जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, हम सभी जानते हैं कि जल का स्तर लगातार कम होता जा रहा है। अतः जल का प्रयोग किफायत से करना व जल का संरक्षण करना अति आवश्यक है, आज हम घर में जल के संरक्षण के लिए Underground water tank as per vastu कहां व कैसे बनवाये इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
जल तत्व वास्तु शास्त्र के पांच तत्वों में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। जल संरक्षण के लिए सही दिशा में भूमिगत टैंक का निर्माण न केवल पानी के भंडारण को सही तरीके से सुनिश्चित करता है, बल्कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बनाने के साथ-साथ घर के सदस्यों के स्वास्थ्य को भी बनाये रखने में मदद करता है। इस लेख में हम भूमिगत टैंक के निर्माण से जुड़ी वास्तु संबंधी बातों की विस्तार से चर्चा करेंगे।
वास्तु के अनुसार पानी की टंकी कहाँ होनी चाहिए? : Underground water tank vastu-
वास्तु के अनुसार न केवल भूमिगत पानी की टंकी, बल्कि सबमरसेबल बोरिंग, हैण्डपम्प, कुंआ व पानी की टंकी को भूमिगत कैसे रखे? इनको निम्न दिशाओं में स्थापित करना चाहिए।
ईशान दिशा यानि नोर्थ-ईस्ट में भूमिगत वाटर टैंक बनाना हमेशा वास्तु के अनुसार सबसे उत्तम रहता है। इससे वंश की वृद्धि होती है। संतान दीर्घायु और स्वस्थ होती है।
उत्तरी-ईशान (नोर्थ-नोर्थ-ईस्ट) या पूर्वी ईशान (ईस्ट-नोर्थ-ईस्ट) में भूमिगत वाटर टैंक, या गड्डा होने से सुख संपन्नता, वंश वृद्धि होती है तथा गृहस्वामी को प्रसिद्धि मिलती है।
उत्तर दिशा यानि नोर्थ दिशा भी भूमिगत वाटर टैंक बनाने के लिए अच्छा स्थान है। इससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। उत्तर दिशा क्योंकि धन की दिशा मानी जाती है। अतः इस स्थान पर भूमिगत वाटर टैंक बनाने से घर में धन का आवागमन निर्विघ्न रूप से होने लगता है।
पूर्व दिशा यानि ईस्ट में भी भूमिगत वाटर टैंक का निर्माण कराया जा सकता है यदि ईशान या उत्तर में स्थान उपलब्ध नहीं है, तो यह एक वैक्लपिक स्थान हो सकता है, क्योंकि इसमें भी जल का प्रवाह सही दिशा से होता है। इसमें वाटर टैंक बनवाने से स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
यदि अन्य किसी दिशा में भूमिगत वाटर टैंक बनाया जाता है तो उसका क्या प्रभाव पड़ता है?
अब देखते हैं कि अन्य दिशाओं में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान हो सकते हैं-
दक्षिण दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?
यदि दक्षिण दिशा यानि साउथ में अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाता है तो इससे घर की महिलाओं की अकाल मृत्यु हो सकती है या फिर वो किसी स्थायी बीमारी का शिकार हो सकती हैं।
पश्चिम दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?
यदि पश्चिम दिशा यानि वेस्ट में अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाता है तो इससे घर के पुरूष सदस्यों के बीमार होने का खतरा रहता है या फिर वे किसी लाईलाज बीमारी के शिकार हो सकते हैं।
पूर्वी आग्नेय दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?
पूर्वी आग्नेय दिशा यानि ईस्ट साउथ-ईस्ट में अंडरग्राउंड वाटर टैंक, कुंआ या गड्डा बनाया जाता है तो इससे घर में आग लगने का भय रहता है और घर में चोरी भी हो सकती है।
दक्षिण आग्नेय दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?
यदि दक्षिण आग्नेय दिशा यानि साउथ साउथ-ईस्ट में अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाता है तो इससे घर की महिलायें अस्वस्थ रहेगी तथा वे व्यसन एवं काल्पनिक डर का शिकार हो सकती हैं।
दक्षिण नैरूत दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?
यदि दक्षिण नैरूत दिशा यानि साउथ साउथ-वेस्ट दिशा में यदि अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाया जाता है तो उस घर की स्त्रियां के बीमार, रूग्ण व चरित्रहीन होने की पूरी संभावना रहती है।
पश्चिम नैरूत दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?
यदि पश्चित नैरूत दिशा यानि वेस्ट साउथ-वेस्ट में यदि अंडरग्राउंड वाटर टैंक का निर्माण किया जाता है तो इस घर के पुरूषों में बीमारियां हो सकती हैं और उनके चरित्रहीन होने की संभावना रहती है।
पश्चिम वायव्य दिशा या उत्तरी वायव्य दिशा में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?
यदि पश्चिम वायव्य दिशा यानि वेस्ट नोर्थ-वेस्ट दिशा या फिर उत्तर वायव्य दिशा यानि नोर्थ नोर्थ-वेस्ट दिशा में अंडरग्राउंड वाटर टैंक, कुंआ या गड्डा बनाया जाता है तो मुकदमेबाजी, पागलपन, घर में चोरी होने जैसे अनेक संकट पैदा हो सकते हैं।
मकान के मध्य भाग में वाटर टैंक बनाने से क्या नुकसान है?
घर के मध्य भाग यानि बीचोबीच में अंडरग्राउंड वाटर टैंक, कुंआ या गड्डा बनाने से सम्पूर्ण धन का नाश हो सकता है।
वास्तु के अनुसार भूमिगत टैंक का आकार और गहराई
वास्तु के अनुसार भूमिगत टैंक का आकार गोल या आयताकार होना चाहिए। गोल आकार का टैंक सकारात्मक ऊर्जा को और अधिक आकर्षित कर सकता है। टैंक की गहराई का भी ध्यान रखना आवश्यक है अधिक गहरा टैंक खतरा व कठिनाईया उत्पन्न कर सकता है।
भूमिगत टैंक की निर्माण सामग्री
भूजल टैंक के निर्माण में प्रयोग होने वाली सामग्री का चुनाव भी वास्तु के अनुसार करना चाहिए। दीवारों में पर्याप्त रूप से लोहे के बीम, सीमेण्ट, कंक्रीट का प्रयोग टैंक बनाने के लिए करना चाहिए। यह स्थिरता प्रदान करता है और लंबे समय तक उपयोग के लिए उपयुक्त रहता है।
जल भंडारण के लिए नियम
पानी के टैंक को साफ-स्वच्छ रखना भी आवश्यक है ताकि टैंक में स्टोर पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदायक न हो, नियमित रूप से टैंक की सफाई करें और सुनिश्चित करें कि उसमें कोई गन्दगी न हो। टैंक में जल स्तर हमेशा उचित मात्रा में बनाए रखना चाहिए वह न तो अत्यधिक भरा होना चाहिए और न ही अधिक खाली होना चाहिए।
हमने देखा underground water tank as per vastu के अनुसार कैसे बनवायें, किस प्रकार बनाने से हमें क्या लाभ मिलते हैं और इन नियमों के विपरित बनाने से हमारा क्या नुकसान हो सकता है। इस प्रकार हम उचित दिशा, आकार, सामग्री और सफाई से संबंधित नियमों का पालन करके हम एक ऐसा जल स्रोत बना सकते हैं जो न केवल उपयोगी हो, बल्कि हमारे जीवन में सुख और समृद्धि भी लाए।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
वास्तु के ये आलेख भी पढें-
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमूल्य है!