संतुष्टि सबसे अनमोल है! (कहानी)

संतुष्टि सबसे अनमोल है! (कहानी)

एक ब्राह्मण और भाट में गहरी मित्रता थी। वे प्रतिदिन शाम को मिलते और अपने दुःख-सुख की बातें एक दूसरे से करते थे। एक दिन उन दोनों ने अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान होकर कोई जल्दी पैसा कमाने के जुगाड़ के बारे में सोचने लगे।

भाट ने कहा-‘हम राजा गोपाल के दरबार में चलते हैं, अगर वे हमसे खुश हो गये तो हमारी आर्थिक दशा सुधर जायेगी।’

ब्राह्मण ने कहा-‘देगा तो कपाल, क्या करेगा गोपाल।’

भाट ने कहा-तुम गलत कह रहे हो, देगा तो गोपाल, क्या करेगा कपाल।

इस बात को लेकर ही दोनों में तीखी बहस हो गयी, वे दोनों लड़ते-लड़ते राजा गोपाल के ही दरबार में पहुंचे, और दोनों राजा को नमस्कार कर के, राजा से अपनी बात कह दी।

भाट की बात सुनकर तो राजा बहुत खुश हो गया, परन्तु ब्राह्मण की बात सुनकर ब्राह्मण से नाराज हो गया था। राजा ने उन दोनों से कल दरबार में आने के लिए कहा।

दूसरे दिन राजा ने ब्राह्मण को चावल, दाल और कुछ पैसे दिये तथा भाट को चावल, घी और कद्दू दिया और उस कद्दू के भीतर सोने के सिक्के भर दिया।

अब राजा ने दोनों से कहा-अब तुम दोनों जाकर खाना बनाकर खा लो, शाम को दरबार में फिर आना।
भाट और ब्राह्मण दोनों वहां से चले गये, और एक नदी के किनारे पहुंचकर दोनों खाना बनाने लगे। 

भाट ने ब्राह्मण की ओर देखा और सोचा राजा ने इसे दाल दी है और मुझे कद्दू पकड़ा दिया, इसे पहले छिलो, फिर काटो और फिर जाकर बनाओ और इसे खाने के बाद मेरी कमर में दर्द हो जायेगा सो अलग। इस ब्राह्मण के बड़े मजे हैं, दाल तो झट से बन जायेगी। इस बात को सोचते सोचते भाट ने ब्राह्मण से कहा-हे दोस्त! कद्दू तुम ले लो और मुझे दाल दे दो?

क्योंकि कद्दू खाने से मेरी कमर में दर्द हो जाता है। ब्राह्मण था सीधा-साधा संतुष्ट आदमी सो उसने उसे दाल दे दी और कद्दू उसे से ले लिया।

ब्राह्मण ने कद्दू छीलकर जैसे ही काटा तो उसमें से ढेर सारे सोने के सिक्के गिरने लगे, यह देखकर वह खुश हो गया, और उसने वे सोने के सिक्के एक कपड़े में बांध लिये और कद्दू की तरकारी बनाकर रख ली, लेकिन आधा कद्दू राजा को देने के लिए रख लिया।

शाम को दोनों जब राजा के दरबार में पहुंचे, तो राजा ने भाट की ओर देखा, लेकिन उसके चेहरे पर कुछ प्रसन्नता नहीं थी। यह देखकर राजा को बहुत आश्चर्य हुआ, इससे पहले राजा भाट से कुछ पूछता, उससे पहले ब्राह्मण ने आधा कद्दू राजा के सामने रख दिया।

राजा ने भाट की ओर देखा और भाट से पूछा? कद्दू तो मैंने तुम्हे दिया था? ये ब्राह्मण के पास कैसे आ गया?
भाट ने कहा-हां, दिया तो आपने मुझे ही था, लेकिन मैंने उससे दाल लेकर कद्दू उसे दे दिया।

राजा ने ब्राह्मण की ओर देखा तो ब्राह्मण ने मुस्कुराकर कहा-"दे ही तो कपाल, का कर ही गोपाल।"

संतुष्टि सबसे अनमोल है! कहानी से शिक्षा: संतोषी होने के कारण ब्राह्मण ने सोने के सिक्के प्राप्त किये, जबकि भाट असंतोषी होने के कारण प्राप्त सिक्कों को भी गवां बैठा। इसलिए कहा गया है संतोषी सदा सुखी।

प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, लेखक, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
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