रत करेंगे, उनको व्रत का पारण 28 फरवरी को प्रातः 06 बजकर 48 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट के मध्य कर लेना चाहिए। हालांकि द्वादशी तिथि का समापन सूर्योदय से पूर्व हो जा रहा है।

(इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं स्थानीय पंचांग पर आधारित हैं |  इन पर अमल करने से पहले अपने स्थानीय मंदिर के पुरोहित से भी संपर्क करें)
पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं!    
लेखक-संजय कुमार गर्ग (एस्ट्रोलॉजर/वास्तुविद)
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