वास्तु के अनुसार दुकान का नक्शा !

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व्यापारिक स्थल या दुकान धन कमाने तथा जीविकोर्पाजन का प्रमुख साधन होते हैं। यदि इनका निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार होगा तो निश्चित ही आय में वृद्धि होगी और दुकान अच्छी चलेगी। मैं कुछ वास्तु के नियमों के बारे में बता रहा हूं, जिनका उपयोग अवश्य किया जाना चाहिए। आइये अब देखते हैं, वास्तु के अनुसार दुकान का नक्शा-

वास्तु के अनुसार पूर्वाभिमुखी दुकान का नक्शा ¼Vastu for East Facing shop)

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-पूर्व मुखी दुकान का काउंटर किधर होना चाहिए?
यदि आपकी दुकान पूर्व मुखी है तो आपको यानि मालिक को उत्तर की ओर मुंह करके आग्नेय दिशा 
South East में बैठना चाहिए। ईशान North East  या वायव्य North West में न बैठें।

-पैसों का बाॅक्स अपनी बांई ओर रखें।

-पूर्व मुखी दुकान में मंदिर कहाँ होना चाहिए? 

इस दिशा में मंदिर ईशान या पूर्व दिशा की ओर बनाना चाहिए।

-यदि ऊपर की ओर मंजिल भी प्रयोग में लायी जाती हैं तो ईशान से पूर्व तक सीढ़िया बनवानी चाहिए।

-फर्श का ढलान दक्षिण से उत्तर की ओर तथा पश्चिम से पूर्व की ओर रखना चाहिए। नालियां भी इसी तरह से बनायी जानी चाहिए।

दक्षिण मुखी दुकान का वास्तु नक्शा ¼Vastu for South Facing shop)

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-दक्षिण मुखी दुकान में काउंटर किधर होना चाहिए? यदि आपकी दुकान दक्षिण मुखी है तो आपको यानि मालिक को पूर्व की ओर मुंह करके नैरूत दिशा South West में बैठना चाहिए। ईशान North East या वायव्य North West तथा आग्नेय दिशा South East में न बैठें।

-पैसों का बाॅक्स अपनी दायी ओर रखें, यदि उत्तर की ओर मुंह करके बैठना है तो पैसों का बाॅक्स बांयी ओर रखना चाहिए।

-फर्श का ढलान दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर तथा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।

-दक्षिण मुखी दुकान में मंदिर कहाँ होना चाहिए?

इस दिशा में मंदिर ईशान या पूर्व दिशा की ओर बनाना चाहिए

-यदि सीढ़ियां बनवाने की आवश्यकता पड़े तो दक्षिण से आग्नेय दिशा तक सीढ़िया बनवानी चाहिए।

पश्चिमाभिमुखी दुकान का वास्तु नक्शा  ¼Vastu for West Facing shop)

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-पश्चिम मुखी दुकान में काउंटर किधर होना चाहिए? यदि आपकी दुकान पश्चिम मुखी है तो आपको उत्तर दिशा की ओर मुंह करके नैरूत दिशा South West में बैठना चाहिए। ईशान North East या वायव्य North West तथा आग्नेय दिशा South East में न बैठें।

-पैसों का बाक्स अपनी बायें ओर रखना चाहिए।

पश्चिम मुखी दुकान में मंदिर कहाँ होना चाहिए?

इस दिशा में मंदिर ईशान या पूर्व दिशा की ओर बनाना चाहिए।

-इस तरह की दुकान में फर्श का ढलान दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर तथा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।

-यदि पश्चिमी मुखी दुकान में सीढ़िया बनवानी हों तो वायव्य में सीढ़ियां बनवा सकते हैं।

उत्तराभिमुखी दुकान का वास्तु नक्शा ¼Vastu for North Facing shop)

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-उत्तर मुखी दुकान में काउंटर किधर होना चाहिए? यदि आपकी दुकान उत्तर मुखी है तो मालिक को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके वायव्य दिशा North West में बैठना चाहिए। ईशान North East या आग्नेय दिशा South East में नहीं बैठना चाहिए।

-पैसों का बाक्स अपनी दायीं ओर रखें। परन्तु यदि मालिक उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठता है तो पैसों का बाक्स अपनी बांयी साइड में रखें।

उत्तर मुखी दुकान में मंदिर कहाँ होना चाहिए?

इस दिशा में मंदिर ईशान या पूर्व दिशा की ओर बनाना चाहिए।

-इस दिशा की दुकान का ढलान दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर तथा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।

-इस दिशा की दुकान में सीढ़ियां ईशान से आग्नेय दिशा में बनानी चाहिए।

दुकान के लिए कुछ वास्तु टिप्स  ¼Some Vastu Tips for shop)

-दुकान में ईशान कोण को खाली रखना चाहिए, यहां धूप-बत्ती जलाने व पूजा करने का स्थान बनाना चाहिए।

-पानी का जग ईशान या उत्तर दिशा में रख सकते हैं।

-दुकान के मालिक का मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ही होना चाहिए।

-साॅप में टेबिल फैन, कूलर, हीटर, फ्रीज आदि को आग्नेय दिशा में रखने की व्यवस्था करनी चाहिए।

-दुकान में सामान तोलने के लिए तराजू दक्षिण या पश्चिमी दीवार की ओर रखनी चाहिए।

- अब हम देखते हैं कि दुकान के मंदिर का मुंह किधर होना चाहिए? दुकान में मंदिर हमेशा ईशान या पूर्व दिशा की ओर बनायें। इस प्रकार मंदिर बनाने से मंदिर का मुंह आग्नेय दिशा या फिर पश्चिम दिशा ओर होगा।

-कभी-कभी ऐसा भी होता है कि दुकान में दो शटर या दरवाजे होते हैं, और ऐसी स्थिति आ जाती है कि एक ही शटर खोला जा सकता है। इस स्थिति में कौन सा शटर खोलना चाहिए और कौन सा नहीं खोलना चाहिए। यह भी एक विचारणीय प्रश्न हो जाता है, इस संबंध में यह ध्यान रखें-

-यदि दुकान पूर्व मुखी है तो ईशान का शटर या दरवाजा खोलें, आग्नेय का ना खोलें।

-यदि दुकान का मुख दक्षिण दिशा की ओर है तो आग्नेय दिशा का शटर खोलना  चाहिए, नैरूत का ना खोले।

-यदि दुकान की दिशा पश्चिम मुखी है तो वायव्य का शटर खोलना चाहिए, नैरूत दिशा की नहीं।

-और यदि दुकान उत्तर मुखी है तो ईशान दिशा का शटर खोलना चाहिए, वायव्य दिशा का नहीं।

-यदि दुकान में मालिक या मैनेजर का अलग चैम्बर है तो उसे नैरूत दिशा में बनवाना चाहिए। उनका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

-ऐसे चैम्बर का दरवाजा ईशान, उत्तर या पूर्व दिशा में अच्छा रहता है। इस दरवाजे को वायव्य या आग्नेय दिशा में कभी न रखें।

पाठकों को इस संबंध में कोई और जिज्ञासा हो तो वास्तु के मेरे और आलेख पढ़े, मुझे कमैंटस करें या फिर मुझे मेल कर सकते हैं।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app

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