बांह में भरकर धरा को |
(1)
दुनिया भी अजब सरायेफानी देखी
हर चीज यहां की आनी जानी देखी
जो आ के न जाये वह बुढ़ापा देखा
जो जा के न आये वह जवानी देखी।
-मीर अनीस लखनवी
दुनिया भी अजब सरायेफानी देखी
हर चीज यहां की आनी जानी देखी
जो आ के न जाये वह बुढ़ापा देखा
जो जा के न आये वह जवानी देखी।
-मीर अनीस लखनवी
(2)
सजन से गले मिल के जो सजनी आयी
सजन से गले मिल के जो सजनी आयी
होंठो पे थी बैसाख की खुश्की छायी
इस आग में आराम से जलने के लिये
आंखों में बरसता हुआ सावन लाई।
-मुशीर झिझानवी
इस आग में आराम से जलने के लिये
आंखों में बरसता हुआ सावन लाई।
-मुशीर झिझानवी
(3)
गंध मैने पिया, मदहोश कोई और हुआ
गंध मैने पिया, मदहोश कोई और हुआ
आंख मेरी झंपी, खामोश कोई और हुआ
वाह री पाक मुहब्बत असर तुम्हारा है
चोट मुझको लगी, बेहोश कोई और हुआ।
-रामसेवक श्रीवास्तव
वाह री पाक मुहब्बत असर तुम्हारा है
चोट मुझको लगी, बेहोश कोई और हुआ।
-रामसेवक श्रीवास्तव
(4)
छूटे कभी जो कैद से तूफान में घिरे
एक दर्द साथ-साथ हमेशा लिये फिरे
जब भी खुशी मिली तो छिनी हमसे इस तरह
छूटे कभी जो कैद से तूफान में घिरे
एक दर्द साथ-साथ हमेशा लिये फिरे
जब भी खुशी मिली तो छिनी हमसे इस तरह
बच्चा ज्यों मां की गोद से लहरों में जा गिरे।
-रामानन्द दोषी
-रामानन्द दोषी
चांदनी रथ पर लिये चन्दा चढ़ा है
है बना अस्तित्व धरती का तभी तक
जब तलक कण-कण अधर जोड़े पड़ा है।
-भारत भूषण
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)
संकलन-संजय कुमार गर्ग
संकलन-संजय कुमार गर्ग
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