क्या आपको भी आती हैं एकांत में ऐसी आवाजें??

क्या आपको भी आती हैं एकांत में ऐसी आवाजें??

क्या आपने कभी महसूस किया है कि जब आप एकांत में, गहरी चिंता या चिंतन में डूबे रहते हैं, तो आपके कान में एक अजीब सी आवाज आती हैं, या फिर जब कभी आप शांत चित होकर पूजा या ध्यान कर रहे होते हैं, जब आप को कुछ भौंरे या झींगूर या मक्खियों की सी भिनभिनाने की आवाजें आती हैं? ये आवाजें आपकी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं?? एक बात और भी है कि, ये आवाजें केवल आपको ही आ रही होती हैं आपके पास बैठे कियी अन्य को ये आवाजें नहीं आ रही होती हैं। जब आपको ये आवाजें आ रही होती हैं आप चारों और देखते हैं या तक पलंग-बैड-चेयर के नीचे भी देखते हैं परन्तु इन आवाजों का स्रोत आपको नहीं मिलता है, फिर आप परेशान होकर इन आवाजों पर ध्यान देना बंद कर देते हैं तो ये आवाजें आपको आनी बन्द हो जाती हैं। ये आवाजें क्या हैं, जब पहली बार मैंने सुनी तो मैं भी परेशान हो गया था। आप इस लेख को पढ़ने के लिए आये हैं...... इसका तात्पर्य है कि या तो आपको ऐसी आवाजें आती हैं या फिर आप इन आवाजों के बारे में जानने के इच्छुक हैं। प्रिय प्रबुद्ध पाठकजनों !! यदि आपको ये आवाजें आती हैं तो आपको काॅगै्रचलैशन!! आपको बधाई!! आप हजारों में वो चन्द लोग हैं जिन्होंने ध्यान की पहली स्टेज पर कदम रख दिये हैं!! या हम यह भी कह सकते हैं कि आपका मूलाधार चक्र एक्टिव (जाग्रत) हो गया है, या फिर हम यह भी कह सकते हैं कि आप नाद योग की कक्षा में प्रवेश कर गये हैं, यह वहीं नाद योग है जिसमें हम अपने अन्दर की दिव्य और अनाहत ध्वनियों को सुनकर ध्यान में चले जाते हैं, आप में से अनेकों को यह जानकर आश्चर्य भी हो रहा होगा कि हमने ऐसा क्या कर दिया, या फिर हमने तो कभी ध्यान या मेडिटेशन किया भी नहीं है?? फिर हमें ये आवाजें क्यों आती हैं? तो मैं अभी आपके सारे प्रश्नों/जिज्ञासाओं का समाधान कर रहा हूं।

प्रिय पाठकों! हमारे अन्दर दो प्रकार की ध्वनियां हमेशा गुंजती रहती हैं, पहली आहत ध्वनियां और दूसरी अनाहत ध्वनियां। आहत ध्वनियां वो ध्वनियां हैं जो किसी दो या दो से अधिक चीजों के आपस में टकराने से उत्पन्न होती है, या किसी चीज के आहत या टकराने से उत्पन्न होती हैं। जैसे घंटे की ध्वनि, शंख की ध्वनि, मशीनों की ध्वनि आदि आदि। ये हमारे शरीर में भी होती रहती है जैसे रक्त-परिसंचरण की ध्वनि, भोजन के पचने की ध्वनि, हड्डियों के चरमराने की ध्वनि या फिर धड़कनों की ध्वनियां आदि आदि। ये वही आहत ध्वनियां है जिन्हें हमारे बीमार होने पर डाक्टर अपने स्टेथोस्कोप से चैक करता है। 

अनाहत ध्वनियां वो ध्वनियां है, जो बिना दो या दो से अधिक चीजों के आपस में टकराने से उत्पन्न होती हैं। अर्थात ये आहत नहीं होती, ये बिना किसी चीज के आपस में टकराने पर भी उत्पन्न होती रहती हैं। जिन्हें योगी अपने कान बन्द करके, अन्दर के सूक्ष्म कानों से सुनते हैं और इन दिव्य ध्वनियों को सुनकर, योगी का मन गहरे ध्यान योग में उतर कर ध्यानावस्थित हो जाता है। ये ध्वनियां हमारे शक्ति चक्रों से आती है, जैसे भौंरों की सी आवाजें, घंटे की आवाजें, बांसुरी की आवा
जें और ओंकार की आवाजें आदि आदि। सबसे अंतिम शक्ति चक्र से ओंकार की ध्वनि आती है।
 
