नीलम Sapphire से लोग काफी प्राचीन काल से परिचित हैं, इस रत्न को नीलम नाम इसके नीले रंग के कारण पड़ा। शनि के इस रत्न को संस्कृत में इन्द्रनील, अंग्रेजी में सफयर, उर्दू व फारसी में नीलम, याकूत कबूद कहते हैं। नीलम अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कश्मीर, बर्मा की खानों से निकाला जाता है। भारत में कश्मीर का नीलम श्रेष्ठ माना जाता है यहां मिलने वाले नीलम का रंग मोर की गर्दन जैसा होता है। नीलम जिसमें लाली झलकती है उसको रक्त नीलम, जिसमें सफेद झलक दिखायी देती है उसे दूधिया नीलम कहते हैं।
असली नीलम स्टोन की पहचान-
नीलम जो बहुत कोमल, चिकना, आर पार दिखाई देने वाला, दाग, धब्बों, रेखाओं व चीरों के बिना सुन्दर आकार वाला सर्वोंत्तम माना जाता है। असली नीलम को यदि दूध में डाल दिया जाये तो उससे निकलने वाली किरणों के कारण दूध भी पीली झलक देने लगता है। परन्तु यदि शीशे का बना नकली नीलम दूध में डालने पर उससे दूध नीला दिखाई नहीं देता।
नीलम पहनने से पहले क्या करें?/ निर्देश-
किसी योग्य ज्योतिष को अपनी जन्मतिथि बताकर और अपनी जन्मपत्री दिखाकर उससे पूरी जानकारी प्राप्त करने के उपरान्त ही अच्छी क्वालिटी का नीलम पहनना चाहिए।
नीलम रत्न किस उंगली में पहने? नीलम रत्न कौन से दिन व किस प्रकार पहनना चाहिए?
शनिवार के दिन, सूर्यास्त से एक दो घंटे पहले नीलम को नीले कपड़े में लपेटकर तीन से सात दिन अपनी बाजू पर पहनें, नीलम को कपड़े में इस प्रकार रख कर छेद कर लें कि वह बाजू को छूता रहे। इस प्रकार से नीलम पहनने वाले को यदि कोई हानि न हो, बल्कि फायदा ही महसूस हो तो अगूंठी को जड़वाकर स्थायी रूप से पहन सकते हैं।
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नीलम कितने वजन का पहनना चाहिए?
नीलम रत्न का वजन 4 से 5 रत्ती का होना चाहिए।
कौन सी राशि वालों को नीलम पहनना चाहिए?/नीलम स्टोन किस राशि के लिए है?-
शनि का रत्न नीलम वृष, तुला, मकर, कुम्भ राशि वालों के लिए शुभ रत्न होता है अतः इन्हें यह रत्न पहनना चाहिए। नीलम के साथ हीरा या पन्ना भी पहनना चाहिए। मेष, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन लग्न वालों के लिए अन्य रत्नों के साथ ये मध्यम है।
कौन सी राशि नीलम नहीं पहन सकती है?
मिथुन, कर्क, सिंह, लग्न वालों के लिए ये खराब है इन राशि वालों को नीलम नहीं पहनना चाहिए।
नीलम कितने दिनों में असर करता है?
किसी अनुभवी ज्योतिष से परामर्श करके इस रत्न को शनिवार के दिन ऊपर बतायी गयी विधि से पहनना चाहिए। इसका असर एक दिन से लेकर सात दिन के अंदर दिखायी दे जाता है।
नीलम पहनने का मंत्र कौन सा है?
नीलम धारण करते समय ‘‘ऊं शं शनैश्चराय नमः’’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
कमजोर शनि के क्या प्रभाव होते हैं?
शनि कमजोर होने पर व्यक्ति नशे का आदि, लंबी कर्जदारी, बंधन व अपमान होना, बचपन के रोग का प्रभाव, दुर्गम स्वभाव, कम बोलना, गलत मतबल निकालने वाला, महफिलों के शोक से तन-मन-धन खराब करने वाला, कई कामों में एक साथ उलझने वाला, लंबी बिमारी देने वाला होता है।
नीलम रत्न का विकल्प-
यदि आप नीलम रत्न नहीं पहन सकते तो कटैला, एक्वामेरिन, नीली लाजवर्त, स्टील की अंगूठी या काले घोड़े की नाल का छल्ला पहन सकते हैं।
नीलम कब पहनना चाहिए?
1-यदि जन्मकुण्डली में शनि चौथे, पांचवे, दसवें या ग्यारवें भाव में स्थित हों तो नीलम अवश्य पहनना चाहिए।
2-यदि शनि षश्ठेश या अष्टेश के साथ स्थित हों तो नीलम पहनना लाभकरी है।
3-यदि किसी ग्रह की महादशा में शनि की अंर्तदशा चल रही हो तो नीलम धारण करना फायदेमंद है।
4-यदि शनि सूर्य के साथ हों, सूर्य की राशि में हों, या सूर्य से दृष्ट हों तो नीलम पहनना लाभकारी है।
5-जन्मकुण्डली मे यदि शनि मेष राशि में स्थित हों तो नीलम पहनना चाहिए।
6-यदि जन्मकुण्डली मे शनि वक्री, अस्तगत, या दुर्बल हों या जो शनि ग्रह प्रधान व्यक्ति है उसे नीलम पहनना चाहिए।
7-यदि शनि की साढ़े साती या ढैया चल रही हो तो नीलम पहनना चाहिए।
नीलम रत्न पहनने से क्या लाभ होता है? / नीलम रत्न के चमत्कार
नीलम शनि देव का रत्न है, शनि न्याय के देवता हैं, नीलम को पहनने से व्यक्ति को शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, उसे धन का लाभ मिलता है, वह स्वस्थ रहता है, उसके वैवाहिक जीवन में शांति आती है, उसे अचानक से भी धन मिल सकता है, मानसिक शांति मिलती है जिसके कारण उसे अपने कैरियर-काम में सफलता प्राप्त होती है।
नीलम का नुकसान क्या है? नीलम के दुष्प्रभाव क्या हैं?
नीलम एक शक्तिशाली रत्न है, ज्योतिष इसकी अंगूठी बनवाने से पहले 7 दिन तक इसे बाजू पर बांधने की सलाह देते हैं ताकि इस अच्छे व बुरे प्रभावों को जांचा जा सके। इनके दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं।
1-अचानक कोई दुर्घटना दे सकते हैं, जिससे आपको शारीरिक व मानसिक कष्ट होगा।
2-आपकी आंखों पर बुरा असर डाल सकते हैं आंखों को खराब भी कर सकते हैं।
3-नीलम मानसिक समस्याऐं दे सकते हैं पागलपन या अवसाद आदि।
4-यदि आपको नीलम सूट नहीे कर रहा है तो आपको बुरे स्वप्न या बुरे ख्याल आ सकते हैं।
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प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, एस्ट्रोलाॅजर, वास्तुविद् 6396661036
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