‘स्वर-विज्ञान’ से मन-शरीर-भविष्य को जानिए

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स्वर विज्ञान से आप क्या समझते हैं?

प्रिय पाठकों! ज्योतिष विज्ञान के अनुसार एक अहोरात्र अर्थात दिन-रात में 24 घंटे होते हैं, 24 घंटे में 1440 मिनट होते हैं, 1440 मिनट में 60 घड़ी होती हैं, 60 घड़ी में 3600 पल होते हैं और इन 3600 पल में हम 21600 बार श्वास-प्रश्वास की क्रिया करते हैं। साथियों! दिन रात में हम 21600 बार सांस लेते हैं और छोड़ते हैं, सांस लेने व छोड़ने की यह क्रिया नासिका के दो छिद्रों से की जाती है। क्या आपने कभी महसूस किया है? कि हम कभी नासिका के दायें छिद्रों से सांस लेते छोड़ते हैं और कभी बायें छिद्र से सांस लेते छोड़ते हैं, कभी दोनों छिद्रों से सांस लेते छोड़ते हैं, इसी सांस या श्वास को स्वर कहते हैं। यहीं प्राणियों में जीवन का आधार है, स्वर के कभी दांये तो कभी बांये छिद्र से और कभी दोनों छिद्रों से चलने की प्रक्रिया को स्वरोदय कहा जाता है। इसको समझने की अनेक विधियां हैं अतः जिसके रहस्य को समझने का प्रयास किया जाये वह विज्ञान कहा जाता है, इसलिए इसे स्वर विज्ञान या स्वरोदय विज्ञान कहते हैं।

स्वरोदय विज्ञान के बारे में विस्तृत चर्चा शिव स्वरोदय नामक प्राचीन ग्रंथ में मिलती है जिसमें मां पार्वती और शिव के संवाद से इस महाविज्ञान के बारे में बताया गया है-

चन्द्रसूर्यसमभ्यासं ये कुर्वन्ति सदा नराः।
अतीतानागतज्ञानं तेषां हस्तगतं भवेत्।। 56।।
अर्थात चन्द्र और सूर्य स्वरों का ठीक प्रकार से अभ्यास करने वाले पुरूषों को भूत-भविष्य के ज्ञान की उपलब्धि हो जाती है।

स्वर विज्ञान कैसे सीखे

स्वर विज्ञान सीखने के लिए आवश्यक है आपको यह पता हो कि कब कौन सा स्वर चल रहा है? कौन सा स्वर चल रहा है, स्वर कैसे चेक करें?- सबसे पहले नासिका के छिद्रों से निकलती हुई सांस को महसूस करने का प्रयास कीजिए, अपनी तर्जनी उंगली के नाखून वाली साइड को नासिका के दाएं छिद्र के नीचे लगाएं, फिर बाएं छिद्र के नीचे लगाये, पता कीजिए कि नासिका के कौन से छिद्र से श्वांस बाहर आ रही है, यदि श्वास दाहिने छिद्र से बाहर आ रही है तो यह सूर्य स्वर होगा, इसको पिंगला या दक्षिण स्वर कहते हैं और यदि श्वास बाएं छिद्र से आ रहा है तो यह चन्द्र स्वर होगा, इसको इड़ा या वाम स्वर भी कहते हैं और यदि नासिका के दोनों छिद्रों से निःश्वास निकलता है तो यह सुषुम्ना स्वर कहलता है। श्वास के बाहर निकलने की ये तीनों क्रियाएं ही स्वरोदय विज्ञान का आधार हैं।

स्वर विज्ञान के उपयोग

स्वर विज्ञान और बिना औषध रोगनाश के उपाय

स्वास्थ्य के लिए-यदि आपको लग रहा है कि आपको बाॅडी एक्ट है और आपकी तबियत खराब होने वाली है, तो फोरन देखें कि कौन सा स्वर चल रहा है, यदि आपका दक्षिण स्वर चल रहा है तो फोरन उसे बदल कर वाम स्वर कर लें और यदि वाम स्वर चल रहा है तो उसे बदल कर दक्षिण स्वर कर लें आपकी तबियत कुछ ही देर में ठीक हो जायेगी। स्वर कैसे बदलें इसका वर्णन मैंने आलेख में आगे किया है।

यदि आपको ठण्ड लग रही है तो आप तुरन्त बायीं करवट लेट जाये, आपके शरीर में जल्दी ही गर्माहट महसूस होने लगेगी। इसके विपरित आपको अत्यधिक गर्मी महसूस हो रही हो तो दाहिनी करवट लेट जाये आपको शीतलता का अनुभव होने लगेगा। 

स्वास्थ्य ग्रंथों में भोजन करने के बाद बाएं करवट लेटने का विधान है। बायीं करवट लेटने से आपका दायां स्वर यानि सूर्य स्वर चलने लगता है और भोजन जल्दी ही पच जाता है।

स्वर विज्ञान मनचाही संतान पाने के लिए-

यदि आप संतान की इच्छा से अपनी पत्नि से संबंध बना रहे हैं और आप चाहते हैं कि आपको मेल चाइल्ड हो तो पति का सूर्य स्वर (दायीं नासिका से सांस) और पत्नि का चंद्र स्वर (बायीं नासिका से सांस)  चलता हुआ होना चाहिए। ऐसे स्वर में संबंध बनाने से निश्चित ही मेल चाइल्ड होता है, इसके विपरित यानि पुरूष का चंद्र स्वर और पत्नि का सूर्य स्वर की दशा में संबंध बनाने से फिमेल संतान की प्राप्ति होती है। ऐसा स्वर विज्ञान का कथन है। 