जो व्यक्ति ध्यान का अभ्यास करते हैं। ध्यान किसी भी प्रकार का हो सकता है यथा ध्यान योग, त्राटक योग, लय योग, जप योग आदि आदि। परन्तु सभी ध्यान योगों का रास्ता इन्हीं दिव्य (प्रारम्भ में डरावनी आवाजें भी हमें आ सकती हैं।) ध्वनियों से होकर जाता है। अतः यदि आप पूजा या जप भी करते हैं तो कभी-कभी अनायास ही इन दिव्य ध्वनियों से आपका साक्षात्कार हो जाता है, और हम भय से इन दिव्य ध्वनियों को सुनना बन्द कर देते हैं।

कुछ जिज्ञासुओं के मन में यह भी प्रश्न होगा कि हमने तो कभी ध्यान किया ही नहीं फिर हमें ये आवाजें क्यों आती हैं?? प्रबुद्ध पाठकों! ‘‘श्रीमद्भागवत में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि यदि कोई साधक ध्यान का अभ्यास करता है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो यदि वह साधक अगले जन्म में पुनः साधना करना प्रारम्भ करता है तो उसने पिछले जन्म में साधना जहां से छोड़ी होती है उसे वह प्रगति-स्थिति थोड़े से अभ्यास से ही अगले जन्म में प्राप्त हो जाती है। अर्थात वह पिछले जन्म की स्थिति को बहुत कम अभ्यास से अगले जन्म में प्राप्त कर लेता है।’’ अतः जिन्होंने कभी ध्यान नहीं किया और उन्हें ये दिव्य ध्वनियां सुनाई दे रही हैं तो उन्हें इन दिव्य ध्वनियों को पूर्व जन्म की साधना का परिणाम मानना चाहिए। और इस जन्म में अपने अभ्यास को आगे बढ़ाना चाहिए।

मुझे ये लेख लिखने की प्रेरणा मेरे एक एनआरआई स्टूडेन्ट ने दी, जो सऊदी अरब में रहकर मुझसे त्राटक ध्यान सीख रहा है। उसने जब पहली बार ये ध्वनियां सुनी तो वो बहुत परेशान हो गया, और उसने अपना यह अनुभव मुझसे साझा किया, तब मैंने उसका इसी प्रकार मार्गदर्शन किया जैसा कि इस आलेख में आपका किया है। इसी प्रकार अब मैं आशा करता हूं, अबकी बार जब भी येे ध्वनियां सुनाई देंगी तो आप भी परेशान नहीं होंगे, बल्कि ध्यान योग की पहली स्टेज पर पहुंचने पर अपने को गौरवान्वित समझेंगे।

मैडिटेशन पर मेरी लगभग 50 वीडियो यूटयूब पर उपलब्ध हैं, नाद योग पर भी मेरी एक वीडियों है, उसे देखकर
आप लाभ उठा सकते हैं, लिंक मैंने इसी लेख में दे दिये हैं। आपको कोई और जिज्ञासा हो तो मुझे कमैंटस कीजिए या फिर मेरे व्हाट्सएप पर संपर्क कीजिए। 
धन्यवाद, जय हिन्द! आपके बहुमूल्य कमैंटस की प्रतीक्षा में!!!
 
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, लेखक, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
(लेख का सर्वाधिकार सुरक्षित है, लेखक की अनुमति के बिना आलेख को प्रकाशित या किसी अन्य चैनल के माध्यम पर उपयोग करना गैर कानूनी है ।)
 
 ये आलेख भी पढ़ें :
"परिवर्तन की पीड़ा" सहकर ही मिलता है "सफलता का आनन्द"
जैसी दृष्टि वैसी ही सृष्टि होती है!! (विचारोत्तेजक लेख)
लोगों को कहने दो, मंजिल की ओर चलते चलो....

सूरदास के भ्रमर गीत की विशेषताएं क्या हैं?
"गजेन्द्र मोक्ष" पाठ की रचना क्यों हुई?
‘स्वर-विज्ञान’ से मन-शरीर-भविष्य को जानिए
एक कापालिक से सामना (सत्य कथा)
जब 'मुर्दा' बोला? एक बीड़ी म्हारी भी़......!
भूत?होते हैं! मैने देखें हैं! क्या आप भी.........?
जातस्य हि ध्रुवों मृत्युध्र्रुवं..........।(कहानी)
एक ‘बेटी’ ने ही सारा जहां सर पे………?
वह मेेरी "पत्नि" तो नहीं थी!! (रहस्य-कथा)
"रावण" ने मरने से इनकार कर दिया !
वह उसकी बेटी ही थी! (रहस्य कथा)
एक 'लुटेरी' रात !! (रोमांच-कथा)
एक मंकी मैन से मुकाबला?
आओ!! पढ़ें अफवाहें कैसी-कैसी!!!
वह मेेरी "पत्नि" तो नहीं थी!! (रहस्य-कथा)

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमूल्य है!