भारतीय संस्कृति में मिट्टी का अत्यंत महत्व है। प्राचीन भारत में मिट्टी के बर्तनों का प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया जाता था। जैसे मिट्टी के घड़े का पानी, मिट्टी की हंड़िया का दूध-दही, मिट्टी के पतीले में दाल-सब्जी आदि आदि। आधुनिक समय ने यह सब हम से छीन लिया है। जल्दी खाने बनाने की होड़ में हम नये-नये धातुओं के बर्तनों पर आ गये। पहले हम मिट्टी के बर्तनों में खाना पीना खाकर भी स्वस्थ रहते थे, आज आधुनिक प्रकार के मेटल के बर्तनों में खाकर बनाकर भी हम स्वस्थ नहीं हैं इसकी बड़ी वजह है हम अपनी मिट्टी से दूर हो गये हैं। आज के आलेख में हम मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने के फायदों के बारे में बात करेंगे।
मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने के फायदे
मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने के अनेक फायदे हैं जो न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे है बल्कि खाने का स्वाद बढ़ाने में भी मिट्टी के बर्तन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, स्वाद के बारे में एक उदाहरण देता हूं, सभी के घर में हरी चटनी मिक्सी में बनती है, कभी आप सिल पर पीसी हरी चटनी खाकर देखिए, दोनों के स्वाद में जमीन आसमान का फर्क होता है। आपको मिक्सी की हरी चटनी अच्छी लगनी बंद हो जायेगी। अब हम मिट्टी के बर्तनों के फायदों के बारे में बात करते हैं-
1-भोजन के पोषक तत्वों को बनाये रखता है
किसी भी मेटल के बर्तन में यह गुण नहीं होता। हर मेटल का बर्तन भोजन के कुछ न कुछ प्रतिशत पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है। केवल मिट्टी में ही यह गुण पाया जाता है कि वह भोजन के सौ प्रतिशत पोषक तत्वों को बनाये रखता है।
मिट्टी के बर्तन में बैक्टीरिया और हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नियंत्रित करने की क्षमता होती है अतः इससे बनने वाला भोजन हानिकारक सूक्ष्मजीवों से सुरक्षित होता है।
3-पोषण संबंधी लाभों की प्राप्ति में सहायक
मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से कैल्शियम, पोटैशियम और मेग्नीशियम भोजन में मिल जाते हैं। ये पदार्थ हमारे शरीर को आवश्यक पोषण देते हैं। जिससे उपरोक्त मिनरल्स का हमारे शरीर में संतुलन बना रहता है।
4-तापमान का संतुलन बनाते हैं
मिट्टी के बर्तन में भोजन धीरे-धीरे पकता है, मिट्टी गर्मी को समान रूप से वितरित करती है। इससे खाना अच्छी प्रकार से तैयार होता है और इसके पोषक तत्वों को बनाये रखता है।
5-टेस्टी भोजन बनता है
मिट्टी के बर्तन में बनाया गया भोजन अधिक स्वादिष्ट होता है। मैं ऊपर एक उदाहरण द्वारा भी बता चुका हूं। यदि आपने एक बार मिट्टी के बर्तन में बने भोजन का स्वाद चख लिया तो आप फिर उसी में भोजन बनवाना पसन्द करेंगे।
6-कोलेस्ट्राल की समस्या में लाभदायक
मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाने में कम तेल लगता है, धीमी-धीमी आंच में भोजन बनने के कारण मिट्टी के बर्तन भोजन में प्राकृतिक तेल को बनाये रखते हैं, जिससे कम तेल लगता है जो कि कोलेस्ट्राल के रोगियों के लिए लाभदायक है।
7-पाचन तंत्र को ठीक करने में सहायक
मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाने से भोजन सुपाच्य होता है। क्योंकि मिट्टी में मौजूद खनिज पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं।
8-प्राकृतिक संतुलन को बनाने में मदद करते हैं
मिट्टी के बर्तन धरती की मिट्टी से ही बनते हैं और इन्हें प्राकृतिक व परंपरागत तरीके से ही तैयार किया जाता है। नष्ट होने के बाद ये मिट्टी में ही मिल जाते हैं। जो कि अन्य धातुओं की तरह प्रकृति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।
मिट्टी के बर्तन धीरे-धीरे भोजन को पकाते हैं और देर तक भोजन की गर्मी को बनाये रखते हैं इससे बिजली और गैस आदि की बचत होती है। जिससे हम ऊर्जा की बचत करते हैं।
10-सामाजिकता व प्रेम को बढ़ावा देते हैं
पहले समय में मिट्टी के चूल्हे में गर्म-गर्म भोजन इकट्ठा करना काफी लोगों को याद होगा। घर के सभी सदस्य साथ-साथ बैठकर एक साथ भोजन करते थे, जिससे परिवार में प्रेम भाव बढ़ता था। जो कि सामाजिकता व प्रेम को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
इस प्रकार आलेख में हमने मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने के फायदों के बारे में अध्ययन किया। मिट्टी के बर्तनों में भोजन पकाने से न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलता है बल्कि हमें अनेक आर्थिक, सामाजिक, एवं प्राकृतिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। अतः हमें कुछ ना कुछ खाने-पीने के लिए मिट्टी के बर्तन को अवश्य प्रयोग में लाना चाहिए।
अंत में हीरा लाल फलक देहलवी की दो लाइनों के साथ अपनी बात को विराम देता हूं-
तन को मिट्टी, नफस* को हवा ले गई *नफस-सांस
मौत को क्या मिला मौत क्या ले गई
तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा, कमैंटस करके बताना न भूले, और यदि आप नित्य नये आलेख प्राप्त करना चाहते हैं तो मुझे मेल करें। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति- संजय कुमार गर्ग, sanjay.garg2008@gmail.com
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