घाघ-भड्डरी ने ज्योतिष से भी अनेक कहावतें कहीं हैं, जो अब लगभग लुपप्रायः हैं, आक्रांताओं के आक्रमण और समय की मार ने इन बहुमूल्य भविष्यवाणियों को हमसे दूर कर दिया था, परन्तु श्रुतपरंपरा (याद रखने-कठंस्थ रखने की परंपरा) के कारण आज भी काफी भविष्यवाणियां बड़े-बुजुर्गों से सुनने को मिलती हैं। विशेष बात ये है कि इन भविष्यवाणियों को समझने के लिए किसी विशेष ज्योतिष के ज्ञान की आवश्यकता भी नहीं हैं। इन कहावतों में मौसम की, मूल्यों में तेजी-मन्दी की, खेती व यात्रा शकुन से संबंधित कहावतें ज्यादा मात्रा में हैं। आज के आलेख में हम इन्हीं भविष्यवाणियों की चर्चा करेंगे, जिन्हें मैंने आपके लिए इकट्ठा किया है।
घाघ-भड्डरी की मौसम-खेती की ज्योतिषिय कहावतें
एक मास दो ग्रहने दोई। तुरतै अन्न मंहगे होई।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि एक महिने में दो ग्रहण पड़े तो समझना चाहिए कि अन्न के मूल्यों में चढ़ाव आयेगा यानि अन्न महंगा हो जायेगा।
धुर आषाण की अष्टमी शशि निर्मल जो दीख।
तुम जइयो पिय मालवा इत हम मांगे भीख।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि आषाढ़ बदी अष्टमी को चन्द्रमा निर्मल-साफ दिखाई दे तो समझना चाहिए कि निश्चित ही अकाल पड़ेगा, और हमें अपना घर-बार भी छोड़ना पड़ सकता है।
शुक्रवार की बादरी रही शनीचर छाय।
ऐसा बाले भड्डरी बिन बरसे ना जाय।।
भड्डरी कहते हैं कि शुक्रवार के दिन बनने वाले बादल यदि शनिवार तक घिरे रहें तो निश्चित ही वर्षा होती है, ऐसा जानना चाहिए।
ऐसा बाले भड्डरी बिन बरसे ना जाय।।
भड्डरी कहते हैं कि शुक्रवार के दिन बनने वाले बादल यदि शनिवार तक घिरे रहें तो निश्चित ही वर्षा होती है, ऐसा जानना चाहिए।
भादौं की छठि चांदनी जो अनुराधा होय।
ऊबड़ खाबड़ बोयदे अन्न घनेरो होय।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि भादों सुदी छठ को अनुराधा नक्षत्र हो तो अनुपजाऊ भूमि पर भी अन्न बो देना चाहिए, अच्छी फसल होती है यानि अधिक पैदावार होती है।
स्वाती दीपक जो बरे खेल बिसाखा जाय।
घना गयन्दा रण चढ़े उपजी साख नशाय।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि दीपावली के दिन स्वाती नक्षत्र हो तथा कार्तिक सुदी परवा को बिसाखा नक्षत्र में चंद्रमा हो तो भीषण युद्ध होता है और कृषि नष्ट हो जाती है।
आदि न बरसे आद्र्रा हस्त न बरसे निदान।
सुनो घाघ कहे भड्डरी भये किसाने पिसान।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि आद्र्रा नक्षत्र के आरम्भ में, और स्वाति नक्षत्र के अन्त में वर्षा न हों तो किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है।
कार्तिक सुदी एकादशी बादल बिजुली होय।
तो अषाढ़ में भड्डरी बरषा चोखी होय।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि देवउठान के दिन बादल हों और बिजली चमके तो आषाढ़ मास में अच्छी वर्षा होती है। ऐसा जानना चाहिए।
पूस मास दसमी अंधियारी बदली घोर होय अधिकारी।
सावनबदी दशमी के दिन में भरेमेघचारौ दिसि बरसे।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी को जोरदार घटा घिरी हो तो सावन बदी दशमी के दिन भारी वर्षा होगी ऐसा मानना चाहिए।
कर्क बोलावे कांकड़ी सिंह अबोने जाय।
ऐसा बोले भड्डरी कीड़ा फिर फिर खाय।
भड्डरी कहते हैं कि कर्क लग्न हो तो ककड़ी बोनी चाहिए, सिंह लग्न में ककड़ी नहीं बोनी चाहिए। यदि सिंह लग्न मेें ककड़ी बोई जायेगी तो उस पर कीड़ा लग जायेगा। (किस दिन कौन सा लग्न है या नक्षत्र है इसका ज्ञान आपको पंचांग से या फिर गूगल से मिल जायेगा।)
ऐसा बोले भड्डरी कीड़ा फिर फिर खाय।
भड्डरी कहते हैं कि कर्क लग्न हो तो ककड़ी बोनी चाहिए, सिंह लग्न में ककड़ी नहीं बोनी चाहिए। यदि सिंह लग्न मेें ककड़ी बोई जायेगी तो उस पर कीड़ा लग जायेगा। (किस दिन कौन सा लग्न है या नक्षत्र है इसका ज्ञान आपको पंचांग से या फिर गूगल से मिल जायेगा।)
