साथियों! हमारा मस्तिष्क एक चाकू की तरह है, इसे जितनी धार दोगे, जितना इसका प्रयोग करोगे उतना ही ये तेज होगा, तीक्ष्ण होगा, प्रयेाग करना कम कर दोगे, तो उतना ही बेकार और नकारा हो जायेगा। आधुनिक विज्ञान ने हमारे माइंड को नकारा बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, जैसे पहले हम सैंकड़ों फोन नंबर याद रखते थे, परन्तु मोबाइल फोन ने वो मैमोरी हमसे छीन ली है, हममें से कितने व्यक्ति ऐसे भी होंगे, जिन्हें अपना फोन नम्बर भी याद नहीं होगा और तो और मार्केट में कुछ खरीददारी करते समय यदि हमें पांच सौ के नोट में से 59 रूपये देने पड़े, तो हम उसे घटाने के लिए तुरन्त अपने फोन पर कैलकुलेटर खोल लेते हैं। इस अविष्कार के कारण हमारी दिमागी एक्सरसाइज बिल्कुल बन्द हो गयी है। साथियों, ये तो बात हुई माइंड की, अब मैं यदि अवचेतन यानि सबकाॅन्शियस मांइड की बात करूं, तो पहले जब भी हमें कोई याद करता था तो हमें हुचकी से भी पता चल जाता था, कि कोई हमें याद कर रहा है, उस समय संदेश वाहन के साधन सीमित थे, किसी की याद आने पर उसे पत्र लिखा जाता है, या फिर फोन किया जाता था। बीच में ज्यादा दूरियां होने के कारण प्रेम ज्यादा था, हमारा सबकाॅन्शियस माइंड हुचकी और सपनों के द्वारा मानसिक संदेश का आदान-प्रदान कर लिया करता था। मैंने ऐसे अनेक बुजुर्गों को अपने मन की तरंगों को पढ़कर, अपने किसी प्रिय की राजी खुशी होने की सफल भविष्यवाणी करते देखा है, इसी कारण पहले हमारा सिक्सथ सेन्स या सबकाॅन्शियस माइंड अबकि तुलना में ज्यादा एक्टिव होता था। अब दूरियां समाप्त हो गयी हैं, साधन बढ़ गये हैं परन्तु प्रेमभाव भी कम हो गया है, चूंकि हमारा सबकाॅन्शियस माइंड भावनाओं और प्रेम से ही मजबूत होता है, एक्टिव होता है, इसलिए ये भी अब सुप्तावस्था में पहुंचता दिखायी दे रहा है, मित्रों! मेरे कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि विज्ञान बेकार है, इसने हमें कुछ नहीं दिया, ऐसा नहीं है इसने हमें बहुत कुछ दिया है, बस हमारी गलती इतनी है, जिस विज्ञान को हमें अपना सेवक बनाना था उस विज्ञान को हमने अपना स्वामी बना लिया।
साथियों हावर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों ने एक रिसर्च के बाद अपने ब्रेन व अवचेतन मन यानि सबकाॅन्शियस माइंड के लिए कुछ एक्सरसाइज बनायी है, जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में दैनिक कार्यों को करते हुए भी कर सकते हैं और अपने ब्रेन व सबकाॅन्शियस माइंड को मजबूत बना सकते हैं।
मन-मस्तिष्क को शक्तिशाली बनाने वाली एक्सरसाइज-
साथियों! यदि आप राइट हैंडर हैं तो अपने दैनिक कामों में सेे कुछ काम जैसे ब्रश करना, खाना खाना, पानी पीना, नहाना आदि कुछ काम उल्टे हाथ से करने की आदत डालिए और यदि आप लैफ्ट हैंडर हैं तो आप इन कामों को सीधे हाथों से करने की आदत डालें। इस तरह से काम करके आप अपने मस्तिष्क पर बहुत अच्छा प्रभाव डालते हैं, इससे आपका मस्तिष्क मजबूत होता है।
2-पढ़ने की आदत डालिये-
