बशीर बद्र की 4 बेस्ट गजलें!

https://jyotesh.blogspot.com/2024/11/bashir-badr-best-ghazals.html


बशीर बद्र की 4 बेस्ट गजलें!


                    (1)

वो चांदनी का बदन खुशबुओं का साया है
https://jyotesh.blogspot.com/2024/11/bashir-badr-best-ghazals.html
बहुत अजीज हमेेेेेेेेेेेेेेेेेेें हैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैै मगर पराया है।

उतर भी आओ कभी आसमां के जीने से
तुम्हें खुदा ने हमारे लिये बनाया है।

कहां से आयी ये खुशबू ये घर की खुशबू है
इस अजनबी के अंधेरे में कौन आया है।

महक रही है जमीं चांदनी के फूलों से
खुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कराया है।

उसे किसी की मुहब्बत का एतबार नहीं
उसे जमाने ने शायद बहुत सताया है।

तमाम उम्र मिरा दम इसी धुएं में घुटा
वो इक चराग था मैंने उसे बुझाया है।

                    (2)

https://jyotesh.blogspot.com/2024/11/bashir-badr-best-ghazals.html
परखना मत परखने से कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता।

बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फासला रखना
जहां दरया समन्दर से मिला दरया नहीं रहता।

हजारों शेर मेरे सो गये कागज की कब्रों में
अजब मां हूं कोई बच्चा मिरा जिन्दा नहीं रहता।

मुहब्बत एक खुशबू है हमेशा साथ चलती है
कोई इन्सान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता।

तुम्हारा शहर तो बिल्कुल नये अन्दाज वाला है
हमारे शहर में भी अब कोई हम सा नहीं रहता।

                    (3)

https://jyotesh.blogspot.com/2024/11/bashir-badr-best-ghazals.html
अगर तलाश करूं कोई मिल ही जायेगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझको चाहेगा।

तुम्हें जरूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आंखें हमारी कहां से लायेगा।

न जाने कब तिरे दिल पर नई दस्तक हो
मकान खाली हुआ है तो कोई आयेगा।

मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूं
अगर वो आया तो किस रास्ते से आयेगा।

तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सतायेगा।

                    (4)

https://jyotesh.blogspot.com/2024/11/bashir-badr-best-ghazals.html
आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
किश्ती के मुसाफिर ने समन्दर नहीं देखा।

बेवक्त अगर जाऊंगा सब चैंक पड़ेगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा।

जिस दिन से चला हूं मिरी मंजिल पे नजर है
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मिरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा।

पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूं उसने मुझे छूकर नहीं देखा।

                    (5)

https://jyotesh.blogspot.com/2024/11/bashir-badr-best-ghazals.html
यूं ही बेसबब न फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो
वो गजल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो।

कोई हाथ भी न मिलायेगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नये मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो।

अभी राह मेें कई मोड़ हैं कोई आयेगा कोई जायेगा
तुम्हें जिसने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो।

नहीं बे हिजाब वो चांद सा कि नजर का कोई असर न हो
उसे इतनी गरमी-ए-शौक से बड़ी देर तक न तका करो।

मुझे इश्तहार सी लगती हैं ये मुहब्बतों की कहानियां
जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो।


संकलन-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com
मुक्तक/शेरों-शायरी के और संग्रह 

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमूल्य है!