कट गयी झगड़े में सारी रात वस्ल-ए-यार3 की
शाम को बोसा1 लिया था, सुबह तक तकरार की
बाद मरने के मिली जन्नत खुदा का शुक्र है
मुझको दफनाया रफीकों2 ने गली में यार की।
1-चुम्बन 2-दोस्तों 3-प्रिय से मिलन की रात
-2-
हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो पी ली है,
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है,
ना-तर्जुबा-कारी1 से वाइज2 की ये हैं बातें
इस रंग का क्या जाने पूछो तो कभी पी है।
1-अनुभव हीन 2-धर्मगुरू
-3-
बैठायी जायेगी परदे में बीबियां कब तक
बने रहोगे तुम इस मुल्क में मियां कब तक,
हरम-सरा1 की हिफाजत को तेग2 ही न रही
तो काम देगी यह चिलमन की तितलियां कब तक।
1-कमरा जहां स्त्रियां रहती हैं। 2-तलवार
-4-
कहां ले जाऊं दिल, दोनों जहां में इसकी मुश्किल है,
यहां परियों का मजमा है, वहां हूरों की महफिल है।
इलाही कैसे-कैसी सूरतें तूने बनायी हैं
हर सूरत दिल से लगा लेने के काबिल है।
-5-
किस-किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा,
आजाद हो चुके थे, बन्दा बना के मारा।
आंखों में तेरी जालिम छुरियां छुपी हुई हैं,
देखा जिधर को तूने पलकें उठाके मारा।
दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार1 नहीं हूं,
बाजार से गूजरा हूं खरीददार नहीं हूं।
यारब मुझे महफूज रख उस बुत के सितम से,
मैं उस की इनायम का तलबगार नहीं हूं।
1-चाहने वाला
-7-
रहता है इबादत में हमें मौत का खटका,
हम याद-ए-खुदा करते हैं कर ले न खुदा याद।
-8-
बस जान गया मैं तेरी पहचान यही है,
तू दिल में तो आता है, समझ में नहीं आता।
-9-
जो मैंने कहा कि प्यार आता है मुझ को तुम पर
हंस के कहने लगे, और आप को आता क्या है।
-10-
सुकूने-कल्ब1 की दौलत कहां दुनिया-ए-फानी2 में,
बस इक गफलत3 सी आती है और वो भी जवानी में।
1-दिल के चैन की 2-नश्वर संसार में 3-बेहोशी
-11-
शैख1 की महफिल में मय2 का क्या काम
एहतियातन कुछ मंगा ली जाएंगी।
1-धर्मगुरू 2-शराब
-12-
वस्ल1 हो या फिराक2 हो अकबर
जागना रात भर मुसीबत है।
1-मिलन 2-जुदाई
सौ जान से हो जाउंगा राजी मैं सजा पर,
पहले वो मुझे अपना गुनहगार तो कर ले।
-14-
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती।
-15-
दिन-रात की ये बैचेनी है, ये आठ पहर का रोना है
आसार बुरे हैं फुर्कत1 में मालूम नहीं क्या होना है।
1-जुदाई में
-16-
सितम की कामयाबी पर मुबारिकबाद देता हूं
ये उनकी बदगुमानी है कि फरियादी समझते हैं।
संकलन-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com
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