जिस घर के मुख्य द्वार से उगते हुए सूर्य दिखाई दें या कहिए यदि घर से निकलते समय आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर होता है वह घर पूर्व मुखी या ईस्ट फेस्ड हाउस कहलाता है। किसी भी घर के लिए यह एक अत्यंत शुभ दिशा मानी जाती है। पूर्व दिशा के प्रतिनिधि ग्रह सूर्य हैं यह कालपुरूष का मुंह है। पूर्व दिशा के स्वामी इन्द्र है, जिनका आयुध वज्र है। पूर्व दिशा की ओर बनी खिड़कियों से घर में सूर्य का प्रकाश आता हो व ताजी हवा का सीधा प्रवेश हो, इस घर में रहने वाले स्वामी का लग्न सिंह होता है या फिर लग्न में सूर्य बैठे होते हैं। ऐसा ज्योतिषिय मत है।
आईये देखते हैं पूर्व मुखी घर के लिए वास्तु टिप्स-
1-मकान में पूर्वमुखी द्वार व खिड़किया जरूर होनी चाहिए, खिड़कियां इस प्रकार हों जिससे सूर्य का प्रकाश प्रथम प्रहर तक घर में आये, इससे उस घर में रहने वालों को शारीरिक-मानसिक व आध्यात्मिक सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
2-पूर्व दिशा का साफ-स्वच्छ रखें, जहां तक संभव हो इस दिशा में टायलेट का निर्माण न करायें।
3-पूर्व दिशा का स्थान घर के अन्य स्थानों से ऊंचा न रखें (या तो नीचा हो, या फिर बराबर हो) इससे गृहस्वामी के निर्धन बनने की पूरी संभावना होती है, तथा संतान भी अस्वस्थ तथा मंदबुद्धिवाली होगी।
4-पूर्वमुखी मकान में निर्माण कराते समय पूर्व दिशा में खाली स्थान अवश्य छोड़े, खाली स्थान बिना छोडे़ निर्माण कार्य कराने से पुरूष संतान होने की संभावना समाप्त हो जाती है यदि होती भी है तो ईश्वर न करें वो विकलांग हो।
5-पूर्वमुखी मकान में मुख्य दरवाजा लगाने में सावधानी बरतें, ध्यान रखें आपका मेन गेट बिल्कुल मध्य में हो, न कि दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व में, क्योंकि वास्तु के अनुसार इन दोनों कोनों को पूर्व की ओर मुख वाले मकान के लिए अशुभ माना जाता है। यदि आपको मेन गेट उत्तरी-पूर्व यानि ईशान में बनाना पड़े तो ध्यान रखें कि वह उत्तरी-पूर्वी कोने का ना छूये, मेन गेट इस कोने से कम से कम 6 इंच दूर होना चाहिए।
6- पूर्वमुखी मकान में किचन घर के उत्तरी-दक्षिणी दिशा में होना चाहिए।
7-पूर्वी भाग में कूड़ा-कचरा, पत्थरों के टीले, मिट्टी के टीले आदि होने से धन व संतान की हानि होने की संभावना होती है।
8-पूर्वमुखी मकान की चारदीवार ज्यादा ऊंची नहीं होनी चाहिए। घर का मुख्य द्वार सड़क से दिखना चाहिए, नही तो उससे दुष्परिणाम होंगे।
9-पूर्वमुखी मकान में चारदीवारी पश्चिम की चारदीवारी के मुकाबले ऊंची नहीं होनी चाहिए, इससे संतान की हानि होती है।
10-पूर्वमुखी मकान में यदि किरायेदार रखना हो तो मकान मालिक को ऊंचे स्थल वाले हिस्से में स्वयं रहना चाहिए तथा नीचे स्थल वाले हिस्से में किरायेदार को रखना चाहिए।
11-यह ध्यान रखें कि, यदि किसी घर में कोई वास्तु दोष हो तो उसमें रहने वाले मकान मालिक व किरायेदार दोनों पर उस वास्तु विकृति का असर पड़ता है। यदि मकान मालिक उस मकान में नहीं रहता है तो उस में रह रहे किरायेदार को वास्तु दोष का फल भुगतना पड़ता है।
पूर्वामुखी मकान के दोष व उपाय-
1-पूर्व दिशा जनित दोष से बचने के लिए पूर्व दिशा में ‘सूर्य यंत्र’ की स्थापना करें।
2-सूर्य भगवान को नित्य अर्ध्य दे एवं सूर्य की उपासना करें।
3-पूर्वी द्वार पर ‘वास्तु मंगलकारी’ तोरण लगवायें।
4-दरवाजे के दोनों ओर ओम, स्वास्तिक और त्रिशूल का चिन्ह लगवायें।
5-घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए "सिद्ध शुक्र यंत्र" का प्रयोग कर सकते हैं।
6-तीन वास्तु पिरामिड रखें, दरवाजे के दोनों ओर और तीसरा मेन डोर के ऊपर बीचों बीच।
तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा, कमैंटस करके बताना न भूले, और यदि कोई सलाह लेनी हो तो आप कमैंटस कर सकते हैं, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद् 6396661036
Good Guru ji
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