Ginger : अदरक खाने के फायदे !

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अदरक Ginger की हमारे खाने में स्वाद बढ़ाने व उसे पोष्टिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। इस भारतीय मसाले का प्रयोग हमारी रसोई में प्राचीन काल से किया जा रहा है। अदरक न केवल खाने में स्वाद-खूश्बू बढ़ाता है, बल्कि इसमें अनेक चिकित्सीय गुण भी मौजूद होते हैं। आज केे इस आलेख में हम अदरक खाने के फायदे के बारे में चर्चा करेंगे।

अदरक खाने के फायदे

पाचन तंत्र का सुदृढ़ करता है-

अदरक हमारे पाचन तंत्र को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खाने में कैसा भी गरिष्ठ आहार  ले लिया जाये, यदि उस खाने को अदरक के साथ बनाया गया है या फिर कच्चे अदरक का साथ सेवन किया जाये तो गरिष्ठ भोजन भी आसानी से हजम हो जाता है। इसके साथ-साथ अदरक भूख न लगना, पेट में जलन, एसिडिटी, उबकाई आदि पेट की समस्याओं में भी असरदायक है।

सर्दी-खांसी में लाभदायक-

अदरक का सेवन खांसी-जुकाम व सर्दी से होने वाले रोगों के लिए भी लाभदायक होता है। अदरक की चाय, या फिर अदरक का पानी खांसी की समस्या को कम करते हैं व गले के इंफेक्शन में भी आराम देते हैं।

वजन को कम करने में मदद करता है

अदरक का पानी खाली पेट लेने से पेट की चर्बी कम होती है, जो मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं वो इसके पानी का सेवन अवश्य करें। परन्तु नियमित सेवन से पहले अपने डाक्टर से सलाह भी ले लें।

खून को पतला करता है

अदरक का एक गुण यह भी है कि गाढ़े खून का पतला करता है, रक्त का संचार ठीक करता है, जिससे हमें दिल की बिमारियों से राहत मिलती है, हार्ट के रोगियों को अपने डाक्टर से सलाह लेकर इसका नियमित सेवन करना चाहिए।

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माइग्रेन के दर्द में आराम देता है

अदरक की चाय व अदरक का पानी पीना माइग्रेन के दर्द में रामबाण का काम करता है। अदरक के अंदर इस तरह के गुण होते हैं जो पेनकिलर का काम करते हैं जिससे माइग्रेन व सिर दर्द में फोरन आराम मिलता हैै।

मासिक धर्म के दर्द में आराम देता है

जिन महिलाओं व बच्चियों को मासिक धर्म में दर्द की समस्या होती है उन्हें अदरक की चाय व अदरक का पानी एक बेहतरीन दवा के रूप में काम करता है। इसे लेने के बाद उन्हें किसी और दवा की आवश्यकता नहीं रहती है।

कैंसर से बचाव में सहायक

अनेक शोधों के बाद पता चला है कि अदरक के गुण कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में सहायक हो सकते हैं।

सर्दी लगने से बचाव करता है

यदि आपको बदलते मौसम में जल्दी सर्दी लग जाती है तो आपको अदरक की चाय दिन में 2-3 बार लेनी चाहिए, इससे आपका सर्दी से बचाव होता है। इसका कारण है कि अदरक की तासीर गर्म होती है।

जोड़ों के दर्द में राहत देता है

अदरक का सेवन जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के दर्द में आराम देता है। गठिया जैसी बिमारी के आरम्भिक चरणों में भी अदरक का सेवन लाभकारी होता है।

रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि करता है

अदरक के अंदर एंटी आक्सीडेंटस गुण होते हैं, जिससे हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। अदरक का नियमित सेवन शरीर को अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली सुदृढ़ होती है।

अदरक का सेवन किस प्रकार करना चाहिए?

