डायमेंशन क्या है? चौथे Dimension में मेडिटेशन से जा सकते हैं?

डायमेंशन क्या है? चौथे Dimension में मेडिटेशन से जा सकते हैं?

डायमेंशन Dimension क्या है?

मित्रों! हमारे ऋषि-मुनि भूत-भविष्य की घटनाओं को आसानी से देख सकते थे। इसका जीता-जागता प्रमाण भविष्य पुराण है, हजारों-लाखों साल पहले लिखा गया यह ग्रंथ आज के बारे में सटीक भविष्य वाणी करता हैनास्त्रेदमस ने भी भविष्य के बारे में सटीक भविष्यवाणियां की है, वो बात अलग है कि इसकी भविष्यवाणियां इतनी उलझी हुई भाषा में हैं जो घटना के घटित होने के बाद सही प्रकार से समझ आती हैं। आप आश्चर्य में होंगे कि ये इतनी सटीक भविष्यवाणियां कैसे कर लेते थे। साथियों! इन्होंने चौथे आयाम यानि फोर्थ डायमेंशन में प्रवेश करके ही भविष्य को देखा। यानि इन्हें फोर्थ डायमेंशन Dimension का आभास रहता था।

साथियों आयाम यानि डायमेंशन Dimension क्या है? जिस प्रकार हम लंबाई को मीटर में, तापमान को कैल्विन में, समय को घंटे में और करंट को एम्पियर में नापते हैं, उसी प्रकार यूनिवर्स में घट रही घटनाओं को आयाम या डायमेंशन Dimension में मापते हैं। स्ट्रिंग थ्योरी के अनुसार ब्रह्मांड में दस आयाम हो सकते हैंएम थ्योरी के अनुसार ब्रह्मांड में ऐसे ग्यारह आयाम हो सकते हैं। बोजोनिक थ्योरी ने ब्रह्मांड में ऐसे 26 आयाम होने की कल्पना की है। जबकि भारतीय दर्शन सप्त आयाम यानि सप्त लोक होने की बात बताता है। अब मैं आपको जीरो से लेकर चौथे आयाम तक के बारे में सरल शब्दों में समझाता हूं।
 
डायमेंशन क्या है? चौथे Dimension में मेडिटेशन से जा सकते हैं?

Zero Dimension

1-शून्य आयाम यानि जीरो डायमेन्श Zero Dimension-

जीरो डायमेन्शन को समझने के लिए कल्पना कीजिए एक शून्य बिन्दू है, जिसका कोई आकार नहीं है, यदि हम इस बिन्दू में होते तो ना तो आगे जा सकते थे ना ही पीछे जा सकते थे, ना ऊपर जा सकते थे ना ही नीचे जा सकते थे, यहां तक की इसमें मौजूद जीव अपनी जगह से हिल भी नहीं सकते। इस अवस्था को हम शून्य आयाम या जीरो डायमेन्शन कह सकते हैं।

 
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First Dimension

2-पहला आयाम यानि फर्स्ट डायमेन्शन First Dimension-

अब कल्पना की कीजिए, इस बिन्दू के सामने एक बिन्दू और है। अब इन दोनों बिन्दुओं की मिला देते हैं। यदि हम इस डायमेन्शन में होते तो हम केवल एक बिन्दु से दूसरे बिन्दू तक ही जा सकते थे यानि हम आगे और पीछे की ओर ही जा सकते थे। दांये या बांये और ऊपर या नीचे नहीं जा सकते थे। इस डायमेन्शन को फर्स्ट डायमेन्शन या पहला आयाम कह सकते हैं।

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Second Dimension

3-दूसरा आयाम यानि सैकेण्ड डायमेन्शन Second Dimension-

पहले डायमेन्शन में दो बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा पर यदि एक रेखा और खींच दी जाये तो इस आयाम में रहने वाले जीव आगे-पीछे जाने के साथ-साथ अब दांये और बांये भी जा सकते हैं। कल्पना कीजिए यदि हम इस डायमेन्शन में रहते तो हम आगे-पीछे और दांये-बांये तो जा सकते थे परन्तु ऊपर-नीचे नहीं जा सकते थे। इस आयाम को दूसरा आयाम यानि सैकेण्ड डायमेन्शन कह सकते हैं।

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4-तीसरा आयाम यानि थर्ड डायमेन्शन Third Dimension-

हम इस समय थर्ड डायमेन्शन में हैं जिसमें हम ऊंचाई और गहराई को भी महसूस कर सकते हैं। इस आयाम में हम आगे-पीछे और दांये बांये के साथ ऊपर-नीचे को भी समझ सकते हैं और महसूस कर सकते हैं। हम इस ब्रह्मांड यानि दुनिया को थर्ड डायमेन्शन के अनुसार समझ व महसूस कर रहे हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम थर्ड डायमेन्शन में रहते हुए भी केवल टू-डी चीजों को ही देख सकते हैं अर्थात हम केवल सैकेण्ड डायमेन्शन की चीजों को ही देख सकते हैं, हम थ्री डी चीजों को नहीं देख सकते केवल उन्हें महसूस कर सकते हैं, यही नहीं हम अपने पीछे के तीन डायमेन्शन जीवों से लेकर थर्ड डायमेन्शन की चीजों को आसानी से समझ सकते हैं परन्तु थर्ड डायमेन्शन से आगे के डायमेन्शन को समझना हमारे लिए अत्यंत कठिन है। बुद्धिमान स्तर के व्यक्ति ही इन आयामों को केवल गणित और विज्ञान के द्वारा केवल कल्पना कर सकते हैं क्योंकि तीसरे आयाम से आगे के आयामों को केवल दिव्य चक्षु या थर्ड आइज के द्वारा ही देखा व समझा जा सकता है।

