क्या आपका बच्चा बार-बार बीमार पड़ता है? या उसे ज्यादा चोट लगती है? यदि हां तो ये आलेख आपके लिए ही है। बार-बार बीमार होने वाले बच्चे को सबसे पहले तो किसी चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाना चाहिए और उसका ठीक प्रकार से ट्रीटमेंट कराना चाहिए। यदि इसके बाद भी बच्चे को आराम न पड़ रहा हो तो इस आलेख में मैं बार-बार बीमार पड़ने वाले या बार-बार चोटिल होने वाले बच्चों के लिए कुछ वास्तु और ज्योतिष के उपाय बता रहा हूं, जो आजमाए हुए हैं उन्हें करना चाहिए। उपाय इतने सरल हैं कि आसानी से कोई बच्चा भी कर सकता है।
बार-बार बीमार पड़ने वाले बच्चों के लिए सरल टोटके-
1-सबसे पहला उपाय है बच्चे के गले में अर्धचन्द्र का चांदी का लाकेट पहनाएं, ये आपको किसी भी सर्राफे की दुकान पर मिल जायेगा। इससे बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहेगा और उसे लगने वाली चोट एवं दुर्घटनाओं में कमी आयेगी।
2-अपनी छत पर पक्षियों को लाल मंसूर की दाल डालें, यदि संभव हो तो बच्चे के हाथ से ही दाल डलवायें, यह ज्योतिष का एक अच्छा उपाय है।
3-हनुमान मंदिर में मंगलवार के दिन मिट्टी के दीये में, चमेली के तेल का दीपक जलायें, यह बच्चों के लिए ही नहीं बड़ों को भी दुर्घटनाओं से बचाने का एक सटीक उपाय है। हनुमान मंदिर में जाकर बच्चें के हाथ में कलावा या मौली जरूर बंधवाएं, साथ ही हनुमान मंदिर में गुड़-चनेे का प्रसाद बांटे।
5-बच्चे की गले में मोती पहनाये, क्योंकि मोती चन्द्रमा का प्रतीक है और चन्द्रमा मन का प्रतीक हैं। इससे बच्चे के चंचल मन को लगाम लगती है और बच्चा चोट व दुर्घटनाओं से बचा रहता है।
6-बच्चा जब भी बाहर जाये तो कभी भी मुँह मीठा करके न निकलें, इससे भी अनहोनी की आशंका रहती है।
7-रात को सोते समय ध्यान रखें कि बच्चे के बेड के सिरहाने जूते या चप्पल तो नहीं रखें है, ना ही जल को उसके बेड के सिरहाने रखें। हां! आप ऐसे बच्चों के बेड के नीचे तांबे के बरतन में रात का पानी भरकर रखें और सुबह उस पानी को किसी गमले में डाल दें इससे भी बच्चों के साथ होने वाली अनहोनी घटनाएं रूक जाती हैं।
8-पूर्णमासी के चन्द्रमा की रोशनी में स्वयं भी बैठे व बच्चों को भी बैठाये, ऐसा करने से चन्द्रमा के अमृतमयी प्रकाश से हमारे मन-मस्तिष्क रिचार्ज होने लगता है और साथ ही कुण्डली में चन्द्रमा के दोष के कारण होने वाली दुर्घटनाएं धीरे-धीरे बंद हो जाती हैं।
9-बच्चे को मोती पहनायें या अर्धचन्द्र का लाकेट, दोनों में से एक चीज ही पहनाएं। दोनों चीजें एक साथ न पहनाएं।
प्रिय पाठकों! उपरोक्त प्रयोग पूरी श्रद्धा व विश्वास से करें क्योंकि ‘‘विश्वासो फलदायकः’’। अनमने मन या अविश्वास से किये गये ये प्रयोग कदाचित् लाभ ने करें। इन प्रयोगों में कोई समस्या आये या कोई अन्य जिज्ञासा हो तो कमैंटस कीजिए, मैं आपके कमैंटस का जवाब जरूर दूंगा। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार! जय हिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, एस्ट्रोलाॅजर, वास्तुविद् 8791820546 Whatsapp
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