लम्बी उम्र कोई सपना नहीं है!!


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लम्बी उम्र कोई सपना नहीं है !!
अथर्ववेद में आता है, ‘‘जीवेम शरदः शतम्’’ इसका अर्थ है हम सौ शरद ऋतु तक जीयें यानि हम सौ वर्ष तक जीयें। अर्थात पहले प्राचीन काल में भी 100 वर्ष तक जीने की कल्पना की गयी है। आज के समय में भी 100 वर्षों तक जीना मुश्किल नहीं है।

    इंसान की पूरी उम्र सौ साल की मानी जाते हैं। इस तरह प्राचीन ग्रंथों में जीवन को चार भागों में बांटा गया है।
 
उम्र के पहले 25 सालों को शरीर, मन और बुद्धि के विकास के लिए तय किया गया है
 
25 से 50 वर्ष की उम्र के लिए काम व गृहस्थ के कर्म तय किए गये हैं। इस समय अतिकाम से बचना चाहिए, अन्यथा यह आयु को कम करने वाला सिद्ध होता है।
 
50 से 75 की आयु के बीच वानप्रस्थ और वैराग्य प्रारम्भ होना चाहिए। इस समय मन को धीरे-धीरे सभी विषयों और दायित्वों से हटाते चले जाना चाहिए, अपने कार्यो व दायित्वों की जिम्मेदारी अपने बच्चों को धीरे-धीरे सौंप देनी चाहिए। भोजन मेें भी अनाज का सेवन कम करते जाना चाहिए, जिव्हा पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि इस दौर में हमारी पाचन शक्ति मंद पड़ने लगती हैं, अधिक खाने से उसका अतिरिक्त भार हमारी पाचन शक्ति पर पड़ता है, जिससे हम बिमारियों से ग्रस्त होने लगते हैं और हमारी आयु क्षीण होने लगती है। प्रार्थना और ध्यान का समय बढ़ाते जाना चाहिए।
 
75 वर्ष के बाद की आयु में सभी सांसारिक दायित्वों को छोड़ कर अपना सारा समय प्रार्थना और साधना में लगा देना चाहिए। यदि इंसान इन चार आश्रमों के अनुसार अपने जीवन को व्यतीत करता है, निश्चित ही वह व्यक्ति 100 वर्ष जीने की क्षमता रखता है।

लम्बी उम्र पर पिछले कई सालों से शोध करने वाले संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ0 डी ग्रे का दावा है कि तमाम तरह की बीमारियों का खात्मा कर के ऐसा संभव होगा। डाॅ0 डी ग्रे का मानना है कि बुढ़ापा कुल मिलाकर हमारे शरीर में जीवन भर जमा हुई कोशिकाओं का नाश होना है और इसे रोकना संभव है।
 
एक आंकड़े के मुताबिक हर साल जीवनकाल में तीन महीने की वृद्धि हो रही है और वर्ष 2030 में 100 साल की उम्र पार करने वालों की संख्या कई लाख में होगी। जापान में वर्ष 2010 में 44,000 से ज्यादा लोग 100 से ज्यादा उम्र के थे।

लम्बी उम्र के लिए जो प्रयास किया जाने चाहिए, अकसर हम उनका पालन पूरी तरह से कर नहीं पाते। शारीरिक चुस्ती हो या मानसिक निर्बलता, लम्बी उम्र के लिए इन सब में संतुलन बिठाना होता है। सेहतमंद लम्बी उम्र के लिए प्राचीन शास्त्र विदुर नीति में लिखा है-
धृतराष्ट्र और विदुर में 100 वर्ष तक कैसे जिएं, इस विषय पर बात हो रही थी। विदुर के अनुसार अभिमान तथा अहंकार मनुष्य को शारीरिक रूप से कमजोर बनाता है। अधिक बोलने वाले और मौन धारण नहीं करने वाले व्यक्ति की मृत्यु भी जल्दी हो जाती है। क्रोध मनुष्य की आयु का सबसे बड़ा दुश्मन है। ऐसे लोग कम उम्र में ही रोगी होकर मृत्यु को प्राप्त होते हैं।

हर रोज जमकर मेहनत करना भी हमें सेहतमंद बनाए रखता है।
 
अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार योग, प्राणायाम व व्यायाम भी लम्बी उम्र के राज हैं।

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