वास्तु के अनुसार कैसा हो ईशानमुखी भूखण्ड?

VASTU TIPS FOR NORTH FACED HOUSE<br>वास्तु के अनुसार कैसा हो ईशानमुखी भूखण्ड? | भारतीय साहित्य एवं संस्कृति
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North-East Faced House
पाठकजनों!! हमने अपने इस ब्लॉग की श्रृंखला को पूजाघर के वास्तु से प्रारंभ किया था, उसके बाद हमने रसोईघर के वास्तु का अध्ययन किया। इसी श्रृंखला में आगे बढ़ते हुये, हमने स्नानघर, जलव्यवस्था, बैडरूम, ड्राइंग रूम, अध्ययन कक्ष, सीढ़ियाँ, बेसमेन्ट आदि वास्तु के अनुसार कैसे हों का अध्ययन किया था। अब इस नयी श्रृंखला में हम विभिन्न दिशाओं के अनुसार भूखण्ड के शुभ-अशुभ प्रभाव का अध्ययन करेंगे। सबसे पहले हम ईशान दिशा के भूखण्ड का अध्ययन करेंगे। ऐसे भूखण्ड जिनके उत्तर व पूर्व (North & East) में सड़क हो, ईशान भूखण्ड कहलायेंगे। जैसा कि हम जानते हैं ईशान भूखण्ड आठों दिशाओं में सबसे महत्वपूर्ण दिशा है, यदि किसी भूखण्ड के ईशान में वास्तु संबंधी त्रुटियां हो और शेष दिशाओं में वास्तु संबंधी सभी विशेषतायें हों तो भी उस घर व उसमें रहने वाले प्राणियों का विकास संभव नहीं है। प्रस्तुत है ईशान दिशा वाले भूखण्डों के लिये कुछ वास्तु संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां-

* भूखण्ड के पूर्वी (East) प्रवेश द्वार की अपेक्षा पश्चिमी (West) प्रवेश द्वार, व उत्तरी (North) प्रवेश द्वार की अपेक्षा दक्षिणी (South) प्रवेश द्वार ऊंचा होना चाहिये।

* मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी (East) या उत्तरी ईशान (North-NE) में उत्तम रहता है।

* ईशान का कोण सही हो, पश्चिम (W) की अपेक्षा पूर्व (E) में व दक्षिण (S) की अपेक्षा उत्तर (N) में खाली जमीन हो तो सुख समृद्धि दायक होती है।
 

* ईशान दिशा में घर के समीप तालाब, नहरें तथा कुएं हों तो शुभ व धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।

* ईशान दिशा के पूर्व (E) में ढलाऊ बरामदे घर के पुरूषो के लिये व उत्तर (N) में ढ़लाऊ बरामदे घर की स्त्रियों के लिये शुभ हैं।

* यदि घर के जल की निकासी ईशान दिशा से होती है तो वंश-वृद्धि व ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
* बढ़ा हुआ ईशान भी धन, यश व मान सम्मान दिलाता है।

* ईशान भूखण्ड की उत्तरी दिशा की लम्बाई घट गयी हो या उत्तरी सीमा पर ऊंची इमारत हो तो उस घर की महिलायें रोगिणी हो सकती हैं।

* ईशान भूखण्ड की पूर्वी (E) भाग की लम्बाई घट गयी हो तो गृहस्वामी या उसके बड़े पुत्र को कई प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
 

* ईशान भूखण्ड के नैरूत (SW) भाग में गड्डे हो तो वह भी हानिकारक होते हैं।

* ईशान भूखण्ड की चारदिवारी या गृह की ईशान दिशा घट जाये तो पुरूष संतान की प्राप्ति की संभावना समाप्त हो जाती है, जीवित पुरूष संतान को रोग, दोष, आकस्मिक दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है।

* ईशाान दिशा को छोड़कर और किसी भी दिशा में कुएं-गड्डे होने पर भी गृहस्वामी को उसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
 

* ईशान भूखण्ड में ईशान विकृत हो या ईशान भाग ऊंचा हो तो अपंग संतान या संतान की मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है।

* ईशान भूखण्ड में कूड़ा-कचरा आदि का ढ़ेर होने से शत्रुता व चरित्रहीनता का कारण बनता है।

* ईशान दिशा में रसोई होने से गृहकलेश व आर्थिक नुकसान का कारण बनता है।

* ईशान दिशा में टाॅयलेट होने से गृहकलेश, दुश्चरित्र व बीमारियों का शिकार होना पड़ता है।
[पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं!]         
लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@mail.com (All rights reserved.)
 (चित्र गूगल-इमेज से साभार!)

2 टिप्‍पणियां :

  1. बहुत बढ़िया उपयोगी प्रस्तुति हेतु आभार!
    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
    सादर

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    1. कमेंट्स के लिए सादर आभार! आदरणीया कविता रावत जी!

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