-अदरक को खाना बनाने में सब्जी में मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है, अदरक सब्जी में स्वाद और खूश्बू बढ़ाने के साथ-साथ शरीर को उपरोक्त लाभ भी प्रदान करता है।

-अदरक का रस शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से खांसी-जुकाम के साथ-साथ सर्दी से होने वाली समस्याओं में राहत देता है।

-अदरक को चाय में मिलाकर, चाय का स्वाद और खूश्बू बदल जाते हैं, जो हमारे लिए अत्यंत लाभकारी है।


-अदरक को पानी में उबालकर खाली पेट सेवन करने से वेट कम करने में व पेट की बिमारियों में राहत मिलती हैं।

-अदरक को मिक्सी में पीस कर उसका पेस्ट बनाकर भी प्रयोग किया जाता है। इसके पेस्ट को सब्जी आदि में मिलकार सब्जी को स्वाद, खूश्बू से युक्त किया जा सकता है।

हमने ऊपर अदरक खाने के अनेक फायदों के बारे में पढ़ा, शोध बताते हैं कि अदरक 100 से भी अधिक रोगों में फायदा करता है। वास्तव में अदरक अपने आप में बेहतरीन है। इसका नियमित सेवन करना चाहिए। इसकी गर्म तासीर के कारण सर्दियों में तो अदरक का सेवन और भी लाभकारी हो जाता है। यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो इसके नियमित सेवन से पहले अपने डाक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।

तो  साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा, कमैंटस करके बताना न भूले, और यदि आप नित्य नये आलेख प्राप्त करना चाहते हैं तो मुझे मेल करें। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।    
प्रस्तुति- संजय कुमार गर्ग, sanjay.garg2008@gmail.com Whats-app 8791820546

वास्तु वेध: समस्याएं देती हैं घर के सामने ये चीजें

घर के सामने आनी वाली बाधाओं या रूकावटों को वेध Obstacles कहा जाता है। जिससे जीवन में बाधाएं व परेशानियां उत्पन्न होती हैं। यदि आपके घर का वास्तु ठीक है परन्तु आपके घर के सामने यदि निम्न चीजें हैं तो ये आपके जीवन में समस्याऐं तो देती ही हैं साथ ही आपकी प्रगति, उन्नति को भी रोक देती हैं। अब हम देखते हैं कि घर के सामने कौन सी चीजें हमारी उन्नति में बाधायें उत्पन्न करती हैं।

वास्तु वेध: समस्याएं देती हैं घर के सामने ये चीजें

द्वार वेध- Obstacles in front of Gate

1-घर के मुख्य द्वार के सामने चौराहा, कुआं, तालाब, गटर, दूसरे मकान का कोना, दूसरे मकान की सीढ़ियां, बड़ा वृक्ष या खंभा आदि नहीं होना चाहिए। 


-वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के सामने वृक्ष होने से घर के बच्चों में दोष, ऐश्वर्य का नाश होता है। 

-घर के सामने कीचड़ होने से शोक होता है। मन उदास, टेशन में रहता है।


-घर के सामने जलप्रवाह होने से व्यर्थ के खर्चों का बढ़ावा मिलता हैं

-घर के समाने खम्भा होने से स्त्रियों में दोष उत्पन्न होते हैं व दुर्भाग्य की प्राप्ति होती है।

-कील वेध होने से आग लगने का भय होता है।

-घर के समाने दूसरे का दरवाजा होने से धन-धान्य का नाश होता है।

-मकान के सामने गड्डा होने से कलह, विरोध, तथा धन का अपव्यय होता है।

-घर के समाने श्मशान होने से भूत-प्रेतों का आतंक व भय होता है।


-घर के सामने शिला या पत्थर होने से शत्रुता व पथरी-रोग होने का भय होता हैै।

-किसी मकान का कोना होने से दुर्गति तथा मृत्यु का भय होता है।



2-मकान के मेन गेट के सामने गाय, बकरी या कोई अन्य जानवर बांधने की खूंटी नहीं होनी चाहिए। इस कील वेध कहते हैं।

3-घर के दरवाजे खोलते या बंद करते समय आवाज नहीं करने चाहिए। इसे स्वर वेध कहते हैं।


4-घर के द्वार के सामने मेनहोल, कुआं, पानी की हौदी या पानी की टंकी भी नहीं होनी चाहिए। यदि आपके मकान की छाया टंकी पर पड़ती है तो यह अशुभ माना जाता है इसे कूप वेध कहते हैं।


