मुकदमेबाजी और दुश्मनी से बचना है? इस दिशा में न सोयें!

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उत्तर-पश्चिम मुखी घर-

जिस भूखण्ड के पश्चिमी एवं उत्तरी दिशा में सड़क हों उन्हें वायव्य यानि नोर्थ-वेस्ट घर या भूखण्ड कहा जायेगा। वायव्य दिशा वायु तत्व की दिशा है और इस दिशा के प्रतिनिधि ग्रह चन्द्र माने जाते हैं। यह कालपुरूष के घुटने एवं हाथों की कोहिनी को प्रभावित करता है। यदि जन्मकुण्डली की दृष्टि से देखा जाये तो कुंडली का पांचवा एवं छठा भाव वायव्य कोण का प्रतिनिधित्व करता है। इसका विशेष प्रभाव परिवार की महिला सदस्यों एवं तीसरी संतान पर पड़ता है। पुरूष के इस दिशा में सोने से उसके शत्रुओं और मुकदमेबाजी में वृद्धि होती है। आगे पढ़ेगे इसके बचाव के उपाय।

वायव्य दिशा के वास्तु टिप्स /उत्तर-पश्चिम दिशा का वास्तु-

1-वायव्य कोण में भारी सामान हो, सीढ़ियां यदि नैरूत में हों, वायव्य कोण नैरूत (दक्षिणी-पश्चिमी) व आग्नेय (दक्षिणी-पूर्व)  की अपेक्षा नीचा होना चाहिए, परन्तु ईशान दिशा (उत्तर-पूर्व)  से ऊंचा होना चाहिए तो यह अच्छा फल देता है।


2-उत्तर-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार की बात करें तो उत्तर वायव्य की अपेक्षा, पश्चिमी वायव्य की ओर से आवागमन अधिक अच्छा फल देता है। इसका तात्पर्य हुआ कि यदि आप वायव्य भूखण्ड बना रहे हैं तो वास्तु के अनुसार उत्तर पश्चिम प्रवेश द्वार अच्छा परिणाम  नहीं देगा।

3-यदि प्राकृतिक रूप से वायव्य कोण कुछ कटा हुआ है तो अच्छा परिणाम ही देता है।

4-यदि उत्तरी वायव्य में मुख्य प्रवेश द्वार होने से घर की महिलाओं को रोग ग्रस्त होने की आशंका रहती है।

5-उत्तरी वायव्य हिस्सा बढ़ा होने से मुकदमेबाजी, डकैती, अग्नि दुर्घटना व मानसिक चिन्ता बढ़ाती है और पुरूष वंश के लिए ये भारी होता है।

6- उत्तर-पश्चिम दिशा में रसोई होने से अतिथियों की संख्या में वृद्धि होती है तथा व्यय बढ़ता है।


7-यदि वायव्य कोण /उत्तर-पश्चिम दिशा, ईशान की अपेक्षा नीची हो या वायव्य कोण में गड्ढ़ा हो तो घर में बिमारियां व मुकदमेबाजी में खर्चा होता रहता है।

8-यदि उत्तर-पश्चिम दिशा में शौचालय है तो परिवार के सदस्यों में सुख-शान्ति कम व बैचेनी अधिक होती है।

9-यदि उत्तर-पश्चिम दिशा में बगीचा हो एवं सुन्दर पेड़-पौधे हों तो घर का स्वामी आध्यात्मिक ऊर्जा का स्वामी, गुप्त शक्तियों का मालिक एवं भाग्यशाली होता है।

10-यदि उत्तर-पश्चिम दिशा में लायब्रेरी हो तो परिवार के सदस्यों का मन अस्थिर होगा तथा अध्ययन में रूकावटें आती हैं। 

11-यदि आपको इस दिशा में बालकनी बनवानी है तो उत्तर या पूर्व दिशा में बनवानी चाहिए।

12-इस दिशा में मछली के एक्वेरियम या पानी का भंडार भी नहीं रखना चाहिए।


वायव्य कोण के दोष दूर करने के उपाय /दक्षिण पश्चिम मुखी घर का वास्तु दोष कैसे दूर करें?


1-उत्तर पश्चिम दिशा में हवा के आवागमन होना चाहिए।

2-पश्चिमी-दक्षिणी यानि नैरूत से उत्तर-पश्चिमी यानि वायव्य नीचा रखें तथा आग्नेय यानि पूर्व दक्षिणी से ईशान यानि उत्तर-पूर्व नीचा रखना चाहिए।

3-बड़े-ऊंचे वृक्ष पश्चिमी या वायव्य दिशा में लगा सकते हैं उत्तरी वायव्य दिशा में फुलवारी लगाये।

4-वायव्य कोण के दोष निवारण के लिए घर में ‘‘चंद्र यंत्र’’ लगायें।

5-मुख्य दरवाजे पर श्वेत गणपति आगे-पीछे रजत युक्त ‘‘श्रीमंत्र’’ के साथ लगायें।

6-दीवारों पर हल्के रंग, सफेद कलर आदि करायें


7-दरवाजे के दोनों ओर ओम, स्वास्तिक और त्रिशूल का चिन्ह लगवायें।

8-बच्चों की पढ़ाई हेतू स्टडी टेबल, चेयर आदि ईशान, उत्तर, या उत्तर वायव्य कोण में रखी जा सकती है।

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प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद् , ज्योतिषी  6396661036 

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