स्वर विज्ञान का ज्योतिष में महत्व-

अपनी नाक से निकलने वाली सांस को परखने मात्र से आप जीवन के कई कार्यों को बेहतर बना सकते हैं। ग्रंथ के रचियता ने इसे तिथि और वारों से जोड़कर इसे और अधिक सरल बना दिया है। जैसे जिस दिन या तिथि को जो सांस चलना चाहिए यदि वहीं चल रहा है तो वह दिन अच्छा जायेगा, इसके विपरित होने पर आपका दिन खराब हो सकता है।
जैसे मंगल, शनि, रवि का संबंध सूर्य स्वर या दायें स्वर से हैं
सोमवार, बुधवार, गुरूवार और शुक्रवार का संबंध चन्द्र या बायें स्वर से है।

सुबह उठते समय कौन सा स्वर चलना चाहिए?

सुबह नींद से उठते ही नासिका से अपना स्वर जांचे, देखें जिस दिन का स्वर है क्या वहीं स्वर चल रहा है यदि वहीं स्वर चल रहा है तो ठीक है यदि नहीं चल रहा तो जिस दिन का स्वर है उसके विपरित करवट लेट जाये और उसी दिन का स्वर प्रारम्भ हो जायेगा। ऐसा करने से आपका पूरा दिन अच्छा जायेगा। ऐसा स्वर विज्ञान का निर्देश है।

चन्द्र स्वर में कौन से कार्य करें?

चंद्र स्वर यानि बायीं नासिका से सांस आने पर निम्न कार्य करने चाहिए। शांति कार्य, विवाह, मैत्री कार्य, योगाभ्यास, दान, आश्रम प्रवेश, भवन निर्माण आदि ऐसे कार्य जिसमें अधिक गम्भीरता और बुद्धिपूर्वक कार्य करने की आवश्यकता होती है, वे कार्य चन्द्र स्वर (जब बायीं सांस चल रही हो) में सोमवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार को किये जाने चाहिए।

सूर्य स्वर में कौन से कार्य करें?

उत्तेजना, आवेश और जोश के साथ करने वाले जो भी कार्य या क्रूर कार्य होते हैं उन्हें सूर्य स्वर यानि दायीं सांस चलते समय करना चाहिए। ऐसे समय करने से परिणाम अनुकूल होते हैं। उसके लिए रविवार, मंगलवार व शनिवार के दिन चुनने चाहिए।

सुषुम्ना स्वर में कौन से कार्य करें? 

कुछ समय के लिए दोनों स्वर चलते हैं ये बहुत थोड़े समय के लिए चलते हैं। इस समय मन संसार से विरक्ति की ओर चला जाता है, मोह-माया से छूट कर परमार्थ चिंतन, ईश्वरीय चिंतन में लगता है तो समझिए आपका सुषुम्ना स्वर चल रहा है। ऐसे समय में ईश्वर का चिंतन, आत्म चिंतन करना चाहिए। इससे जल्दी सफलता मिलती है। यह समय सुषुम्ना का समय होता है इसमें मानसिक विकारों का शमन हो जाता है और देवत्व के भाव का उदय होता है।

स्वर कैसे बदलें?

जो स्वर होना चाहिए वो स्वर नहीं चल रहा तो दूसरे स्वर को कैसे बदलें।
1-यदि आप घर पर हैं और आपका बायां स्वर यानि चन्द्र स्वर चल रहा है और आपको दायां स्वर यानि सूर्य स्वर चलाना हैं तो तुरन्त बाई करवट लेट जाइये कुछ ही देर में आपका सूर्य स्वर चलना प्रारम्भ हो जायेगा। यदि चन्द्र स्वर चलाना है तो दायीं करवट लेट जाना चाहिए, इससे आपका चन्द्र स्वर चल जायेगा।

2-यदि आप बाहर हैं और आप लेट कर स्वर नहीं बदल सकते, तो जो जिस नासिका छिद्र से स्वर चल रहा है उस नासिका छिद्र को दबा कर दूसरी नासिका छिद्र से कुछ देर तक जोर-जोर से सांस लें और छोड़े कुछ ही देर में आपका दूसरा स्वर चलना प्रारम्भ हो जायेगा।

3-घी खाने से वाम स्वर और शहद का सेवन करने से दक्षिण स्वर चलने लगता है।

साथियों! स्वर विज्ञान के महानतम ज्ञान को मैंने कुछ लाइनों में समेटने का प्रयास किया है, जिससे आप ‘स्वर-विज्ञान’ से मन-शरीर-भविष्य को जान सकते हैं, इसके मैंने बहुत से अन्य प्रयोगों व ज्योतिष विज्ञान के प्रयोगों के बारे में विस्तार से नहीं बताया है। इस विज्ञान के सहारे आप भूत-भविष्य में भी उतर सकते हैं। यदि आपको इस पर और आलेख पढ़ना चाहते हैं तो कमैंटस कीजिए, मैं इस पर और आलेख लेकर आऊंगा, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए। नमस्कार! जय हिन्द!
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app

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