5-वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के सामने ब्रह्मा के मन्दिर का द्वार हो तो कुल का नाश होता है। महादेव या सूर्य का मन्दिर हो तो गृहस्वामी के लिए यह अशुभ होता है।

6-घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने कोई टूटा-फूटा खंडहरनुमा मकान हो तो यह भी शुभ नहीं होता। इससे घर में अशान्ति होती है।

निम्न अवस्थाओं में द्वार वेध का दोष नहीं होता- 

1-घर की ऊंचाई से दुगुनी भूमि का छोड़कर यदि कोई वेध है तो उसे वेध का दोष नहीं मानते हैं। माना आपकी घर की ऊंचाई 20 फुट है और आपके घर से 20 फुट की दूरी से दूर निम्न से बताया गया वेध स्थित है तो उसे वेध नहीं माना जाता।

2-यदि घर और वेध वस्तु के बीच मे राजमार्ग हो तो भी वेध का दोष नहीं होता।

3-यदि वेध वस्तु घर के सामने न होकर साइडों में या पीछे हो, तो भी वेध का दोष नहीं माना जाता।

छायावेध- Obstacles of shadow

घर पर किसी वृक्ष की छाया प्रातः 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक नहीं पड़नी चाहिए। ऐसा होने से घर के बच्चों में दोष, बुराईयां उत्पन्न होने का भय रहता है।


वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी मन्दिर की छाया भी घर पर नहीं पड़नी चाहिए, यह भी शुभ नहीं माना जाता है। माना जाता है इससे कुल का नाश होता है और बच्चों में दोष उत्पन्न हो जाता है।

वास्तु कहता है कि मन्दिर के ध्वज की छाया भी घर पर नहीं पड़नी चाहिए। ये भी मकान मालिक के लिए अशुभ होता है।


घर के सामने स्तंभ, स्मारक या स्तूप भी नहीं होना चाहिए। इसकी छाया भी प्रातः 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक घर पर नहीं पड़नी चाहिए।

यह भी सनद रहे कि यदि घर के साइडों में या फिर घर के पिछले हिस्से में छाया पड़ती है तो उसे छाया वेध नहीं माना जाता। अर्थात उसमें कोई दोष नही हैं।

उपरोक्त आलेख में हमने पढ़ा कि घर के सामने कौन सी चीजें जीवन में समस्याएं देती हैं, उन समस्याओं के बारे में विस्तार से जाना, साथ ही हमने पढ़़ा कि कौन सी स्थिति में वेध नहीं माना जाता है, अर्थात उपरोक्त चीजें समस्याएं नहीं देती हैं। 
पाठकों को इस संबंध में कोई और जिज्ञासा हो तो वास्तु के मेरे और आलेख पढ़े, मुझे कमैंटस करें या फिर मुझे मेल कर सकते हैं।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app

उर्दू के मशहूर शायरों की शायरी!

उर्दू के मशहूर शायरों की शायरी!


-1-
सरकती  जाये  है  रूख  से  नकाब आईस्ता-आईस्ता
निकलता   आ  रहा  है  आफताब  आईस्ता-आईस्ता
जवां   होने लगे जब  वो  तो  हम से  कर लिया परदा
हया यक-लखत' आई और शबाब आईस्ता-आईस्ता।
                                   -अमीर मिनाई

 -2-
जवानी      बेशकीमत      हादसा    है
मुहब्बत    खूबसूरत    दर्दे    सर   है,
अबद  तक काश मंजिल तक न पहुंचे
मेरा    महबूब    मेरा    हमसफर   है।
                   -अब्दुल हमीद ‘अदम’

 -3-
रोज   तारों  को  नुमाइश  में  खलल  पड़ता है
चाँद  पागल  है  अँधेरे   में  निकल   पड़ता  है,
उस की याद आई है साँसो जरा आहिस्ता चलो
धड़कनों  से  भी  इबादत  में  खलल  पड़ता है।
                                   -राहत इन्दौरी

 -4-
आप   बैठे   हैं  बालीं'   पे   मेरी   मौत   का   जोर  चलता   नहीं  है 
मौत  मुझ  का  गंवारा है लेकिन  क्या  करूं  दम  निकलता नहीं है,
ये अदा  ये नजाकत भरा सिन मेरा दिल तुम  पे  कुर्बान  लेकिन 
क्या  संभालोगे  तुम  मेरे  दिल  को जब ये आंचल संभलता नहीं है।
                                             -फना बुलन्दशहरी

