वास्तव में सिर दर्द की समस्या आजकल एक बड़ा सर दर्द बन गयी है, क्योंकि जहां देखों सिर दर्द के मरीज सिर पकड़े दिखायी देते हैं। कम नींद के कारण सिरदर्द, ज्यादा फोन देखने से सिर दर्द, देर रात जागने से सिर दर्द, दिन में भूखे रह गये तो सिर दर्द आदि से सिर दर्द। यदि आप भी सिर दर्द या माइग्रेन की समस्या से परेशान हैं और आप इससे बचने के लिए एलोपैथिक दवाओं का सेवन करते हैं, तो आज मैं आपके लिए इस सिर दर्द को नियंत्रित करने के लिए सरल योग के प्राणायाम बता रहा हूं, जिनका नियमित अभ्यास करने से आप इस समस्या से बच सकते हैं।
कौन सा सिर दर्द माइग्रेन होता है-
सबसे पहले हमें यह पता होना चाहिए कि क्या हमारे सिर में सामान्य दर्द हो रहा है या फिर माइग्रेन का दर्द हो रहा है। माइग्रेन के दर्द के लक्षण निम्न प्रकार हैं-
1-यदि आपके सिर में दर्द लंबे समय तक रहता है।
2-यदि आपके सिर के आसपास के हिस्से में दर्द, दिल की धड़कनों के साथ-साथ एक लय या रिदम में होता है, जैसे आपके दिल की धड़कन जैसे-जैसे होती है, वैसे-वैसे ही आपके सिर या कनपटी में भी लुपलुपाहट सी होती है, तो यह माइग्रेन का दर्द हो सकता है।
3-अनेक लोगों को यह दर्द इतना भयंकर होता है, कि उन्हे लगता है हमारा सिर ही दर्द से फट जायेगा।
4-ज्यादा खतरनाक स्थिति में, बेहोशी का छा जाना या फिर आंखों के सामने अंधेरा छा जाना भी हो सकता है।
माइग्रेन दर्द के कारण-
1-यदि आप ज्यादा मात्रा में शराब, काॅफी, साॅफ्ट ड्रिक्स और चाय का सेवन करते हैं, तो इससे माइग्रेन का दर्द हो सकता है।
2-यदि आपके पेट में कब्ज और गैस की शिकायत लगातार रहती है।
3-सामान्य सर्दी-जुकाम और खांसी जिसके कारण नाक का रास्ता पूरी तरह से बन्द हो जाता है।
4-यदि आपका ब्लड प्रेशर हाई रहता है या फिर आप तनाव में रहते हैं तो आपको माइग्रेन की समस्या हो सकती है।
Migraine Treatment : माइग्रेन का इलाज प्राणायाम से करें!
साथियों! यदि आप पहली बार प्राणायाम कर रहे हैं तो सबसे पहले नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास प्रारम्भ करें। पन्द्रह दिनों तक इस प्राणायाम के अभ्यास के बाद भ्रामरी प्राणायाम करें, और इसके बाद कपाल भाति प्राणायाम प्रारम्भ करें। एक-दो माह तक उपरोक्त तीनों प्राणायाम करने के बाद भस्त्रिका प्राणायाम प्रारम्भ करें। इस क्रम का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए, अन्यथा नुकसान भी हो सकता है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम-
नाड़ी शोधन प्राणायाम के बारे में मैं विस्तार से पहले आलेख ‘‘प्राणायाम करने की सही व वैज्ञानिक विधि’’ में बता चुका हूं, आप इसी लिंक को क्लिक करके उस आलेख पर चले जायेगे और उसे वहां पर पढ़ सकते हैं।
ब्राह्मरी प्राणायाम-
सुखासन या पद्मासन आदि किसी आसन में बैठ जायें, गर्दन और कमर को सीधा रखें और सामान्य सांस लें, अपने दोनों कानों को अंगूठों से बंद कर लें, दोनों हाथों की अपनी पहली उंगली माथे पर बीचों बीच रखें, बाकी तीन अंगुलियां अपनी आंखों पर रखें, आंखें बन्द करके पूरी तरह से सांस बाहर निकाल दें, अब धीरे-धीरे श्वास को अंदर भरें, अपने फेफड़ों में पूरी तरह से सांस को भर लें। अब सांस बाहर निकालते समय भ्रमर जैसी ध्वनि करें और इस ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करें।
इस प्राणायाम को करने से मानसिक तनाव कम होता है, सिर के दर्द में आराम मिलता है, नींद न आना, नर्वस सिस्टम की कमजोरी आदि में भी आराम मिलता है।
कपालभाती प्राणायाम-
किसी दरी या कम्बल आदि पर बैठ जाये, कमर को बिल्कुल सीधा रखें, सुखासन या व्रजासन आदि किसी भी आसन में बैठ सकते हैं, दोनों हाथों से अपने घुटनों को मजबूती से पकड़ लें। कुछ देर मन को शांत करें, चार-पांच बार गहरी-गहरी सांस लें। आंखों को बन्द कर लें, अपने पेट को अंदर की ओर खींचते हुए जोर से नाक से सांस बाहर निकालें, सांस लेने का प्रयास न करें, सांस अपने आप पेट ले लेगा। ऐसा 25 से 30 बार तक करने का प्रयास करें। जब आप थकान महसूस करने लगे, अपने शरीर का स्थिर रखते हुए अपनी सांस का पूरी तरह से बाहर निकाल दें और आराम की मुद्रा में आ जाये। इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 80-से-100 बार तक ले जा सकते हैं। परन्तु अभ्यस बढ़ाने में जल्दी न करें, धीरे-धीरे अभ्यास को बढ़ायें।
यह क्रिया सिर, नाक, और फेफड़ों को डिटाॅक्स करने के लिए एक सुन्दर व असरकारी प्रक्रिया है। इससे नाक के रोग तो दूर होते हैं साथ ही सिर का दर्द ठीक होने लगता है, इसे आप अपने दैनिक योग में सम्मिलित करके काफी हद तक स्वस्थ रह सकते हैं।
भस्त्रिका प्राणायाम-
उपरोक्त प्रकार से ही बैठना है, सारे कार्य उपरोक्त प्रकार से ही करने हैं केवल इस प्राणायाम में सांस को लेना भी तेजी से है और छोड़ना भी तेजी से है। बाकी सभी उपरोक्त प्रकार से ही संपन्न होगा। प्रारम्भ में इस प्राणायाम को भी 25-30 बार करने का प्रयास करें या फिर अपनी क्षमतानुसार करें, आवश्यक नहीं है कि 25-30 बार, पहली बार में ही संपन्न किया जाये।
भस्त्रिका प्राणायाम से शरीर को अधिकतम प्राणवायु प्राप्त होती है, नाक के विकार व सिर के दर्द में आराम मिलता है, साइनस की समस्या में राहत मिलती है। रक्त की शुद्धि होती है, वात, पित्त, और कफ संतुलित होते हैं, कब्ज दूर होती है, रक्त की शुद्धि होने से चेहरे पर एक चमक दिखायी देने लगती है। बहुत से योग गुरूओं का यहां तक मानना है कि यदि शरीर में किसी भी स्थान पर कोई गांठ इत्यादि हो, तो वह इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है। इस प्रकार आप उपरोक्त प्राणायामों के द्वारा अपना माइग्रेन का इलाज कर सकते हैं।
कोई जिज्ञासा हो तो कमैंटस करें, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए! नमस्कार जयहिन्द।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, योगाचार्य, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर
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