चौथे आयाम या फोर्थ डायमेन्शन Forth Dimension-

चौथे आयाम यानि फोर्थ डायमेन्शन यानि टाइम, टाइम यानि समय। यह आयाम भी पहले के तीन आयामों को मिलाकर बना है। चौथे आयाम में इंसान अपने भविष्य या भूतकाल में कहीं भी जा सकता है। प्रो0 कूक्स का मानना है कि चौथे आयाम में पहुंचने पर वस्तुओें का वजन बहुत कम हो जाता है और इसमें समय भी बहुत तेजी से चलता है जैसे कि सपने का समय। क्योंकि सपनें में हम कुछ ही समय में, वर्षों बिता देते हैं। परामनौवेज्ञानिकों का मानना है कि भूत-प्रेत भी चौथे आयाम की पुष्टि करते हैं अर्थात वे चौथे आयाम में ही रहते हैं। अनेक वैज्ञानिकों का मानना है कि चौथे आयाम में प्रवेश करने वाले की आंखे टेलिस्कोप का काम करती है, वो दीवारों के आर-पार तथा पानी के अन्दर भी देख सकती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि चौथे आयाम में पहुंचने वाले इंसान अदृश्य आत्माओं को देख सकते हैं साथ ही उनसे संपर्क भी कर सकते हैं।
 
प्रिय प्रबुद्ध पाठकों!! हमारी पृथ्वी पर हिमालय में कहीं एक अदृश्य सिद्धाश्रम या संगिला नाम का स्थान है, जिसे चौथे आयाम का प्रवेश द्वार कहा जाता है यानि इस अदृश्य आश्रम में पहुंच कर ही हम चौथे आयाम में पहुंच सकते हैं। इस पर मैंने एक वीडियो बनायी है जिसका लिंक आपको यही मिल जायेगा। चौथे यानि फोर्थ डायमेन्शन में इंसान अपने भविष्य या भूतकाल में कहीं भी जा सकते हें। माना किसी व्यक्ति की किसी दुर्घटना में एक्सीडेन्ट से मृत्यु हो गयी है तो वह व्यक्ति भूतकाल में जाकर दुर्घटना वाली गलती को सुधार सकता है, और उस दुर्घटना से बच सकता है। और साथ वह व्यक्ति वर्तमान में जीवित बच सकता है।


साथियों! श्रीरामचरितमानस् में वर्णन आता है कि श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास से लौटने के बाद अनेक ऋषियों और मुनियों ने उनके राज्याभिषेक में भाग लिया था और उन सभी का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास ने ‘नाम’ लेकर किया है। परन्तु एक और महात्मा ने उनके राज्याभिषेक में हिस्सा लिया था, जिसका नाम गोस्वमी तुलसीदास जी ने नहीं बताया। रामचरितमानस् के टीकाकार (अनुवादक) का मानना है कि वे स्वयं गोस्वामी तुलसीदास ही थे, जो चौथे आयाम में प्रवेश करके सतयुग में भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के साक्षी बने थे। परन्तु गोस्वामी तुलसीदास ने इस बात को छुपा लिया। कदाचित् वे अपनी दिव्य शक्तियों को दिखाना नहीं चाहते थे? इस बात पर और भी बल तब मिलता है कि जिस प्रकार गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस् में पदों का जिस गहराई से वर्णन किया है, वह वर्णन बाल्मीकि रामायण के वर्णन से अलग है। किसी घटना के बारे में ऐसा सुन्दर-सटीक वर्णन बिना देखें किया जाना संभव प्रतीत नहीं होता। अतः हम यह मानने के लिए बाध्य हैं कि गोस्वामी तुलसीदास न केवल सतयुग की घटनाओं को अपने दिव्य चक्षुओं से देखा, बल्कि टाइम टेवलिंग time traveling करके श्रीराम के राज्याभिषेक के दिव्य साक्षी भी बनें।

तो प्रबुद्ध पाठकों! इन चारों डायमेन्शंस या आयामों के बारे में आपकी क्या राय है? क्या आपकों मेरे समझाने का तरीका अच्छा लगा? क्या आपको डायमेन्शन के बारे में समझ आ गया? क्या आप समझते हैं कि चौथे डायमेन्शन में ध्यान या मेडिटेशन के द्वारा पहुंचना संभव है? 


आपके बहुमूल्य कमैंटस की प्रतिक्षा में, जो आप नहीं करते?

प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, योगाचार्य, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर  
sanjay.garg2008@gmail.com Whats-app 8791820546
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