 -5-
अपने  हाथों  की  लकीरों  में सजा  ले मुझ को
मैं  हूं  तेरा तू  नसीब  अपना बना ले मुझ को,
मैं जो कांटा हूं तो चल मुझ से बचा कर दामन
मैं  हूं  गर  फूल  तो  जूड़े  में  सजा ले मुझको।
                            -कतील सिफाई

 -6-
आपके  हक में यह गुनाह सही
हम  पियें  तो  शराब बनती है,
सौ  गमों  को निचोड़ने के बाद
एक  कतरा  शराब  बनती  है।
             -साहिर होशयारपुरी

  संकलन-संजय कुमार गर्ग 
कठिन अलफाज के अर्थ
अचानक,  लकड़ी,  उम्र, आयु
मुक्तक/शेरों-शायरी के और संग्रह 
प्यास वो दिल की बुझाने कभी.....मुक्तक और रुबाइयाँ !

तांबे (Copper) के बर्तन में खाना खाने के बेहतरीन फायदे!

तांबे (Copper) के बर्तन में खाना खाने के बेहतरीन फायदे!


तांबा (Copper) अपने आप में एक शुद्ध धातु होता है, इसमें किसी प्रकार से अन्य धातु का मिश्रण नहीं होता है। इसका तात्पर्य है कि इसमें केवल एक ही तरह का परमाणु होता है। तांबा धातु विद्युत इस सुचालकता के क्रम में यह चाँदी के बाद दूसरे स्थान पर आता है। इसमें एक लालिमा जैसी चमक होती है। यह सामान्यतः जल से अभिक्रिया नहीं करता है। 
आइये देखते हैं 

तांबे के बर्तन में खाना खाने के बेहतरीन फायदे-

-तांबे की धातु में कीटाणुरोधी गुण होता है इसलिए इसमें खाना बनाने व खाने से खाने में मौजूद कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। इससे शरीर की इम्युनिटी बेहतर होती है, हमारा शरीर अनेक प्रकार की बिमारियों से बचा रहता है।

-तांबे के बर्तन में भोजन करने से काॅपर, जिंक, आयरन आदि की आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सहायता मिलती है।
-तांबे के बर्तन में खाना खाने से उसका टैस्ट बेहतर हो जाता है, क्योंकि इसमे खाने से अच्छी खुश्बू आती है।

-तांबे के बर्तन में खाना खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है, रात्रि में तांबे के बर्तन में रखा गया पानी पीने से पाचन शक्ति मजबूत होती है, लड़कियों व महिलाओं की मासिक धर्म की अनियमितता को भी यह दूर करता है। परन्तु यह ध्यान रखें कि पानी को केवल 8-10 घंटे तक ही रखें, दो-तीन दिन इसमें रखा गया पानी जहरीला हो जाता है।

तांबे (Copper) के बर्तन में खाना खाने के बेहतरीन फायदे!


-तांबे के बर्तन में खाना खाने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है। इससे स्वास्थ्य बेहतर होता है।

-तांबे के बर्तन में भोजन करने से हड्डियां स्ट्रांग होती है। साथ ही तांबे के बर्तन में भोजन करने से वजन कम करने में सहायता मिलती है।
-तांबे के बर्तन में खाना खाने से हमारा रक्त शुद्ध होता है इससे स्किन चमकदार होती है, साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।

-तांबे के बर्तन में भोजन करने हमारा पाचन तंत्र मजबूत होता है, पेट की अनेक समस्याओं गैस, एसिडिटी, अपच आदि को यह दूर करता है

तांबे (Copper) के बर्तन में खाना खाने के बेहतरीन फायदे!

तांबे के बर्तन में खाना बनाने से नुकसान /तांबे में क्या नहीं खाना चाहिए?

-तांबे के बर्तन में खट्टी चीजें जैसे अचार, दही, मट्ठा, जूस आदि खाने से नुकसान हो सकता है, आपको फूड पाॅयजनिंग हो सकती है।

तांबे का पानी कब नहीं पीना चाहिए?