आप अपने दैनिक जीवन में न्यूजपेपर, मैगजीन, कहानी, लेख आदि जरूर पढ़ें, क्योंकि इनको पढ़कर हमारा मस्तिष्क अपने अंदर एक छवि या फिल्म सी बनाता है, जिस कारण हमारा मन एक्टिव होता है, इसकी एक्टिवनेस का हमारे माइंड पर एक पाॅजिटिव इफेक्ट पड़ता है।
3-भूमध्य के बीच में अपनी उंगली रखिए-
दोनों भौंहों के बीच अपनी तर्जनी उंगली कुछ देर के लिए रखिए, और उस पर अपने मन को एकाग्र कीजिए। हो सके तो ऊंॅ या गायत्री मंत्र का मन ही मन उच्चारण कीजिए, ऐसा करने से हमारा आज्ञा चक्र प्रभावित होता है और वह जाग्रत होने लगता है, जिससे हमारा अवचेतन मन एक्टिव होता है।
4-कुछ कार्य आंखें बन्द करके कीजिए-
साथियों, अपने दैनिक जीवन के कुछ कार्य आंखे बन्द करके, करने का अभ्यास कीजिए, जैसे कमरे में घूमना, पेंटिग करना, कुछ लिखना आदि। आंखे बन्द करके कार्य करने से हमारी थर्ड आई एक्टिव होती है, जिसका हमारे अवचेतन पर सीधा प्रभाव पड़ता है, इससे भी हमारा अवचेतन मन स्ट्रांग बनता है।
5-चैस खेलिए-
नये रिसर्च से पता चला है कि चैस खेलना माइंड के लिए बहुत अच्छा होता है, यदि आप अपने दैनिक जीवन में कुछ समय चैस के लिए निकाल सकें तो ये आपके माइंड के लिए बहुत अच्छा होगा। इससे भी हमारा अवचेतन मन स्ट्रांग बनता है।
6-पहेलियां, पजल्स या अंताक्षरी खेलिए-
दिन में या रात्रि में जब भी आपको समय मिले पहेलियां, पजल्स साॅल्व कीजिए, परिवार के साथ अंताक्षरी खेलिए, परिवार में आपस में जर्नल नाॅलिज के प्रश्न पूछिये। ये भी आपके माइंड के लिए एक बहुत अच्छी एक्सरसाइज है। इससे आपके साथ आपके परिवार के सदस्यों का भी माइंड एक्टिव होगा।
7-नये-नये लोगों से मिलिए-
नये-नये लोगों से मिलिए, उनके बारे में जानिए, उनके विचारों को सुनिए और उनसे अपने विचारों को साझा कीजिए, नये रिसर्च से पता चला है कि नये-नये लोगों से मिलने से भी माइंड पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
8-अच्छी सी नींद लीजिए-
ये अवचेतन मन के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण एक्सरसाइज है, एक अच्छी सी नींद लीजिए और नींद में एक अच्छा सा सपना देखिए, परन्तु विशेष बात ये है कि हमें अपने सपने को भूलना नहीं है, सो कर उठने पर हमें अपना सपना याद रखना है और ज्यादा से ज्यादा देर तक उसे याद रखने का प्रयास कीजिए, एक रिसर्च के अनुसार अधिकतर लोग, अपने सपनें सोकर उठने के कुछ मिनटों बाद ही भूल जाते हैं। साथियों, जितनी देर तक हम अपने सपने को याद रखेंगे, उतना ही हमारा सबकाॅन्शियस माइंड एक्टिव होगा।
साथियों! ये थी माइंड व सबकाॅन्शियस माइंड की एक्सरसाइज। यदि आप इन्हें अपने दैनिक जीवन में शामिल कर लेते हैं तो आपको इनका प्रभाव एक महीने में ही दिखायी देना प्रारम्भ हो जायेगा।
साथियों! आपको ये आलेख कैसा लगा कमैंटस करके बताना ना भूलें, अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए, नमस्कार, जयहिन्द!
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, योगाचार्य, वास्तुविद्, एस्ट्रोलोजर
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