भारतीय वास्तुशास्त्र के समान, चीन में ‘फेंगशुई’ वास्तु शास्त्र के रूप में विख्यात है। वास्तु शास्त्र की तरह, फेंगशुई को भी बिना देश सीमा के विश्व के हर स्थान पर लागू किया जा सकता है। फेंगशुई के संबंध में चीन में एक कहावत प्रचलित है कि ‘‘सर्वप्रथम स्थान मनुष्य के प्रारब्ध का, द्वितीय स्थान उसके भाग्य का तथा तृतीय स्थान फेंगशुई का है।’’ यदि चीनी भाषा में इसके अर्थ की बात करें तो फेंगशुई का अर्थ है वायु और जल। अतः फेंगशुई के अनुसार वायु और जल का सही उपयोग करके ही मनुष्य जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। इसके अनुसार घर में रखा गया प्रत्येक सामान व वस्तुएं हमारी विचारधारा, हमारे व्यक्तित्व पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव अवश्य डालते हैं। आइये अब देखते हैं-
फेंगशुई के कुछ स्वर्णिम सूत्र-
1-फेंगशुई के अनुसार यदि अपने घर में घुसते समय आपके मन में शान्ति, सुकून की भावना मन में आती है तो आपके घर की फेंगशुई शुभ है। यदि आपको अपने घर जाने का मन नहीं करता, एक अनाकर्षण की सी स्थिति हो, तो इसका तात्पर्य है कि आपके घर की फेंगशुई अच्छी नहीं है।
2-फेंगशुई के अनुसार घर के सारे दरवाजे बाहर की ओर खुलने वाले होने चाहिए, अन्दर की ओर खुलने वाले दरवाजे अशुभ होते हैं। वैसे वास्तु इससे एकमत नहीं है।
3-नोकदार खम्बे नहीं बनवाने चाहिए, हमेशा गोल खम्भे ही बनवानें चाहिए।
4-यदि भगवान की प्रतिमा या अपने घर में मुख्य द्वार के समाने कोई खम्बा हो तो उसको तुड़वाने की बजाय उस पर दर्पण लगा देना चाहिए। इससे उसका प्रभाव कम या समाप्त हो जाता है।
5-अपने घर के बीचो-बीच कभी भी सीढ़ियों को निर्माण नहीं कराना चाहिए, ऐसा करने से ग्रह स्वामी को हृदय रोग का भय होता है। हार्ट अटैक आने की पूरी संभावना बन जाती हैं, इसीलिए सीढ़ियां हमेशा किनारे से ही बनवायें।
6-अगले व पिछले दरवाजे को ठीक आमने-सामने नहीं बनवाना चाहिए, इससे शार की रचना होगी तथा सारी ची (ऊर्जा) प्रवेश के साथ ही बाहर निकल जायेगी। यदि ऐसा दरवाजा बनवाना मजबूरी बन रहा हो तो फिर फर्नीचर या दर्पण लगवाकर ची को घर के अन्दर एक घुमाव दिया जा सकता है। या फिर आगे वाले और पीछे वाले दरवाजे के बीच में क्रिसटल बाल लटकाकर ची को ठहरने के लिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
7-घर से बाहर देखने पर अगले दरवाजे की स्थिति बाईं ओर होनी चाहिए, बताया जाता है इससे ड्रैगन दरवाजे की सुरक्षा करता है।
8-डायनिंग रूम को बैठक की तुलना में निचाई पर स्थित होना चाहिए।
9-फेंगशुई खाने के कमरे को घर के अन्य कमरों से पृथक रखने पर जोर देता है, यदि उसे एक ही कमरे में बनाया जाये तो उसे उस कमरे से स्पष्ट रूप से अलग दिखना चाहिए।
10-बैडरूम में ऊर्जा या ची को उत्तेजित करने के लिए एक हरा-पौधा रखना चाहिए, किन्तु अधिक पौधे भी ना रखें, क्योंकि अधिक मात्रा में रखे गये पौधे उपलब्ध ची को समाप्त कर देगेें।
11-अपने बैड के नीचे भी इतना स्थान रखना चाहिए कि वहां से ची प्रवाहित हो सके, क्योंकि ची को ऊपर-नीचे तथा कम से कम पलंग के ओर प्रवाहित होना लाभदायक है। यदि आप अपने पलंग के नीचे कुछ सूटकेश या सामान आदि रखते हैं तो वे ची के मार्ग को रूकते हैं, और आपको ची का पूरा लाभ नहीं मिल पायेगा।