-यदि आपको एसिडिटी की समस्या रहती है तो आपको तांबे के बर्तन में रखा पानी नहीं पीना चाहिए, ये आपकी एसिडिटी की समस्या को और बढ़ा सकता है।

-यदि आप हार्ट के पैसेंट हैं तो भी आपको तांबे में रखा पानी पीने से पहले अपने डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

-यदि आप तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीते हैं तो दिन में एक या दो बार ये ज्यादा ना पीयें क्योंकि इससे आपकी बाॅडी में तांबे की मात्रा बढ़ने से आपको उल्टी, दस्त, उबकाई आदि की समस्या हो सकती हैं।
-यदि आप तांबे के बर्तन में रोज पानी पीते हैं तो इसे रोज साफ करके ही इसमें नया पानी भरें।

-यदि आप तांबे के बर्तन में पानी पीते हैं तो इसमें नींबू मिलाकर पानी बिल्कुल न पीयें इससे आपको नुकसान हो सकता है।

-कुछ लोगों को तांबे के बर्तन में भोजन करने से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है अतः इसके लिए अपने डाक्टर से सलाह लेकर इसका प्रयोग करना चाहिए।

तांबे (Copper) के बर्तन में खाना खाने के बेहतरीन फायदे!


आपके कुछ प्रश्नों के उत्तर-

तांबे में क्या नहीं खाना चाहिए?

तांबे के बर्तन में खट्टी चीजें जैसे अचार, दही, मट्ठा, जूस आदि खाने से नुकसान हो सकता है, आपको फूड पाॅयजनिंग हो सकती है।

तांबे का पानी कौन नहीं पी सकता?/ तांबे का पानी कब नहीं पीना चाहिए?

ऐसे व्यक्ति जिन्हें एसिडिटी की समस्या है, या ऐसे व्यक्ति जिन्हेे हार्ट की समस्या है उन्हें डाक्टर की सलाह के बिना तांबे में रखा गया पानी नहीं पीना चाहिए।

तांबे के बर्तन में कितने घंटे पानी रखना चाहिए?

तांबे के बर्तन में पानी को केवल 8-10 घंटे तक ही रखें, दो-तीन दिन इसमें रखा गया पानी जहरीला हो जाता है।

तांबे से कौन सा रोग होता है?

तांबे से एक आनुवंशिक किस्म की दुर्लभ बिमारी ‘‘विल्सन’’ होती है, जो इन्सान के लीवर, आंखों, मस्तिष्क आदि को नुकसान पहुंचा सकती है।

क्या तांबे के पानी से एसिडिटी होती है?

बिल्कुल यदि आपको पहले से एसिडिटी की समस्या है तो आपको तांबे के पानी से एसिडिटी बढ़ सकती है।

क्या तांबे के बर्तन में दूध पीना चाहिए?

तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए, दूध भी दही की तरह तांबे में विपरित प्रतिक्रिया देता है जिससे शरीर को नुकसान हो सकता है।

नोट-विभिन्न आयु, वय, स्वास्थ्य स्थिति के लिए किसी जानकार या डाक्टर की सलाह से ही उपरोक्त उपायों को प्रयोग में लाना चाहिए।

तो  साथियों आपको ये आलेख कैसा लगा, कमैंटस करके बताना न भूले, और यदि आप नित्य नये आलेख प्राप्त करना चाहते हैं तो मुझे मेल करें। अगले आलेख तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए नमस्कार जयहिन्द।    प्रस्तुति- संजय कुमार गर्ग, sanjay.garg2008@gmail.com

भवन या भूखण्डों के 9 लाभदायक आकार/सेप

भूखण्ड अनेक प्रकार की आकृतियों में उपलब्ध होते हैं। उनका एक जैसा आकार नहीं होता। जमीन के भूखण्ड अनेकों प्रकार की आकृतियों के हो सकते हैं। उन भूखण्डों में कुछ तो हमारे लिए लाभदायक होते हैं और कुछ हानिकारक होते हैं। अतः भूखण्ड को खरीदते समय उसकी बनावट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम भूखण्ड किस उद्देश्य से खरीद रहे हैं।

