इन रोगों का निवारण सरल मंत्रों से करें !

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साथियों! शब्द ब्रह्म है, क्योंकि शब्द कभी समाप्त नहीं होते, हमारे मुंह से उच्चारित शब्द अनन्त काल तक जीवित रहेंगे, आज से हजारों साल पहले यदि कोई शब्द उच्चारित हुये थे तो उन शब्दों की ध्वनि आज भी वायुमंडल में ज्यों की त्यों व्याप्त हैं, आवश्यकता है, उस ‘फ्रीक्वेन्सी’ की जिसके माध्यम से हम उस ध्वनि को सुन सकें। उच्च स्तर के साधक आज भी महाभारत कालीन शब्दों की ध्वनियों को सुनने में समर्थ है। 
वैज्ञानिकों के अनुसार शब्दों की ध्वनि के माध्यम से असंभव से असंभव कार्यों को किया जाना संभव है। डा0 फ्रिस्टोलोव ने ध्वनि कंपनों से शरीर स्थित परमाणुओं में कंपन पैदा करके दिखाया था और इस कंपन से शारीरिक रोगों को ध्वनि के माध्यम से दूर करने में सफलता मिली है। जेट विमान की तीव्र ध्वनि मकानों की दीवारों में दरारें डाल देती हैं, कदमताल मिला कर चल रहे फौजियों को किसी पुल पर कदमताल से चलने की मनायी होती है, क्योंकि उनकी कदमताल से उत्पन्न ध्वनि से पुल के टूट जाने की संभावना होती है।  अतः ध्वनि-शब्द की महत्ता निर्विवाद है।
मंत्रों के उच्चारण से भी एक विशिष्ट ध्वनि कंपन बनता है, जो तुरन्त ईथर में मिलकर पूरे विश्व के वायुमंडल में व्याप्त हो जाता है, जैसे यदि हम चन्द्रमा से संबंधित किसी मंत्र का जाप कर रहे हैं तो उसके उच्चारण से एक विशेष ध्वनि कंपन उत्पन्न होकर, ईथर के माध्यम से कुछ ही पलों में चन्द्रमा तक पहुंच कर लौट आता है, वापस आते समय उन कंपनों में चन्द्रमा की सूक्ष्म शक्ति, तेजस्विता, शीतलता आदि गुण साथ आते हैं, जो पुनः साधक के शरीर से टकराकर उसमें उन गुणों का प्रभुत्व बढ़ा देते हैं, और ग्रह से संबंधित दोष-दुर्गुण उस साधक से दूर हो जाते हैं। इस प्रकार किसी भी ग्रह व देवता से संबंधित मंत्रों का जप करने से उस ग्रह-देवता से संबंधित शक्ति साधक को अनायास ही प्राप्त हो जाती है। महाकवि दण्डी ने मंत्रों की महत्ता स्पष्ट करते हुए कहा है कि ‘‘यदि शब्द रूपी ज्योति सृष्टि के आरम्भ से ही न होती, तो ये तीनों लोक आज तक पूर्ण अंधकार में ही डूबे रहते।’’ अतः हम कह सकते हैं कि मंत्रों का अद्भुत प्रभाव होता है और मंत्रों से हम आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ विभिन्न रोगों का इलाज भी कर सकते हैं, मैं आज आपके लिए मंत्र विशेषज्ञों द्वारा बताये गये कुछ सरल मंत्र लाया हूं जिनका प्रभाव अचूक है-

पेट दर्द बंद करने हेतू-
उत्तर की तरफ मुंह करके आसन पर बैठ जाएं, थोड़ा कपूर हाथ में ले लें और 108 बार ‘‘ऊं नमं शिवाय’’ का जाप करें और जिसका पेट में दर्द हो रहा हो उसे वह खिला दें, पेट दर्द दूर हो जायेगा।

ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाने पर-
प्रातःकाल नियम से इस मंत्र का जाप करें-
ऊं मंगल ग्रह देवाय नमः 
बड़े हुए ब्लडप्रेशर में फोरन आराम पड़ता है।

कमर या पसली के दर्द के लिए-
जिसे यह दर्द हो वह रोज सायंकाल डूबते सूर्य की ओर मुंह करके जहां दर्द हो रहा हो उस भाग पर कड़वे नीम की डाली 21 बार स्पर्श कराए और निम्न मंत्र को उतनी बार बोले जितनी बार डाली स्पर्श करें ‘‘ऊं भैरवाय नमः’’ उसके पश्चात डाली को कुएं में फेंक दें। चंद दिनों में दर्द होना बंद हो जायेगा।

आधा सिर का दर्द हो तो-
सफेदी चिरमिटी (मुलतानी मिट्टी) लें उसे महीन पीस कर उसे कपड़े से छान लें उस में गंगाजल मिलाये और उसकी लुगदी बना लें, और उस लुगदी को थोड़ी देर सूंघे, फिर 21 बार इस मंत्र का जाप करें।
‘‘रामदूताय हनुमान, पवनपुत्र हनुमान’’ कुछ ही समय में आधा सिर का दर्द ठीक हो जायेगा।

कान की किसी भी प्रकार की पीड़ा में-
कान में यदि किसी भी प्रकार का दर्द हो रहा हो प्रातःकाल उठकर सूर्य का नमस्कार करें और फिर उत्तर की ओर मुंह करके प्राणायाम करें और कानों को उंगलियों से बिलकुल बंद कर लें, केवल सांस छोड़ते समय ही कान से उंगलियां हटायें और हर प्राणायाम के साथ निम्न मंत्र का उच्चारण करें-
‘‘ऊं वासुदेवाय नमः’’
ऐसा करने से कानों के रोगों से मुक्ति मिलेगी।

हदय विकार दूर करने लिए-
प्रातःकाल उठकर सूर्य की ओर छाती खोलकर निम्न मंत्र का 11 बार उच्चारण करें-
ऊं घृणि सूर्याय नमः  
शरीर पर रूद्राक्ष धारण करें, कुछ ही दिनों में हृदय विकार से राहत मिलेगी।

यदि सामने वाला आपसे घृणा करता हो या आपको नुकसान पहुंचाना चाहता हो-
उस व्यक्ति के सामने आते ही आप निम्न मंत्र का उच्चारण शुरू कर दें, कुछ समय पश्चात ही आप अनुभव करेंगे कि उस व्यक्ति के घृणा या नुकसान पहुंचाने वाले भाव दूर हो रहे हैं और वो आपसे मित्रता करने का इच्छुक हो रहा है।
ऊं सहना भवतु सहनौ भुनक्तु सहविर्य करवाहै। 
तेजस्विनावधीतमस्तु। मा विद्विषा वहे।

नोट-यदि किसी को उपरोक्त बीमारी पुरानी हो गयी हो तो डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने के साथ-साथ संबंधित मंत्रों का जाप करें। 

तो साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना न भूले, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर   

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