सोम शुक्र गुरूवार को पूस अमावस होय।
घर घर बाजे बधावड़ा दुखी न दीखै कोय।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि सोमवार, शुक्रवार या गुरूवार के दिन पूस के महीने की अमावस्या हो तो सभी सुखी होते हैं, कोई भी दुखी नहीं रहता।
मार्गबदी आठें घर दरसे तो महिना भर सावन बरसे।
भड्डरी बताते हैं कि यदि अगहन बदी की अष्टमी तिथि को बादल दिखाई दे तो सावन के महीने में खूब वर्षा होती है।
मंगल सोम होय शिवरात्रि पछवा वाय बहै दिन राती।
घोड़ा रीड़ा टिड्डी उड़ै राजा मरै कि परती परे।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि सोमवार या मंगलवार के दिन शिवरात्रि पड़े और रात दिन पछुवा हवा (पश्चिम दिशा की ओर से चलने वाली हवा) चले तो समझ लीजिए कि टिड्डी का दल आयेगा, राजा मर जायेगा और खेत सूखे के कारण नहीं बोये जायेंगे। ईश्वर ना करें ये स्थिति कभी आये।
सावन केरे प्रथम दिन उगत न दिखे भान।
चार महीना पानी बरसे जानों इसे प्रमान।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि सावन की प्रतिपदा को सूर्य भगवान उगते ना दिखाई दे तो चार महीने तक खूब वर्षा होती है।
माघ उजेरी अष्टमी बार होय जो चन्द।
तेल घीय को जानिये मंहगौ होय दुचन्द।।
इस कहावत में भड्डरी तेजी-मन्दी के संबंध में बताते हैं कि यदि माघ शुक्ल की अष्टमी को सोमवार हो तो घी व तेल के मूल्यों में तेजी आयेगी, ऐसा मानना चाहिए।
भोर समें डर डम्बरा रात उजेरी होय।
दुपहरिया सूरज तपै दुरभिक्ष तेऊ जोय।।
इस कहावत में भड्डरी कहते हैं कि यदि प्रातः काल बादल घिरे, दोपहर को सूरज तपे और रात में आकाश स्वच्छ हो जाये तो निश्चित ही दुर्भिक्ष-अकाल पड़ने की संभावना होती है।
कर्क राशि में मंगलवारी ग्रहन पड़े दुर्भिक्ष बिचारी।
इस कहावत में भड्डरी अकाल पड़ने के बारे में बता रहे हैं कि यदि चन्द्रमा कर्क राशि में हों और उस दिन मंगलवार हो और ग्रहण पड़े तो निश्चय ही अकाल पड़ने की संभावना होती है।
चैत अमावस जे घरी परती पत्रा माहि।
तेता सेरा भड्डरी कातिक धान बिकाहि।।
इस कहावत में भड्डरी धान के मूल्य का विचार करते हुए तेजी-मन्दी का हिसाब बताते हुए कहते हैं कि चैत के महीने में पत्रा यानि पचांग में अमावस जितने घड़ी (एक घड़ी 24 मिनट) की होगी, कार्तिक मास में उतने ही सेर धान का मूल्य बाजार में होगा।
जो पुरवा पुरवाई पावे झूरी नदिया नाव चलावे।
इस कहावत में भड्डरी वर्षा के संबंध में बताते हुए कहते हैं कि यदि पुरवा नक्षत्र (आकाश मण्डल का 11 वां नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र है) में पुरवाई हवा यानि पूर्व दिशा से चलने वाली हवा चले तो सूखी नदी में भी नाव चलने लगती है यानि अत्यधिक वर्षा होती है।
आषाढ़ सुदी हो नवमी ना बादल ना बाज।
हल फारि ईंधन करो बैठे चाबो बीज।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि आषाढ़ सुदी की नौमी को बादल या बिजली कुछ ना दिखाई दे तो किसानों को अपने हल का ईंधन बना लेना चाहिए, और बोने वाले बीजों को खाना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि वर्षा बिल्कुल नहीं होगी।
सबै पतै जो रोहिनी सबै तपै जो मूल।
पड़पा तपे जो जेठ की उपजै सातौ सूर।।
भड्डरी कहते हैं कि यदि रोहिणी और मूल नक्षत्र में खूब गर्मी पड़ती है, तथा जेठ माह की पूरवा हवा भी गरम हो तो सातों अनाजों की खूब उपज होती है।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, लेखक, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
(लेख
का सर्वाधिकार सुरक्षित है, लेखक की अनुमति के बिना आलेख को प्रकाशित या
किसी अन्य चैनल के माध्यम पर उपयोग करना गैर कानूनी है ।)
और आलेख पढ़िए-
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमूल्य है!