अब हम देखते हैं कि भवन या भूखण्डों के 9 लाभदायक आकार/सेप  व उनके प्रभाव-


1-वर्गाकार भूखण्ड-

ऐसा भूखण्ड जिसकी चारों भुजायें एक समान होती हैं यानि बराबर होती हैं वर्गाकार भूखण्ड कहलाते हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि ऐसे भूखण्ड जिनके प्रत्येक कोण 90 डिग्री पर केन्द्रीत हों वर्गाकार भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसा भूखण्ड सर्वसुखदायक होता है, वास्तु शास्त्र कहता है कि ऐसे भूखण्ड में निवास बनाने से लक्ष्मी उनके घर निवास करने आती है। ऐसे भूखण्ड ऐश्वर्य व धन-धान्य प्रदान करने वाले होते हैं। परन्तु ब्रह्मवैवर्तपुराण में भगवान श्रीकृष्ण विश्वकर्मा से कहते हैं कि-बुद्धिमान पुरूष को चाहिए कि जिसकी लम्बाई-चौड़ाई समान हो, ऐसा घर न बनवायें, क्योंकि चौड़ाई घरों में निवास करने से गृहस्थों के धन का नाश होता है। अतः ऐसे भूखण्डों को खरीदते समय पाठकों को अपनी बुद्धिविवेक के साथ-साथ किसी वास्तुविद् की सलाह लेनी चाहिए।

2-आयताकार भूखण्ड-

जिस भवन या भूखण्ड की आमने सामने की दोनों भुजायें बराबर हों ऐसे भूखण्ड आयताकार भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड के सभी कोण समकोण आकृति के होते हैं। ऐसे भूखण्ड या भवन में निवास करने वालों को प्रचुर मात्रा में धन लाभ मिलता है, संतानों में वृद्धि होती है साथ ये सभी के प्रिय होते हैं। आयताकार मकान के संबंध में विश्वकर्मा प्रकाश में कहा गया है कि मकान में चौड़ाई से दुगुनी से अधिक लम्बाई नहीं होनी चाहिएचौड़ाई से दुगुनी या उससे अधिक लम्बाई गृहस्वामी के विनाश का कारण बनती है।

3-वृताकार भूखण्ड-

ऐसे भूखण्ड-भवन जिनकी आकृति वृताकार होती है वे वृताकार भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड में निवास करने वालों को किरती में वृद्धि होती है, उन्हें ज्ञान लाभ प्राप्त होता है साथ ही ऐसे भूखण्ड धन लाभ कराते हैं। परन्तु ऐसे भूखण्ड में ईशान कोण यानि नोर्थ ईस्ट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्राचीन वास्तु शास्त्र में चक्र के समान मकान भी ग्रहस्थी के लिए वर्जित किया गया है। ऐसे घर में रहने से दरिद्रता आती है। मेरी भी अपनी राॅय है कि चक्र के समान भूखण्ड या मकान में रहने से बचना चाहिए।

4-षट्कोणाकार भूखण्ड-

ऐसे भूखण्ड-भवन जिनमें छः कोण हों। प्रत्येक कोण 60 डिग्री का बनता हो ऐसे भूखण्ड षट्कोणाकार भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड पर मकान बनाने वालों को सरकार से धन लाभ होता है। ऐसे मकानों के स्वामी को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। परन्तु ऐसे भूखण्डों के बारे में वास्तु के विभिन्न ग्रंथों में एकमत नहीं हैं। गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित भवन भास्कर में छः कोने वाले मकान को मृत्यु एवं क्लेश देने वाला बताया गया है। मेरी अपनी राय में भी पाठकों को छः कोनों वाले मकान को खरीदने से बचना चाहिए।

5-अष्टकोणाकार भूखण्ड- 

ऐसे भूखण्ड-भवन जिनमें आठ कोण हों, और प्रत्येक आठ कोण 45 डिग्री का बनता हो अष्टकोणाकार भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड या भवन सुख प्रदान करने वाले होते हैं। इसमें रहने वाले व्यक्तियों को ऐश्वर्य ओर संपन्नता की प्राप्ति होती है। इस प्रकार भूखण्डों के बारे में भी वास्तु के विभिन्न ग्रंथों एकमत नहीं हैं। गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित भवन भास्कर में आठ कोने वाले मकान को रोग एवं शोक देने वाला बताया गया है। मेरी अपनी राय में भी पाठकों को आठ कोनों वाले मकान को खरीदने से बचना चाहिए।

