विवाह ना हो रहा हो तो पुखराज पहनें!

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साथियों! पुखराज की गिनती नवरत्नों में की जा सकती है। यह सफेद, पीला, दूधिया, गुलाबी और हल्का नीला भारी और चिकना पत्थर होता है। पीले रंग के पुखराज को सबसे अच्छा माना जाता है। यूनान में इसे याकूत जर्द और अंग्रेजी में मून स्टोन व टोपाज भी कहते हैं। चन्द्रामणि, बिल्लौर भी इसके अन्य नाम हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुखराज, धनु का मीन राशि अर्थात गुरू ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। हस्तरेखा (पामिस्ट्री) शास्त्र में यह तर्जनी उंगली के नीचे स्थित गुरू पर्वत का प्रतिनिधित्व करता है।
आयुर्वेद में इस जठराग्नि बढ़ाने वाला, विषों के प्रभावों को नष्ट करने वाला, वीर्य वर्द्धक, बुद्धि बढ़ाने वाला और वात रोगों का समन करने वाला बताया गया है। पुखराज को पवित्रता का प्रतीक भी माना जाता है, स्त्रियां अपने सतीत्व की रक्षा के लिए प्राचीनकाल में इसे धारण करती थी। समुद्री यात्रा करने वालों को इसे अपने पास रखना चाहिए इससे समुद्री खतरों से उनका बचाव होता है।

17वीं शताब्दी के एक रत्न विशेषज्ञ ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि यदि टोपाज-पुखराज को खोलते पानी में डाल दिया जाये तो पानी तुरन्त ठन्डा हो जाता है। अलाउद्दीन खिलजी के जौहरी ठकर फेरू ने लिखा है कि सोने जैसा गहरा पीले रंग का मुलायम व चिकना पुखराज हेमवन्त पर्वत पर पैदा होता है। 
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पुखराज किसे धारण करना चाहिए-
गुरू का रत्न पुखराज है। मेष कर्क वृश्चिक धनु मीन लग्न वालों के लिए ये शुभ होता है। वृष सिंह तुला मकर लग्न वालों के लिए यह विरोधी रत्न है। मिथुन कन्या कुम्भ लग्न वाले लोगों को अन्य मूल रत्नों के साथ सहायक होता है।

पुखराज धारण करने के लाभ-
पुखराज रत्न को शुभ मुहूर्त में पहनने से भाग्य की उन्नति तो करता ही है। साथ ही इस रत्न को धारण करने से अध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, उन्नति भी होती है। ससुराल पक्ष से यदि आपके संबंध खराब हैं तो पुखराज पहनने से वे ठीक होने लगते हैं। पुखराज अविवाहित लड़के-लड़कियों को जल्द विवाह होने की संभावना को भी ये बढ़ाता है। 
गुरू से होने वाली समस्याऐं-
यदि आपकी जन्मकुण्डली में गुरू अपनी नीच राशि मकर में बैठे हो तो जातक को अनेक शारीरिक व मानसिक कष्ट होते हैं, दाम्पत्य जीवन में टकराव, धैर्य में कमी, मोटापा और मोटापे के कारण होने वाले रोग, पीलिया, डायबिटिज, तिल्ली के रोग, जिगर की सूजन, पाचन तंत्र संबंधी रोग, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, भीड़ से घबराना आदि अनेक शारीरिक व मानसिक रोग देते हैं।
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पुखराज कब पहनना चाहिए-
गुरूवार के दिन, सोने की अंगूठी में जड़वाकर तर्जनी उंगली (इन्डेक्स फिंगर) में पहने। कितने रत्ती का पहने इसके लिए किसी योग्य ज्योतिष से सलाह ले लेनी चाहिए।

पुखराज का विकल्प-
यदि आप पुखराज नहीं खरीद सकते तो सोना-चांदी-तांबे की त्रिधातु का छल्ला, या हाथ में सोने का ब्रेसलेट, कड़ा पहन सकते हैं। सुनैला यानि गोल्डन टोपाज पहनना भी इसका उत्तम विकल्प हो सकता है। घर में पौधे रखना व उनकी देखभाल करना, हल्दी चंदन मिली क्रीम चेहरे पर लगाना, घर में रोज किसी भी तरह से सूर्य शिव या कृष्ण जी की पूजा करें, इससे भी गुरू ग्रह के शुभ फल मिलते हैं।

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना न भूले, यदि आप डेली मेल पर आलेख मंगाना चाहे तो आप मुझे मेल कीजिए। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर   
sanjay.garg2008@gmail.com

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