याद आएंगे जमाने को मिसालों के लिए
जैसे बोसिदा किताबें हों हवालों के लिए
देख यूं वक्त की दहलीज से टकरा के न गिर
रास्ते बन्द नहीं सोचने वालों के लिए।
जैसे बोसिदा किताबें हों हवालों के लिए
देख यूं वक्त की दहलीज से टकरा के न गिर
रास्ते बन्द नहीं सोचने वालों के लिए।
-फारिग साहब
(2)
तम से लिपटा प्रकाश देखा है
आंसुओं में सुहास देखा है
जब भी देखा है जिन्दगी को तो
मौत के आसपास देखा है।
आंसुओं में सुहास देखा है
जब भी देखा है जिन्दगी को तो
मौत के आसपास देखा है।
-चन्द्रसेन विराट जी
(3)
रोज तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं
मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता
कोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं
मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता
कोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं
-राहत इन्दौरी जी
(4)
कुछ कान भी कमजोर हैं बीनाई भी कम है
सोजिश है जिगर पर, मेरी आंतों में वरम है
पूछा कि मुझे और सताओगे कहां तक
सोजिश है जिगर पर, मेरी आंतों में वरम है
पूछा कि मुझे और सताओगे कहां तक
बोले कि जहां तक तेरी आवाज में दम है।
-रामावतार त्यागी जी
(5)
इस दौर में अब ख्वाहिशे-लज्जात* न कर
मंजिल की तरफ दौड़ यहां रात न कर
ख्वाबों की हंसी दुनिया के पाले पोंसे
ये वक्त अमल का है, बहुत बात न कर।
इस दौर में अब ख्वाहिशे-लज्जात* न कर
मंजिल की तरफ दौड़ यहां रात न कर
ख्वाबों की हंसी दुनिया के पाले पोंसे
ये वक्त अमल का है, बहुत बात न कर।
-कदिर सिद्दकी
(6)
(6)
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने में
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने में
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में
-बशीर साहब
*आनन्द की कामना
संकलन-संजय कुमार गर्ग
...वाह..........बेहतरीन पंक्तियाँ..... निस्संदेह लाजवाब
जवाब देंहटाएंसंजय भाई! सादर नमन! ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स करनेेेे के लिये धन्यवाद!
हटाएंनायब संकलन प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
आदरणीया कविता जी, ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स करने के लिए धन्यवाद!
हटाएंशानदार संकलन साहब
जवाब देंहटाएंआदरणीय शिवराज जी, ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!
हटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : सच ! जो सामने आया ही नहीं
आदरणीय राजीव जी, ब्लॉग पर आने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!
हटाएंबहुत ही सुंदर मुक्तक..दिल को छूने वाली प्रस्तुति। शुक्रिया इस संकलन को प्रस्तुत करने के लिये।
जवाब देंहटाएंआदरणीय अंकुर जी! ब्लॉग पर आने के लिए सादर धन्यवाद!
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