12-यदि आप अपने जीवन साथी की तलाश में हैं तो आप को अपना बैड इस प्रकार बिछाना चाहिए कि उस पर दोनों ओर से लेटा जा सके।
13-पलंग के पैरों की ओर दर्पण नहीं लगाना चाहिए, या इस तरह नहीं लगाना चाहिए, जिससे पलंग पर लेटने पर आपका चेहरा दर्पण में दिखाया जाये। ये आपकी एनर्जी को खिंचता है।
14-अपने कमरे में या बैडरूम में अस्त-व्यस्त सामान न रखें साथ ही अनुपयोगी चीजों को ढेर भी न लगायें।
15-कमरें की छत व कमरे की दीवारों पर एक ही रंग का कलर न करायें। इसका परिणाम दुखःदायी हो सकता है।
16-‘ची’ यानि एनर्जी भी चमकीले रंगों की ओर आकर्षित होती है, लाल रंग सौभाग्य व धन समृद्धि का होता है।
17-धीरे-धीरे बहता जल धन को आकर्षित करता है, इसलिए अपने धन-सम्पत्ति वाले स्थान पर एक्वेरियम या सजावटी फव्वारा लगायें।
18-टेलिफोन के पास कोई जल का जग, आइस बाॅक्स या एक्वेरियम न रखें, क्योंकि टेलिफोन अग्नि तत्व है जो जल तत्व के साथ मिलकर विपरीत प्रभाव दे सकती है।
19-मुकदमें, झगड़े, विवाद आदि से संबंधित कागजात की फाइलें तिजोरी लाॅकर में न रखें, साथ ही इन्हें बेनामें, पासबुक आदि के महत्वपूर्ण कागजातों के साथ मिलाकर न रखें, ऐसा करना मानसिक तनाव उत्पन्न कर सकता है, और सफलता की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं। अतः ध्यान रखें मुकदमें, झगड़े, विवाद आदि के कागजात उत्तर-पूर्व दिशा में रखें, कभी भी उन्हें दक्षिण-पूर्व या पश्चिम दिशा में ये कागजात न रखें, वरना ये दिशा आपके मुकदमें, विवाद आदि को लम्बे समय तक खींच सकती है।
20-अन्डर ग्राउड भवन कभी भी सम्पूर्ण भवन के नीचे न बनवायें, इसे अपने भवन के कुल क्षेत्रफल के एक तिहाई भाग में उत्तर-पूर्व, या उत्तर दिशा में बनवाना चाहिए। दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में कभी भी बेसमेंट ने बनवायें। यदि इन दिशाओं में बेसमेंट बन ही गया है तो उसे गैराज या भारी सामान रखने के लिए प्रयोग में लायें।
21-भवन में अन्य कमरों की तुलना में रसोईघर, स्नानघर, शौचालय, प्रसाधन कक्ष आदि के दरवाजे छोटे होने चाहिए। यदि ये दरवाजे बड़े होगे तो ग्रह स्वामी अपव्यय और अत्यधिक व्यय से परेशान रहेगा।
22-यदि किसी से पैसा ले रहे हैं तो कभी भी दो अंगुलियों से रूपया-पैसा न लें, ये दो अंगुलियां कैंची की नुकीली धार के समान कार्य करती हैं। जिससे धन हाथ में नहीं रूकता और खर्च हो जाता है, अतः हमेशा पांचों अंगुलियों से रूपये-पैसे लें।
23-अपने घर या ऑफिस में अपनी नेम-प्लेट जरूर लगवायें, इसका प्रभाव यह होता है कि संभावनाएं स्वयं ही आपके घर या ऑफिस का रास्ता ढ़ूंढ लेती हैं।
24-किसी मन्दिर के पास आवासीय मकान नहीं बनाना चाहिए। यदि मन्दिर है तो मन्दिर की गुमटी की छाया मकान के ऊपर नहीं पड़नी चाहिए। मन्दिर के ऊपर एक पताका लगी होती है, इस पताका की छाया जितनी दूर तक पड़ती हो वहां तक आवासीय भवन नहीं बनाना चाहिए।
पाठकों को इस संबंध में कोई और जिज्ञासा हो तो वास्तु के मेरे और आलेख पढ़े, मुझे कमैंटस करें या फिर मुझे मेल कर सकते हैं।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
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