आग्नेय कोण मुखी मकान में होता हैं स्त्रियों का शासन! South-East facing house

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आग्नेय कोण (साउथ-ईस्ट) मकान या भूखण्ड जिनके पूर्व (ईस्ट) एवं दक्षिणी में सड़क हो, आग्नेय भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड का प्रभाव स्त्रियों बच्चों और दूसरी संतान पर ज्यादा पड़ता है। अच्छे परिणाम देने की दृष्टि से इसे अच्छा नहीं माना जाता। परन्तु वास्तुशास्त्र के प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है। अग्निकोण दिशा के स्वामी गणेश हैं, जिनका आयुध शक्ति है। यह कालपुरूष या वास्तुपुरूष की बाई भुजा, घुटने एवं बाएं नेत्र को प्रभावित करती है। इसके प्रतिनिधि ग्रह शुक्र हैं। यदि जन्मकुण्डली की दृष्टि से देखा जाये तो ये कुण्डली में ग्यारवें एवं बारवें भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आईये देखते हैं आग्नेय घर के लिए वास्तु टिप्स-


1-आग्नेय भूखण्ड वैसे तो हानिकारक ही होते हैं परन्तु कुछ वास्तु नियमों को ध्यान रखें तो इन्हें लाभदायक बनाया जा सकता है।

2-उत्तरी (नोर्थ) दिशा में दक्षिण दिशा (साउथ) की अपेक्षा ज्यादा खाली स्थान रख कर इस तरह के भूखण्ड को अनुकूल बनाया जा सकता है।

3-पूर्व दिशा (ईस्ट) में पश्चिम दिशा (वेस्ट) की अपेक्षा ज्यादा खाली स्थान होना चाहिए। 

4- उत्तरी (नोर्थ) दिशा को दक्षिण (साउथ) दिशा से नीचे रखना विशेष लाभदायक होता है।

5-आग्नेय कोण रसोई-किचन के निर्माण की सबसे उत्तम दिशाओं में है। अतः प्रयास करें कि रसोई का निर्माण इसी दिशा में हो।
 
6-आग्नेय भूखण्ड यदि पूर्वी दिशा से बढ़ हुआ हो तो पुरूष संतान को कष्ट मिलता है। 

7-इस प्रकार के भूखण्ड में यदि पूर्व में मुख्य द्वार हो, उत्तर पूर्व के मुकाबले दक्षिण-पश्चिम को खाली स्थान हो तो उस घर में पति-पत्नि में तीव्र मतभेद होने की पूरी संभावना है और इनकी संतान भी दूगुर्णी होती है।

8-ऐसे भूखण्ड में यदि पूर्व-ईस्ट की ओर मुख्य दरवाजा हो, उत्तर-नोर्थ के मुकाबले दक्षिण-साउथ में ज्यादा खाली स्थान हो तथा नैरूत दिशा (साउथ-वेस्ट) की दिशा से भूखण्ड बढ़ा हुआ हो तो ऐसे घर की स्त्रियां दूर्घटना का शिकार होती हैं।

9-ऐसे भूखण्ड की आग्नेय दिशा में कुंआ नहीं होना चाहिए, ऐसा होने पर उस घर की स्त्रियां बिमारी रहेगी, उस घर मे विवाद भी उत्पन्न होकर दूसरी संतान को हानि पहुंचायेगा। कुएं को मतलब आज के संदर्भ में बाॅरवेल या टाॅयलेट टैंक से भी लगा सकते हैं। 

10-आग्नेय दिशा को ईशान दिशा (नोर्थ-ईस्ट)  या पूर्व दिशा से नीचा कदापि नहीं रखना चाहिए, परन्तु नैरूत (साउथ-वेस्ट) और वायव्य दिशा (नोर्थ-वेस्ट) दिशा से नीचा होना चाहिए। प्रयास करें कि इस दिशा में खाली स्थान न हो। इसका सीधा बुरा प्रभाव घर की स्त्रियों व दूसरी संतान पर पड़ता है।

11-पूर्वमुखी मकान के लिए बताये गये वास्तु नियमों को भी अपनायें।

आग्नेय मुखी मकान के दोष व उपाय-

1-घर के दरवाजे के आगे-पीछे वास्तु दोष नाशक हरे रंग के गणपति को स्थापित करें ।
2-घर के पूजा मुख्य पूजाग्रह में गणेशजी को स्थान दें अर्थात उन्हें स्थापित करें।
3-‘वास्तु मंगलकारी’ यंत्र प्रवेश-द्वार पर लगवायें।
4-दरवाजे के दोनों ओर ओम, स्वास्तिक और त्रिशूल का चिन्ह लगवायें।

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प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद् 6396661036 
sanjay.garg2008@gmail.com

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