6-गोमुखकार भूखण्ड- 

जिस भूखण्ड या भवन का पीछे का भाग बडा हो तथा प्रवेश द्वार छोटा हो। हम यह भी कह सकते हैं कि ऐसे भूखण्ड या भवन जो आगे से छोटे और पीछे से बड़े होते हैं गोमुखाकार भूखण्ड कहलाते हैं। इस प्रकार के भवन या भूखण्ड आवास हेतू श्रेष्ठ माने जाते हैं। ऐसे भवन में निवास करने वाले व्यक्ति धनी और तेजतर्रार होते हेैं। वे इस भवन में रहकर हर प्रकार की सुविधाएं प्राप्त करते हैं, मां लक्ष्मी ऐसे घरों में स्थायी रूप से निवास करती हैं।

7-चारकोण धारी भूखण्ड-

ऐसे भवन या भूखण्ड जिनमें दो कोण समकोण होते हैं तथा आमने सामने की भुजाएं बराबर होती है। चारकोण धारी भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड भी धन-धान्य वैभव प्रदान करने वाले होते हैं और निवास करने वालों को शुभ फल प्रदान करते हैं।

8-सिंह मुखाकार भूखण्ड-

ऐसे भवन या भूखण्ड जिनका आगे का भाग बड़ा तथा पीछे का भाग छोटा होता है, सिंह मुखाकार भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसे भूखड निवास करने की दृष्टि से अच्छे नहीं माने जाते हैं, इनमें निवास करने से लाभ के स्थान पर हानि ही होती है। बल्कि ये भूखण्ड व्यापार की दृष्टि से उत्तम माने जाते हैं। ऐसे भूखण्डों या भवनों में दुकान, व्यापार आदि करने से बहुत तरक्की होती है।

9-भद्रासन भूखण्ड-

ऐसे भूखण्ड आयताकार भूखण्डों की तरह ही होते हैं। ऐसे भूखण्ड भी धन-धान्य लाभ प्रदान करने वाले होते हैं।

आपकी जिज्ञासाऐं? और हमारे समाधान!

कौन सा आकार का घर सबसे अच्छा है?

आयताकार, वर्गाकार और गोमुखाकार भूखण्ड/मकान सबसे अच्छे माने जाते हैं, मेरी अपनी राय में सबसे अच्छा भूखण्ड गोमुखाकार व आयताकार होता है। आयताकार भूखण्ड जिसका साइज 1ः2 का रेस्यों होता है। ये प्लाॅट सुख-समृद्धि और धन-धान्य देने वाले होते हैं।

घर के लिए एक अच्छा प्लॉट साइज क्या है?

घर के सबसे अच्छा प्लाॅट का साइज 1ः2 का रेस्यों होता है।

साधारण वास्तु के आकार कितने प्रकार के होते हैं?


वास्तु के आकार, आयताकार, वर्गाकार, चक्राकार, गोमुखाकार, सिंहाकार, षटकोणाकार, अष्टकोणाकार, भद्रासनाकार आदि हो सकते हैं।


सबसे अच्छा प्लॉट कौन सा है?

गोमुखाकार, आयताकार, वर्गाकार के प्लाॅट सबसे अच्छे माने जाते हैं।


उपरोक्त आलेख में हमने भवन या भूखण्डों के 9 लाभदायक आकार/सेप के बारे में पढ़ा। इनके बारे में आधुनिक वास्तुशास्त्रियों और प्राचीन वास्तुशास्त्रियों की राय के साथ-साथ मैंने अपनी भी राय रखी। आने वाले वास्तु के आलेखों में हम कुछ हानिकारक आकार/सेप के बारे में भी चर्चा करेंगे। पाठकों को इस संबंध में कोई जिज्ञासा हो तो कमैंटस करें या फिर मुझे मेल कर सकते हैं।
प्रस्तुति: संजय कुमार गर्ग, वास्तुविद्, एस्ट्रोलाॅजर 8791820546 Whats-app
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